भाजपा के राम मंदिर कार्ड की काट बन पाएगा अखिलेश का केदारेश्वर महादेव मंदिर?

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव केदारनाथ की तर्ज पर अपने गृह जनपद इटावा में बनवा रहे भगवान शिव का अनोखा मंदिर. भाजपा के राम मंदिर कार्ड के काउंटर के तौर पर देखा जा रहा यह कदम

इटावा में बन रहे केदारेश्वर महादेव मंदिर का मुख्य भवन और ग्रेनाइट से तैयार नंदी की प्रतिमा
इटावा में बन रहे केदारेश्वर महादेव मंदिर का मुख्य भवन और ग्रेनाइट से तैयार नंदी की प्रतिमा

इटावा जिले के लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर रोड पर लायन सफारी पार्क की तरफ बढ़ते ही बाईं ओर अचानक एक मंदिर का शिखर दिखने लगता है. थोड़ा करीब आने पर उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर का आभास होता है.

ग्वालियर रोड पर मौजूद शीतलपुर गांव की सड़क से सटी चारों ओर टिन की बाउंड्री वाल से घिरी जमीन के भीतर करीब 10 फुट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर बने मंदिर के मुख्य भवन के इर्द-गिर्द पत्थर तराशते कारीगर और काम करती बड़ी-बड़ी क्रेनें यहां से गुजरने वाले लोगों के बीच कौतूहल पैदा करती हैं.

जरा-सा और आगे बढ़ने पर 10 फुट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर इतनी ही ऊंची सड़क की तरफ मुंह किए काले रंग के नंदी की प्रतिमा पीछे की ओर बन रहे मंदिर के शिव मंदिर होने का संकेत देती है.

यह केदारेश्वर महादेव मंदिर है जिसका निर्माण समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करवा रहे हैं. यह मंदिर अचानक चर्चा में तब आया जब इसके गर्भगृह में स्थापित होने वाली शालिग्राम शिला ट्रक के जरिए 12 फरवरी की देर रात नेपाल से लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग स्थित सपा के दफ्तर पहुंची.

अगले दिन अखिलेश ने पत्नी डिंपल यादव और अन्य नेताओं के साथ पार्टी मुख्यालय में शालिग्राम भगवान की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की. शालिग्राम के पूजन कार्यक्रम में अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव, राज्यसभा सांसद जया बच्चन और 101 विधायक मौजूद थे. इसके बाद लोगों को इटावा में चंबल के बीहड़ में लायन सफारी के सामने एक शिव मंदिर का निर्माण होने की जानकारी मिली.

इटावा के केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण आंध्र प्रदेश की एक कंपनी करा रही है, जिसके निदेशक मधु बोट्टा हैं. इनकी कंपनी पीढ़ी दर पीढ़ी मंदिरों के निर्माण में लगी हुई है. अखिलेश और बोट्टा की मुलाकात 2009 में नई दिल्ली में हुई थी. बोट्टा को पहले नंदी की प्रतिमा तैयार करने को कहा गया. मैसूरू के जयचामराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ने के दौरान अखिलेश चामुंडेश्वरी मंदिर जाते थे.

बोट्टा चामुंडेश्वरी मंदिर में मौजूद नंदी की प्रतिमा की हू-ब-हू प्रतिकृति तैयार कर इटावा लाए तो यह अखिलेश को काफी पसंद आई. बोट्टा बताते हैं, "काले ग्रेनाइट की बनी यह नंदी प्रतिमा इटावा में बन रहे केदारेश्वर महादेव मंदिर का हिस्सा नहीं है." नंदी की खूबसूरत प्रतिमा से उत्साहित सपा प्रमुख ने इटावा में एक अनोखे शिव मंदिर का निर्माण करने की योजना तैयार की.

इसके लिए अखिलेश ने एक ट्रस्ट के जरिए 2018 में ग्वालियर रोड पर इटावा लायन सफारी पार्क के ठीक सामने शीतलपुर गांव में करीब 10 बीघा जमीन खरीदी. इस मंदिर के निर्माण का जिम्मा भी बोट्टा को सौंपा गया.

