सुर्खियों के सरताज 2024: ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी मनु भाकर की कहानी

मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा

संतुष्टि के क्षण मनु भाकर पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीतने के बाद

हालिया वर्षों में निशानेबाजी काफी जमी है. युवा भारतीयों के दल वैश्विक मंच पर अपनी बंदूकें लहराते पहुंचे और दुनियाभर की शूटिंग रेंज में चमक बिखेरने में भी सफल रहे.

फिर भी इस सुनहरी तस्वीर का एक पहलू यह भी रहा कि सबसे महत्वपूर्ण आयोजन में उनके खराब प्रदर्शन ने निराश किया. बीजिंग 2008 में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण जीतकर कीर्तिमान रचा था.

हालांकि, उसके बाद लगातार दो ओलंपिक में भारत की शूटिंग टीम का प्रदर्शन इतना खराब रहा कि 2024 में युवा निशानेबाजों से कोई उम्मीद ही नहीं की जा रही थी.

मनु भाकर पूर्व में ऐसी ही एक निराशाजनक स्थिति का हिस्सा रह चुकी थीं. टोक्यो 2020 में उनकी पिस्टल और आत्मविश्वास दोनों ने ही उन्हें धोखा दे दिया था. खाली हाथ लौटने के बाद तानों की बौछार, और उस सबसे बढ़कर अपनी विफलता से उपजी हताशा के कारण मनु ने शूटिंग से लगभग किनारा कर लिया.

उनके लिए यह बात भी मायने नहीं रखती थी कि वे सिर्फ 19 वर्ष की हैं और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में पहले ही काफी कुछ हासिल कर चुकी हैं. ऐसे बड़े मौकों पर मिली नाकामी ने न जाने कितने चमकते सितारों को धूमिल कर दिया था. लेकिन मनु उनमें से नहीं थीं. आध्यात्मिकता का सहारा लेकर मनु न केवल हताशा से उबरीं बल्कि तय किया कि वे ऐसी लड़की के तौर पर नहीं याद किया जाना चाहेंगी, जो लक्ष्य से चूक गई थी.

फ्रांस के चेटेरौ रवाना होने से पहले मनु एकदम नया रूप ले चुकी थीं, उन्होंने शांतचित्त रहना सीख लिया था. वे 22 वर्ष की ऐसी युवती बन चुकी थीं, जिसकी रगों में खून की जगह फौलाद था, और इस सबमें उनकी मदद की निजी कोच जसपाल राणा ने. क्वालीफाइ करने के लिहाज से महत्वपूर्ण चरण के दौरान संबद्ध रेंज में करीब एक माह तक कड़े प्रशिक्षण ने उन्हें पूरी तरह निखार दिया. और पर्दा हटा तो हॉलीवुड की जासूसी फिल्म के अनुभवी हिटमैन जैसी सटीक निशानेबाज दुनिया के सामने थी.

एक के बाद एक दो लगातार सटीक निशाने और वे ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बन गईं. मनु ने एक कांस्य एकल मुकाबले में और एक मिश्रित युगल टीम 10 मीटर एयर पिस्टल में सरबजोत सिंह के साथ जीता. दो पदकों ने उस देश के उत्साह को एकदम चरम पर पहुंचा दिया जो अपने एथलीटों को ओलंपिक पोडियम के करीब पहुंचते-पहुंचते अचानक चूक जाते देखने का आदी हो गया था. मनु ने 25 मीटर एकल में कांस्य पदक के करीब पहुंचने के साथ ही उनके उत्साह को आसमान पर पहुंचा दिया था.

