मुसलमानों का साथ पाने के लिए यूपी में कांग्रेस क्या कर रही है?
बसपा सांसद दानिश अली के बाद सपा नेता आजम खान के साथ हमदर्दी जताने के साथ पार्टी लाइन से परे जाकर मुसलमानों के बीच पैठ बनाने में कांग्रेस जुटी है

कोविड महामारी के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान, उनकी बीवी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम सीतापुर जेल में बंद थे. आजम खान तो 27 महीने से जेल में बंद थे लेकिन तंजीन और अब्दुल्ला पहले ही जेल से छूट गए थे.
सपा नेताओं से पहले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी 23 जनवरी, 2021 को तंजीन से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने रामपुर स्थित उनके घर गए थे. कांग्रेस ने आजम खान को लेकर धरना-प्रदर्शन भी किया था.
पौने तीन साल बाद एक बार फिर आजम कांग्रेस के लिए प्रासांगिक हो गए. रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 अक्टूबर को दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में अब्दुल्ला, आजम खान और उनकी पत्नी तंजीन को दोषी करार दिया. तीनों को सात-सात साल जेल की सजा सुनाई गई. आजम खान सीतापुर और अब्दुल्ला हरदोई जेल में बंद हुए. यूपी कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने बिना देर किए आजम खान के लिए हर लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया.
26 अक्टूबर को अजय राय आजम खान से मिलने सीतापुर जेल पहुंच गए लेकिन मुलाकात की बजाए जेल अफसरों ने उन्हें आजम का 'ना' संदेश सुना दिया. इस पर राय जेल अफसरों को आजम के लिए लाई सेब की टोकरी थमाकर बैरंग वापस लौट आए. राय ने मुलाकात न हो पाने का ठीकरा जेल प्रशासन पर फोड़ा और दोहराया "आजम खान और उनके परिवार को भाजपा सरकार में परेशान किया जा रहा है."
कांग्रेस ने यूपी में अपने समर्थक मुस्लिम मतदाताओं को 1989 के बाद समाजवादी पार्टी की ओर जाते देखा, जिसकी स्थापना 1992 में हुई थी. सपा के संस्थापकों में से आजम खान ने राय से मुलाकात न करके समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की. इसके बावजूद कांग्रेस सपा के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे के प्रति हमदर्दी दिखाकर मुस्लिम समाज का समर्थन पाने की कोशिशों को थमने नहीं देना चाहती. देश की सबसे पुरानी पार्टी के यूपी के नेता मुसलमानों के बीच जाकर भाजपा पर आजम खान को प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहे हैं.
इस बहाने कांग्रेस की रणनीति भाजपा सरकार में मुसलमानों के उत्पीड़न का मुद्दा गरमाने की है. राय कहते हैं, "हम आजम खान साहब के लिए लड़ेंगे."' आजम खान के प्रति कांग्रेस की रणनीति पर राजनैतिक विश्लेषक सूक्ष्म निगाह रखे हुए हैं. आजमगढ़ के प्रतिष्ठित शिबली नेशनल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य ग्यास असद खान बताते हैं, "आजम के मामले को उठाकर, कांग्रेस मुसलमानों को यह संकेत देने का प्रयास कर रही है कि वह पार्टी लाइन से परे जाकर उन सभी लोगों के लिए अपनी आवाज उठाने को तैयार है, जो भाजपा शासनकाल में शोषित महसूस कर रहे हैं."
यही वजह है कि संसद सत्र के दौरान अमरोहा से बसपा सांसद दानिश अली पर भाजपा सांसद रमेश विधूड़ी की अमार्यदित टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बसपा सांसद के घर जाकर उन्हें सांत्वना देने में देरी नहीं की. यूपी में पिछले कई चुनावों में मुसलमानों ने ज्यादातर सपा को ही वोट दिया है. यह 2022 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में स्पष्ट हो गया है. हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में मुसलमानों का समर्थन बटोर सकती है. इसीलिए कांग्रेसी नेता मुस्लिम समुदाय के बीच यह प्रचारित कर रहे हैं कि केवल कांग्रेस ही राष्ट्रीय मंच पर भाजपा को हरा सकती है.