बोट्टा बताते हैं, "मंदिर निर्माण से पहले जब इटावा की जमीन के कोऑर्डिनेट्स की जानकारी ली गई तो पता चला कि यह उत्तराखंड के केदारनाथ से रामेश्वरम तक जाने वाली ज्योतिर्लिंग देशांतर रेखा पर मौजूद है. इस पर कुल सात ज्योतिर्लिंग बने हैं. उत्तराखंड में एक छोर पर केदारनाथ मंदिर है तो दक्षिण में रामेश्वरम मंदिर. वहीं बीच में श्री कालाहस्ती मंदिर, एकमम्बरेश्वर मंदिर, अरुणाचलेश्वर मंदिर, जम्बूकेश्वर मंदिर, तिल्लै नटराम मंदिर हैं."

मंदिर की वास्तुकला और डिजाइन विश्व भर में अनोखी कैसे हो? इसके लिए बोट्टा और उनकी टीम ने दक्षिण भारत के करीब सभी मंदिरों का भ्रमण कर उनकी डिजाइन और खासियत के बारे में सारी बारीक जानकारियां जुटाईं. इनमें तमिलनाडु के तंजौर का विश्व प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर भी शामिल था.

विश्व में यह अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो कि ग्रेनाइट का बना हुआ है. अंत में यह तय हुआ कि इटावा में बनने वाला केदारेश्वर महादेव मंदिर भी खास ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित होगा. इसका मुख्य भवन तो उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर की तरह होगा लेकिन पूरे परिसर की डिजाइन तंजौर के बृहदेश्वर मंदिर की प्रतिकृति होगी.

अखिलेश यादव ने 7 मार्च, 2021 को इटावा में ग्वालियर रोड से सटी जमीन पर केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण शुरू करने के लिए भूमि पूजन किया. मंदिर का निर्माण एक खास ग्रेनाइट पत्थर 'कृष्ण पुरुष शिला' से किया गया है जो पूरे विश्व में केवल तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास ही मिलता है. दुनिया में सबसे मजबूत माने जाने वाले इन पत्थरों की आयु कम से कम तीन लाख वर्ष होती है.

बोट्टा ने भूमि पूजन के साथ ही कन्याकुमारी में एक बड़ी कार्यशाला शुरू की जहां पर पत्थरों की कटाई और उन्हें तराशने का काम शुरू किया. उन्होंने कन्याकुमारी के 25 कुशल शिल्पकारों की एक टीम इटावा में तैनात की. इनमें मुत्तु गणपति उर्फ बाला और उमाशंकर शामिल हैं. ये शिल्पकारों के उस परिवार से आते हैं जिन्होंने मशहूर तमिल कवि तिरुवल्लुअर की कन्याकुमारी के पास स्थित एक द्वीप पर 1 जनवरी, 2000 को स्थापित विश्व प्रसिद्ध प्रतिमा का निर्माण किया है.

बनने वाले मंदिर का डायमेंशन तय होने और मंदिर के गर्भगृह के निर्माण के लिए 10 फुट ऊंचा मिट्टी का प्लेटफॉर्म बनने के बाद कन्याकुमारी से तराशे हुए पत्थरों को ट्रक के जरिए इटावा पहुंचाना शुरू हुआ. करीब 14 महीने के भीतर केदारेश्वर महादेव मंदिर का मुख्य भवन 90 प्रतिशत से अधिक बनकर तैयार हो गया है.

कंप्यूटर साइंस में स्नातक बाला इटावा आने से पहले अमेरिका के डेट्राइट शहर में बने हिंदू मंदिर के निर्माण से जुड़े थे. वे बताते हैं, "आम तौर पर दक्षिण भारतीय मंदिरों में 'गोपुरम्' यानी प्रवेश द्वार तो काफी आलीशान होते हैं लेकिन गर्भगृह की ऊंचाई अपेक्षाकृत कम होती है. इटावा के केदारेश्वर महादेव मंदिर में गर्भगृह का भवन यानी 'विमानम्' भी दक्षिण भारतीय मंदिरों की तुलना में अधिक ऊंचा है. इस तरह यह दक्षिण और उत्तर की संस्कृति का मिलाजुला रूप पेश करता है."

केदारेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह भवन की ऊंचाई 74 फुट है. यह 10 फुट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थित है. इस प्रकार आधार जमीन से यह 84 फुट ऊंचा है जो उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर की 85 फुट की ऊंचाई से एक इंच कम है. बोट्टा बताते हैं, "उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए केदारेश्वर महादेव मंदिर की ऊंचाई अपेक्षाकृत कम रखी गई है."

