मेजबानी और मेहमाननवाजी का आला हुनर

हर बार साधारण के पार जाने की संस्कृति ही आइएचएम पूसा को अलग और खास बनाती है.

बेहतर भविष्य की रेसिपी : आइएचएम, पूसा के पेस्ट्री शेफ अपना हुनर निखारते हुए
बेहतर भविष्य की रेसिपी : आइएचएम, पूसा के पेस्ट्री शेफ अपना हुनर निखारते हुए

शैली आनंद

भारत के बेस्ट कॉलेज 2022 : होटल मैनेजमेंट

नंबर 1- इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, केटरिंग ऐंड न्यूट्रिशन, पूसा, नई दिल्ली

महामारी के बावजूद दिल्ली में पूसा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, केटरिंग ऐंड न्यूट्रिशन ने यह पक्का करने में कोई कसर बाकी नहीं रहने दी कि छात्रों को पढ़ाई-लिखाई में कोई रुकावट न झेलनी पड़े. सभी संभावित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म आजमाए गए और थ्योरी तथा प्रैक्टिकल दोनों कक्षाएं चलाने के लिए संस्थान ने सिस्को वेबेक्स पोर्टल सब्सक्राइब किया. ऑडियो विजुअल इंतजाम किए गए ताकि प्रैक्टिकल सत्र बिना किसी तकनीकी गड़बड़ी के संपन्न हों और क्यूलिनरी, बीवरेज, हाउसकीपिंग और आइडीएस

सॉफ्टवेयर सत्र सटीक ढंग से आयोजित किए जा सकें. ऑनलाइन कक्षाओं के लिए जिस तरह से तकरीबन हर चीज की योजना बनाई गई, वह काफी दिलचस्प थी. मसलन, हाउसकीपिंग के प्रैक्टिकल के लिए छात्रों ने संस्थान के लक्ष्यों के अनुरूप ट्रेनिंगग मॉड्यूल बनाए और मानव संसाधन प्रबंधन तथा प्राथमिक चिकित्सा की योजना भी बनाई, जबकि बिस्तर लगाने के तरीकों के बारे में समय और गति के पैमाने पर अध्ययन किए गए.

ऐसे दूरदृष्टि वाले उपाय और चीजों को अंजाम देने का उत्साह ही शायद आइएचएम पूसा को देश में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई का अव्वल संस्थान बनाता है. बुनियादी ढांचे की सुविधाओं और अन्य लॉजिस्टिक सहारे के रूप में मिली प्रशासनिक सहायता छात्रों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने में शिक्षकों की मदद करती है, तो उन्हें दिए गए प्रशिक्षण के मौकों के दौरान हासिल सीख को आत्मसात करके वे अपने व्याख्यानों और व्यावहारिक हुनर को उन्नत बनाते हैं.

बीते एक साल महामारी से पैदा मुश्किलों के समाधान के लिए संस्थान को नई पहल करते और लीक से हटकर सोचते देखा गया. आइएचएम पूसा के प्रिंसिपल कमलकांत पंत कहते हैं, ''महामारी ने हमारे छात्रों को राष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति में ज्यादा रचनात्मक बना दिया.’’ मसलन, छात्रों ने सिओल स्थित कोरियन फूड प्रमोशन इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर कोरियाई पाक कलाओं पर कार्यशाला आयोजित की और संस्थान ने कोरियाई व्यंजनों पर अपनी दूसरी किताब प्रकाशित की.

मोटे अनाजों के व्यंजनों पर अनुसंधान किए गए और आइएआरआइ (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) के साथ मिलकर मिले-जुले अनाजों और मक्का के आटे और माइक्रोग्रीन्स पर भी कार्यशाला आयोजित की गई. यही नहीं, संस्थान के कई रसोईघरों को श्रम दक्षता के लिहाज से मजबूत बनाने के लिए उनमें पाक कला के अत्याधुनिक साजो-सामान भी स्थापित किए गए.

छात्रों ने असाधारण रूप से अच्छा काम किया और पाक कला, रेस्तरां, फूलों की सजावट और होटल रिसेप्शन हुनर के वर्ल्डस्किल्स कंपीटिशन के क्षेत्रीय और राज्यस्तरीय चरणों में राष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही हासिल की. फूलों की सजावट की कला में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता का तमगा जीता.

