लौटे कैंपस वाले दिन

दूसरी अन्य चीजों की तरह, कोविड ने शिक्षा को हमेशा के लिए बदल दिया. आप इस नए भविष्य की तैयारी कैसे करते हैं?

कैंपस वाले दिनों की वापसी
कैंपस वाले दिनों की वापसी

वर्ष 2022 दुनिया भर में शिक्षा के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है. कोविड के कारण स्कूलों और कॉलेजों के परिसर में लगने वाली कक्षाओं समेत आम जीवन पर भी ब्रेक लग गया था. विद्यार्थियों को अपने कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर पढ़ाई करनी पड़ी और जहां शिक्षक ऑनलाइन लगने वाली कक्षाओं में छात्रों के बीच वही जोश बनाने और उन्हें व्यस्त रखने के लिए संघर्ष करते नजर आए, वहीं शैक्षणिक संस्थान शिक्षण और परीक्षा के तरीकों को आभासी मोड में परिवर्तित करने के लिए जमीन-आसमान एक कर रहे थे. महामारी ने शिक्षा क्षेत्र में सबसे बड़े बदलाव कर डाले हैं.

इस साल भारत और दुनिया की एक 'सामान्य जीवन’ की ओर धीमी गति से वापसी हो रही है लेकिन इसका अंदाज शायद पूरी तरह वैसा नहीं है जैसा हुआ करता था. स्कूल और कॉलेज फिर से खुल गए हैं, कैंपस में परीक्षाओं का दौर लौट आया है और छात्र और शिक्षक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नहीं बल्कि कक्षाओं में मिल रहे हैं. हालांकि, चीजें भले ही वैसी ही दिखती हों, लेकिन वास्तव में उनमें कई बदलाव आ गए हैं. डिजिटल लर्निंग ने शिक्षाशास्त्र में कई आयाम और अवसर खोले हैं. क्लासरूम में प्रौद्योगिकी की घुसपैठ हुई है.  

शिक्षण के इन सारे सुधारों के पीछे महामारी से पैदा हुई आवश्यकता रही लेकिन कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया में जिस बदलाव का लंबे समय से इंतजार था आखिर उसका फैसला इस साल मई में हो ही गया. इस जुलाई में सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित 89 विश्वविद्यालयों के तहत आने वाले कॉलेज, एक सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा सीयूईटी में छात्रों के उनके प्रदर्शन के आधार पर स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिला देंगे.

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से कराई जाने वाली इस परीक्षा में छात्रों की वैचारिक शिक्षा और तार्किक क्षमता का मूल्यांकन होगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार कहते हैं, ''विद्यालयों में जो पढ़ाया जाता है उसका रट्टा मारने से बात नहीं बनने वाली. उसके अच्छे ज्ञान और समझ के बिना, छात्र सीयूईटी में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर सकता.’’  

इसका मतलब यह है कि कॉलेजों, खासकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिए अवास्तविक कट-ऑफ अब बीते दिनों की बात हो जाएगी. विभिन्न बोर्डों के मूल्यांकन की पद्धतियों में बहुत भिन्नता है. राज्य बोर्डों के बच्चे अक्सर अन्य बोर्डों में अपने समकक्षों की तुलना में खराब प्रदर्शन करते हैं. सीयूईटी यह असमानता दूर करते हुए सबको बराबरी के अवसर देगा. 10+2 की बोर्ड परीक्षा में प्रदर्शन चाहे जैसा भी रहा हो, भारत भर के छात्रों के पास इस नई व्यवस्था की बदौलत देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में पसंदीदा कोर्स में दाखिले का एक मौका हो सकता है. ऐसे में, प्रतिष्ठित मार्केट रिसर्च एजेंसी मार्केटिंग ऐंड डेवलपमेंट रिसर्च एसोसिएट्स (एमडीआरए) की ओर से किया गया 26वां इंडिया टुडे बेस्ट कॉलेज सर्वे और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.  

