चांद पर दस्तक देने के बाद अब इंसानों को अंतरिक्ष भेजने की तैयारी में एस सोमनाथ

उनसे चांद पर दस्तक के लिए कहा गया...और उन्होंने कर दिखाया. अब उनकी टीम सूर्य और मंगल का रुख करने के साथ यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने और भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर काम कर रही है

एस. सोमनाथ, चेयरमैन, इसरो
एस. सोमनाथ, चेयरमैन, इसरो

भारत का अपना स्पेस स्टेशन 2028 तक हो जाएगा. भारतीय अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ ने जब यह दिलचस्प तस्वीर पेश की तो वे अपने और इसरो टीम के लिए एक असाधारण लक्ष्य की शुरुआत कर रहे थे. साल 2023 के लक्ष्य किसी भी अंतरिक्ष विज्ञानी को गर्व से भर सकते हैं जिनमें चांद पर पहुंचना, सौर अभियान और भविष्य के स्पेस स्टेशन के लिए टेस्ट फ्लाइट (रोबोट के साथ) शामिल है. 

इन असाधारण उपलब्धियों का केंद्र रहे इसरो अध्यक्ष सोमनाथ, जिन्होंने अपनी इस यात्रा की शुरुआत 1985 में तिरुवनंतपुरम स्थित रॉकेट निर्माण सुविधा विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से बतौर एयरोस्पेस इंजीनियर और रॉकेट टेक्नोलॉजिस्ट की थी. वे अब इसरो अध्यक्ष हैं और अब अंतरिक्ष केंद्र के 'चांद पर मानव भेजने' के अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की कमान संभाले हुए हैं जो स्वाभाविक रूप से चंद्रयान-3 की अगली मंजिल है. 

जब 2022 के जनवरी महीने में सोमनाथ का कार्यकाल शुरू हुआ तो यह इसरो के लिए काफी चुनौतीपूर्ण समय था क्योंकि अंतरिक्ष के मानव मिशन गगनयान को गहरा धक्का लगा. लॉन्चिंग की विफलताओं, चंद्रयान-2 का निराशाजनक अंत और कोविड के चलते 2019 में आई बाधाओं ने बेचैनी और निराशा का माहौल बना दिया. लेकिन उन्होंने बुरी यादों को भुलाते हुए तेजी से काम किया और चांद की सतह पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. अब अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन चुका है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऐसा करने वाला भारत पहला देश है. 

फिलहाल माहौल काफी उत्साहजनक है क्योंकि 23 सितंबर को सौर अभियान आदित्य-एल1 लॉन्च हो चुका है (अनुमान है कि यह हैलो ऑर्बिट में लैग्रेंज पॉइंट पर 6 जनवरी को पहुंचेगा जो कि धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है).  

गगनयान मिशन का परीक्षण अक्तूबर में शुरू हुआ था. इस अभियान के आगामी दूसरे चरण के तौर पर एक ह्यूमनॉइड रोबोट (महिला की शक्ल वाला) व्योममित्र को अंतरिक्ष में लॉन्च करने की योजना है. मानव भेजने का अंतरिक्ष मिशन 2024 में शुरू होगा. वहीं, नासा और इसरो की तरफ से संयुक्त रूप से विकसित एक 'लो अर्थ ऑब्जर्वेटरी' साल 2024 के शुरू में ही तैयार हो जाएगी. वीनस मिशन 'शुक्रयान' 2024 के समाप्त होने से पहले लॉन्च होने की संभावना है. दिसंबर 2023 में सोमनाथ ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में बहुत सी भविष्यवाणियां कीं. इसरो के सामने चुनौतियां अनेक हैं: भारत अभी वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में महज दो फीसद की हिस्सेदारी रखता है और सोमनाथ चाहते हैं कि यह चौगुनी बढ़कर 60,000 करोड़ रुपए हो जाए.

सोमनाथ का सफर
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एक सेवानिवृत्त हिंदी शिक्षक का यह बेटा कभी बस टिकट के 40 पैसे बचाने की खातिर पांच किलोमीटर दूर कॉलेज आने-जाने के लिए एक पुरानी साइकिल का इस्तेमाल करता था

> अपनी आत्मकथा निलावु कुदिचा सिम्हंगल (चांद की रोशनी पर जीने वाले शेर) को लेकर उस समय कुछ मुश्किलों में घिर गए जब इसमें इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन के खिलाफ लिखे कुछ अंश लीक हो गए. बाद में उन्होंने अपनी किताब वापस ले ली

> व्यक्तिगत स्तर पर किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करते हैं

सोमनाथ का कहना है, वे चाहते हैं कि देश की 16,000 करोड़ रु. की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था निकट भविष्य में चार गुनी बढ़ जाए

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