कहां छिपा है आपकी खुशी का राज
परिवार के साथ बैठकर वक्त बिताने से लेकर अपने काम में कोई खास उपलब्धि हासिल करना, गरीबों-वंचितों की मदद करने से लेकर अपनी भी थाली में एक अतिरिक्त पकवान का जुगाड़ करना...देश भर के अलग-अलग क्षेत्रों के लोग बता रहे हैं कि उन्हें किस चीज में खुशी मिलती है और आखिर उनके लिए खुशी के क्या मायने हैं

खुशी की खोज : नजरिया
शेफाली शाह, 49 वर्ष
अभिनेत्री
''मेरे लिए खुशी का मतलब प्रियजनों के साथ, स्वस्थ, सुरक्षित और प्रसन्न होना है. साथ में खाना-पीना, हंसी-मजाक, नाच-गाना हो या कि बिल्कुल भी कुछ न हो. बस सबके ठहाके हों. और उससे तारी होने वाला सुकून. इस बात का एहसास कि हमारे जहान में सब कुछ ठीक है. हाल ही अफ्रीका में छुट्टियां बिताते हुए मैंने इसे महसूस किया. ह्वेल शार्क और ऐसे ही दूसरे अद्भुत प्राणियों को उनकी अपनी रिहाइश में देखना, वह भी दो या तीन फुट की दूरी से, सचमुच बहुत ही आनंददायक था. चुप्पी, यदा-कदा मेरे दो बेटों की आपसी छेड़छाड़, हंसी-मजाक और सबसे बढ़कर हम सबका एक साथ हर लम्हे का मजा लेना. सचमुच यह सब बेशकीमती था.''
रवि किशन, 53 वर्ष
भोजपुरी अभिनेता और गोरखपुर से सांसद
''मेरे लिए खुशी के मायने हैं दूसरों को खुशी देना. दूसरों की मदद करना मुझे बहुत पसंद है. इससे मुझे बड़ा सुकून मिलता है. मैं जब राजनीति में नहीं आया था, उससे पहले से ही मुझे उन लोगों की मदद करने में बड़ा मजा आता था जो कि जीवन में मुश्किल हालात से गुजर रहे होते थे. एक समय आखिर मैं भी तो स्ट्रगलर ही था. अस्पतालों में जरूरतमंदों को बेड और भूखों के लिए भोजन मुहैया कराने का काम मैं सालों से करता आ रहा हूं. इसके अलावा पुराने गाने सुनने और तैरने में मुझे मजा आता है. यूपी, खासकर गोरखपुर में क्षेत्रीय फिल्म सिटी खुलवाना मेरा एक सपना है. इस साल अगर यह खुल गया तो यह निश्चित रूप से 2023 का मेरा सबसे ज्यादा खुशी का लम्हा होगा.''
दिलखुश, 25 वर्ष
एक बस ड्राइवर का बेटा जिसने बिहार के सबसे पॉपुलर ऐप बेस्ड टैक्सी, टैक्सीपूल और कारपूल सर्विस रोडवेज की शुरुआत की
''खुशी के मायने सबके लिए अलग-अलग होते हैं. सबकी खुशी अलग-अलग सेगमेंट में होती है. हमें सबसे अच्छा उस वक्त लगता है, जब हम रोजगार पैदा करते हैं. मेरी वजह से किसी को काम मिलता है तो भीतर से संतुष्टि मिलती है. लगता है कि जिस समाज में मैं पैदा हुआ था उसके लिए कुछ किया. मेरे लिए खुशी की एक और वजह होती है जब मेरी कंपनी (रोडवेज) आधे किराए में किसी यात्री को उसके गंतव्य तक पहुंचा देती है. तब भी हम बहुत खुश होते हैं. लगता है किसी के 500 रुपए बचा दिए, अब वह इस पैसे से दूसरा कोई काम कर पाएगा. ऐसी कई वजहें हैं लेकिन ये दो वजहें मुझे खुश करने के लिए काफी हैं.''
मनसुख मांडविया, 50 वर्ष
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री
''मुझे कई चीजों से बहुत ख़ुशी मिलती है. साइकल चलाना मुझे बहुत अच्छा लगता है. जो भी काम मैं पूरे दिन में करना चाहता हूं, शाम तक अगर वे पूरे हो जाते हैं तो मुझे ख़ुशी मिलती है. जब मुझे सरकारी योजनाओं के लाभार्थी मिलते हैं और बताते हैं कि उनकी जिंदगी बदल रही है तो मुझे ख़ुशी मिलती है. परिवार के साथ वक्त गुजारना मुझे ख़ुशी देता है. अच्छी किताबें पढ़कर मुझे ख़ुशी मिलती है. अलग-अलग क्षेत्रों के और अलग-अलग काम करने वाले लोगों से बात करके भी मुझे अच्छा लगता है. इसके अलावा मुझे अपने गांव भावनगर के हनोल में जाकर, वहां के लोगों से बात करके और वहां की गलियों और खेतों में घूमकर बहुत संतुष्टि मिलती है.''
रकुल प्रीत सिंह, 32 वर्ष
अभिनेत्री
यह बात सुनने में थोड़ा आध्यात्मिक किस्म की लग सकती है लेकिन मेरा तो सचमुच मानना है कि प्रसन्नता आपके भीतर से उपजती है. इसमें इस बात का भी रोल है कि व्यक्ति के रूप में आप जो भी हैं, उसे लेकर और परिवार के साथ आप कितने संतुष्ट हैं. दुनियादारी वाली किसी भी चीज से इसका कोई लेना-देना नहीं. 'मेरी फिल्म तो ब्लॉकबस्टर हो गई, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं.' ऐसा कुछ नहीं होता. यह मन की एक अवस्था है. बाहर की कोई भी चीज इसे प्रभावित नहीं कर सकती. आपके साथ ऐसा है तो आपका चित्त प्रसन्न है. अपने दर्शकों, इंडस्ट्री और प्रियजनों के लिए कुछ करके मुझे खुशी मिलती है.''