इस सर्वेक्षण को दो दशकों से अधिक समय से देश के कॉलेजों का सबसे विश्वसनीय और सटीक मूल्यांकन माना जाता है. हर साल होने वाला यह सर्वे पांच महत्वपूर्ण मानकों—'इनटेक क्वालिटी ऐंड गवर्नेंस (कॉलेज में दाखिल होने वालों की गुणवत्ता और प्रशासन),’ 'एकेडमिक एक्सीलेंस (शैक्षणिक उत्कृष्टता),’ 'इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड लिविंग एक्सपीरिएंस (बुनियादी ढांचा और वहां रहने का अनुभव),’ 'पर्सनैलिटी ऐंड लीडरशिप डेवलपमेंट (व्यक्तिव और नेतृत्व क्षमता का विकास)’ और 'करियर प्रोग्रेशन ऐंड प्लेसमेंट (करियर में प्रगति और नौकरी मिलने की संभावना)’ पर विभिन्न कॉलेजों के प्रदर्शन की सबसे सटीक और विस्तृत जानकारी प्रदान करता है.

प्रत्येक मानदंड में पारदर्शी स्कोरिंग के साथ, यह छात्रों को उन कॉलेजों का तुलनात्मक मूल्यांकन करने में सक्षम बनाता है, जहां वे दाखिला लेना चाहते हैं. सीयूईटी के आवेदन में, छात्रों को अपने पसंदीदा कोर्स और कॉलेज बताना होता है. हमें उम्मीद है कि इंडिया टुडे बेस्ट कॉलेजों के सर्वेक्षण के परिणाम उन्हें बेहतर निर्णय लेने में कहीं अधिक सक्षम बनाएंगे. 

सर्वेक्षण इसलिए भी उपयोगी है क्योंकि इसमें न केवल उन कॉलेजों के बारे में बताया गया है जिनकी एक समृद्ध विरासत है और वे विजेता के रूप में उभरे हैं, बल्कि ऐसे अपेक्षाकृत नए कॉलेजों की भी जानकारी मिलेगी जो अपने प्रदर्शन में साल दर साल उल्लेखनीय सुधार दर्शा रहे हैं. शिक्षाविद् स्वीकार करते हैं कि इस प्रक्रिया ने उच्च शिक्षा के लोकतांत्रीकरण को प्रोत्साहित किया है, जो अब तक भारत के कुछ शहरों तक ही सीमित है. हर छात्र के लिए, उच्च शिक्षा के लिए बड़े महानगरों में जाना हमेशा संभव नहीं होता. यह सर्वेक्षण, प्रमुख टियर 2 और टियर 3 शहरों के तीन शीर्ष कॉलेजों की भी पहचान करता है जिससे उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग और अधिक समावेशी हो जाती है. 

भारत में शिक्षा एक बड़ा और गंभीर निवेश है. अभिभावक और विद्यार्थी यह जानना चाहते हैं कि किसी विशेष डिग्री के बाद रोजगार और वेतन की कितनी संभावना होगी. यह सर्वेक्षण सावधानीपूर्वक निवेश पर सर्वोत्तम रिटर्न देने वाले कॉलेजों, उच्चतम वेतन के साथ कैंपस प्लेसमेंट और सबसे कम फीस वाले कॉलेजों का विवरण प्रदान करता है. एक विश्वसनीय और सत्यापित स्रोत से आने वाली ऐसी जानकारियां, माता-पिता और छात्रों को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद कर सकती हैं. 

