सतीश महाना : सदन में आदर्श व्यवस्था बनाने वाले स्पीकर
यूपी विधानसभा में हंगामा और शोरगुल अब बीते जमाने की बात. स्पीकर सतीश महाना के कई उपायों की वजह से बिना किसी व्यवधान के सदन चलना एक नियम-सा बना

उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 30 नवंबर को खत्म हुआ, जिसने एक तरह से नया रिकॉर्ड बनाया. मार्च 2022 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद से अब तक कुल सात विधानसभा सत्र (इसमें एक विशेष सत्र भी शामिल) संपन्न हुए हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात यह रही कि सदस्यों के हंगामे या व्यवधान के कारण एक भी दिन कार्यवाही स्थगित नहीं करनी पड़ी.
आजादी के बाद यह शायद पहला मौका है जब लगातार सात सत्र शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए. इसका सबसे ज्यादा श्रेय 63 वर्षीय विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को जाता है. सदन अपेक्षाकृत बेहद शांति से चलने का कारण बताते हुए वे कहते हैं, "पहले, सदन में पार्टियों को बोलने के लिए समय इस आधार पर दिया जाता था कि सदन में उनके विधायकों की संख्या कितनी है. मैंने यह परंपरा बंद करके सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों को बराबर-बराबर समय दिया. साथ ही, यह निर्धारित कर दिया कि सदस्यों की तरफ से दो पूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं. इससे सदस्यों को सत्ता पक्ष से अधिक जवाब पाने में मदद मिली और सदन के प्रति विपक्षी सदस्यों का भरोसा बढ़ा."
स्पीकर ने सितंबर, 2022 में सिर्फ महिला विधायकों के लिए एक अनूठा सत्र भी आयोजित किया, जिसमें 38 महिला विधायकों ने अपने विचार रखे. आठ घंटे चले इस विशेष सत्र के दौरान महाना ने समाजवादी पार्टी की सैयदा खातून समेत कई महिला विधायकों को स्पीकर की सीट पर बैठने का मौका दिया और कार्यवाही का नेतृत्व इन महिलाओं ने ही संभाला.
कानपुर से आठ बार विधायक रहे महाना को 18वीं विधानसभा में निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया था. अधिकारियों के साथ अपनी पहली बैठक में ही नए अध्यक्ष ने ई-विधान प्रणाली लागू करने की समय-सीमा तय कर दी थी. एक महीने के अंदर ही 400 से ज्यादा टैबलेट सभी विधायकों की सीटों के आगे नजर आने लगे. आखिरकार, 20 मई, 2022 को यूपी विधानसभा की कार्यवाही को पेपरलेस बनाने की योजना ने साकार रूप ले लिया. 23 मई, 2022 को पेपरलेस बजट पेश किया गया.
महाना ने सदन में सदस्यों की बैठने की व्यवस्था का मसला भी सुलझा दिया. 403 सदस्यों वाले सदन में पहले सिर्फ 379 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था थी. 2022 के बजट सत्र से पहले सदन में 417 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई. अब, सदन की कार्यवाही चलने के दौरान जैसे ही कोई विधायक बोलने के लिए खड़ा होता है, उसकी पूरी प्रोफाइल सदन में दो टीवी स्क्रीन पर प्रदर्शित होती है, जबकि काउंटडाउन टाइमर के जरिये सदस्य को यह पता चलता रहता है कि उसके पास बोलने के लिए कितना समय बचा है. विधान भवन की इमारत को भी नया रंग-रूप दिया गया है, जिसमें बाहर की तरफ लगाई गईं रंग बदलने वाली लाइटें शामिल हैं.
विधानसभा अध्यक्ष ने अपने प्रयास सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रखे. उन्होंने विधायकों की छवि सुधारने में भी रुचि दिखाई. इसके लिए डॉक्टर, इंजीनियर और एमबीए जैसी पेशेवर डिग्री वाले विधायकों की सूची बनाई गई और उनके साथ अलग बैठकें भी की गईं. पहली बार विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों का जन्मदिन मनाने की परंपरा शुरू हुई. विधायक सदन की कार्यवाही छोड़कर कैंटीन न जाएं, इसलिए एक कॉफी लॉबी बनाई गई. और जैसी अपेक्षा की जा रही थी, इस सबका सदन की कार्यवाही पर खासा बेहतर असर पड़ा. नतीजा सबके सामने है, कभी हो-हल्ले के लिए सुर्खियों में रहने वाली यूपी विधानसभा अब बेहद खामोशी से काम करके अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए जानी जाती है.