अभिनेत्री शिल्पा राव, 38 वर्ष
गायिका
मेरा मानना है कि खुशी मन की एक दशा है. आपके पास क्या है, आप क्या करते हैं, इससे इसका कोई लेना-देना नहीं. आप किस दशा में हैं और कैसा महसूस करते हैं, इसके बीच आपको एक संतुलन बनाना होता है. यह है तो आसान पर इसे पाना मुश्किल है. मुझे यह भी लगता है कि आप लगातार खुश रहने का एक दबाव महसूस करते हैं और यह एक खतरनाक सोच है क्योंकि आप हर समय प्रसन्न कैसे रह सकते हैं भला? खुशी के लिए हमें कहीं बाहर नहीं बल्कि अपने भीतर झांकना चाहिए. ऐसी कई चीजें हैं तो मुझे प्रसन्नता देती हैं. मसलन, जब मैं अपने भाई अनुराग को देखती हूं. मेरे जीवन में उससे सुंदर कोई उपहार मुझे नहीं मिला है. जब दादा-दादी के बारे में सोचती हूं तो पाती हूं कि उनसे मुझे बिना किसी शर्त के अपार प्रेम मिला है. गाते वक्त जब मैं फैंस को देखती हूं तो लगता है कि जीवन में खुशी देने वाली मेरे पास तमाम चीजें हैं. वह कोई एक वस्तु नहीं.''
मिमी चक्रवर्ती, 33 वर्ष
तृणमूल की सांसद और बांग्ला अभिनेत्री
''अगर मैं किसी की खुशी का सबब हूं, मुझे देखकर अगर किसी के चेहरे पर मुस्कराहट आती है तो निश्चित रूप से ये बातें मुझे सुकून देती हैं. जिस तरह का मेरा काम है, उसे करके मुझे खुशी मिलती है. परिवार के लोगों और अपने कुत्तों के साथ वक्त बिताकर मुझे अच्छा लगता है. जब मैं किसी दिन छुट्टी पर होती हूं और वह भी बिना नेटवर्क वाले इलाके में, जहां फोन नहीं बजता, तो मुझे बड़ा सुकून मिलता है. आवारा पशुओं को रोटी खिलाने पर मुझे बहुत अच्छा लगता है. पिज्जा भी आनंद देता है.''
पपॉन, 47 वर्ष
गायक
''खुशी एक ऐसी चीज है जो चेहरे पर मुस्कराहट लाती है, आप जो करते, जिस तरह से और जिन लोगों के साथ जिंदगी जीते हैं, उसी में संतोष और सुकून महसूस कराती है. मेरे लिए खुशियां छोटी-छोटी चीजों में समाई हैं. मसलन आप जो हैं वही रहें, अपने प्रियजनों के पास रहें, अपने बैंड के साथ ट्रैवल, सफर पर लोगों से मेल-मुलाकात और अलग-अलग तरह के विचारों को साझा करना. फिलहाल तो मैं अभी कुछेक दिनों तक एक बड़े ही खुशनुमा पल की यादें सहेजकर रखूंगा और वह है फुटबॉल और मेसी के दीवाने अपने बेटे पुहोर को अर्जेंटीना और क्रोएशिया के बीच वर्ल्ड कप सेमी फाइनल दिखाने कतर ले जाना.''
जिग्नेश मेवाणी, 42 वर्ष
दलित अधिकार कार्यकर्ता और गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के विधायक
''बस यूं ही बैठे रहना सबसे बड़ा आनंद है. दोस्तों के साथ चाय पर मरीज (गुजराती शायर) और उनकी शायरी पर बातें करने के सुख का कहना ही क्या. अपने शोध के दौरान हाल ही जब मुझे मरीज की एक नई रचना मिली तो जैसे मेरी बांछें खिल गईं. जानकार मित्रों के साथ साहित्य पर दार्शनिक चर्चाओं का अपना अलग स्वाद है. लेकिन सचिन तेंडुलकर, वीरेंद्र सहवाग और विवियन रिचडर्स को बैटिंग करते देखने के आनंद का तो कहना ही क्या था. और हां! प्रियंका चोपड़ा की इंस्टाग्राम रील देखने में मुझे हमेशा ही बहुत मजा आता है.''
उर्मिला कानोड़िया, 80 वर्ष
कला संरक्षक
''कलात्मक कृतियों ने मुझे हमेशा खुशी दी है. जब मेरे कलाकारों को कोई पुरस्कार या पहचान मिलती है, या उनके काम को महत्व दिया जाता है और वे अपने जीवन में सफल होते हैं, तो एक कला संरक्षक के तौर पर मुझे सच्ची खुशी मिलती है. हमारी सभ्यता, प्रकृति और संस्कृतियों की खूबसूरती को संजोए रखने के मूल में कला है. कला में मुझे समकालीन जीवन, इतिहास, सपनों और संभावनाओं की कहानियां सुनाई देती हैं. जब मैं किसी अच्छी कलाकृति को देखती हूं तो मुझे अपार खुशी मिलती है. अगर मैं किसी संभावना को पहचान दिलाने में सक्षम हूं, और युवा कलाकारों के काम तक लोगों को पहुंचाने का जरिया बन पाती हूं तो मुझे संतुष्टि और खुशी मिलती है.''