राय कहते हैं, "कांग्रेस ने यूपी या कहीं भी अपनी विश्वसनीयता कभी नहीं खोई. हमने अन्य पार्टियों की तरह कभी भी मुस्लिम समुदाय को धोखा नहीं दिया है.'' आजम खान और दानिश अली पर सहानुभूति पूर्ण रवैया अपनाकर कांग्रेस पश्चिमी यूपी में अपने मुस्लिम जनाधार को मजबूत करना चाहती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल छह मुस्लिम सांसद चुने गए थे. इनमें गाजीपुर को छोड़कर सभी पांच पश्चिमी यूपी से ही हैं. कांग्रेस ने दूसरे दलों के मुस्लिम नेताओं के लिए अपने दरवाजे भी खोले हैं. हाल में, पश्चिमी यूपी के नेता इमरान मसूद बसपा और सपा के रास्ते कांग्रेस में लौट आए हैं.
संगठन के स्तर पर भी कांग्रेस ने मुसलमानों के बीच पैठ बनाने की कोशिशें तेज की हैं. यूपी कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शाहनवाज आलम बताते हैं, "मुसलमानों पर हमेशा यह बोझ रहता है कि उन्हें भाजपा को हराने के लिए वोट देना चाहिए. हम उन्हें अवगत कराना चाहते हैं कि केंद्र में भाजपा को हराने वाली एकमात्र पार्टी कांग्रेस है." कांग्रेस यूपी में मुसलमानों की आबादी 20 फीसद होने के बावजूद उन्हें उचित प्रतिनिधित्व न मिलने का मुद्दा उठा रही है. शाहनवाज बताते हैं, "कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जिसने आजादी के बाद कश्मीर छोड़कर पांच मुस्लिम मुख्यमंत्री दिए हैं. कोई भी बरकतुल्लाह खान (राजस्थान), सैयदा अनवरा तैमूर (असम), एम.ओ. हसन फारूक (पांडिचेरी), अब्दुल गफूर खान (बिहार) और अब्दुल रहमान अंतुले (महाराष्ट्र) जैसे मुख्यमंत्रियों के बारे में बात नहीं करता है."
कांग्रेस का अल्पसंख्यक विभाग पार्टी के पूर्व मुस्लिम मुख्यमंत्रियों के नाम पर यूपी में वृहद कार्यक्रम संचालित कर रहा है. बरकतुल्लाह खान की पुण्यतिथि 11 अक्टूबर को कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने हर जिले में 25-25 सेवानिवृत्त मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों के घर जाकर उनका सम्मान किया. इसी तरह सैयदा अनवरा तैमूर की पुण्यतिथि 28 सितंबर को 25 मुस्लिम महिलाओं, जो किसी भी पार्टी से नहीं जुड़ी हैं, के घर जाकर उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.
भाजपा नेताओं की ओर से समय-समय पर मुगलों को लेकर की गई बयानबाजी के विरोध में भी कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग ने रणनीति तैयार की है. शाहनवाज ने बताया, "15 अक्टूबर को हमने अपने सभी जिला कार्यालयों में मुगल सम्राट अकबर को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया. फिर 24 अक्टूबर को मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को उनकी जयंती पर सम्मान देने के लिए भी एक कार्यक्रम आयोजित किया. इस दौरान मुगलों के समय जमीन के कुशल प्रबंधन पर भी चर्चा की गई."
