निसाबा गोदरेज और ईशा अंबानी : पिछली पीढ़ी की सफलता को आगे बढ़ाने का रखती हैं हुनर
ईशा अंबानी और निसाबा गोदरेज, दोनों अपने परिवार की विरासत को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही हैं

निसाबा गोदरेज 12 अरब डॉलर (99,818 करोड़ रुपए) मूल्य वाले गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (जीपीसीएल) को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. मई में 125 वर्ष पुराने गोदरेज समूह की कंज्यूमर गुड्स इकाई ने रेमंड कंज्यूमर केयर के एफएमसीजी कारोबार को 2,825 करोड़ रुपए में अधिग्रहित करने का ऐलान किया था, जो देश में पार्क एवेन्यू और कामसूत्र जैसे ब्रांड वाले डियोडोरेंट और यौन स्वास्थ्य श्रेणी के उत्पादों की अग्रणी खिलाड़ी है. कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में निसाबा ने कहा कि इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य आने वाले दशकों में दोहरे अंकों की वृद्धि की क्षमता वाले नए क्षेत्रों में उद्यम को विस्तार देना है.
कंपनी ने विकास की यह रणनीति अपनी सफलताओं के आधार पर तय की है जो उसने 1994 में ट्रांसइलेक्ट्रा से गुडनाइट और हिट जैसे ब्रांडों के अधिग्रहण के साथ हासिल की थी. आज, जीसीपीएल का घरेलू कीटनाशक कारोबार 30,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. व्हार्टन स्कूल से बीएससी और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री लेने वाली निसाबा कहती हैं, ''मुझे उम्मीद है कि हम आज जो विकल्प चुन रहे हैं, कुछ दशकों बाद जब उन पर नजर डालेंगे तो उनकी कहानियां उसी गर्व के साथ बता सकेंगे.’’
पिछले वित्त वर्ष में अफ्रीका में एफएमसीजी व्यवसाय के साथ भारत में दोहरे अंक की वृद्धि वाले उत्पादों में हेयर कलर और एयर फ्रेशनर की श्रेणियां शामिल थीं. इसके अलावा, कंपनी ने 15 रुपए वाले गोदरेज एक्सपर्ट रिच क्रीम जैसे वैल्यू पैक पेश किए जो अपनी कम कीमत की वजह से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बनाने में सफल रहे.
समानता की प्रबल समर्थक जीसीपीएल सामाजिक समावेशिता में अग्रणी बनकर उभरी है. जो लैंगिक भागीदारी से आगे बढ़कर एलजीबीटीक्यूआइ, दिव्यांगों और यहां तक कि विभिन्न जातीय समूहों को भी मौका दे रही है. जीसीपीएल उन चुनिंदा कंपनियों में एक हो जो अपने बोर्ड में लैंगिक समानता का दावा करती हैं. पिछले साल, इसने महिलाओं के प्रतिनिधित्व को 50 फीसद तक बढ़ा दिया, जिसमें छह महिला बोर्ड सदस्य भी शामिल थीं.
निसाबा अपने बच्चों जोरान और एडन के साथ मुंबई में रहती हैं. उनके लिंक्डइन पोस्ट के मुताबिक, उनके 'जीवन का सबसे बड़ा उपहार’ यही है कि उन्हें बचपन जुहू बीच के पास गुजारने का मौका मिला. वे लिखती हैं, ''मेरे पिता ने रोमांचक और आउटडोर गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया. घुड़सवारी और समुद्र में दूर तक तैरने का अनुभव आज भी मेरे जेहन में ताजा है.’’ निसाबा को एडवेंचर पसंद है.
ईशा अंबानी, 32 वर्ष
नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, रिलायंस इंडस्ट्रीज; डायरेक्टर, रिलायंस रिटेल
यह 2014 की बात है जब ईशा अंबानी ने भारत की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) में समूह कारोबारों के प्रबंधन की भूमिका ग्रहण की. फिर ईशा और उनके जुड़वां भाई आकाश दोनों 24 की उम्र में समूह के अपेक्षाकृत नए जमाने के कारोबारों—रिलायंस जियो इन्फोकॉम और रिलायंस रिटेल वेंचर्स के साथ डायरेक्टर के तौर पर जुड़े.
