हनीप्रीत सिंहः राजदार के रंगीले किस्से

बलात्कार के जुर्म में सजा काट रहे डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम की ग्लैमरस सहयोगी हनीप्रीत 38 दिनों के बाद नाटकीय तरीके से पहले टीवी पर नमूदार हुई और फिर अदालत की दहलीज पर पहुंची

प्रभजोत गिल
प्रभजोत गिल

अब वह बिल्कुल अलग राग अलाप रही है. ''मैं बेगुनाह हूं. मेरे पापा बेगुनाह हैं." यह कहना है प्रियंका तनेजा उर्फ हनीप्रीत कौर इंसां का, जिसे 3 अक्तूबर को इंडिया टुडे टेलीविजन से खास बातचीत के कुछ घंटे बाद पंजाब और हरियाणा पुलिस की टीमों ने चंडीगढ़ के बाहर पंचकूला-जीरकपुर में खोज निकालने के बाद गिरफ्तार कर लिया. 25 अगस्त को डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को बलात्कार के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद डेरा के भक्तों की ओर से आगजनी और उपद्रव करने के तीन दिन बाद हरियाणा पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआइटी) ने जब हनीप्रीत की तलाश में लुक आउट नोटिस जारी किया, उसके बाद से वह 38 दिनों तक फरार थी. पुलिस ने साजिश, हिंसा उकसाने और देशद्रोह के आरोपी 43 डेरा पदाधिकारियों में हनीप्रीत का नाम भी शामिल कर रखा था. डबडबाई आंखों से हनीप्रीत का कहना था कि उसने कोई भी गलत काम नहीं किया है. उसने कहा, ''आप सबने देखा कि क्या हुआ था. मैं अपने पापा (गुरमीत सिंह) के साथ अदालत गई थी. वहां बहुत ज्यादा सुरक्षा थी.

मैं इजाजत के बिना अंदर कैसे जा सकती थी." नौ मिनट की बातचीत के दौरान कई बार रुआंसी हो गई डेरा प्रमुख की प्रिय ''बेटी" ने स्वीकार किया कि वह बहुत डरी हुई थी और ''गहरे डिप्रेशन" में थी. स्थिति की गंभीरता को समझते हुए हनीप्रीत ने कहा, ''वे मेरे ऊपर देशद्रोह का आरोप लगा रहे हैं." लेकिन गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले उसने अपना निर्लज्जता वाला वह रंग भी दिखाया जिसका आरोप अक्सर उस पर लगाया जाता रहा है. जब यह पूछा गया कि उसके पूर्व पति विश्वास गुप्ता समेत डेरा के कुछ लोग उस पर गुरमीत सिंह के साथ अनैतिक रिश्ते का आरोप लगा रहे हैं तो उसका तीखा-सा जवाब था, ''वे लोग कौन हैं? क्या उन्हें कोई जानता है? वे कुछ भी नहीं हैं." इस तरह की हिकारत का भाव वह 2011 में भी दिखा चुकी थी. सिरसा की अदालत में अपने पूर्व पति के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ के मामले में सुनवाई की घटना को याद करते हुए विश्वास गुप्ता के वकील पंकज भारद्वाज बताते हैं कि किस तरह उसके ''पति जब भी बयान देने के लिए खड़े होते, वह धमकी भरी आंखों से उनको घूरती और अपनी जूती की तरफ इशारा करती थी."

''शर्मीली दुलहन" वाली छवि से दूर हनीप्रीत ने गुरमीत सिंह के कहने पर 14 फरवरी, 1999 को हरियाणा (घरौंदा) में दो बार विधायक रहे रूलिया राम के पोते गुप्ता से शादी कर ली थी. लेकिन दरअसल वह बस एक ''नाटक" का हिस्सा था जो अक्तूबर 2011 में हाइकोर्ट में गुप्ता की एक याचिका के बाद उजागर हो गया. तीन पीढिय़ों से सच्चा सौदा के अनुयायी गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि उनकी पत्नी, जिसका नाम गुरमीत सिंह ने बदलकर हनीप्रीत रख दिया था और जिसे गोद ले लिया था, का वास्तव में ''डेरा प्रमुख यौन शोषण कर रहा था." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 11 साल तक विवाह को पूर्णता प्रदान करने की इजाजत न मिलने के बाद एक दिन जब उसने गुरमीत सिंह को अपनी गोद ली हुई ''बेटी" के साथ सेक्स करते हुए देखा तो डेरा के पदाधिकारियों की ओर से जान से मारे जाने की धमकियां मिलने लगीं. आखिरकार गुप्ता ने पंकज भारद्वाज को और फिर चंडीगढ़ में एक प्रेस सम्मेलन में बताया कि हनीप्रीत डेरा प्रमुख की स्थायी साथी थी और सिरसा से बाहर जाने पर वह होटलों में भी डेरा प्रमुख के साथ एक ही कमरे में रहा करती थी. वह अकेली ऐसी महिला थी जिसके पास गुरमीत सिंह की कुख्यात ''गुफा" के अंदर रहने का इंतजाम था जबकि डेरा प्रमुख की मां नसीब कौर, पत्नी हरजीत कौर और उनके असली बच्चे सच्चा सौदा के परिसर में रहते थे.