और यही इंडिया टुडे बेस्ट कॉलेज सर्वे का लक्ष्य और उपलब्धि है—भारत में कॉलेज शिक्षा की स्थिति पर विश्वसनीय दस्तावेज बनना. यह बड़ी जिम्मेदारी है और सर्वेक्षण ने पिछले दो दशकों से इसे पूरी ईमानदारी से निभाते हुए कॉलेज परिदृश्य में हर बदलाव और विकास का दस्तावेजीकरण किया, और क्षितिज पर उभरते हर नए सितारे के पूर्व संकेत दिए हैं. ठ्ठ

पद्धति

भारत में उच्च शिक्षा की 42,000 से ज्यादा संस्थाएं हैं और ऐसे में इंडिया टुडे ग्रुप की कॉलेजों की सालाना रैंकिंग के इस 26वें संस्करण का इरादा समृद्ध जानकारियों और डेटा के आधार पर अभिलाषियों के लिए करियर के बेहद अहम फैसले लेना आसान है. इतने सालों के दौरान यह रैंकिंग नियोक्ताओं, माता-पिता, पूर्व छात्र, नीति निर्माता, आम लोग और संस्थाओं सरीखे हितधारकों के लिए स्वर्णिम प्रतिमान बन गई है. 2018 से यह सर्वे दिल्ली की प्रतिष्ठित मार्केट रिसर्च एजेंसी, मार्केटिंग ऐंड डेवलपमेट रिसर्च एसोसिएट्स (एमडीआरए) के साथ मिलकर किया जाता रहा है.

इस साल बुनियादी काम जनवरी और जून के बीच किया गया. कॉलेजों को 14 धाराओं—कला, विज्ञान, कॉमर्स, मेडिकल, डेंटल साइसेंज, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, लॉ, जन संचार, होटल मैनेजमेंट, बीबीए, बीसीए, सामाजिक कार्य और फैशन डिजाइन—में रैंक दी गईं.

निष्पक्ष रैंकिंग तक पहुंचने के लिए एमडीआरए ने हरेक धारा में 112 से ज्यादा प्रदर्शन संकेतकों को सावधानी से एक सुर में पिरोया ताकि कॉलेजों की विशद और संतुलित तुलना की जा सके. इन संकेतकों को पांच व्यापक मानदंडों—कॉलेज में दाखिल होने वालों की गुणवत्ता और प्रशासन, शैक्षणिक उत्कृष्टता, बुनियादी ढांचा और वहां रहने का अनुभव, व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता का विकास, करियर में प्रगति और नौकरी मिलने की संभावना—के तहत एक साथ रखा गया. इसके अलावा यह भी आंकने की कोशिश की गई कि कॉलेजों ने महामारी से निबटने की तैयारी कैसे की.

ज्यादा वास्तविक, प्रासंगिक और सटीक जानकारी देने के लिए एमडीआरए ने मौजूदा साल के डेटा के आधार पर कॉलेजों का मूल्यांकन किया. विभिन्न हितधारकों की तरफ से निर्णय लेने के प्रमुख पहलुओं के बारे में अधिक गहरी समझ के लिए तालिकाओं में मानदंड-वार अंक भी दिए गए.

रैंकिंग कई चरणों में की गई...

एमडीआरए के डेटाबेस की विस्तृत डेस्क समीक्षा और द्वितीयक रिसर्च के बाद प्रत्येक धारा के कॉलेजों की फेहरिस्त बनाई गई. सिर्फ उन्हीं कॉलेजों के नामों पर विचार किया गया जो पूर्णकालिक, कक्षाओं में पढ़ाए गए पाठ्यक्रम प्रस्तुत करते हैं और जिनसे वर्ष 2021 तक कम से कम तीन बैच उत्तीर्ण होकर निकल चुके हैं. अंडरग्रेजुएट कोर्स को 12 धाराओं (स्ट्रीम) में रैंक दी गई, जबकि जन संचार और सामाजिक कार्य में पोस्टग्रेजुएट कोर्सों का मूल्यांकन किया गया.

