रेरा में बदलाव की बात सोचना अभी जल्दबाजी
केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अस्टिेंट एडिटर मनीष दीक्षित से बातचीत में रेरा से जुड़े सवालों के बेबाकी से जवाब दिए.

केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अस्टिेंट एडिटर मनीष दीक्षित से बातचीत में रेरा से जुड़े सवालों के बेबाकी से जवाब दिए.
कुछ राज्यों ने रेरा के नियम बिल्डरों के पक्ष में बना दिए हैं तो कई राज्यों में अथॉरिटी ही नहीं बनी है. केंद्र सरकार इसके लिए क्या करेगी?
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आठ साल से अटके कानून रियल एस्टेट नियंत्रण ऐक्ट (रेरा) को लागू किया है. इसके लिए सभी पक्षों से व्यापक विचार-विमर्श किया गया है. रियल एस्टेट रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर है. संसद से पारित कानून होने के नाते बिना किसी रद्दोबदल के इसे लागू करना सबकी जिम्मेदारी है और इसके प्रावधानों को हल्का करने का हक किसी को नहीं है. केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर ऐक्ट को नोटिफाई कर दिया है. कई राज्य इस मामले में सुस्त रहे. चार राज्यों को छोड़कर बाकी सभी इसे नोटिफाई कर चुके हैं. हमारे संघीय ढांचे में संसद से पारित कानून का अनुपालन सुनिश्चित करना राज्यों का दायित्व है. इसके लिए केंद्र के पास विशेषाधिकार नहीं है. मामला कोर्ट में है इसलिए सरकार फैसले का इंतजार भी कर रही है. हम राज्यों में रेरा सही तरीके से लागू कराने के लगातार प्रयास कर रहे हैं.
क्या सरकार ऐक्ट के प्रावधानों को बदलने का इरादा रखती है?
रेरा इस साल मई में अस्तित्व में आया है. इस तरह के बदलावों की बात सोचना बहुत जल्दबाजी होगी.
रेरा के तहत सेंट्रल एडवाइजरी काउंसिल गठित होना है. यह कब तक अस्तित्व में आएगी ?
रेरा ऐक्ट के तहत सिर्फ यही एक जिम्मेदारी है जो केंद्र के हिस्से में है और इस काउंसिल का गठन होना बाकी है. इसके लिए प्रस्ताव तैयार है और काउंसिल के गठन की अधिसूचना एक हफ्ते में कर दी जाएगी.
क्या रियल एस्टेट सेक्टर में जीएसटी पूरी तरह लागू है क्योंकि कुछ बिल्डर जीएसटी फ्री घरों का विज्ञापन कर रहे हैं?
निर्माणाधीन भवनों पर 12 फीसदी जीएसटी लागू है. बन चुके और रेडी टु मूव भवनों को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया है. यह मामला संज्ञान में लाया गया है और इस पर सरकार फैसला करेगी.