साहस और सफलता का उत्सव
इंडिया टुडे वुमन समिट ऐंड अवॉर्ड्स 2023 ने राजस्थान की सबसे प्रभावशाली महिलाओं को मंच दिया. साथ ही सम्मानित किया ऐसी 10 महिलाओं को जो अपने-अपने क्षेत्र में असरदार काम कर रही हैं

सितंबर 2023 की 21 तारीख को जब संसद के दोनों सदनों ने नारी शक्ति वंदन विधेयक पास किया, यह एक ऐतिहासिक दिन बन गया. एक लंबी यात्रा के बाद पारित होने वाले इस अधिनियम ने यह साबित किया कि जब तक देश की आधी आबादी को संसद से लेकर सड़क तक अपना हक नहीं मिलेगा, प्रगति की बातें महज बातें ही रह जाएंगी.
महिलाओं के हक में और महिलाओं के हक की बात करने के साथ-साथ दस महिलाओं को सम्मानित किया इंडिया टुडे ने. 26 अक्टूबर को जयपुर में आयोजित इंडिया टुडे वुमन समिट ऐंड अवॉर्ड्स में न सिर्फ राजस्थान की सबसे प्रभावशाली महिलाओं से अलग-अलग विषयों पर चर्चा हुई, बल्कि अपने क्षेत्र में कमाल का काम कर रहीं राजस्थान की 10 महिलाओं को सम्मानित भी किया गया. ये सम्मान खेल, समाज सेवा, महिला अधिकार, खेती जैसे दस विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए दिए गए.
कार्यक्रम का आरंभ इंडिया टुडे (हिंदी) के संपादक सौरभ द्विवेदी ने मंच से सभी का स्वागत करते हुए किया. इसके बाद जयपुर की मशहूर डांगी बहनों ने अपने गीतों से चार चांद लगा दिए. रजवाड़ी संगीत और राजस्थानी मांड परंपरा के गीत गाने वाली प्रेम डांगी और अनीता डांगी की सुरीली शुरुआत के बाद दिन का पहला सत्र आरंभ हुआ. इस सत्र 'बढ़ते कदम' में शामिल हुईं राजस्थान के प्रतिष्ठित बनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रोफेसर इना आदित्य शास्त्री और विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट भूमिका शर्मा.
शिक्षा के तंत्र को किस तरह महज किताबी ज्ञान से बाहर निकाल उसे लड़कियों के लिए और व्यावहारिक बनाया जा सकता है, इस पर इस सत्र में एक सार्थक चर्चा हुई. अगले सत्र 'उद्यमशील उड़ान' में दो उद्यमी महिलाओं, न्यूवर्ल्ड स्पिरिट्स की एमडी पूनम चंदेल और एपेक्स हॉस्पिटल की निदेशक डॉ. पूनम झावर ने नौकरी-पेशा महिलाओं की कमी, दफ्तरों में लैंगिक भेदभाव और दफ्तरों के माहौल को महिलाओं के अनुकूल बनाने के लिए उचित कदम उठाने से जुड़े जरूरी सवालों के जवाब दिए. साथ ही दोनों ने अपने निजी सफर और करियर से मिली सीखों के बारे में बताया.
पढ़ाई और कमाई के बाद बातचीत खेल की ओर बढ़ी जब अगले सत्र 'हर मैदान फतह' में पूर्व स्क्वॉश खिलाड़ी सुरभि मिश्रा और हालिया एशियन गेम्स में घुड़सवारी में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहीं दिव्यकृति सिंह राठौड़ शामिल हुईं. सत्र की शुरुआत दोनों खिलाड़ियों ने अपने अलहदा किस्म के खेलों के बारे में जानकारी देकर की. दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि किस तरह स्क्वॉश और घुड़सवारी- दोनों ही खेलों के लिए देश में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं और छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ियों के लिए इन खेलों में अपना करियर बनाना और भी मुश्किल हो जाता है.
