यूपी पुलिस : खाकी वर्दी में अवैध वसूली का रैकेट चलाते कभी घूस न लेने की कसम खाने वाले!
यूपी-बिहार बॉर्डर पर अवैध वसूली का रैकेट चला रहे पुलिसवालों ने वर्दी को लगाया गहरा बट्टा. अपराधी पुलिसवालों के खिलाफ पिछले दो दशक का सबसे बड़ा ऐक्शन

कहानियों के इस महादेश में कोई कहानी तब तक अमर नहीं होती जब तक उसमें हौसले की बघार न हो. हौसले के दम पर दो भाई जब महासागर पार कर कपट की नींव पर बसा सोने का शहर भस्म कर आते हैं तो पीढ़ियों तक उनकी कहानी सुनी-सुनाई जाती है. हौसले की ऐसी ही महाकथा पिछले हफ्ते प्रदेश के पूर्वांचल के जिले बलिया और बिहार के जिले बक्सर में घटी.
गंगा नदी के दोनों तरफ बसे इन इलाकों में आजादी के बाद डकैतों के हौसले बुलंद हुआ करते थे. बलिया में गंगा के किनारे मौजूद नरही, कोरन्टाडीह और आसपास का इलाका अपराधियों की सैरगाह हुआ करता था. फिर आखिरकार बलिया के थाना नरही के तहत आने वाले उजियार गांव के रहने वाले और सतीश चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के तत्कालीन प्रबंधक गोरखनाथ उपाध्याय सामने आए.
उपाध्याय ने सरयां गांव की अपनी 80 डिसिमिल जमीन कोरन्टाडीह चौकी और थाने के निर्माण के लिए दान में दे दी. 20 मई, 1986 को बलिया जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आर.डी. त्रिपाठी ने नवनिर्मित कोरन्टाडीह चौकी परिसर का उद्घाटन किया.
धीरे-धीरे अपराधियों के हौसले पुलिस के सामने पस्त हुए. लेकिन जैसे महागाथाएं अंत के बाद भी जिंदा रहती हैं और उनके उत्तरकाण्ड लिखे जाते हैं, वैसे ही कोरन्टाडीह चौकी की कथा असल में यहीं से शुरू होती है. जब अपराधी अपराध न कर रहे हों, तब पुलिस के मुस्तैद जवानों का हौसला क्या यूं ही पड़ा-पड़ा सीलता रहे? इसका इलाज कोरन्टाडीह चौकी के जवानों ने खुद ही निकाला और बलिया-बिहार बार्डर से गुजरने वाले ट्रकों से अवैध वसूली करने का रैकेट बना डाला. पुलिसवालों के हौसले इतनी बुलंदी पर पहुंचे कि आखिरकार चौकी प्रभारी समेत सभी सात सिपाहियों को निलंबित करना पड़ा.
पुलिस-अपराधी गठजोड़ पर से पर्दा 24 जुलाई की आधी रात के बाद उठा. पुलिस महानिदेशक कार्यालय को गंगा नदी के किनारे बिहार के बक्सर जिले के गोलंबर चौराहे से बलिया के भरौली तिराहे की ओर आने वाले ट्रकों से पुलिस कर्मियों की अवैध वसूली की शिकायत मिली. पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने वाराणसी के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) जोन पीयूष मोर्डिया और आजमगढ़ के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) रेंज वैभव कृष्ण को इस वसूली रैकेट का भंडाफोड़ करने की जिम्मेदारी सौंपी. 24 जुलाई की रात मोर्डिया और वैभव कृष्ण सादे कपड़ों में 22 पुलिसकर्मियों की पांच टीम के साथ एक घंटे रेकी करते हुए बलिया के भरौली तिराहा से गंगा नदी पार कर बिहार के बक्सर जिले की ओर गए.
सादे कपड़ों में ही पुलिस टीम बक्सर की ओर से वापस भरौली तिराहा आई. रात करीब दो बजे भरौली चेक पोस्ट पर एक सिपाही को बिहार से आ रहे बालू लदे ट्रकों से अवैध वसूली करते रंगे हाथ पकड़ लिया जबकि तीन अन्य पुलिसकर्मी मौके से भाग गए. पकड़े गए सिपाही ने पुलिस को बताया कि भरौली से जो वाहन गाजीपुर की ओर जाते हैं, उनसे रास्ते में पड़ने वाली कोरन्टाडीह चौकी की पुलिस अवैध वसूली करती है.