गज़ल अलघ, 34 वर्ष
को-फाउंडर ऐंड चीफ इनोवेशन ऑफिसर, मामाअर्थ
असल में खुशी एक चॉइस है और मैं रोजाना खुश रहना पसंद करती हूं. निजी और पेशेवर, दोनों रूपों में जिंदगी चुनौतीपूर्ण हालात पेश करती रहती है. लेकिन इसमें भी हमें खुश रहने का विकल्प चुनना चाहिए. मेरे दिन, सप्ताह और महीने की स्पष्टता मेरे मन के सुकून के लिए अहम है. मुझे अराजक स्थितियों में काम करना पसंद नहीं. काम की बैठकों से लेकर जर्नलिंग और बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाने तक, मैं हर चीज की योजना बनाती हूं. यह मुझे अपने दिन को अच्छी तरह से संचालित करने में मदद करता है, और मुझे खुशी देता है. खुशी के लिए मेरा मंत्र सरल है—स्वस्थ खाओ, व्यायाम करो और अपने लिए वक्त निकालो. इनको सबसे कम अहमियत दी जाती है लेकिन सेहत पर इनका स्थायी असर पड़ता है. अपनी टीम के साथ नाचकर, या अपने को-फाउंडर पति के साथ इंस्टाग्राम रील बनाकर, या अपने बच्चों के साथ गाकर, दिन में एक बार जोर से हंसने का मौका बनाकर मैं खुशी को प्राथमिकता देती हूं.''
अभिषेक जैन 36 वर्ष
हिंदी और गुजराती फिल्म डायरेक्टर
''आज की सूचनाओं से भरी और तकनीक-प्रेमी दुनिया में कोई नया अनुभव मुझे खुश कर देता है. सूचना नहीं, बल्कि नया ज्ञान, नई समझ, आत्मज्ञान...जो कुछ हम जानते हैं वह कोलाहल के बीच कहीं छूटा हुआ है, और इन सबके बीच अगर मुझे ज्ञान रूपी मोती मिल जाए तो मुझे बहुत खुशी मिलती है. कोई नई चुनौती मुझे उत्साह से भर देती है. और उस पल के एहसास से ज्यादा सुखद कुछ भी नहीं.''
मल्लिका साराभाई, 68 वर्ष
शास्त्रीय नृत्यांगना
दरअसल, मेरे लिए खुशी के दो भाग हैं: स्वस्थ महसूस करना और एक नए दिन का सामना करने के लिए कूदकर बिस्तर से बाहर निकलने में सक्षम होना, और रोजाना कुछ ऐसा करना जिससे किसी को रोशनी तथा मुस्कराहट मिल सके. कुछ संस्थानों से पुरस्कार क्षणिक खुशी दे सकते हैं लेकिन बेजुबानों के लिए आवाज उठाना, वंचितों के लिए इंसाफ की मांग करके लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना ही मेरे लिए सच्ची खुशी है. यह जीवन को अर्थ देता है. यह दुनिया में किसी की मौजूदगी को सार्थक बनाता है.''
सनी लियोनी, 41 वर्ष
अभिनेत्री
''वक्त जैसे-जैसे गुजरता है, हम खुशी की अहमियत भूल जाते हैं. इसलिए रास्ते में आने वाली हर चीज में सकारात्मकता खोजने की कोशिश करने से मुझे खुशी मिलती है. जो मुझे खुश करता है, वह है मेरा परिवार. मेरे बच्चों निशा, अशर और नोआ की बस एक मुस्कान. या वे मुझे 'हाय, मम्मा' कहकर मेरे सबसे बुरे दिन को भी सबसे अच्छे दिन में बदल सकते हैं. उन्हें देखकर मुझे भीतर से खुशी होती है.''
चिराग शेट्टी, 25 वर्ष
बैडमिंटन खिलाड़ी, युगल में नं. 5 रैंक
''पेशेवर रूप से मेरे लिए खुशी का मतलब (युगल जोड़ीदार सात्विकसाईराज रेड्डी के साथ) बैडमिंटन टूर्नामेंट जीतना है. व्यक्तिगत रूप से इसका मतलब मेरे परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा वक्त गुजारना है. कोर्ट पर मुझे अब तक का सबसे अच्छा एहसास उस वक्त हुआ जब भारत ने 2022 में थॉमस कप जीता था. जिस दिन से मैंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया तब से विश्व चैंपियन बनना मेरा सपना था और यह पिछले साल पूरा हो गया. दुनिया में शीर्ष पर होने के इस एहसास को बताया नहीं जा सकता. इस तरह की जीत के बाद घर वापस आने पर गर्मजोशी से स्वागत और अपने परिवार तथा दोस्तों को अपनी उपलब्धियों पर गर्व करते और खुशी मनाते देखना...यही तो है जिसके लिए मैं जीता हूं.''
नीलांजन भोवाल, 57 वर्ष
आर्किटेक्ट
ताजा हवा में सांस लेना, भीगी धरती की महक, आकाश में पक्षियों का नजारा और कलकल बहती धारा—प्रकृति के साथ एक होने में मुझे सबसे ज्यादा खुशी मिलती है. मैं पहाड़ियों पर सबसे खुश होता हूं जहां प्रकृति अभी मूल रूप में और विकास से अछूती है. पहाड़ों पर हवा अभी भी शुद्ध है. चहचहाती चिड़ियों से घिरे देवदार के जंगलों में लंबी सैर करना मुझे पसंद है. मैं प्रकृति से केवल लेना नहीं चाहता बल्कि उसे भी कुछ लौटाना चाहता हूं. यही बात मुझे ऐसे छोटे आवासों को डिजाइन करने के लिए प्रेरित करती है जहां लोग प्रकृति के साथ सद्भाव से रह सकें.''
अमृता फड़नवीस, 43 वर्ष
गायिका, बैंकर
''मुझे लगता है कि खुशी एक मनोदशा है. कुछ बाहरी कारक आपको खुश करते हैं, लेकिन आपको पहले अपने भीतर खुशी तलाशनी होगी. इससे आपको बाहरी खुशी को आत्मसात करने में मदद मिलेगी. कई बाहरी कारक होते हैं, लेकिन अपने आसपास के लोगों की आंखों में खुशी देखना मेरे लिए खुद को खुश करने का सबसे अच्छा कारण है. खुशी कामयाबी का भी सबसे बड़ा रूप है जिसका आप जीवन में अनुभव कर सकते हैं. अपनी बेटी के साथ रहना, रियाज के दौरान गाते वक्त भावनाओं को छूना और अपने एनजीओ के काम से मदद हासिल करने वाले लोगों के चेहरे पर मुस्कान देखना—ये सभी चीजें मुझे खुश करती हैं.''
