केरल: क्या सुरेश गोपी दिला पाएंगे भाजपा को राज्य में पहली लोकसभा सीट?

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आज तक केरल में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई है

सुरेश गोपी, भाजपा
सुरेश गोपी, भाजपा

अन्य दक्षिणी राज्यों के विपरीत, केरल में परदे के सितारों की कभी भी असल जिंदगी में कोई खास सियासी भूमिका या असर नहीं रहा है. मॉलीवुड के सितारों ने कभी-कभार ही सियासत में कदम रखा है, मगर पिनारई विजयन की अगुआई वाली वाम मोर्चे की सरकार के परिवहन मंत्री के.बी. गणेश कुमार को छोड़कर अधिकतर इसमें बहुत कम वक्त तक टिके.

57 वर्षीय गणेश 2001 से दक्षिण केरल के कोल्लम जिले में पथनापुरम विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, मगर पहले से उनके पास एक सियासी विरासत मौजूद है. अंशकालिक अभिनेता और टीवी ऐंकर गणेश केरल कांग्रेस (बालाकृष्ण पिल्लै) गुट के अध्यक्ष हैं जिसका नाम उनके दिवंगत पिता और क्षेत्र के प्रतिष्ठित राजनेता के नाम पर रखा गया है.

कुछ सफल सितारों में गुजरे जमाने के हीरो मुकेश का नाम भी शामिल है. उन्होंने 2016 और 2021 में दक्षिण की कोल्लम विधानसभा सीट जीती थी. अब इस अभिनेता को मार्क्सवादियों ने कोल्लम लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के उम्मीदवार एन.के. प्रेमचंद्रन तथा भाजपा उम्मीदवार और छोटे परदे के अभिनेता कृष्ण कुमार के खिलाफ मैदान में उतारा है.

मुकेश, सीपीआई (एम)

कृष्ण कुमार लोकप्रिय जेन जी अभिनेत्री अहाना कृष्णा के पिता भी हैं और इसलिए स्थानीय लोग निर्वाचन क्षेत्र में वोट मांगने के लिए स्टार ब्रिगेड के उतरने को लेकर काफी उत्साहित हैं. कृष्ण कुमार की संभावनाएं कम हैं, मगर वे जोरदार कैंपेन चला रहे हैं. वे कहते हैं, ''मैं नरेंद्र मोदीजी और अपने लिए वोट मांग रहा हूं. लोग बदलाव चाहते हैं.'' उनका कहना है कि उनकी बेटियां और टीवी जगत के उनके दोस्त जल्द ही इस कैंपेन में शामिल होंगे.

हालांकि कोल्लम से चार बार के सांसद प्रेमचंद्रन पर इसका खास असर पड़ता नहीं दिख रहा. 2014 और 2019 में रिकॉर्ड अंतर से जीतने वाले 63 वर्षीय प्रेमचंद्रन कहते हैं, ''मैं लंबे समय से कोल्लम के लोगों के साथ हूं. उनके सुख-दुख में शामिल रहा हूं.''

असल मुकाबला मध्य केरल के त्रिशूर में हो रहा है जहां उम्रदराज सुपरस्टार सुरेश गोपी भाजपा की तरफ से मैदान में हैं. 65 वर्षीय गोपी 2019 में भी यहां से उम्मीदवार थे. तीसरे नंबर पर आने के बावजूद उन्हें 2,93,882 वोट हासिल हुए थे जो भाजपा के लिए अभूतपूर्व कामयाबी थी. इस बार उनका मुकाबला दिवंगत मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे के. करुणाकरन के बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार के. मुरलीधरन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) नेता और पूर्व कृषि मंत्री वी.एस. सुनील कुमार से है.

जोश से लबरेज गोपी कहते हैं, ''इस बार मैं त्रिशूर जीतूंगा. हमारी चुनावी सभाओं में भीड़ देखिए. रुझान भाजपा के पक्ष में है.'' पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ऐसा ही लगता है कि अब तक उनसे अछूते रहे इस राज्य में पहली लोकसभा जीत हासिल करने के लिए गोपी ही उनके सर्वश्रेष्ठ दांव हैं. प्रधानमंत्री 2024 में चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही दो बार त्रिशूर का दौरा कर चुके थे. 3 जनवरी को उन्होंने शहर में एक रोड शो किया, जिसमें भाजपा के महिला मोर्चे ने हजारों महिलाओं को उनका भाषण सुनने के लिए जुटाया था; दूसरी बार वे गोपी की बेटी के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए गुरुवायूर गए थे. पार्टी हलकों में यह प्रचारित किया जा रहा है कि अगर सुपरस्टार गोपी चुनाव जीतते हैं तो उन्हें राज्य से अगला केंद्रीय मंत्री बनाया जाएगा.

गोपी ने जोशीले नायकों की भूमिका निभाकर नाम कमाया. उनमें अधिकतर 'लोकप्रिय डायलॉग' और व्यवस्था से लड़ते विद्रोही पुलिसवालों के किरदार वाले थे. मगर यह हर जगह काम नहीं आ सकता. त्रिशूर के वोटरों को अपनी 'प्रजा' बताकर उन्होंने पहले ही कई मुखर स्थानीय लोगों की नाराजगी मोल ले ली है. लेकिन, यह उनके लिए सबसे बड़ी चिंता की बात नहीं है. उन्हें राज्य के सबसे दमदार कांग्रेस नेताओं में से एक मुरली से निबटना होगा. 'दिग्गज नेता के बेटे' मुरली वडकरा से मौजूदा सांसद हैं, मगर उन्हें उस खास मकसद और हाल ही में उनकी बहन पद्मजा के भाजपा में जाने से होने वाले किसी भी तरह के दुष्प्रभाव को बेअसर करने के लिए उनके पिता के गृहक्षेत्र त्रिशूर लाया गया है.

इस बीच, सुपरस्टार गोपी कोई मौका नहीं छोड़ रहे, यहां तक कि वे ईसाई मतावलंबियों के साथ ईस्टर मास में भाग ले रहे हैं, तो रमजान के इफ्तार में भी जा रहे हैं. भीड़ जुटाने में तो वे कामयाब हो रहे हैं, मगर सवाल यह है कि क्या वे इन्हें वोट में भी तब्दील कर पाएंगे?

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