इस सूचना पर मोर्डिया, वैभव कृष्ण और एक इंस्पेक्टर भरौली से गाजीपुर जा रहे एक ट्रक पर सवार हुए. पांच किलोमीटर चलने के बाद कोरन्टाडीह चौकी के सामने सादे कपड़ों में दो लोग ट्रकों से वसूली करते दिखे. सादी वर्दी में मौजूद पुलिस अधिकारियों वाला ट्रक जब कोरन्टाडीह चौकी के सामने पहुंचा तो उसे रुकवा कर 500 रुपए की मांग की गई. इस पर अधिकारियों ने ट्रक से कूद कर एक सिपाही को पकड़ लिया.
करीब 11 घंटे तक चली छापेमारी में दो पुलिस वालों समेत 18 दलालों को गिरफ्तार किया गया. बक्सर जिले से बालू लेकर आने वाले ट्रकों से बलिया के नरही थाना क्षेत्र में प्रवेश करने पर 500 रुपए की अवैध वसूली की जाती थी. एक रात में करीब 1,000 ट्रक बक्सर के गोलंबर चौराहे से बलिया के भरौली तिराहे पर पहुंचते हैं. इस तरह एक रात में ही संगठित गिरोह तकरीबन पांच लाख रुपए की अवैध वसूली करता था जिसे स्थानीय पुलिस और दलालों में बांटा जाता था. पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि दलाल गाड़ियां गिनकर उसके हिसाब से पैसा थानाध्यक्ष नरही को देते थे.
अगले दिन 25 जुलाई की सुबह बलिया-बक्सर सीमा पर अवैध वसूली गैंग का भंडाफोड़ होने और उसमें पुलिस की संलिप्तता की सूचना पर शासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया. बलिया के पुलिस अधीक्षक देवरंजन वर्मा और सहायक पुलिस अधीक्षक डी.पी. तिवारी को हटा दिया गया. सीओ सदर शुभशुचित को निलंबित कर दिया गया. थाना प्रभारी नरही, प्रभारी कोरन्टाडीह चौकी समेत उनके सभी 17 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया. 23 नामजद आरोपियों में से नरही थाना प्रभारी पन्नेलाल समेत 20 लोग पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं.
बलिया जिले से बिहार की ओर से आने वाले बालू और कोयला लदे ट्रकों और यूपी की ओर से जाने वाले मवेशी और शराब लदे वाहनों से पुलिस की अवैध वसूली का मामला कोई नया नहीं है. 2019 में जनेश्वर मिश्र सेतु पर अवैध वसूली के मामले में तत्कालीन राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने छापेमारी की थी. इस मामले में दुबहर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष समर बहादुर सिंह के साथ ही दो सिपाहियों को निलंबित कर 10 को लाइन हाजिर कर दिया गया था.
बलिया में तैनात रहे एक पुलिस इंस्पेक्टर बताते हैं, ''बिहार और यूपी के बीच अवैध ढंग से आने वाले वाहनों से वसूली लंबे समय से चल रही है. बलिया और बिहार सीमा पर मौजूद पुलिस थाने सबसे मलाईदार माने जाते हैं. बलिया का नरही थाना भी इसमें सबसे कमाऊ माना जाता है.'' बक्सर और भरौली को जोड़ने वाला वीर कुंवर सिंह सेतु 12 मई, 2014 को जर्जर होने के बाद जब बंद हुआ तो नरही थाने की अवैध वसूली में कमी आ गई.
भरौली में स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वार के सामने मौजूद हनुमान मंदिर की देखरेख करने वाले रामसुमिरन राय बताते हैं, ''17 मई, 2023 को जब नया पुल चालू हुआ तो पुल से आने-जाने वाले ट्रकों की संख्या हजारों में हो गई. स्थानीय पुलिस ने ट्रकों से वसूली का जिम्मा प्राइवेट लोगों को दे दिया. ऐसे करीब 45-50 लोग भरौली चेकपोस्ट के आसपास नियमित देखे जाते थे.''
