महाराष्ट्र: एक हत्या ने कैसे मचा दी महायुति की एकता में खलबली?
राज्य सरकार के सामने हत्या और जबरन उगाही के आरोपों को लेकर संकट खड़ा हो गया है. इनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगियों की भूमिका बताई जा रही है

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की शानदार जीत को एक महीना बीत चुका है. अब महायुति सरकार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगियों पर लगे हत्या और वसूली के आरोपों की वजह से संकट का सामना कर रही है. मुंडे के खिलाफ आरोप लगाने वाले और कोई नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक और पूर्व मंत्री सुरेश धस हैं और इससे सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार का संकेत मिलता है.
बीड जिले के केज तालुका के मसाजोग गांव के सरपंच और भाजपा समर्थक संतोष देशमुख ने कथित रूप से एक पवनचक्की कंपनी अवाडा एनर्जी से होने वाली जबरन वसूली का विरोध किया तो 9 दिसंबर को उनका अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई. हत्या के दो दिन बाद दर्ज दो करोड़ रुपए के जबरन वसूली मामले में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मीक कराड को आरोपी बनाया गया है.
हालांकि, कराड समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, मगर कई दिनों तक फरार रहने के बाद 31 दिसंबर को क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआइडी) के ऑफिस में कराड के आत्मसमर्पण से पुलिस को शर्मिंदगी उठानी पड़ी. पार्ली के पूर्व उप नगर प्रमुख कराड को मुंडे के निर्वाचन क्षेत्र का प्रबंधक और संचालक माना जाता है. उस पर रेत खनन, सरकारी ठेकों के आवंटन और स्थानीय थर्मल पावर प्लांट की राख की बिक्री पर नियंत्रण रखने का आरोप है.
बीड जिले के आष्टी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले धस ने मुंडे, कराड और एनसीपी नेताओं के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी है. उन्होंने कहा कि हत्या की साजिश पिछले साल मई में रची गई थी. उन्होंने मुंडे पर मुंबई के उनके आधिकारिक आवास पर कराड और पवनचक्की कंपनी के बीच एक सौदा कराने का आरोप लगाया, जिसमें शुरुआती मांग तीन करोड़ रुपए थी, जिसे फिर दो करोड़ रुपए तय किया गया. इससे मुंडे के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है. एक्टिविस्ट अंजलि दमानिया ने भी मुंडे पर हमला बोला है और उन्हें भाजपा एमएलसी चित्रा वाघ का साथ भी मिला.
मुंडे समर्थकों की ओर से दमनिया पर निशाना साधे जाने के बाद चित्रा दमानिया के समर्थन में उतर आईं. विपक्षी नेता भी हमला बोलने उतर गए हैं. राज्यसभा के पूर्व सांसद और कोल्हापुर के शाही परिवार के वंशज युवराज संभाजीराजे छत्रपति की अगुआई में विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल ने इस मसले पर राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन से मुलाकात की है. बीड से प्रतिद्वंद्वी एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के विधायक संदीप क्षीरसागर ने भी राजनैतिक संरक्षण का आरोप लगाते हुए दावा किया कि मुंडे के मंत्री होने की वजह से कराड को इस मामले से बचाया जा रहा था. बीड से ही एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके ने भी मुंडे पर कार्रवाई की मांग की है.
धस ने पुलिस की कार्रवाई पर संतोष जाहिर किया है, मगर उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, "मैं मुंडे के इस्तीफे की मांग पर अब भी कायम हूं." भाजपा के एक नेता का कहना है कि इस टकराव की वजह दरअसल धस और मुंडे के बीच बीड में राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई है तथा यह उनकी पार्टियों की आधिकारिक राय नहीं है.
वे कहते हैं, "मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए...महायुति में किसी तरह का कोई मनमुटाव नहीं है." हालांकि एनसीपी यूथ विंग के अध्यक्ष और प्रवक्ता सूरज चव्हाण कहते हैं कि उनकी पार्टी ने दोषियों के खिलाफ हमेशा सख्त से सख्त सजा की मांग की है और धस को गृह विभाग (फडणवीस के पास है) को भी जिम्मेदार ठहराना चाहिए.
इस विवाद के बावजूद, एनसीपी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंडे का बचाव किया है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मुंडे ने साफ-साफ कहा है कि इस अपराध से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है...अब, तीन एजेंसियां (एक विशेष जांच टीम, सीआइडी और न्यायिक जांच) इस मामले की जांच कर रही हैं, और वे किसी भी अन्य एजेंसी से इसकी जांच कराने को तैयार हैं...जो कोई भी दोषी है, उसे सजा जरूर दी जाएगी."
