बिहार-चायवाला से चौकीदार
किसी ऐड एजेंसी की नहीं बल्कि खुद मोदी की पहल पर बनाई गई फिल्में लोगों को भी देश के हितों की रखवाली की खातिर उनके धर्मयुद्ध में शामिल होने का न्यौता देती हैं.

इसे कहते हैं बाजी पलट देना. नरेंद्र मोदी ने मणिशंकर अय्यर के तंज को 2014 में 'चाय पे चर्चा' की कामयाब मुहिम में बदल दिया था. इस बार भाजपा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' नारे का तुर्शी-ब-तुर्शी जवाब 'मैं भी चौकीदार हूं' के हमले से देने की उक्वमीद कर रही है. इस मकसद से भाजपा ने चार छोटी फिल्में रिलीज की हैं, जिनमें व्यवस्था की सफाई करने की—चाहे वह स्वच्छ भारत अभियान के जरिए हो या अर्थव्यवस्था को काले धन से निजात दिलाना हो—मोदी की कोशिशों को दिखाया गया है.
किसी ऐड एजेंसी की नहीं बल्कि खुद मोदी की पहल पर बनाई गई ये फिल्में लोगों को भी देश के हितों की रखवाली की खातिर उनके धर्मयुद्ध में शामिल होने का न्यौता देती हैं. फिल्म का थीम सांग कहता है—वो अकेला चल पड़ा, मैं कतार में हूं, मैं भी चैकीदार हूं. ' एक फिल्म में कारों के शोरूम का मैनेजर कार के लिए नकद भुगतान लेने से इनकार कर रहा है, तो दूसरी फिल्म में एक पति-पत्नी अपनी कार से जा रहे हैं और पत्नी अपने पति से कह रही है कि वह सड़क पर कचरा न फेंके. वहीं तीसरी फिल्म में एक डॉक्टर रात को बहुत देर तक काम कर रहा है और कह रहा है कि ''क्या देश का चौकीदार (यानी मोदी) ही रात में देर तक काम करेगा?''
फिल्म के आखिर में वे सभी दोहराते हैं—मैं भी चौकीदार हूं'. शुरुआत बेशक उस फुटेज से होती है जिसमें मोदी कह रहे हैं कि ''मैं देश का चौकीदार हूं''. ये फिल्में देश भर में शूट की गई हैं और पृष्ठभूमि में इनमें शास्त्रीय कलाओं के फुटेज दिखाए गए हैं. इस कैंपेन का जवाब तरह-तरह के के लतीफों से दिया गया. इसकी मजाकिया नकल में 'मैं भी चौकीदार' हैंडल बनाए गए. इनमें 'नीरव मोदी' गौर करने लायक था, जिसने पीएम के हैंडल से ऑटो-रिस्पॉन्स स्वागत हासिल करके खासी चुहल पैदा की. मोदी के कैंपन मैनेजर एक फिल्म बनाने वाले हैं जिसमें उनके करीबी बेचेहरा रिश्तेदारों के कम खर्चीले रहन-सहन की तुलना विपक्षी नेताओं के रिश्तेदारों की भड़कीली जीवन शैली से की जाएगी.
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