मुसलमानों में पैठ बढ़ाने की हर संभव कोशिशों के बीच 'शांत बैठकों' के जरिए भी कांग्रेस गुपचुप अपने मिशन में जुटी है. पार्टी के मुस्लिम पदाधिकारी बताते हैं, "पार्टी कुछ महीनों से 'शांत बैठकें' कर रही है. इन बैठकों के पीछे का विचार सभी पार्टियों से जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों को आमंत्रित करना है. हम बैनर नहीं लगाते या किसी को माइक्रोफोन नहीं देते क्योंकि तब पार्टी का आधिकारिक कार्यक्रम बन जाता है. यहां तक कि बैठक में मोबाइल भी न लाने का अनुरोध किया जाता है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी को लेकर किसी भी मुस्लिम व्यक्ति में कोई पूर्वाग्रह है तो वह हमसे नि:संकोच कह सके.''
इस तरह की 100 से अधिक बैठकें प्रदेश भर में हो चुकी हैं. इन्हीं बैठकों से मिले फीडबैक के आधार पर ही कांग्रेस मदरसों में फंडिंग की जांच के विरोध में सड़क पर उतर आई है. कांग्रेस ने मदरसा शिक्षकों को वेतन नहीं मिलने के मुद्दे पर राज्य भर में प्रदर्शन भी किया. अल्पसंख्यक विभाग ने मुस्लिम बहुल इलाकों में 'आप की पार्टी आपके गांव' अभियान में मुस्लिम बहुल 10-10 गांवों में जाकर पार्टी पदाधिकारियों ने लोगों से बातचीत की और कांग्रेस से सहमत लोगों के घरों पर पार्टी का झंडा लगाया गया.
हालांकि कांग्रेस को यह भी लगता है कि जब तक दूसरी जातियों का झुकाव पार्टी की तरफ नहीं होगा तब तक मुसलमानों का भरोसा भी मजबूत नहीं हो सकता. शाहनवाज बताते हैं, "अब हमें दूसरी कम्युनिटी को यह दिखाना है कि मुसलमान अपने पुराने घर की ओर लौट रहा है तो दलित समाज को भी कांग्रेस की ओर लौटना चाहिए." इसके लिए पहली बार अल्पसंख्यक विभाग ने दलितों के बीच आउटरीच कार्यक्रम भी शुरू किए हैं. कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने रमजान के दौरान 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के मौके पर सभी जिलों में दलितों के साथ इफ्तार पार्टी का आयोजन किया. इसके बाद मई में 10 दिनों तक पूरे प्रदेश में 'जय जवाहर, जय भीम जनसंपर्क अभियान' चला.
इस दौरान कांग्रेस के विशेषकर मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने दलित बस्तियों में जाकर छह लाख पर्चे बांटे और भाजपा सरकार के जनविरोधी और संविधान विरोधी होने का प्रचार किया. अभियान के दौरान दलित मुहल्लों में चाय की दुकानों में भारतीय संविधान की प्रस्तावना का फोटो लगाकर कांग्रेस नेताओं ने बताया कि इसमें समाजवाद शब्द पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जोड़ा था और भाजपा सरकार इसे बदलने की कोशिश कर रही है. इसमें यह बताया गया कि सामान्य तौर पर दलितों की जमीन को गैर दलितों के हाथों खरीदने पर रोक का जो कानून कांग्रेस ने बनाया था, उसे यूपी की भाजपा सरकार ने शहरों में बदल दिया है.
लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस ने मुस्लिम जनाधार बढ़ाने की कोशिशें भी तेज कर दी हैं. मौलाना आजाद की 11 नवंबर को जयंती के मौके पर 6 से 11 नवंबर तक प्रदेश के हर मुस्लिम बहुत इलाके में 'चाय के साथ कांग्रेस की बात' का आयोजन होगा. इस दौरान हर जिले में 20 चाय की दुकानों पर राहुल गांधी का चित्र लगाकर मुस्लिम समाज की दिक्कतों पर चर्चा होगी. इसके बाद 26 नवंबर को संविधान दिवस से पहले 22 नवंबर से सभी जिलों में चौपाल का आयोजन करके मुस्लिमों को भाजपा की संविधान विरोधी नीतियों से अवगत कराया जाएगा.