अनुप्रिया पटेल, 41 वर्ष
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री, यूपी के मिर्जापुर से सांसद
''जीवन में केवल एक ही खुशी है—प्यार करना और प्यार पाना. खुशकिस्मती से मेरा सार्वजनिक जीवन मेरे लिए खुशियों की वह दुनिया लाता है. सच्चा सुख वंचितों और हाशिये पर खड़े लोगों की मदद करने में है. वंचितों को सशक्त बनाने के लिए अथक रूप से काम करने से मुझे निरंतर उनका प्यार और आशीर्वाद मिलता है. यह अमूल्य है और इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.''
एन.वी. रामा राजू, 60 वर्ष
मैनेजिंग डायरेक्टर, जलविहार, हैदराबाद
''खुशी का रहस्य यह है कि आपने अपनी जिंदगी में जो कुछ भी हासिल किया है, उसके लिए हमेशा आभार व्यक्त करें. पहली पीढ़ी का उद्यमी होने के नाते आज मैं जहां हूं, वहां तक पहुंचने की यात्रा से मुझे खुशी मिलती है. इसमें काफी त्याग और दृढ़ता की जरूरत पड़ी...लेकिन अपने परिवार और दोस्तों के सहयोग से जीवन की अनिश्चितताओं का भी आनंद लेना ही मेरे लिए खुशी है. मेरी कामयाबी और बैलेंस शीट में मेरे दोस्तों का बड़ा योगदान है. अपनी पूरी क्षमता के साथ कुछ करने और उनके संघर्षों को साझा करने से मुझे संतुष्टि मिलती है. मेरे जीवन में उनके होने का आभार जताने और खुश रहने का यह मेरा तरीका है.''
दिव्या गोकुलनाथ, 36 वर्ष
सह-संस्थापक बायजूज
''मैं मानती हूं कि खुशी ब्रह्मांड के साथ एकाकार होने की भावना है. यह हमारे विचारों और भावों से प्रभावित होती है. मेरी खुशी बाहर से नहीं बल्कि मेरे भीतर से आती है. यह आसपास की दुनिया के साथ जुड़ाव और अनुरूपता का अनुभव है. यह पूर्णता और संतोष की भावना है जो मूल्यों और लक्ष्यों के अनुरूप जीवन जीने से उत्पन्न होती है. मेरे जीवन में खुशी के लम्हों की कमी नहीं क्योंकि मैं साधारणता में खुशी तलाशती हूं. खुशी का कोई फॉर्मूला नहीं है, जैसे सफलता का कोई फॉर्मूला नहीं होता. मैं बस पांच नियम साझा कर सकती हूं, जिनका मैं खुश रहने के लिए सहज ज्ञान से पालन करती हूं:
कृतज्ञता को आदत बनाएं: उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करें जिनके लिए आप कृतज्ञ हैं
सकारात्मक संबंध विकसित करें: अपने को सकारात्मक और मददगार लोगों से घिरा रखें जो आपको ऊपर उठाएं, प्रेरित और प्यार करें
खुद अपनी देखभाल को आदत बनाएं: शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक कुशलता के बीच मजबूत रिश्ता है. मैं दिन की शुरुआत सुबह जल्दी करती हूं और व्यायाम के लिए आधे घंटे का समय हमेशा निकालती हूं जिससे मुझे एंडोर्फिन की मेरी दैनिक खुराक मिलती है
माइंडफुलनेस का अभ्यास करें: वर्तमान क्षण में मौजूद होना अपनी जिंदगी का अर्थ खोजने में हमारी मदद कर सकता है
विनम्र रहें: अपने बारे में बहुत बढ़-चढ़कर सोचने से हम आत्मसंतुष्ट और परिवर्तन के प्रतिरोधी बन सकते हैं जिससे व्यक्ति के रूप में हमारा सीखना रुक सकता है. मैं जिस किसी भी रूप में प्रकृति का दाय लौटाना भी चाहती हूं.''
भाविना पटेल, 36 वर्ष
पैरालिंपिक रजत पदक विजेता टेबल टेनिस खिलाड़ी
''खुशी उस वक्त होती है जब मैं किसी अन्य की मदद करने के बारे में सोचती हूं और उनके जीवन में सकारात्मक फर्क ला पाती हूं.''
बिबेक देबरॉय, 67 वर्ष
अर्थशास्त्री और लेखक
''खुशी मन की एक अवस्था है. इसका दूसरों के साथ रिश्तों या आपके पास मौजूद भौतिक वस्तुओं और हैसियत से कोई लेना-देना नहीं है. मन के भीतर खुशी शांत अवस्था से जुड़ी होती है, जैसा कि भगवद्गीता में भी कहा गया है. इसलिए खुशी की खोज आंतरिक होती है और इसके लिए बाहरी दुनिया के प्रति कुछ अलगाव और उदासीनता की जरूरत है. मैं संस्कृत से अंग्रेजी में जो अनुवाद करता हूं, उन्हें करना मुझे बहुत अच्छा लगता है और उस बीच मैं खुश रहता हूं. इसका लगभग ध्यान लगाने जैसा असर होता है. अनुवाद करते समय खुशी की जो अवस्था होती है, वह गर्मजोशी और भले-चंगे होने के सामान्य एहसास को झटक देती मालूम देती है. लोग खुश होने के बारे में किताबें लिखते हैं. मगर उत्तर हमेशा हमारे भीतर होता है.''
भूमि पेडणेकर, 33 वर्ष
अभिनेत्री
''मुझे खुशी-संतुष्टि उस वक्त मिलती है जब लोगों को मेरा काम अच्छा लगता है, वे उसे मान्यता और प्यार देते हैं. चाहे वह सोशल मीडिया पर पर्यावरण की जागरूकता के पक्ष में की गई मेरी कोशिश हो या दम लगाके हईसा की संध्या की तरह का पर्दे पर निभाया गया कोई किरदार. हिंदी फिल्म अभिनेत्री के लिए यह जितना भी असामान्य और अनोखा हो, पर जब वे उसे प्रेरणा की तरह देखते हैं तो मैं खुशी से झूमता हुआ-सा महूसस करती हूं.''
