बी.वी. नागरत्ना : आजाद सोच की वो न्यायाधीश, जो बन सकती हैं भारत की पहली महिला सीजेआई!
अगस्त 2021 में पदोन्नति के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के साथ ही न्यायमूर्ति नागरत्ना 2027 में 54वां सीजेआई बनने की कतार में हैं, और इस तरह वे शीर्ष न्यायिक पद संभालने वाली पहली महिला हो सकती हैं

अक्सर अनछुए रास्ते को चुना है न्यायमूर्ति बंगलोर वेंकटरमैया नागरत्ना ने. वे अदालत कक्ष में कभी भी आपा न खोने के लिए जानी जाती हैं. 2 जनवरी को उन्होंने 2016 की नोटबंदी की कवायद को ''गैरकानूनी'' घोषित कर दिया, इस तर्क के साथ कि यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने नहीं, बल्कि केंद्र सरकार ने लिया था. पांच न्यायाधीशों की इस पीठ में वे सबसे कम उम्र की और एकमात्र महिला थीं और असहमति की एकमात्र आवाज भी.
अगले दिन, संविधान पीठ में चार अन्य न्यायाधीशों के साथ उनका फिर से कई बिंदुओं पर मतभेद था. पीठ इस बात की जांच कर रही थी कि क्या मंत्रियों और दूसरे राजनेताओं को अपमानजनक और आहत करने वाले सार्वजनिक बयान देने से रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाने चाहिए? उनके फैसले ने पुख्ता किया कि कैसे स्वीकार्य भाषण की हदें शांति, समानता, गरिमा और भाईचारे वाली सामाजिक व्यवस्था को मजबूत करने वाले सिद्धांतों से तय होंगी.
अभी हाल ही, अक्तूबर में, अपने 26 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात कराने की एक महिला की याचिका पर शीर्ष अदालत की इस न्यायाधीश ने एक बार फिर अपने दो सहयोगियों से अलग राय जताई. उन्होंने कहा कि गर्भ न रखने के याचिकाकर्ता के निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए.
दिल्ली से इतिहास और कानून में स्नातक, न्यायमूर्ति नागरत्ना 1987 में कर्नाटक में एक वकील के रूप में एनरोल हुईं. उन्हें 2008 में कर्नाटक हाइकोर्ट में एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया—जो उस कोर्ट के इतिहास में केवल दूसरी महिला थीं. दो साल बाद वे स्थायी जज हो गईं.
हाइकोर्ट की न्यायाधीश के रूप में भी उनके कई फैसले उनसे पड़ने वाले सामाजिक असर की वजह से चर्चा में आए. अविवाहित माता-पिता की संतान होकर अनुकंपा नियुक्ति की मांग करने वाले एक व्यक्ति के मामले की सुनवाई के बाद उन्होंने कहा, ''माता-पिता नाजायज हो सकते हैं, बच्चे नाजायज नहीं हो सकते.'' उन्होंने 2020 में तलाक के एक मामले का फैसला सुनाते समय भारत में पितृसत्ता की आलोचना करते हुए कहा, ''...यह समाज नहीं जानता कि किसी सशक्त महिला के साथ आखिर किस तरह का व्यवहार किया जाए.''
दो बेटियों की मां, न्यायमूर्ति नागरत्ना महिलाओं के लिए सहानुभूति की नहीं, बल्कि समान अधिकारों की वकालत करती हैं. उनकी बड़ी बेटी नयना तारा बी.जी. 2014 से बेंगलोर में वकील, और छोटी बेटी प्रेरणा बी.जी. शॉर्ट फिल्म डायरेक्टर हैं.
अगस्त 2021 में पदोन्नति के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के साथ ही न्यायमूर्ति नागरत्ना 2027 में 54वां सीजेआई बनने की कतार में हैं, और इस तरह वे शीर्ष न्यायिक पद संभालने वाली पहली महिला हो सकती हैं. अभी, इलेक्टोरल बॉन्ड मामले सहित कई विवादास्पद मामले उन पीठों के समक्ष लंबित हैं, जिनका वे हिस्सा हैं. सभी की निगाहें इस स्वतंत्र विचारधारा वाली न्यायविद् पर हैं.