दिन के चौथे सत्र 'वर्दी की दहाड़' का संचालन सौरभ द्विवेदी ने किया. इसमें शामिल हुईं तीन वर्दीधारी महिलाओं- आईपीएस अफसर प्रीति चंद्रा, आईजी विजिलेंस परम ज्योति और भारतीय आर्मी की रिटायर्ड मेजर सविता सिंह ने उन चुनौतियों पर बात की जो वर्दी पहनने के साथ आती हैं. पुलिस और आर्मी, दोनों ही क्षेत्रों में पुरुषों का वर्चस्व रहा है. तीनों स्पीकर्स ने बताया कि उन्होंने किस तरह एक पुरुष-केंद्रित माहौल में अपनी जगह बनाई.
इसके अगले सेशन में कोई महिला नहीं, बल्कि पुरुष दिखे. स्टार कवि, एक्टर और घर-घर में अपने 'तारक मेहता' के किरदार से पहचान बनाने वाले शैलेश लोढ़ा ने एक मार्मिक मोनोलॉग के जरिए अपने जीवन की तीन महिलाओं- अपनी मां, पत्नी और बेटी के अपने जीवन में महत्व के बारे में बताया. उन्होंने मंच से बताया कि वे हर दिन इन महिलाओं से कुछ न कुछ सीखते हैं.
सत्रों के समापन के साथ राजस्थान के माननीय राज्यपाल कलराज मिश्र का स्वागत किया गया. राज्यपाल ने इंडिया टुडे की ओर से चयनित राजस्थान की 10 मजबूत महिलाओं को सम्मानित किया. उन्होंने अपने संबोधन में इंडिया टुडे के गौरवशाली इतिहास की बात करते हुए संपादक सौरभ द्विवेदी को धन्यवाद दिया और पुरस्कृत महिलाओं को प्रोत्साहन दिया. दोपहर के भोजन पर समाप्त होने वाले इस कार्यक्रम में शामिल सभी महिलाएं राज्यपाल के इस कथन के साथ लौटीं, "वही समाज प्रगति कर पाता है जो महिलाओं को बराबर सम्मान और बराबर के मौके देता है."
नारी शक्ति वंदन
कार्यक्रम के आयोजन के लिए राज्यपाल ने पूरे समूह को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, "इन महिलाओं ने समाज में लीक से हटकर कुछ नया और प्रेरणादायी करने की पहल की है जो सबसे महत्वपूर्ण है". सम्मान के लिए चुनी गईं महिलाओं पर मिश्र ने कहा, "इंडिया टुडे ने सम्मान के लिए जिन प्रतिभाओं का चयन किया है, उन्होंने मन और कर्म से स्वयं को स्थापित करने का आग्रह दूर रखते हुए समाज के लिए समर्पित होकर कार्य किया है. जब हर कोई अपने संवैधानिक अधिकारों की बात कर रहा हो, तब कर्तव्यों पर जोर देकर बदलाव लाने वाली इन सभी महिलाओं का सम्मान पूरे देश की नारी शक्ति का सम्मान है."
राज्यपाल ने कहा, "राजस्थान के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर मैं देखता हूं कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली अस्सी फीसद लड़कियां ही हैं. मैं सदा इस बात को रेखांकित करता हूं कि यदि महिलाओं को पर्याप्त अवसर मिलें तो वे किसी भी क्षेत्र में खुद को पुरुषों से बेहतर साबित कर सकती हैं."
नारी मेरे जीवन में
शैलेश लोढ़ा ने अपने मोनोलॉग में कहा, "बलिदान और त्याग की परिभाषा हमने नारी के नाम ही क्यों लिखी है? जॉब कर रही है, लेकिन अगर बच्चा हो जाए तो उसे छोड़ना पड़ेगा? समाज ने कैसे तय किया कि घर के अंदर के काम महिला और बाहर के पुरुष करेगा? क्यों हमारी फिल्मों में ऐसे डायलॉग होते हैं कि कोई मर्द हो तो बुलाओ, मैं औरतों से बात नहीं करता. ये सामंती सोच हमें किसने दी? इसे बदलने का वक्त आ गया है."