खेसारी लाल यादव, 36 वर्ष
भोजपुरी सुपरस्टार
''खुशी मुझे एक नितांत निजी चीज मालूम देती है और हर किसी के लिए इसकी वजह अलग-अलग होती है. मुझे तब खुशी मिलती है जब दूसरे लोग उस चीज से खुश और आनंदित महसूस करते हैं जो मैं उनकी जिंदगी में लाता हूं. सच्ची खुशी केवल तब मिलती है जब आपके आसपास के लोग—प्रशंसक, परिवार और दोस्त—भी खुश होते हैं. मैं और भी खुश होता हूं जब उनकी खुशी का कुछ हिस्सा मेरे कामों के कारण होता है या मैं उनके चेहरों पर मुस्कान ला पाता हूं. मेरे गांव का कोई व्यक्ति कामयाबी हासिल करता है, तब भी मैं बेहद खुश महसूस करता हूं.
मैं जिन लोगों से बात करता हूं, सभी से कहता हूं कि अपने करीबी लोगों को खुश करो. वे खुश और संतुष्ट होंगे तो तुम अपने आप खुश होगे. फिर जिंदगी में छोटी-छोटी चीजें होती हैं. मुझे याद आता है उस वक्त मैं मन ही मन कितना हंसा था जब मेरी 12 साल की बेटी कीर्ति ने बताया कि मैं पत्नी को कैसे मनाऊं जो एक पारंपरिक महिला हैं, इस नाते अभिनेत्रियों के साथ मेरे काम करने को लेकर उनमें बरदाश्त कम है. मुझे बेटी पर गर्व हुआ.''
गुंजन मेनन, 30 वर्ष
संरक्षणवादी और फिल्मकार
''परिंदों की वह गुनगुन जो मैं शाम को सुन सकती हूं, उससे मुझे खालिस खुशी मिलती है''
पंकज आर. पटेल, 69 वर्ष
चेयरमैन, जायडस लाइफसाइंसेज लिमि.
''खोज से मुझे हमेशा प्रेरणा मिलती है, इसलिए जब हम कुछ नया, लीक से हटकर खोजने की कोशिश करते हैं, तो इससे मुझे गहरा संतोष और खुशी मिलती है. मुझे नए-नए विचार बहुत अच्छे लगते हैं क्योंकि वे नए आयामों के दरवाजे खोलते हैं. जिंदगी की मामूली चीजें भी मेरे लिए गहरे आनंद का स्रोत हैं, जैसे परिवार के साथ वक्त गुजारना. मैं मानता हूं कि आपके पास हमेशा अन्वेषक का और एक पोषक का दिल होना चाहिए.''
दीया कुमारी, 51 वर्ष
सांसद और जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य
''मुझे खुशी जिंदगी की सीधी-सादी चीजों में मिलती है. मेरे मां-बाप ने बचपन से मुझे छोटी-छोटी चीजों में संतोष पाना और उन्हें अहमियत देना सिखाया. वही मैंने आत्मसात किया और अपनाया. अपने बच्चों के साथ खाना, परिवार के साथ छुट्टी मनाना या दोस्तों के साथ फुरसत से बैठकर कॉफी पीना, ये वे चीजें हैं जो मुझे बेहद खुशी देती हैं. परिजनों और दोस्तों के प्यार-लगाव से जो खुशी मिलती है, उसका कोई जोड़ नहीं. विलासिता की चीजों में तो उन्हें निश्चित रूप से नहीं पाया जा सकता.''
महुआ मोइत्रा, 48 वर्ष
संसद सदस्य
''एक ऐसी उदार और प्रेमपूर्ण अवस्था में होना जहां कोई नकारात्मक ऊर्जा न हो. मेरे परिवार और मेरे कुत्तों के साथ. टोस्ट और भुजिया खाते हुए अदरक की चाय पीना. और भाजपा को कुछेक चुनाव हारते देखना!''
जयंत चौधरी, 44 वर्ष
सांसद और अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोकदल
''राजनीति में आपको अपने कामों और लोगों के प्रति बेहद प्रतिबद्ध रहना होता है, जिसका अर्थ है बहुत ज्यादा समय अपने परिवार और घर की भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर बिताना. स्वाभाविक ही परिवार को हम प्राथमिकता से जो समय दे सकते हैं, उससे संतोष मिलता है. हालांकि मैं मानता हूं कि खुशी कुछ क्षणिक आनंददायक घटनाएं या लम्हे भर नहीं बल्कि मन की अवस्था है. जब शरीर स्वस्थ होता है और मन सकारात्मक, और करियर के मोर्चे और निजी जिंदगी में चीजें आगे बढ़ रही और गतिशील होती हैं, तब अच्छा खाना, कार्यक्रमों में व्यस्त अच्छा दिन या कभी-कभी सामान्य आलसी दिन मेरे लिए गहरी और सच्ची खुशी का सबब बन जाता है.''
सुवीर सरन, 50 वर्ष
शेफ
''मेरे लिए खुशी वह क्षण है जब मैं अपनी भावनाओं पर पूरा नियंत्रण रखते हुए खुद को बेहद शांत और संतुष्ट अनुभव करता हूं, जब मैं जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच अशांत नहीं होता, और जब मैं अपनी असफलताओं को सबक के रूप में लेता हूं. यही वह ताकत है जो मुझे तब भी धरती से जोड़े रखती है जब मेरी जिंदगी ने मुझे किसी अनजान अंधेरे मोड़ पर ला खड़ा किया होता है. जब आंखें दूसरे की खुशी से भर आएं तो वे आंसू खुशी के होते हैं. मैं अलग-अलग व्यक्तित्व और रंग-रूप, मिजाज के लोगों से बनी दुनिया में जब लोगों के मन में एक दूसरे के प्रति सम्मान और सहानुभूति देखता हूं तो मुझे अपार खुशी मिलती है.''