बालू निकासी के सीजन में भरौली-गोलंबर पुल से रोज करीब 3,000 ट्रक गुजरते थे. पुलिस अफसरों को पता चला कि दलाल एक ट्रक से 500 रुपए वसूलते थे. 100 रुपए वे खुद रखते थे जबकि 400 पुलिस को मिलते थे. इस तरह नरही थाना, कोरन्टाडीह चौकी और भरौली चेकपोस्ट का त्रिकोण रोज 5 से 15 लाख रुपए की अवैध वसूली कर रहा था.
आजमगढ़ रेंज के डीआईजी वैभव कृष्ण कहते हैं, ''पशु और शराब तस्करी समेत सभी अवैध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी. बिहार सीमा पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. अवैध कार्रवाई करने वालों के खिलाफ आगे भी ऐसे अभियान चलते रहेंगे.'' आजमगढ़ मंडल में तैनात एक पुलिस अधिकारी बताते हैं, ''शासन को इस बात की जांच करनी चाहिए कि पुलिस विभाग में किस तरह दागदार अधिकारी संवेदनशील पदों पर पहुंच जाते हैं. ऐसे पुलिस कर्मियों को मनचाही पोस्टिंग देने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए.''
गोरखपुर में अपने निवास से गिरफ्तार हुए बलिया के नरही थाने के निलंबित थानाध्यक्ष पन्नेलाल का विवादों से पुराना नाता है. गाजीपुर जिले में 2021 में तैनाती के दौरान उन पर कई संगीन आरोप लगे थे. कासिमाबाद में बिहार के ठगी के एक आरोपी को रात में ही अपनी स्कॉर्पियो से बॉर्डर पार करा देने का आरोप स्थानीय भाजपा नेताओं ने लगाया था.
भाजपा के कासिमाबाद मंडल अध्यक्ष संतोष गुप्ता बताते हैं, ''पन्नेलाल कमर में खुली पिस्टल खोंस कर काले रंग की बिना नंबर की काली स्कॉर्पियो से चलता था. बात-बात पर अपने परिवार की ऊंची पहुंच का हवाला देकर रौब झाड़ता था. पुलिस को इसके कनेक्शन की भी जांच करनी चाहिए.''
बक्सर-बिहार सीमा पर पुलिस की अवैध वसूली में संलिप्तता जाहिर होने के बाद पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने सभी जिलों को ऐसी शिकायतों पर सख्ती से कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. इसी क्रम में प्रयागराज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) प्रेम प्रकाश गौतम ने फतेहपुर जिले में 28 जुलाई की रात एक बजे थरियांव थाने के टेक्सारी बुजुर्ग मोड़ हाईवे अवैध सरिया और लोहा खरीद फरोख्त के ठिकाने पर छापा मारा.
मौके से भारी मात्रा में अवैध कांटा लगाकर चोरी का खरीदा माल बरामद हुआ. इस अवैध रैकेट में शामिल होने और लापरवाही बरतने के आरोप में थरियांव थानाध्यक्ष समेत तीन पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया. सरिया अवैध कारोबार में पकड़े गए आरोपियों ने वसूली करने वाले पुलिस कर्मियों के नाम उजागर किए हैं. इस अवैध कारोबार से ही संबंधित थाने की पुलिस को दो से ढाई लाख रुपए महीने की कमाई होती थी.
लखनऊ हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील राम उग्रह बताते हैं, ''बीते कुछ वर्षों के पुलिस की कार्यप्रणाली में काफी बदलाव आया है. पुलिस के वरिष्ठ अफसरों ने फील्ड पर औचक निरीक्षण करना बंद कर दिया. यह प्रथा थाने से लेकर शासन तक के अधिकारियों में बैठ गई है. इस वजह से अफसरों और पुलिस कर्मियों पर गलत कार्य करने का डर समाप्त हो गया.''