वकील कहते हैं, ''जून 2011 में जब उन्होंने उन्हें सेक्स करते हुए देख लिया तो राम रहीम ने उनकी पिटाई कर दी और अपना मुंह बंद रखने की चेतावनी दी." कुछ दिन बात जब उनके पिता मोहिंदर पाल गुप्ता (हरियाणा सरकार में अवकाशप्राप्त इंजीनियर) के साथ भी डेरा प्रमुख की तरफ से इसी तरह का दुर्व्यवहार किया गया तो गुप्ता परिवार ने पंचकूला में किराये के एक मकान में चले जाने का फैसला किया. लेकिन वहां भी उन्हें धमकियां मिलती रहीं. डेरा के गुर्गे लंबे समय तक गुप्ता की एक-एक गतिविधि पर नजर रखते रहे और पता लगाते रहे कि वे किससे मिलते हैं और बात करते हैं. गुप्ता ने आखिरकार हाइकोर्ट का दरवाजा खटाखटाने की हिक्वमत जुटाई और दो मांगें रखीः डेरा के गुर्गों से सुरक्षा और गुरमीत सिंह के ''चंगुल" से अपनी पत्नी को छुड़ाना. हालांकि हनीप्रीत और डेरा अनुयायी आरोपों से इनकार करते रहे. दौलत और ताकत की चकाचौंध के साथ शायद गुरमीत की दीवानगी में हरप्रीत ने पलटवार करते हुए गुप्ता और उनके परिवार पर दहेज उत्पीडऩ का मामला दर्ज कर दिया. सिरसा में दर्ज केस में हरप्रीत ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसके परिवार से दो लाख रु. मांगे थे. सिरसा की अदालत के कमरे में उसने गुप्ता के वकील से कहा कि ''उसे पिताजी के खिलाफ जाने की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी."

वह पूरी तरह से डेरा प्रमुख के पक्ष में खड़ी रही जबकि दूसरी तरफ पिता व पुत्र के खिलाफ राजस्थान, गुजरात और मुंबई में भी अलग-अलग मामले दर्ज कराकर उन्हें परेशान किया जाने लगा. भारद्वाज कहते हैं, ''लगातार भय में जीने को मजबूर गुप्ता परिवार की आर्थिक हालत इतनी दयनीय हो गई कि उसके पास मुकदमा लडऩे के लिए पैसा नहीं रह गया." अंततः उन्होंने हार मान ली और सिरसा में डेरा के ''प्रेमियों" के बीच सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली और सारे आरोप वापस ले लिए. समझौते के तौर पर गुप्ता के खिलाफ लगाए गए सारे मामले जादुई रूप से खत्म हो गए. समझौते के तहत यह भी तय हो गया कि दोनों आपसी सहमति से तलाक ले लेंगे. इस तरह हनीप्रीत अपने ''प्रिय डैडी" के साथ रहने लगी. फिर गुप्ता, जो अब दोबारा शादी करने के बाद दो बच्चों के पिता हैं और करनाल में पुलिस  की सुरक्षा में रहते हैं, ने गुरमीत सिंह को सजा होने के महीने भर बाद 22 सितंबर को चंडीगढ़ में प्रेस सम्मेलन में अपने आरोपों को दोहराया है. उन्होंने आरोप लगाते समय अपना डर जाहिर करते हुए कहा, ''मुझे नहीं पता कि इस प्रेस सक्वमेलन के बाद मैं जिंदा रहूंगा या नहीं रहूंगा."

हरियाणा के फतेहाबाद में एक मध्यवर्गीय परिवार में 1980 को जन्मी प्रियंका तनेजा हर दृष्टि से एक साधारण लड़की थी. फतेहाबाद के डीएवी सेंटेनरी स्कूल में प्रिंसिपल सुनीता मदान जो उसकी क्लास टीचर थीं, बताती हैं कि वह ''पढ़ाई में ज्यादा अच्छी नहीं थी, परीक्षा में बस किसी तरह पास हो जाती थी." मदान कहती हैं कि स्कूल में किसी को नहीं पता था कि प्रियंका अब हनीप्रीत बन गई है. डेरा प्रमुख को सजा के बाद जब उसके बारे में खबरें आने लगीं तब हमें इसकी जानकारी हुई. ''प्रिंसिपल को हल्का-हल्का याद आता है कि हनीप्रीत पढ़ाई में तो कमजोर थी पर नाचने-गाने में उसकी खास रुचि थी."