मनु के जीवन में उतार-चढ़ाव की कहानी ऐसी है, जिस पर आराम से बायोपिक बनाई जा सकती है और वे चाहें तो खुद अपनी भूमिका भी निभा सकती हैं. वे अपने असफल प्रदर्शन से पूरी तरह टूट गई थीं लेकिन चुनौतियों से उबरकर जिस तरह वापसी की, वह किसी को भी प्रेरित करने के लिए काफी है. इस कहानी में संघर्ष, जिजीविषा और शानदार ढंग से खुद को फिर खड़ा करने जैसे सभी नाटकीय तत्व शामिल हैं, यानी एक ऐसी नायिका जो अपनी कमजोरियों को पहचानती है, उन्हें दूर करने की कोशिश करती है और जिसे पता है कि सिर्फ एक ही व्यक्ति उससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करा सकता है, जो उसका वही गुरु (राणा) है, जिससे नाराज होकर उसने नाता तोड़ लिया था.

वे उसकी तरफ सुलह का हाथ बढ़ाती हैं और करीब एक साल के भीतर ही अपने युवा साथी खिलाड़ियों को पीछे छोड़कर ओलंपिक के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षण के मैदान में छा जाती हैं. इस कहानी के सहायक पात्रों में एक मां शामिल है जो लड़कियों के प्रति समाज की सोच की परवाह न करते हुए अपने बच्चों को अनुशासित जीवन जीना सिखाती है. एक बेहद प्यार करने वाला पिता है जो मर्चेंट नेवी इंजीनियर के तौर पर काफी समय समुद्र में बिताता है. लेकिन बेटी के जुनून को पूरा करने के लिए खुशी-खुशी खर्च करता है.

निजी जीवन की बात करें तो मनु इतनी दृढ़संकल्प रही हैं कि पिता को फरीदाबाद में करणी सिंह शूटिंग रेंज के पास अपार्टमेंट लेने को राजी कर सकीं. बतौर निशानेबाज दृढ़प्रतिज्ञ व्यक्तित्व के पीछे एक युवा महिला भी है जिसे खरीदारी करना, सजना-संवरना भाता है और जो बाहर के बजाय घर का खाना पसंद करती है.

वे उम्र की तुलना में काफी परिपक्व व्यक्तित्व की मालिक हैं. शूटिंग रेंज और उससे बाहर वे अलग-अलग भूमिका में नजर आती हैं. मनु को हल्का-फुल्का मेकअप करना पसंद है और चकाचौंध वाली स्पॉटलाइट के बीच भी शांत और सहज रहती हैं. कुछ लोग उन्हें 'नेशनल क्रश' तक कहना पसंद करते हैं. पेरिस में सफल प्रदर्शन के बाद वे रैंप पर चलीं, मैगजीन कवर के लिए पोज दिया.

2024 में मनु ने बदलाव की एक अनूठी पटकथा लिखी. मेहनत के दम पर मुकाम हासिल करने वाले कई अन्य सितारों की तरह शायद मनु ने भी नहीं सोचा होगा कि वे इतनी बुलंदियां छुएंगी. एक दृश्य इस सफलता का दर्शाने के लिए काफी है, जिसमें वे पृष्ठभूमि में बजते जोशीले संगीत के बीच सिर ऊंचा करके ओलंपिक समापन समारोह में भारतीय ध्वज थामे आगे बढ़ रही हैं.

सीधे निशाने पर

› पेरिस ओलंपिक में मनु भाकर ने दो कांस्य पदक जीते, एक व्यक्तिगत 10 मीटर एयर पिस्टल मुकाबले में और दूसरा सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित युगल में.

› ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बनीं.

› एक ही ओलंपिक आयोजन में दो पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय एथलीट हैं, पुरुष, महिला दोनों श्रेणियों में.

› जब प्रशिक्षण या किसी प्रतिस्पर्धा में हिस्सा नहीं ले रही होती हैं, तो घुड़सवारी करना, पहेलियां सुलझाना, डांस करना, कसरत करना, दौड़ना या दोस्तों के साथ ड्राइव पर जाना पसंद है.

मनु जिस परिपक्वता से बोलती हैं वह उनकी उम्र को झुठलाती है और प्रसिद्धि के बीच वे जिस धैर्य से चल रही हैं वह उन्हें भारतीय खेल के भविष्य का प्रतीक बनाता है.

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