ऋचा चड्ढा, 36 वर्ष
अभिनेत्री
''मुझे लगता है कि अगर आपको आठ घंटे की नींद और अच्छा खाना मिल जाए, रिश्ते सचाई से निभ और मजबूत हो रहे हैं तो आप सच्चे अर्थों में खुश हैं. ये सारी चीजें हैं, तो आप लंबे समय तक उदास नहीं रह सकते. और उदास हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलिए. दिमागी सेहत के लिए मदद लेने में शर्म कैसी?''
नीरज चोपड़ा, 25 वर्ष
ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता
''मेरे लिए खुशी का अर्थ है कि जब आप एक व्यक्ति के रूप में जैसे हैं उसमें संतुष्ट रहें. अपने लिए निर्धारित लक्ष्य हासिल करने में मुझे खुशी मिलती है, लेकिन मेरे लिए यह जानना अधिक महत्वपूर्ण है कि मैंने अंतिम नतीजे की परवाह किए बगैर अपनी क्षमताओं को विकसित करने और उन्हें बढ़ाने के लिए अपना सब कुछ दिया. पदक और परिणाम तो केवल उस दिन और उस पल के आधार पर तय होते हैं. तोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत के लिए स्वर्ण जीतना मेरे लिए सबसे आनंददायक पल रहा. उस समय ऐसा अनुभव हुआ कि हम सभी की कड़ी मेहनत रंग लाई. एक एथलीट के रूप में आप पूरा जीवन बड़े पलों की तैयारी में बिताते हैं.''
राकेश टिकैत, 53 वर्ष
किसान नेता
''खेतों में ट्रैक्टर चलाते हुए मिट्टी की सुगंध मुझे बड़ी खुशी देती है. जब भी तनाव में होता हूं, खेत में काम करने लगता हूं. खेत से उड़ती धूल देखना आत्मा को तृप्त करने वाला दृश्य होता है.''
प्रियंका चतुर्वेदी, 43 वर्ष
राज्यसभा सदस्य
''अपने परिवार के साथ समय बिताने, किताबें पढ़ने, संगीत सुनने और लोगों के जीवन में सीधे योगदान देने में सक्षम होने की भावना, ये ऐसी चीजें हैं जो मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत खुशी देती हैं. मैंने बहुत सारा नॉन-फिक्शन पढ़ा. मुझे समकालीन इतिहास और प्रेरित करने वाले प्रसिद्ध लोगों की जीवनी पढ़ना अच्छा लगता है. भू-राजनीति में मेरी गहरी दिलचस्पी है. हिंदी संगीत में मुझे नए पेपी सॉन्ग सुनना पसंद है. अरिजीत सिंह और पपॉन की मैं फैन हूं.''
सुमंत सिन्हा, 57 वर्ष
चेयरमैन और एमडी, रीन्यू पावर
''मनुष्य के अस्तित्व का मर्म है खुशी. सभी मानव दर्शन खुशी को समझने और खोजने के बारे में हैं. हम में से बहुत कम लोग इसमें सफल हो पाते हैं. हमारा जीवन इसी की खोज में गुजरता है. ज्यादातर दफे हम समझ नहीं पाते कि हमें क्या चाहिए, इसलिए खुशी महज माया बनकर रह जाती है. मुझे लगता है कि खुशी इस एहसास के साथ आती है कि आप इसे बाहरी दुनिया में नहीं पा सकते, यह आपके भीतर है. अपनी अपेक्षाओं और खुशी या गम देने वाली चीजों को संतुलित करके; यह एहसास करके कि भौतिक और भावनात्मक चाहतों से मुक्ति से ही सच्ची खुशी नसीब होती है.''
संजीव पुरी, 60 वर्ष
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आइटीसी लिमिटेड
''निश्चित तौर पर कुछ भी अच्छा करने से खुशी मिलती है, लेकिन वास्तव में जो बात मुझे सबसे ज्यादा खुशी देती है, वह यह कि एक उद्यमी के तौर पर समाज के लिए कुछ अच्छा करने में सक्षम हूं.''
प्रिया अग्रवाल हेब्बार, 33 वर्ष
गैर-कार्यकारी निदेशक, वेदांता
''खुशी मन की एक अवस्था है और इसका आपकी धन-संपत्ति से कोई लेना-देना नहीं. मैंने अपने पिता को उस वक्त सबसे खुश देखा जब उन्होंने दूसरों की मदद की. उन्होंने हमें भी यही संस्कार दिया. मुझे तब खुशी मिलती है जब हमारे सहयोग से संचालित विश्वविद्यालय युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करते हैं, या जब उस समुदाय को साफ पेयजल के लिए मीलों नहीं चलना पड़ता जिसके लिए हम काम कर रहे हैं. जब योदा शेल्टर में बचाया गया कोई आवारा पशु दौड़कर मेरी ओर आता है तो उसकी आंखों में देखकर मुझे दुनिया की सबसे बड़ी खुशी का एहसास होता है.''
कैरी मिनाती, 23 वर्ष
उर्फ अजय नागर, यूट्यूबर
''ज्यादातर लोगों के लिए खुशी का मतलब है, मील का कोई पत्थर पार कर लेना या किसी लक्ष्य को हासिल कर लेना. लेकिन मेरी खुशी हर पल को खुलकर जीने में है. मैं अतीत और भविष्य के बारे में ज्यादा नहीं सोचता. मुझे लगता है कि आप जितना ज्यादा वर्तमान में जीते हैं, उतने ही ज्यादा खुश रहते हैं. मेरे लिए सबसे ज्यादा खुशी के पलों में से एक वह था जब मैंने यूट्यूब पर 1,00,000 सब्सक्राइबर पूरे किए थे. जब आप कुछ नया करने के लिए कुछ छोड़ दें और फिर अपने सपनों को उड़ान भरते देखें तो वह एक बेहद खास क्षण होता है.''