फतेहाबाद में भी बहुत कम लोग हनीप्रीत के बचपन के बारे में जानते हैं. स्थानीय निवासी संदीप सिंह को बस इतना ही याद है कि 1999 में गुरमीत सिंह उसकी (हनीप्रीत की) शादी में आया था. वे कहते हैं, ''उस जगह पर भव्य सजावट और रोशनी थी. इससे पहले यहां कभी भी इतनी भव्य शादी नहीं हुई थी." हालांकि लोगों को सही तारीख याद नहीं है, लेकिन वे बताते हैं कि शादी के बाद हनीप्रीत और उसका परिवार सिरसा के डेरा में जाकर रहने लगा था जहां उसके पिता ने पुराने टायर पर रबर चढ़ाने की छोटी सी वर्कशॉप खोल ली थी. पहले से ही डेरा प्रमुख की ''प्रिय" शिष्यों में रहने वाली हनीप्रीत के पंख तलाक के बाद फैलने लगे और वह गुरमीत की आलीशान ''गुफा" में रहने लगी जो बहुतों के लिए ईर्ष्या की बात थी. सिरसा में डेरा पर छापा मारने वाले पुलिस अधिकारियों के हवाले से मिलने वाली खबरों के मुताबिक हनीप्रीत जहां रहती थी, वहां से वह डेरा प्रमुख के शयनकक्ष मंी बिना किसी रोक-टोक के सीधे जा सकती थी.

हरियाणा पुलिस की एसआइटी के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि डेरा प्रमुख से लगातार करीबी के चलते हनीप्रीत को डेरा के अंदर बहुत ज्यादा अधिकार मिल गए थे. इस अधिकारी का कहना है कि ''वह सर्वेसर्वा बन गई थी." पुलिस के इस अधिकारी ने हिरासत में लिए गए डेरा के बड़े पदाधिकारियों से गहन पूछताछ के आधार पर यह जानकारी दी थी. हिरासत में जो लोग लिए गए हैं उनमें गुरमीत के वकीलों से सलाह-मशविरा करने वाले कानूनी प्रमुख धान सिंह और गुरमीत का दाहिना हाथ राकेश कुमार अरोड़ा उर्फ ''पीए" भी शामिल हैं. सिरसा में डेरा के पदाधिकारियों, जिनमें डेरा की अध्यक्ष विपासना भी शामिल हैं, से पूछताछ करने वाले पुलिस अधिकारी बताते हैं कि 2015 में गुरमीत सिंह और उसके बेटे जसमीत इंसां के बीच दरार पैदा करने में भी हनीप्रीत का हाथ था.

उस समय तक सारी ताकत अपने हाथ में हासिल कर चुकी हनीप्रीत किंग्स बिस्कुट्स (जिस फैक्टरी को जसमीत ने 2011 में सिरसा में शुरू किया था) और उसी साल शुरू किए गए एमएसजी प्रोडक्ट्स का विलय कराना चाहती थी. डेरा के एक भीतरी व्यक्ति ने पुलिस को बताया, ''गुरमीत सिंह ने हनीप्रीत का पक्ष लिया और विलय करा दिया, जिससे जसमीत को हर महीने 15-20 लाख रु. की कमाई से हाथ धोना पड़ा." उसके बाद बाप और बेटे में बातचीत तक बंद हो गई थी. हनीप्रीत पैसों का सारा हिसाब-किताब अपने नियंत्रण में रखती थी और गुरमीत के असली बच्चों को गुजारे के लिए पांच लाख रुपए महीना दिया करती थी. एसआइटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडिया टुडे को बताया, ''उसने कुछ साल पहले अपने छोटे भाई साहिल तनेजा को ऑडी की एसयूवी उपहार में दी थी."