विभिन्न धाराओं के मानदंड और उप-मानदंड तय करने के लिए अपने क्षेत्र का भरपूर अनुभव रखने वाले विशेषज्ञों से सलाह ली गई. सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों की स्थापना के लिए बेहद जरूरी संकेतक अत्यंत सावधानी से तय किए गए और उनके सापेक्ष भारांश को अंतिम रूप दिया गया. साल दर साल के आधार पर निष्पक्ष तुलना के लिए मानदंडों के पिछले दो वर्षों के भारांश अपरिवर्तित रहने दिए गए.

इन प्रदर्शन संकेतकों को शामिल करते हुए 14 में से प्रत्येक धारा के लिए विस्तृत वस्तुपरक प्रश्नावलियां तैयार की गईं और इंडिया टुडे तथा एमडीआरए की वेबसाइटों पर सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र में डाल दी गईं. एमडीआरए ने पात्रता कसौटी को पूरा करने वाले करीब 10,000 कॉलेजों से सीधे संपर्क किया और उनसे सत्यापन के लिए वस्तुपरक डेटा मांगा. सत्यापित हार्ड और सॉफ्ट प्रतियों की मांग की गई और 1,614—पिछले साल से 55 ज्यादा—पात्र संस्थाओं ने निर्धारित अंतिम तारीख के भीतर सांस्थनिक डेटा और उसके समर्थन में बहुत सारे दस्तावेज प्रस्तुत किए.

भाग लेने वाले कॉलेजों से वस्तुपरक डेटा मिलने के बाद एमडीआरए ने जानकारियों का सत्यापन किया. जहां डेटा अपर्याप्त या गलत था, संबंधित कॉलेजों से पूर्ण, सही और अद्यतन जानकारी देने के लिए कहा गया.

इन कॉलेजों का धारणात्मक सर्वे चार क्षेत्रों में बांटे गए 27 शहरों में 1,781 जानकार उत्तरदाताओं (544 वरिष्ठ संकाय सदस्य, 306 नियोक्ता/पेशेवर, 382 करियर एक्सेलेटर और 549 अंतिम वर्ष के छात्र) के बीच किया गया.

उत्तर: दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद, लखनऊ, कोटा, अमृतसर, चंडीगढ़, लुधियाना और रुड़की
पूर्व: कोलकाता, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, पटना और रायपुर
पश्चिम: मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, इंदौर, पणजी और नागपुर
दक्षिण: चेन्नै, बेंगलूरू, हैदराबाद, कोच्चि और कोयंबत्तूर

उनसे उनके अपने-अपने अनुभव क्षेत्र की राष्ट्रीय और क्षेत्रीय रैंकिंग ली गईं और उन्हें क्रमश: 75 फीसद और 25 फीसद भारांश दिया गया. इसके बाद इन संस्थाओं को पांच मानदंडों में से हरेक पर 10 अंकों के रेटिंग पैमाने पर आंका गया.

निष्पक्ष और वस्तुपरक अंकों की कंप्यूटर से गणना करते समय केवल एकत्र डेटा का ही इस्तेमाल नहीं किया गया; समुचित तुलना के लिए डेटा को छात्रों की संख्या के आधार पर सामान्य बनाया गया. वस्तुपरक और धारणात्मक सर्वे के कुल अंकों को 11 पेशेवर कोर्सों के लिए  60:40 के अनुपात में और अकादमिक कोर्सों—कला, विज्ञान और कॉमर्स—के लिए 50:50 के अनुपात में जोड़कर अंतिम संयुक्त अंक निकाले गए.

शोधकर्ताओं, सांख्यिकीविदों और विश्लेषकों की विशाल टीम ने इस प्रोजेक्ट पर काम किया. एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अभिषेक अग्रवाल की अगुआई में एमडीआरए की मूल टीम में प्रोजेक्ट डायरेक्टर अबनीश झा, असिस्टेंट रिसर्च मैनेजर वैभव गुप्ता, रिसर्च एग्जीक्यूटिव आदित्य श्रीवास्तव और एग्जीक्यूटिव ईडीपी मानवीर सिंह शामिल थे.

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