एक छात्र इस साल अक्तूबर में बीजिंग में होने वाले वर्ल्डस्किल्स कंपीटिशन में होटल रिसेप्शन हुनर में भारत की नुमाइंदगी करने को तैयार है. पिछले एक साल में संस्थान ने जैविक सब्जियां और फलों के बगीचे, चिकित्सकीय पौधे और वायु शोधक पौधे उगाए और पाले-पोसे, जो कैंपस के भीतर विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास जारी रखने की उसकी कोशिशों का हिस्सा हैं.

महामारी की वजह से एक साल से ज्यादा बंद रहने के बाद संस्थान ने अक्तूबर 2021 में आखिरकार ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कीं. मगर ओमिक्रॉन की लहर के कारण उन्हें ये कक्षाएं दिसंबर में फिर बंद करनी पड़ीं, जो इस साल फरवरी में ही पुन: खुल सकीं. मगर संस्थान ने कोविड के उपयुक्त तमाम नियम-कायदों का पालन करते हुए छात्रों को थोड़ा खुलने और काम करने की गुंजाइश दी.

पंत कहते हैं, ''थ्योरी की कक्षाएं दोपहर के खाने के बाद के सत्र में वेबेक्स पोर्टल पर आयोजित की गईं, वह भी उस वक्त जब छात्र ऑफलाइन रूप से अपने प्रैक्टिकल खत्म करके घर पहुंच गए.’’ कोविड की तीसरी लहर के बाद सप्ताहांत में अतिरिक्त वैयक्तिक कक्षाएं आयोजित की गईं, वहीं विभिन्न प्रकार के आधारभूत क्षेत्रों में नियमित अनुसंधान भी चरणबद्ध तरीके से किए गए.

प्लेसमेंट के रिकॉर्ड इस बात को जाहिर करते हैं कि कैंपस में चहल-पहल एक बार फिर से लौट रही है. जहां 25 से ज्यादा कंपनियां कैंपस में आईं, वहीं हाइब्रिड, ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीकों से भी प्लेसमेंट किए गए. कुल 240 छात्रों में से करीब 110 प्लेसमेंट के लिए बैठे. इनमें से 84 को विभिन्न होटलों, ई-कॉमर्स कंपनियों, खुदरा क्षेत्र, सुविधा नियोजन कंपनियों और अस्पतालों में प्लेसमेंट मिला. शुरुआती तनख्वाह 2 लाख रुपए सालाना से लेकर 7.5 लाख रुपए सालाना तक रही. 


गुरु वाणी
‘‘हमारे संस्थान में 2022 के बैच का प्लेसमेंट करीब-करीब 84 फीसद रहा, बीते साल के मुकाबले, जब महामारी थी, इसे अच्छी-खासी छलांग माना जा सकता है’’
कमलकांत पंत, प्रिंसिपल, आइएचएम, पूसा

आइएचएम पूसा के छात्र-छात्राओं ने पाक कला, रेस्तरां, फूलों की सजावट और होटल रिसेप्शन हुनर के वर्ल्डस्किल्स कंपीटिशन के क्षेत्रीय और राज्यस्तरीय चरणों में खूबवाहवाही हासिल की है. एक छात्र इस साल बीजिंग में वर्ल्डस्किल्स कंपीटिशन में भारत की नुमाइंदगी करेगा

पूर्व छात्र की राय

‘‘आइएचएम पूसा ने ऐसा माहौल उपलब्ध कराया जिसमें 'हॉस्पिटैलिटी’ के क्षेत्र की वास्तविकता समाहित थी और इसी ने मुझे आंखें खोल देने वाला वह अनुभव दिया, जिससे मैं भविष्य में अपना करियर  संवार पाया’’
अश्विनी नायर, क्लस्टर जीएम, इंटरकॉन्टिनेंटल होटल्स, ढाका (नायर आइएचएम, पूसा के 1987 बैच के छात्र थे)

‘‘आइएचएम पूसा ने तीन साल में मुझे पेशेवर बना दिया था. आज मैं जानकार, आत्मविश्वासी और एक बढ़िया शेफ हूं. आइएचएम ने मुझे ऐसा इनसान बनाया जो सीखने के लिए हमेशा उत्साहित रहता है’’
आशीष भसीन, डायरेक्टर, एफऐंडबी सर्विस ऐंड क्यूलिनरी, द लीला एम्बीएंस गुरुग्राम, बैच - 1998.

Read more!