एस.पी. त्यागीः विवाद के केंद्र में
अगस्तावेस्टलैंड रिश्वत कांड में कैसे फंसे वायु सेना के पूर्व मुखिया एस.पी. त्यागी और उनके करीबी रिश्तेदार. वे फौज के पहले मुखिया हैं जिनसे भ्रष्टाचार के मामले में पूछताछ हो रही है.

बीती 2 मई को पूर्व एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) शशींद्र पाल त्यागी को घोटाले की जांच के सिलसिले में समन किया गया. वे फौज के पहले मुखिया हैं जिनसे भ्रष्टाचार के मामले में पूछताछ हो रही है. सीबीआइ का कहना है कि त्यागी ने अगस्तावेस्टलैंड रिश्वत कांड में कुछ अहम खुलासे किए हैं. इनमें एक यह है कि वायु सेना के उपमुख्य और प्रमुख के पद पर रहते हुए 2004 से 2007 के बीच उन्होंने मध्यस्थ हश्के और गेरोसा से कई बार मुलाकात की थी. सीबीआइ का मानना है कि त्यागी ने हेलिकॉप्टर के सौदे की शर्तों में बदलाव किया था, जिनमें सबसे अहम उसकी उड़ान सीमा को 6,000 मीटर से घटाकर 4,500 मीटर पर लाना था.
सीबीआइ के मुताबिक, इस अहम बदलाव के चलते एडब्ल्यू-101 को बोली में जगह मिल सकी. 31 दिसंबर, 2004 से 31 मार्च 2007 के बीच वायु सेना प्रमुख रह चुके त्यागी का कहना है कि यह फैसला एक कॉलेजियम का था. जिस बैठक में हेलिकॉप्टर के विवरणों को अंतिम रूप दिया गया, वह 1 मार्च 2005 को आयोजित हुई थी. इस बैठक को पूर्व एनएसए एमके नारायणन ने बुलाया था और इसमें तत्कालीन एसपीजी प्रमुख बी.वी. वांचू, रक्षा सचिव अजय विक्रम सिंह, कैबिनेट सचिव बी.के. चतुर्वेदी और वायु सेना प्रमुख त्यागी समेत उप-प्रमुख मार्शल जे.एस. गुजराल शामिल थे. उसी साल 30 मई को हुई दूसरी बैठक में एयर मार्शल गुजराल आए थे जिसमें सीलिंग की ऑपरेशनल जरूरतों को अंतिम रूप दिया गया था.
सीबीआइ का आरोप है कि अगस्तावेस्टलैंड के दलालों हश्के और गेरोसा ने त्यागी बंधुओं संदीप, संजीव और राजीव को इस फैसले की एवज में 4 लाख यूरो का भुगतान किया. इसमें से 1 लाख यूरो नकद में दिए गए. हश्के के एक संवाद को इटली की पुलिस ने टैप किया है जिसमें वह कहता है, “वास्तव में इसका कोई सबूत नहीं है क्योंकि पैसा नकद में दिया गया.”
त्यागी परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के पहले आरोप 2013 में इटली के जांच अधिकारियों ने लगाए थे. मिलान अपीली कोर्ट का 225 पन्नों का फैसला “मार्शल त्यागी”, वायु सेना प्रमुख और “फैमिली त्यागी,” उनके तीन भतीजों और “टीम” के संदर्भों से भरा पड़ा है&यह दलाल हश्के, गेरोसा और मिशेल के कोड वर्ड थे.
इटली के जांचकर्ताओं के मुताबिक, इन भुगतानों को चंडीगढ़ की इंजीनियरिंग सेवा कंपनी एयरोमैट्रिक्स इंफो सॉल्यूशंस के नाम से दिखाया जाना था जिसका मालिक प्रवीण बख्शी है. इस पैसे को ट्यूनीशिया, मॉरिशस और अंततः चंडीगढ़ की कई फर्जी कंपनियों के रास्ते भेजा गया.