पुलिस के वसूली रैकेट में शामिल होने की घटनाओं ने प्रदेश सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया है. 29 जुलाई को शुरू हुए यूपी विधान मंडल के मॉनसूत्र सत्र में सपा नेताओं ने बलिया में पुलिस के वसूली रैकेट का मुद्दा विधान परिषद में पुरजोर ढंग से उठाया.
वरिष्ठ सपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय कहते हैं, ''यूपी की पुलिस अब सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गई है. इसमें न तो जनता की सुनवाई हो रही है और न ही सरकार के ही लोगों की. जनता पुलिस के अत्याचारों से त्रस्त है.'' हालांकि पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए अपने मातहतों को सख्त निर्देश जारी किए हैं.
लगता है, व्यवस्थाओं के मतिभ्रम का महाकाल चल रहा है, जब व्यवस्थाएं भूल चुकी हैं कि वे आखिर उपजी क्यों थीं. बेहोश व्यवस्थाओं की पीठ पर शव साधना कर रही हैं उन्मुक्त लालसाएं. देखना यह है कि व्यवस्थाओं को पहले होश आता है, या लालसाएं अपनी साधना पहले सिद्ध करती हैं. सिस्टम को दोनों हाथों से झकझोरने की नीयत ही दोनों हाथ जोड़ कर खड़े जन-गण-मन की नियति तय करेगी.
ऐसी ऐसी करतूत!
> सीतापुर में 24 जुलाई को इनोवा गाड़ी में बड़ी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ पकड़े जाने पर जरूरी कार्रवाई न करने पर थानाध्यक्ष कमलापुर, दो चौकी इंचार्ज, हेड मोहर्रिर समेत 22 पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया.
> लखनऊ के बंथरा गांव में 21 जुलाई को प्रॉपर्टी डीलर ऋतिक पांडेय की हत्या के मामले में अपराधियों से मिलकर कथित लापरवाही बरतने के आरोप में दो दारोगा और एक सिपाही को निलंबित कर दिया गया. बाद में बंथरा थाने के सीनियर सब इंस्पेक्टर को भी हटाया गया.
> कानपुर में नौबस्ता बाइपास चौराहे पर 5 जुलाई को स्टैंड संचालक हरिकरन सिंह की हत्या के मामले में उचित कार्रवाई न करने पर इंस्पेक्टर नौबस्ता को हटा दिया गया. चौकी इंचार्ज, हल्का प्रभारी व बीट हेड कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया.
> हाथरस में बरहन इलाके के गांव रूपधनु में पुलिस के उत्पीड़न से तंग आकर तीन दिन में दो सगे भाइयों ने आत्महत्या कर ली. 25 जून को आरोपी कोतवाली निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया. दारोगा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
> चित्रकूट में शोहदों से परेशान छात्रा के आत्महत्या करने के मामले में पीड़ित पक्ष से दुर्व्यवहार करने के आरोप में 25 जून को थाना मऊ प्रभारी समेत तीन को निलंबित कर दिया गया.
> वाराणसी के सर्राफा कारोबारी जयपाल के दो कर्मचारियों से 22 जून की रात फर्जी क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर दारोगा सूर्य प्रकाश पांडेय ने 42.50 लाख रुपए लूट लिए. घटना की जानकारी मिलने पर आरोपी दारोगा को निलंबित कर दिया गया.
> लखनऊ में 18 जून को अयोध्या हाइवे पर दूसरे राज्यों के बस चालकों से गैंग बनाकर वसूली करते पुलिस वाले पकड़े गए. इसके बाद विभूति खंड थाने में ट्रैफिक पुलिस के दारोगा समेत चार पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया.
> कानपुर के बर्रा इलाके में 29 मई को मीट देने से इनकार करने पर दुकानदार की पुलिस कर्मियों ने पिटाई कर दी थी. क्षुब्ध दुकानदार के आत्महत्या करने के बाद सीसामऊ थाना प्रभारी समेत 11 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया.
भरौली चेकपोस्ट पर पुलिस ने अवैध वसूली का धंधा दलालों के हवाले कर दिया था. वे एक ट्रक से 500 रु. वसूलते जिनमें से 400 रु. पुलिस को मिलते थे. वहां से हर रोज औसतन 3,000 ट्रक गुजरते हैं.