उत्तर प्रदेश : मिल्कीपुर में कैसी रहेगी बीजेपी के लिए आर-पार की लड़ाई?

बीजेपी के लिए मिल्कीपुर में जीत का मतलब हार का बदला होगा लेकिन अगर वह यह सीट हारती है तो पार्टी के भीतर कलह बढ़ सकती है. यहां पांच फरवरी को मतदान होगा

योगी आदित्यनाथ अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण- प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर 11 जनवरी को अयोध्या में
योगी आदित्यनाथ अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण- प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर 11 जनवरी को अयोध्या में

चुनाव आयोग की ओर से मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की तारीख घोषित करने के एक सप्ताह बाद मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अयोध्या जिले की इस सुरक्षित सीट से चंद्रभान पासवान को अपना उम्मीदवार घोषित किया.

मिल्कीपुर वही विधानसभा सीट है जहां से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक रहे अवधेश प्रसाद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या को समाहित करने वाली फैजाबाद लोकसभा सीट जीतकर बीजेपी की दुनिया भर में किरकिरी करा दी थी.

अवधेश प्रसाद ने यह सीट तब जीती जब पिछले वर्ष जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी और बीजेपी को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिलेगा. मिल्कीपुर में उपचुनाव इसलिए जरूरी है क्योंकि मौजूदा सपा विधायक अवधेश प्रसाद ने फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद यह सीट छोड़ दी.

फैजाबाद लोकसभा सीट पर सपा की जीत लोकसभा चुनाव में यूपी में उसके आश्चर्यजनक रूप से मजबूत प्रदर्शन का हिस्सा थी. सपा ने कुल 37 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन इसके बाद विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने वापसी की. नवंबर में जिन नौ विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए थे उनमें से बीजेपी ने छह पर जीत हासिल की.

बीजेपी के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने एक अन्य सीट पर जीत हासिल की. सपा को केवल दो विधानसभा क्षेत्रों में ही जीत मिली, उसने अपना गढ़ कुंदरकी बीजेपी के हाथों गंवा दी.

अयोध्या के प्रतिष्ठित साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य वी.एन. अरोड़ा बताते हैं, ''सपा के हाथों फैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार बीजेपी संगठन के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी काफी परेशान कर रही है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अवधेश प्रसाद के विधानसभा सदस्यता छोड़ने के बाद रिक्त हुई मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी को जिताकर फैजाबाद लोकसभा सीट पर हार का बदला लेना चाहते हैं.''

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कुल छह बार अयोध्या और मिल्कीपुर का दौरा कर चुके हैं. आदित्यनाथ ने न केवल मिल्कीपुर अभियान की सीधी कमान संभाली है, बल्कि सात मंत्रियों को भी इस सीट पर तैनात कर दिया है.

उपचुनाव से एक महीने से भी कम समय पहले, 11 जनवरी को मुख्यमंत्री ने अयोध्या मंदिर में भगवान राम का 'अभिषेक' किया, जो इसकी प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में था. योगी को मालूम है कि 'अभिषेक' के बाद भी अगर मिल्कीपुर विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में नहीं आया तो यह सपा के मिशन-2027 में नई जान फूंक देगा. इससे बीजेपी के अयोध्या एजेंडे की धमक फीकी पड़ेगी.

योगी आदित्यनाथ ने हाल में 4 जनवरी को मिल्कीपुर का दौरा किया. वहां उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते हुए कहा, ''अगर कुंदरकी जीती जा सकती है, तो मिल्कीपुर भी छीनी जा सकती है. कुंदरकी में 65 प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने के बावजूद, बीजेपी ने विकास के नाम पर रिकॉर्ड मतों से उपचुनाव जीता.'' बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, ''बीजेपी नेतृत्व मिल्कीपुर के स्थानीय लोगों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि पार्टी का उम्मीदवार महत्वहीन है और सीएम योगी खुद इस निर्वाचन क्षेत्र में बदलाव की 'गारंटी' हैं.''

वर्ष 2012 में मिल्कीपुर सुरक्षित सीट घोषित हुई. यहां दलित जाति के मतदाता सर्वाधिक हैं. एक अनुमान के अनुसार, इनकी संख्या एक लाख से अधिक है; इनमें भी पासी बिरादरी के मतदाता लगभग 65,000 हैं. यादव मतदाता लगभग 70,000 और मुस्लिम 32,000 हैं.

इनके अलावा, ब्राह्मण 64,000, क्षत्रिय 18,000, चौरसिया 20,000, मौर्या 12,000, विश्वकर्मा 6,000 व कुर्मी और निषाद मिलाकर लगभग 5,000 मतदाता हैं. इन्हीं जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने पासी बिरादरी के चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाया है जो अयोध्या में पार्टी की जिला कार्यकारिणी के सदस्य हैं और उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं. कांग्रेस और बसपा के उपचुनाव से दूर रहने के कारण यहां चुनावी मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच सिमट गया है.

मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा के प्रत्याशी अजीत प्रसाद

सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद पर भरोसा किया है. इस तरह मिल्कीपुर की जंग 'पासी बनाम पासी' पर केंद्रित हो गई है. सपा ने भी डोर-टू-डोर अभियान शुरू कर दिया है क्योंकि वह किसी भी कीमत पर इस सीट को बरकरार रखना चाहती है.

फैजाबाद से सपा सांसद और मिल्कीपुर के पूर्व विधायक अपने बेटे अजीत प्रसाद को चुनाव जितवाने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं. वे मिल्कीपुर के लोगों से खुद के किए विकास कार्यों को गिनाकर वोट मांग रहे हैं. अवधेश प्रसाद कहते हैं, ''मिल्कीपुर की जनता को मुझ पर पूरा भरोसा है. मैंने यहां पॉलीटेक्निक बनवाया है. राजकीय बालिका इंटर कॉलेज खुलवाए हैं. हर ब्लॉक में आइटीआइ खुलवाई है. उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता के दौरान 50 बेड का अस्पताल बनवाया है. मिल्कीपुर की जनता को समाजवादी पार्टी और हमारे नेता अखिलेश यादव पर पूरा भरोसा है.''

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने के बाद विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने वापसी की है और इस उलटफेर ने मिल्कीपुर को दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बना दिया है. यह उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनाव की दिशा तय कर सकता है.

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