डिजीज एक्स के रूप में नई महामारी दे सकती है दस्तक, भारत कितना तैयार?
इस साल के इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में वन हेल्थ ट्रस्ट के निदेशक आर. लक्ष्मीनारायण ने बताया कि डिजीज एक्स परेशानी का सबब हो सकता है क्योंकि इसके लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है

हालांकि दुनिया कोविड-19 महामारी से आगे बढ़ गई दिखती है, फिर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) आने वाली बीमारी के प्रकोप से आगाह करता आ रहा है. इसके किसी अज्ञात पैथोजन यानी रोगाणु से होने का अंदेशा है, जिसे फिलहाल 'डिजीज एक्स' कहा गया है.
इस भविष्यवाणी की एक वजह वायरसों के विकसित होने और बढ़ने के तौर-तरीकों में है. अकेले बीते दो दशकों में कभी महज सामान्य सर्दी-जुकाम की वजह होने वाले कोरोना वायरस ने तीन बड़े प्रकोपों को जन्म दिया—एसएआरएस, एमईआरएस और कोविड-19. कई दवा-प्रतिरोधी पैथोजन और खासकर बैक्टीरिया भी हैं जो दुनिया भर में पैदा हो रहे हैं.
इसका कोई असल सबूत तो है नहीं कि अगली महामारी किस चीज से पैदा होगी, पर कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह शायद जानवर से निकला वायरस होगा. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में रमणन लक्ष्मीनारायण ने कहा, "जूनोटिक (पशुजन्य) वायरस इसलिए भी परेशानी की वजह हैं क्योंकि प्रतिरक्षा के नजरिए से हमें उनका कोई अनुभव नहीं; हमारे शरीर ने उन्हें कभी देखा नहीं."
डिजीज एक्स फंगल जर्म (कवक रोगाणु) भी हो सकती है. ऐसा हुआ तो उनके शब्दों में, "यह यहीं से उपज सकता है" और यह "परेशानी का सबब है क्योंकि कोई वैक्सीन नहीं. हमारे पास उसके इलाज के लिए बहुत ही कम दवाइयां हैं."
डिजीज एक्स की तैयारी के लिए भारत को रोग की निगरानी, स्वास्थ्य सुविधाओं, ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगाने की व्यवस्था और साफ-सफाई के कामों में निवेश की जरूरत है. लक्ष्मीनारायण कहते हैं, "दूसरे देशों के साथ आपसी सहयोग बड़ी तैयारी होगी. मसलन महामारी को लेकर समझौते. इस पर डब्ल्यूएचओ में चर्चा चल रही है." इससे यह भी पक्का होगा कि जब बीमारी आएगी, जहां भी वह आए, हर किसी को इसके बारे में पता चल जाएगा. "हम सब इसमें साथ होंगे."
खास बातें
जलवायु परिवर्तन, एंटीबायोटिक्स का जमकर दुरुपयोग, ग्लोबल ट्रैवल और जानवरों/मुर्गियों का अत्यधिक सेवन, सब एक वैश्विक महामारी के लिए अनुकूल परिस्थिति रच रहे हैं. इसके किसी अज्ञात पैथोजन यानी रोगकारक से पैदा होने की सबसे ज्यादा आशंका है, जिसे फिलहाल बस डिजीज एक्स कहा गया है.
कोविड-19 जैसी किसी महामारी से निबटने के लिए दवाओं, टीकों और जागरूकता फैलाने के मामले में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अहम भूमिका होगी.