अजय पीरामल, 67 वर्ष
अध्यक्ष, पीरामल समूह
मारे धर्मशास्त्र यही बताते हैं कि सभी मनुष्यों का लक्ष्य खुशियों की खोज है. हमें सच्ची खुशी अपने भीतर तलाशने पर मिलती है न कि बाहरी घटनाओं से. मैं वही पाने की कोशिश कर रहा हूं. मैंने न केवल खुद सेवा भाव अपनाया है, बल्कि इसे बढ़ाने का पक्षधर भी हूं. अपने दैनिक जीवन मंश इस सिद्धांत के पालन से मुझे अपार खुशी मिलती है. 2022 हमारे परिवार के लिए अहम वर्ष रहा क्योंकि मैं और मेरी पत्नी स्वाति जुड़वां बच्चों के दादा-दादी बने. पीरामल फाउंडेशन की ओर से 112 जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और महिला सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे काम भी खुशी देते हैं. इसके लाभार्थियों के सशक्तिकरण से देश को न सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर मदद मिलेगी बल्कि सामाजिक कल्याण और खुशहाली की दिशा में भी प्रगति होगी.''
जाकिर खान, 35 वर्ष
स्टैंड-अप कॉमेडियन
''तीन चीजें मुझे अत्यंत खुशी देती हैं: पहली, मेरा परिवार-मेरे दोस्त. मैंने बहुत मेहनत करके पिछले 7-8 साल में उनको एक धागे में पिरोया है. और अब जहां पर मैं हूं, जिस तरह के मेरे दोस्त हैं, मेरा परिवार है, मेरे रिश्ते हैं दोस्तों और परिजनों से, वो मुझे बेहद खुशी देते हैं. दूसरी चीज है खेल. यह युद्ध से मिलता-जुलता है. मनुष्य की मनोवृत्तियों के बारे में यह काफी कुछ बताता है. इसे देखना मुझे बहुत पसंद है. किसी को भी अच्छा खेलते देखकर बहुत खुश होता हूं. स्टैंड-अप कॉमेडी भी मुझे कई बार स्पोर्ट्स जैसी ही लगती है. भले आप सचिन हों, स्टेज पर हर बार जीरो से शुरू करना होता है. तीसरी चीज, यूं ही पड़े रहने से मुझे बहुत सुख मिलता है. मुझे कई बार देर रात तक काम करके सुबह तड़के की फ्लाइट लेनी होती है. ऐसे में पड़े रहने को मिले तो मुझे बहुत शांति मिलती है.''
गोपाल श्रीनिवासन, 64 वर्ष
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, टीवीएस कैपिटल
पूर्णता का एहसास खुशियों का स्रोत है. हममें से अधिकतर लोग इसी दिशा में आगे चलने के लिए अपना पूरा जीवन किसी साधना की तरह समर्पित कर देते हैं. कोई लक्ष्य निर्धारित करना, उसे हासिल करने में जुटना और अपने सर्वोत्तम प्रयासों से संतुष्ट होना सीखना, मौका मिलने पर बिना किसी उम्मीद के दूसरों की मदद और सेवा करना...खुशियों को तलाशने का रास्ता है. तब और भी बेहतर होता है जब यह सब आप उन लोगों के साथ मिलकर कर रहे हों जिन्हें आप प्यार करते हैं. इन सबसे इतर सुख और आनंद का उत्तम मार्ग प्रपत्ति है—अप्राप्त सपने का पीछा करना.''
एम. जगदीश कुमार, 60 वर्ष
अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
''मैं हमेशा आज में जीने की कोशिश करता हूं, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. मैं खुद को खुश रखने की हरसंभव कोशिश करता हूं और इससे मुझे जीवन को बोझ समझने के बजाए संतोष के साथ जीने में मदद मिलती है. मैं जब भी निराश होता हूं या किसी मुश्किल से जूझता हूं तो मेरा सकारात्मक दृष्टिकोण और मेरे परिवार का समर्थन मुझे चुनौतियों का सामना करने और आशावादी बने रहने की ताकत देता है. दूसरों का सम्मान करना, आभार जताना और सामने वाले की बातों को सुनना—यही वे चीजें हैं जो मुझे लोगों को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम बनाती हैं, मेरे विचारों को समृद्ध करती हैं और खुशियां देती हैं.''
श्रीजेश परट्टू, 34 वर्ष,
गोलकीपर, भारतीय हॉकी टीम
''मुझे छोटी-छोटी चीजें खुशियां देती हैं. इसकी शुरुआत सुबह जल्दी उठने से लेकर ट्रेनिंग तक से होती है. यह खचाखच भरी बस में खिड़की वाली सीट पर बैठने, अच्छा संगीत सुनने, या कभी-कभी अकेले बैठकर खुद से बातें करने में भी है...अपनी मां के हाथ का बना खाना भी मुझे बहुत आनंद देता है. आप चाहे जहां चले जाएं, आपको वह स्वाद और प्यार नहीं मिलेगा.''
आर.एस. सोढ़ी, 60 वर्ष
प्रबंध निदेशक, अमूल
''जब हमारे आसपास के लोग हंसते-मुस्कराते हैं तो हम सभी को खुशी होती है. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे गाहे-बगाहे गांव की दुग्ध समितियों का दौरा करने का मौका मिलता है. वहां दूध देने आए कई युवा और बूढ़े अपनी मेहनत की कमाई हाथ में देखकर खुश होते हैं. उन्हें देखकर मुझे बहुत संतोष मिलता है कि मैं पिछले चार दशकों से जरूरतमंदों की मदद कर रहा हूं.''
