वर्तिका शुक्ला: मैनेजमेंट इंटर्न के तौर पर शुरू हुआ करियर, आज है इंजीनियरिंग कंपनी की बॉस

सीएमडी के रूप में कार्यभार संभालने के बाद शुक्ला ने ईआइएल के पोर्टफोलियों को तेल और गैस से परे रिन्यूबल एनर्जी, 2जी इथेनॉल और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल सरीखे नए क्षेत्रों में फैलाया है

वर्तिका शुक्ला: आईइएल की मैनेजिंग डायरेक्टर और प्रेसिडेंट

वर्तिका शुक्ला के लिए पिछले 35 वर्षों से उत्कृष्टता एक आमफहम चीज बन गई है. यह उनके लिए एक आदत है. उनके करियर की प्रगति से भी यह बात साफ है. इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआइएल) की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) वर्तिका शुक्ला ने 1988 में मैनेजमेंट इंटर्न के रूप में सरकारी इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी फर्म के साथ पेशेवर यात्रा शुरू की थी. और आखिरकार 2021 में वे इसके शीर्ष पर पहुंच गईं.

आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट शुक्ला इंजीनियरों के परिवार से हैं. वे कहती हैं कि ईआइएल में मिले अनुभव, काम में व्यापक विविधता और सीखने के अपार अवसर की वजह से वे आज तक यहां बरकरार हैं. उनके शब्दों में, "इस क्षेत्र में विकास के साथ-साथ कंपनी ने मुझे भी आगे बढ़ने में सक्षम बनाया." उन्होंने बताया कि ईआइएल जिन परियोजनाओं पर काम कर रही है, वे प्रकृति और आकार में अधिक जटिल और बड़ी हो गई हैं. 

सीएमडी के रूप में कार्यभार संभालने के बाद शुक्ला ने ईआइएल के पोर्टफोलियों को तेल और गैस से परे रिन्यूबल एनर्जी, 2जी इथेनॉल और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल सरीखे नए क्षेत्रों में फैलाया है. कंपनी असम बायो रिफाइनरी के लिए भारत का पहला बायो-रिफाइनरी प्रोजेक्ट क्रियान्वित कर रही है जो फ्यूल-ग्रेड इथेनॉल के उत्पादन के लिए बांस आधारित फीडस्टॉक का इस्तेमाल करता है.

इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी ईआइएल पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है. उनका कहना है, "इस क्षेत्र में हमारे पास पहले से ही बहुत अच्छी ऑर्डर बुक है, खासकर इमारतों में ऊर्जा खपत को घटाने और विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाले डेटा केंद्रों के निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट में."

ईआइएल की विकास रणनीति में भौगोलिक पहुंच—खासकर दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और मध्य-पूर्व में—एक और बड़ा पहलू है. वे कहती हैं, "मैं इस विचार में पूरा भरोसा रखती हूं कि अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर योगदान देने के लिए हमारे पास बहुत कुछ है." उनकी देखरेख में कंपनी का अंतरराष्ट्रीय कारोबार वित्त वर्ष 2023 में तेजी से बढ़कर 600 करोड़ रुपए हो गया, जो पिछले साल महज 50 करोड़ रुपए था.

इनोवेशन के क्षेत्र में, शुक्ला प्रोप्राइएटरी हार्डवेयर, प्रोसेस डिजाइन और फ्यूचरिस्टिक एनर्जी टेक्नोलॉजीज में 30 से अधिक पेटेंट की सह-आविष्कारक हैं. अपनी पिछली भूमिका में उन्होंने आरऐंडडी और प्रोसेस डिजाइन टीम की अगुआई की थी. वे कहती हैं, "हम एक ऐसा संगठन हैं जहां हमारे 60 फीसद पेटेंट का व्यवसायीकरण होता है, जो बहुत असाधारण है."

वे क्वालिटी सर्कल और सिक्स सिग्मा पद्धतियों के कार्यान्वयन की भी अगुआई करती हैं—जो इंजीनियरिंग परामर्श के क्षेत्र में दुर्लभ है. ऐसे में कहने की जरूरत नहीं कि शुक्ला उत्कृष्टता और नेतृत्व की उल्लेखनीय मिसाल हैं.

- सोनल खेत्रपाल

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