जड़ी-बूटी से कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाकर 500 महिलाओं को रोजगार देने वाली रिनजिंग चोडेन भूटिया की कहानी
सिक्किम की वनस्पतियों से तैयार स्किन और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने वाली 'अगापी' कंपनी में 500 से ज्यादा गरीब महिलाओं को रोजगार मिल रहा है

सिक्किम की पहाड़ी झीलें झक नीले आसमान और बर्फ से ढके पहाड़ों की स्वच्छ छवि अपने पानी में उतारती हैं. हर कतरे से मंडराती धुंध और जब-तब होती बारिश के बीच जंगली जड़ी-बूटियों तथा पहाड़ी फूलों की खुशबू तैरती रहती है.
ये जड़ी-बूटियां वहां के समाज में घरेलू स्किन केयर उत्पादों के नुस्खों का स्रोत हैं. ऐसी महकती जमीन में 45 वर्षीया रिनजिंग चोडेन भूटिया ने ऐसी मुहिम शुरू की जिससे उनकी और सैकड़ों महिलाओं की जिंदगी बदल गई.
पहाड़ों में पलीं-बढ़ीं और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से गहरे जुड़ीं रिनजिंग ने दिल्ली की अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी और अपने समाज की पारंपरिक जड़ी-बूटियों से कुछ सार्थक बनाने की इच्छा के साथ सिक्किम लौट आईं. उन्होंने शुरुआत 2019 में अपने पति के गांव कबी में एक स्थायी होमस्टे परियोजना के रूप में की. यह जल्द नई मुहिम में बदल गया. असल में रिनजिंग ने पश्चिम बंगाल में एक योग शिविर में ऑर्गेनिक साबुन और अन्य उत्पाद बनाने का कोर्स किया. उस अनुभव से उनमें एक चिनगारी उठी. मगर लक्ष्य था राज्य में गरीब महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना.
शुरुआत में रिनजिंग ने देसी जड़ी-बूटियों से साबुन बनाना शुरू किया. उन्होंने महिलाओं के एक छोटे समूह को प्रशिक्षण दिया और अगापी नाम का यह उद्यम गंगतोक में आकार लेने लगा. यह छोटी-सी कोशिश थी मगर उसमें शामिल लोगों में जबरदस्त जोश था. उनका नया कारोबार लगातार बढ़ रहा था कि तभी कोविड महामारी शुरू हो गई. उससे उनका होमस्टे दो साल के लिए थम गया.
इससे उन्हें नई प्रक्रियाओं और उत्पादों को तलाशने तथा अगापी को विकसित करने का वक्त मिल गया. रिनजिंग याद करती हैं, ''मैंने अपनी रसोई से शुरुआत की. फिर एक स्टुडियो बनाया. अब सिक्किम में हमारी एक उत्पादन इकाई है.’’ उनकी 45 वर्षीया सहेली वर्षा श्रेष्ठ भी 2022 में इस उद्यम में शामिल हुईं और रिनजिंग ने ट्राटेंग ग्रीन्स प्राइवेट लि. की स्थापना की तो वे 2023 में उसकी सह-संस्थापक बनीं. अगापी उसी का अंग है.
इसी दौरान अगापी ने जापानी सामाजिक प्रभाव निवेशक अरुन (एआरयूएन) सीड के सीएसआर चुनौती में हिस्सा लिया. अगापी जीत तो नहीं पाई मगर बाद में उसकी अध्यक्ष सातोको कोनो ने रिनजिंग से संपर्क किया. रिनजिंग ने मौके का लाभ उठाया और उन्हें निवेश के लिए राजी किया. इससे अगापी को अप्रत्याशित रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) मिला. इस उपलब्धि से पूर्वोत्तर में अन्य महिला उद्यमियों के लिए दरवाजे खुल गए. 2024-25 तक अगापी ब्रांड ने 50 लाख रुपए का कारोबार किया.
हिमालय क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सामग्री—नागमणि, बुरांश, सनई, गुड़हल, कॉफी, चाय, संतरे के छिलके वगैरह उपयोग करके अगापी अब पूर्वोत्तर में त्वचा की देखभाल का शुद्ध और टिकाऊ मानक बन गया है. इसके तेल क्लीनजिंग ऑयल, स्क्रब, लिप बाम, क्रीम, साबुन और बाथ सॉल्ट उत्पादों की पूरी शृंखला बनाते हैं.
कबी में सिक्किम सरकार के साथ मिलकर रिनजिंग ने 2019 से महिलाओं को प्रशिक्षण देना शुरू किया. उनमें से कई ने खुद का उद्यम शुरू किया है. कुल मिलाकर उन्होंने 500 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है. अगापी आइआइएम शिलांग और सिक्किम के कॉलेजों से प्रशिक्षुओं को लेता है और उन्हें छोटे-छोटे वजीफे देता है. रिनजिंग कहती हैं, ''अपना ज्ञान हम दूसरों के साथ साझा करें तो बदलाव ला सकते हैं. यही वजह है कि मैं प्रशिक्षुओं को प्रोत्साहित करती हूं. एक छोटे उद्यमी के रूप में मुझे सिक्किम सरकार से भी काफी सहयोग मिला.’’ हाल में मणिपुर की एक प्रशिक्षु को वहां जातीय हिंसा के चरम के दौरान अगापी के पास सुरक्षित आश्रय मिला.
अगापी के उत्पाद ऑनलाइन और सिक्किम के चुनिंदा आउटलेट्स पर बेचे जाते हैं. रिनजिंग और उनकी टीम अब गंगतोक में पहला अगापी फ्लैगशिप स्टोर बना रही है.