यामिनी रेड्डी, 40 वर्ष
कुचिपुड़ी नृत्यांगना
''मुझे तो पूरी तरह अपने डांस में डूब जाने में ही सबसे ज्यादा खुशी मिलती है. जब मैं किसी सेशन में जी-तोड़ मेहनत करती हूं तो शरीर थक जाता है, लेकिन मन-मस्तिष्क ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं जिसमें मुझे आसपास के माहौल का कोई भान नहीं रहता, और लगता है कि मैं पूरी तरह आनंद के सागर में हिलोरें ले रही हूं—यही मेरे लिए सच्ची खुशी होती है. इसके अलावा, जब मैं डांस की रचनात्मक प्रक्रिया में पूरी तरह डूब जाती हूं तो मेरे विचार और भावनाएं जीवंत होने लगती हैं और अंतत: मैं उन्हें लोगों के सामने अभिव्यक्त करने में सक्षम हो पाती हूं.''
सचिन पायलट, 45 वर्ष
पूर्व उपमुख्यमंत्री, राजस्थान
''मैं उन लोगों में हूं जो यह मानते हैं कि खुशियां बाहर से ज्यादा आपके अंदर छिपी होती है. हमें यह सोचना होगा कि हर दिन, हर पल को कैसे अपने लिए खुशी का मौका बना सकते हैं. मेरा यह भी मानना है कि जीवन की छोटी-छोटी चीजें ही हमें खुशियां और संतुष्टि देती हैं. मुझे अपने दोनों बेटों, 15 वर्षीय आरण और 13 वर्षीय विहान के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना पसंद है. मुझे उनके साथ फिल्म देखने के लिए मॉल या थिएटर जाने और पॉपकॉर्न और जंक फूड का आनंद लेने में खुशी मिलती है. हाल ही हम गो-कार्टिंग पर गए. यही पल अनमोल होते हैं. हालांकि, अपने काम की वजह से मैं अपने परिवार के साथ उतना समय नहीं बिता पाता जितना चाहता हूं. आखिरकार, आपके लिए आपका परिवार और दोस्त ही सबसे ज्यादा मायने रखते हैं और जीवन के हर उतार-चढ़ाव में वे आपके साथ खड़े होते हैं.''
हिमा दास, 22 वर्ष
एथलीट
मेरे लिए दौड़ना एक तरह से खुशी का ही पर्याय है. मैं यह सिर्फ किसी पदक या गौरव के लिए नहीं बल्कि खुद को अभिव्यक्त करने के लिए करती हूं. मैं दौड़ती हूं खुद को परखने के लिए, खुद को ही चुनौती देती हूं और मानव उत्कृष्टता की अनंत सीमाओं का पता लगाना चाहती हूं. प्रकृति की गोद में होना भी मेरे लिए किसी खुशी से कम नहीं है. किसी भी अन्य पूर्वोत्तरवासी की तरह यह मेरे डीएनए में है. मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब मिलती है जब मैं परिवार और दोस्तों के बीच घिरी होती हूं.''
संजीव सान्याल, 52 वर्ष
लेखक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य
''हम सभी खुशी चाहते हैं, लेकिन इसे परिभाषित करने का कोई एक निर्धारित तरीका नहीं है. ऐसी चीजें हैं जो कुछ पल की खुशियां देती हैं. भले ही यह खुशी कुछ ही पल के लिए हो लेकिन बेहद गहरी और सार्थक हो सकती है—जैसे रविवार को परिवार के साथ लंच, पहाड़ों में अकेले घूमना, कोई अच्छी किताब पढ़ना, या किसी पुराने दोस्त से मिलना. कोई कठिन परियोजना पूरी कर लेने, कोई लक्ष्य हासिल कर लेने या अपने बच्चों को बड़े होते देखने का सुख भी अलग ही होता है. अपने किसी विचार को मूर्त रूप देने की कोशिश करना भी बहुत संतुष्टि देता है.''
निकहत जरीन, 26 वर्ष
बॉक्सर
''वह कर पाना जो मुझे पसंद है और एक लंबे संघर्ष और कड़ी मेहनत के बाद सफलता हासिल करना मुझे खुश करता है. विश्व चैंपियन बनना मेरी जिंदगी का सबसे सुखद और भावुक पल रहा. इसने मेरा बहुत कुछ सहना सार्थक बना दिया. इसने मेरी जिंदगी बदलकर रख दी. मुझे खुद पर गर्व हो रहा था...और इसने मेरे पसंदीदा अभिनेता सलमान खान से मिलने का मेरा सपना भी पूरा कर दिया.''
वरुण अलघ, 38 वर्ष
को-फाउंडर एंड चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, मामाअर्थ
मेरे लिए खुशी का मतलब है प्रेरणा से भरे रहना. यह एक फ़ैसला है जो मैं हर रोज लेता हूं. परिवार और दोस्तों का साथ मुझे हमेशा खुशी देता है. दिन का सबसे खुशनुमा हिस्सा होता है मां-पापा, पत्नी और बच्चों के साथ समय बिताना. इसके अलावा अपनी प्रगति को साफ तौर पर माप सकना भी मुझे खुशी देता है. मैं हमेशा ऐसे लोगों के आस-पास रहने की कोशिश करता हूं जो किसी न किसी जुनून का पीछा कर रहे हैं. जीवन, काम और अपने-आप के लिए जुुनून मुझे खुशी देता है. मेरी कोशिश रहती है कि दिन के पहले दो घंटे में सिर्फ अपने लिए निकाल सकूं, कुछ पढ़ूं, डायरी दुरुस्त करूं और फिर व्यायाम. शामें दोस्तों और परिवार के नाम होती हैं. बस यही सब है जो मुझे खुशी और सुकून देता है.
संकलन: कौशिक डेका, एम.जी. अरुण, अमरनाथ के. मेनन, सुहानी सिंह, जुमाना शाह, अनिलेश एस. महाजन, रोहित परिहार, रोमिता दत्ता, अजय सुकुमारन, अमिताभ श्रीवास्तव, प्रशांत श्रीवास्तव, शैली आनंद, धवल कुलकर्णी, पुष्यमित्र, हिमांशु शेखर, प्रदीपिका सारस्वत, चुमकी भारद्वाज और ऋद्धि काले