उनके पिता मुकेश अंबानी भी 1981 में 24 साल की ही उम्र में पिता धीरूभाई अंबानी के कारोबार के साथ जुड़े थे. कारोबार से जुड़ने से पहले ईशा 2013 में येल यूनिवर्सिटी से मुख्य विषय के रूप में मनोविज्ञान और दक्षिण भारतीय अध्ययन में ग्रेजुएशन करके कुछ समय अमेरिका में मैकेंजी में काम कर चुकी थीं. बाद में 2018 में उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए पूरा किया. ईशा ने बचपन के दोस्त और अब कारोबारी आनंद पीरामल से शादी की है, जो उद्योगपति अजय पीरामल और डॉ. स्वाति पीरामल के बेटे हैं.
महामारी के दौरान जब मुकेश ने कुछ अहम कारोबारी सौदों को अंजाम दिया, ईशा के लिए यह अपने हुनर को सान पर चढ़ाने और सीखने का बेहतरीन मौका था. वे और आकाश दोनों उन बड़े सौदों में मुख्य वार्ताकार थे जो आरआइएल की डिजिटल शाखा जिओ प्लेटफॉर्म्स ने समूह को भविष्यवादी उद्यम में बदलने की गरज से गूगल, फेसबुक और इनटेल सरीखी कंपनियों के साथ किए.
ईशा डेन नेटवर्क्स, हैथवे कैबल और डेटाकॉम सहित जियो प्लेटफॉर्म्स के सभी बड़े अधिग्रहणों से भी जुड़ी थीं. इस अक्तूबर में उन्हें वह भूमिका भी मिल गई जिसकी शेयरधारक लंबे समय से उम्मीद कर रहे थे—आकाश और छोटे भाई अनंत के साथ उनकी आरआइएल के बोर्ड में नियुक्ति.
ईशा सबसे ज्यादा योगदान आरआइएल के कारोबार का खुदरा पक्ष में दे रही हैं. उन्होंने राजस्व, मुनाफे और पहुंच और पैमाने के लिहाज से भारत की सबसे बड़ी खुदरा कंपनी रिलायंस रिटेल के ऑनलाइन और ऑफलाइन कारोबार की तकरीबन एक दशक अगुआई की. वैश्विक 100 शीर्ष रिटेलरों में शुमार इस अकेली भारतीय कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 में 2.6 लाख करोड़ रुपए का राजस्व दर्ज किया, जो उससे पिछले वित्त वर्ष के राजस्व से 30 फीसद की छलांग है.
इस साल अगस्त में कंपनी की एजीएम में ईशा ने कहा, ''पिछले साल हमने 3,300 से ज्यादा नए स्टोर खोले, जिससे स्टोर की कुल संख्या 18,040 हो गई, जो 6.56 करोड़ वर्ग फुट रिटेल स्पेस में फैले हैं. इनमें से दो-तिहाई स्टोर टायर I व टायर I I शहरों और छोटे कस्बों में हैं, जो रिटेल को समावेशी बनाने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है.”
ईशा की जिम्मेदारियां कारोबार के दायरे से बाहर भी फैली हैं. वे येल श्वार्जमैन सेंटर के सलाहकार बोर्ड में और स्मिथसोनियंस नेशनल म्यूजियम ऑफ एशियन आर्ट, मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग ईमेज और दीया आर्ट फाउंडेशन के न्यासी बोर्ड में भी हैं.
भारत और विदेशों में रिलायंस फाउंडेशन की तरफ से की गई कला और संस्कृति की पहलों की अगुआई करने के साथ-साथ वे बच्चों और महिलाओं के बीच रिलायंस फाउंडेशन के काम और आरआइएल के विविधता व समावेशन कार्यक्रमों को भी सहारा देती हैं. वे रिलायंस रिटेल, रिलायंस जियो और रिलायंस फाउंडेशन की कार्यकारी नेतृत्व टीमों का हिस्सा तो हैं ही, इसके अलावा धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल का संचालन करने वाली नेतृत्व टीम में भी हैं. रिलांयस में ईशा के नेतृत्व पर निर्भरता लगातार बढ़ रही है.