मराठवाड़ा इलाके के एक राजनैतिक विश्लेषक का कहना है कि संगठित अपराध का यह मामला अब जातिवादी रंग ले चुका है. धस और देशमुख जहां मराठा समुदाय से हैं, वहीं सभी आरोपी अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत वर्गीकृत ताकतवर वंजारी समुदाय से हैं. मुंडे भी वंजारी समुदाय से हैं. इस प्रतिद्वंद्विता से बीड और मराठवाड़ा के कुछ इलाकों में वंजारी-मराठा के बीच जारी वर्चस्व की लड़ाई का भी पता चलता है. मराठों के लिए ओबीसी कोटे की मांग के लिए आंदोलन करने वाले मराठा नेता मनोज जरांगे-पाटील ने मुंडे पर हमला बोला है.
वहीं, ओबीसी नेता लक्ष्मण हाके ने इसका विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि मुंडे जैसे ओबीसी नेता को सियासी बलि का बकरा बनाया जा रहा है. एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता का दावा है कि भाजपा नेतृत्व धस को समर्थन दे रहा है ताकि मराठवाड़ा इलाके में एक मराठा नेता के तौर पर उनका उभार हो और वे जरांगे-पाटील की जगह को हड़प सकें. समुदाय के लिए ओबीसी कोटे की मांग की खातिर विरोध-प्रदर्शन करने की वजह से जरांगे-पाटील को मराठा युवाओं के एक हिस्से का समर्थन हासिल है और उन्होंने लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ रुख अख्तियार किया था. अब यह मामला फडणवीस के लिए सिरदर्द बन गया है और उन्होंने मारे गए देशमुख के परिजनों से 7 जनवरी को अपने मुंबई स्थित आवास पर मुलाकात की तथा उन्हें इंसाफ का पूरा भरोसा दिलाया.
पारंपरिक रूप से एनसीपी को मराठा-वर्चस्व वाली पार्टी माना जाता है और वह अभी एक दुविधा का सामना कर रही है. इसके अहम ओबीसी चेहरे पार्टी में जातिगत समीकरणों को साधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एनसीपी के वरिष्ठ नेता संकेत देते हैं कि बीड में चचेरे मुंडे भाई-बहनों—धनंजय और पंकजा मुंडे (भाजपा)—के वर्चस्व को कमजोर करने के लिए धस का इस्तेमाल किया जा सकता है. पंकजा राज्य की पर्यावरण मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता रहे दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. सियासी विश्लेषक अभय देशपांडे कहते हैं, "फडणवीस और (धनंजय) मुंडे के बीच अच्छे समीकरण हैं...मराठा आरक्षण आंदोलन की वजह से लोकसभा चुनाव में भाजपा को बीड में बड़ा झटका लगा (जहां पंकजा एनसीपी-एससीपी के बजरंग सोनवणे से हार गईं), और अगर वे मुंडे का समर्थन करते हैं तो उन पर मराठा-विरोधी होने का आरोप लगाया जाएगा."
कई कोशिशों के बावजूद मुंडे की राय के लिए उनसे संपर्क नहीं किया जा सका. हालांकि उनके एक करीबी सहयोगी दावा करते हैं कि उनके इस्तीफे का 'सवाल ही नहीं उठता.' वे कहते हैं, "दो अलग-अलग मामले हैं—हत्या और जबरन वसूली. हालांकि सियासी हित साधने के लिए दोनों को मिलाने की कोशिश की जा रही है. विधानसभा चुनाव में भाजपा और महायुति के पक्ष में ओबीसी का भारी समर्थन नजर आया था. ऐसे में एनसीपी नेतृत्व के लिए मुंडे को बाहर का रास्ता दिखाना आसान नहीं होगा."
राज्य सरकार के सामने हत्या और जबरन उगाही के आरोपों को लेकर संकट खड़ा हो गया है. इनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगियों की भूमिका बताई जा रही है.
यह है संकट
> एनसीपी मंत्री धनंजय मुंडे के सहयोगी पर हत्या और जबरन वसूली के आरोप, मंत्री से इस्तीफे की मांग
> वंजारी-मराठा प्रतिद्वंद्विता ने मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड में राजनैतिक तनाव को और गहरा कर दिया
> निर्णायक चुनावी जीत के एक महीने बाद ही आरोपों ने सत्तारूढ़ गठबंधन की एकता को कमजोर कर दिया
> सियासी मामलों के जानकारों का कहना है कि मुंडे के खिलाफ आरोप का नेतृत्व कर रहे भाजपा विधायक धस को पार्टी मराठवाड़ा में मराठा नेता के रूप में उभारने के लिए आगे ला रही है