केदारनाथ मंदिर की भांति केदारेश्वर मंदिर के शिखर पर 12 फुट ऊंचा लकड़ी का 'शिखरम्' बनाया गया है. इस मंदिर के गर्भगृह की छत और 'विमानम्' के बीच खोखला स्थान रखने के साथ छत पर एक छोटा छेद 'ब्रह्मेंद्र होल' इस तरह रखा गया है कि गर्भगृह में बजने वाले शंख, घंटी और डमरू की गूंज पूरे परिसर में सुनाई दे. बाला बताते हैं, "मंदिर के गर्भगृह में रोशनी के लिए बिजली का प्रयोग नहीं होगा. गर्भगृह दीये की रोशनी से रोशन होगा."

गर्भगृह में चार फुट गहरा एक गड्ढा बनाया गया है जिसमें नेपाल से लाई शालिग्राम शिला स्थापित की जा रही है. अखिलेश को केदारेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित करने के लिए नेपाल के रौतहट जिले के गढ़ीमाई नगर पालिका में मौजूद प्रसिद्ध गरीबनाथ महादेव मंदिर से उपहार के तौर यह शिला मिली है. यह स्वयंभू शिवलिंग है.

नेपाल की काली गंडकी नदी में ही ऐसी शिलाएं मिलती हैं. इन्हें देवशिला कहते हैं. इटावा के शिव मंदिर में स्थापित होने वाली देवशिला 7 फुट ऊंची 6 फुट चौड़ी तथा 13 टन वजन की है. बोट्टा बताते हैं, "प्राकृतिक रूप से जैसी शालिग्राम शिला मिली वैसी ही केदारेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित की जा रही है. पूरे भारत में ऐसा शिवलिंग नहीं है." केदारेश्वर महादेव मंदिर के निर्माण में 50 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आई है.

इटावा में केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराने का सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के इस कदम को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राम मंदिर कार्ड के काउंटर के तौर भी देखा जा रहा है. विधायकों के साथ अयोध्या में राम मंदिर का दर्शन करने न जाने वाले अखिलेश भाजपा नेताओं के निशाने पर हैं.

हालांकि अखिलेश कह चुके हैं कि वे शिव की पूजा के बाद ही परिवार सहित दर्शन के लिए अयोध्या जाएंगे. उन्होंने पहले यह भी कहा था कि भगवान जब बुलाएंगे तभी हम जाएंगे. आपके (भाजपा के) बुलावे पर नहीं जाएंगे. भाजपा यह कहकर अखिलेश को लगातार घेर रही है कि अल्पसंख्यक वोट खिसकने के डर से सपा मुखिया अयोध्या नहीं गए.

इटावा में मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई के निवासी राजकमल यादव भाजपा द्वारा अखिलेश यादव को हिंदू विरोधी बताए जाने से जरा भी इत्तेफाक नहीं रखते. सैफई में अपने कम्युनिकेशन सेंटर के ठीक सामने लगी हनुमान जी की प्रतिमा की ओर इशारा करते हुए राजकमल बताते हैं कि 2016 में मुख्यमंत्री रहने के दौरान ही अखिलेश ने इसकी स्थापना करवाई थी.

राजकमल के शब्दों में, "अखिलेश चाहते तो केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण पूरे संसार में ढिंढोरा पिटवाकर करवा सकते थे लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया. शालिग्राम शिला लखनऊ न पहुंची होती तो लोगों को पता ही न चलता कि इटावा में केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण भी हो रहा है."

जिस तरह ज्योतिर्लिंग देशांतर रेखा पर ही इटावा में केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण किया जा रहा है उससे संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में यह भी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बनेगा. इटावा लायन सफारी घूमने आने वाले पर्यटक केदारेश्वर महादेव मंदिर का भी दर्शन कर सकते हैं.

वैसे तो पूरे परिसर का निर्माण कार्य पूरा होने में अभी एक वर्ष का समय लगेगा, लेकिन मंदिर का मुख्य भवन बनकर तैयार है. सब योजना के अनुसार रहा तो शिवरात्रि के मौके पर केदारेश्वर महादेव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. ऐसे में टाइमिंग के चलते इस मंदिर के निर्माण को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की भाजपा के राम मंदिर कार्ड को काउंटर करने की रणनीति के तौर पर तो देखा ही जाएगा.

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