विशेषांकः साफ समाधान

मोहन के स्टार्टअप की योजना छोटी और सुगठित मशीनों को ट्रैक्टर पर लगाने की है, ताकि उन्हें लाना-ले जाना आसान और सस्ता हो और किसानों को आमदनी का नया जरिया भी मिले.

विद्युत मोहन
विद्युत मोहन

नई नस्ल100 नुमाइंदे/ नवोन्मेषक

विद्युत मोहन, 30 वर्ष, 
सह-संस्थापक और सीईओ, टकाचार, दिल्ली

दिल्ली के आंत्रेप्रेन्योर विद्युत मोहन का स्टार्टअप टकाचार (शब्दश: कार्बन से धन) का उद्देश्य किसानों को खेती के कचरे को नकदी में बदलने की सस्ती मशीनें मुहैया करवाना है. अर्थशॉट प्राइज 2021 के पांच विजेताओं में से एक मोहन के पायलट प्रोजेक्ट हरियाणा और अफ्रीका में चल रहे हैं.

ये सीधे-सादे सिद्धांत पर काम करते हैं. खेती के कचरे को संसाधित करने वाली मौजूदा मशीनें विशालकाय और केंद्रीय जगहों पर स्थापित हैं और पराली की ढुलाई के लिए भारी-भरकम लॉजिस्टिक्स की मांग करती हैं. मोहन के स्टार्टअप की योजना छोटी और सुगठित मशीनों को ट्रैक्टर पर लगाने की है, ताकि उन्हें लाना-ले जाना आसान और सस्ता हो और किसानों को आमदनी का नया जरिया भी मिले.

इसका विचार उन्हें नीदरलैंड की डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से अपनी मास्टर थीसिस के दौरान सूझा. उन्होंने पाया कि पवन और सौर ऊर्जा के मुकाबले फसलों और जंगलों के अवशेषों से अक्षय ऊर्जा बनाने में कम दिलचस्प है.

स्रोत पर ही फसलों के कचरे से न निपटा जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है, जैसा कि इस साल 5 नवंबर को हुआ जब दिल्ली की प्रदूषित हवा में पराली जलाने से पीएम 2.5 कणों का हिस्सा 48 फीसद के चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया.

मोहन नमूना मशीनें बड़े पैमाने पर बनाने के लिए बेंगलूरू की एक फर्म के साथ काम कर रहे हैं. ये मशीने धान की पराली और भूसे को और नारियल के खोल को भी ईंधन और खाद में बदल सकेंगी.

'''मैं हर साल हवा से एक अरब टन कार्बन डायऑक्साइड कम करना चाहता हूं’’ 

अलहदा थाप मोहन यशस्वी तबला वादक हैं

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