25 अगस्त को दोषी साबित किए जाने के बाद गुरमीत सिंह का परिवार चुपके से राजस्थान के गंगानगर जिले में गुरुसर मोडिया के अपने पुश्तैनी गांव चला गया था. पुलिस जहां हनीप्रीत की तलाश में दिन-रात एक करती रही, वहीं गुरमीत के असली परिवार के सदस्यों का पता लगाने की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. 25 सितंबर को रोहतक की सुनारिया जेल में उसकी बूढ़ी मां नसीब के सिवा परिवार का कोई भी सदस्य जेल में उससे मिलने नहीं आया. इंडिया टुडे टीवी के साथ नौ मिनट की बातचीत में हनीप्रीत ने जो कुछ बताया, वह संदिग्ध मालूम होता है. उसके इस दावे के उलट कि उसका बॉलीवुड का कोई सपना नहीं था और वह कैमरे के पीछे रहना चाहती थी, वह गुरमीत की फिल्मी चमक-दमक भरी और आडंबरपूर्ण जिंदगी की चाहत में पूरी तरह हिस्सेदार थी. 2015 में अपना फिल्मी सफर शुरू करते हुए वह पांच फिल्मों में काम कर चुकी है और आखिरी दो फिल्मों हिंद का नापाक को जवाब और जट्टू इंजीनियर में सह-निर्देशन भी कर चुकी है. जेल जाने से कुछ महीने पहले गुरमीत ने बड़ी शान से घोषणा की थी कि हनीप्रीत ने ऑनलाइन गुरुकुल में 21 अलग-अलग भूमिकाएं करके जैकी चान का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यह फिल्म अब शायद ही रिलीज हो पाए.

सोशल मीडिया पर सक्रिय हनीप्रीत ने अपने निजी पोर्टल 222.द्धशठ्ठद्ग4श्चह्म्द्गद्गह्लद्बठ्ठह्यड्डठ्ठ.द्वद्ग पर खुद को ''परोपकारी, सिनेमा एडिटर, ऐक्टर और डायरेक्टर" बता रखा है. मानें या न मानें ट्विटर पर उसके दस लाख और फेसबुक पर 5,28,000 से ज्यादा फॉलोअर हैं. दो साध्वियों से बलात्कार के जुर्म में 25 अगस्त को जब गुरमीत सिंह को सजा हुई तो उनके साथ खड़ी हुई एकमात्र ''पारिवारिक सदस्य" हनीप्रीत को उस चार्टर्ड हेलिकॉप्टर में कैदी गुरमीत के साथ जाने की इजाजत दी गई थी जिसमें डेरा प्रमुख को रोहतक जेल ले जाया जा रहा था. उसने जेल में भी गुरमीत के ''फिजियोथेरेपिस्ट" के तौर पर रहने की इजाजत मांगी थी लेकिन उसे मना कर दिया गया. उसके बाद से वह गायब हो गई.

इस बात के सबूत हैं कि 25 अगस्त को रात 3.45 मिनट पर हनीप्रीत डेरा सच्चा सौदा पहुंचने के लिए वापस आई थी. बाकियों से अलग होकर वह सिरसा से हनुमानगढ़ के लिए निकली, जहां वह एक रात रिश्तेदारों के यहां रही और उसके बाद 28 अगस्त को गुरुसर मोडिया चली गई.

हरियाणा के एडीजीपी पी.के. अग्रवाल के नेतृत्व में एसआइटी कई बार हनीप्रीत तक पहुंचने के करीब पहुंच गई थी, लेकिन वह ऐन मौके पर वहां से बच निकलती थी. अपने को ''डिप्रेशन" में बताने वाली हनीप्रीत पुलिस को चकमा देकर फरार होने में माहिर मालूम होती है. एसआइटी को हासिल हुई जानकारियों के मुताबिक, कभी गुरमीत सिंह के साथ आलीशान लेक्सस एसयूवी में चलने वाली हनीप्रीत एक समय में सिर्फ एक या दो लोगों के साथ हुंडई या मारुति स्विक्रट हैचबैक कारों में चलती थी ताकि वह पुलिस को चकमा दे सके. उसने स्मार्टफोन छोड़कर 800 रु. से लेकर 1,000 रु. के प्रीएक्टिवेटेड, प्रीपेड साधारण मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया जो कि राजस्थान (जहां डेरा का काफी प्रभाव है) में सहज उपलब्ध हैं.

लेकिन सभी भगोड़ों की तरह हनीप्रीत (या उसके साथ चलने वाला कोई व्यक्ति) ने एक बड़ी गलती कर दी और इसी का इंतजार चतुर पुलिसवाले करते हैं. जिन मोबाइल फोन का वह इस्तेमाल कर रही थी, उन्हें 1 अक्तूबर को पंजाब में चालू रखा गया था. उसके बाद तो उसका पकड़ा जाना तय हो गया था. हनीप्रीत पर अब मुकदमा चलेगा और संभव है, उसे सजा भी हो जाए. 18 सितंबर को डीजीपी बी.एस. संधू ने बताया कि 25 अगस्त की हिंसा में कुल 41 लोगों (पंचकूला में 35 और सिरसा में 6) की जान गई थी और करोड़ों रु. की संपत्ति का नुक्सान हुआ था.

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