"मैंने अपने बचपन में मां को संघर्ष करते देखा. वे 20 किलोमीटर पैदल चलकर लोक कल्याण विभाग में नौकरी करने जातीं और वापस आकर खाना पकातीं. उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैं नहीं कर पाऊंगी. उससे मैंने सीखा कि अपने काम के प्रति कमिटमेंट कितनी बड़ी चीज है. वे खूब पढ़ा करतीं. उन्होंने मेरे अंदर शब्दों के प्रति अनुराग पैदा किया."
"अपनी पत्नी के संघर्षों को मैं नमन करता हूं. मुझ जैसे अनगढ़ पत्थर, यायावर, आलसी, अड़ियल व्यक्ति को उसने मूरत का आकार दिया. अभावों में उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और अपनी कंपनी शुरू की. मैंने उससे कहा कि इंडिया में पर्सनालिटी डेवलपमेंट कौन सीखना चाहेगा. लेकिन वह अपना काम करती रही और हजारों लोगों की मेंटर बनी. मेरी बिटिया ने मेरे जीवन को अर्थ दिया. वह मेरी प्रखर आलोचक है. आपके सामने आपकी गलतियां बताने का कोई साहस रखे, इससे बड़ी जीवन में कोई नेमत नहीं होती. मैं अपनी मां शोभा, पत्नी स्वाति, बेटी स्वरा का बनाया हुआ शैलेश आपके सामने खड़ा हूं."
शक्ति की मिसाल
- दिव्यकृति सिंह, खेल- घुड़सवारी एथलीट ने चीन के हांगझोऊ में आयोजित 19वें एशियन गेम्स में ड्रेसाज की टीम प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता
- नीरू यादव, ग्रामीण विकास- झुंझुनूं के लांबी अहीर गांव की सरपंच के रूप में इन्होंने लड़कियों की हॉकी टीम की शुरुआत की और निजी आर्थिक संसाधनों से कोच रखा
- बसुंधरा चौहान, बहादुरी- पांच हथियारबंद बदमाशों से लड़ने में पुलिसकर्मियों की मदद की. मुख्यमंत्री ने राजस्थान पुलिस में सीधी नियुक्ति दी
- तारा अहलूवालिया, समाज सेवा- पिछले 50 साल से जादू-टोना और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं. महिला चेतना समिति (भीलवाड़ा) की अध्यक्ष हैं
- मोनिका जांगिड़, दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य- इनका संगठन फ्यूचर इंप्रूवमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट राज्य में मानसिक तौर पर दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ रहा है
- संतोष देवी, खेती- सवा एकड़ जमीन पर सिंदूरी अनार की खेती कर आर्थिक सफलता हासिल की है, जिसकी बदौलत उनकी वार्षिक आय लगभग 25 लाख रुपए है
- प्रीति चंद्रा, प्रशासनिक सेवा- बीहड़ इलाकों में डकैतों से लड़कर अपने साहस का परिचय दिया है. करौली में पोस्टिंग के दौरान वहां के कई डकैतों से सरेंडर कराया
- अनीता पालीवाल, पर्यावरण- बेटियों के जन्म पर 111 पौधे लगाने की पहल करने वाले पिपलांत्री गांव की सरपंच. बंजर भूमि वाले गांव को एक पर्यटन केंद्र में बदल दिया
- डॉ. कृति भारती, बाल विवाह रोकथाम- राजस्थान में अब तक 1,850 बाल विवाहों को रोक चुकी हैं. साहस की उडऩ परी और मुक्तिदाता छोरी के नाम से मशहूर
- डॉ. मेवा भारती, श्रमिक महिला अधिकार- असंगठित क्षेत्र में उन हाशिए की महिलाओं के हक के लिए लड़ती हैं, जो डोमेस्टिक हेल्प के तौर पर काम करती हैं. उनके संगठन में पिछले 17 सालों में 30,000 महिलाओं को जोड़ा गया है.