विशेषांकः मास्टर स्ट्रोक
संगीत के हर मुहावरे को वे स्पष्टता से व्यक्त करते हैं और अपने श्रोताओं को रिझाने के लिए उन्हें कभी 'आतिशबाजी’ का सहारा नहीं लेना पड़ा.

भाग्येश मराठे, 29 वर्ष
शास्त्रीय गायक, मुंबई
भाग्येश मराठे इंस्टाग्राम पर अपनी गायकी की शास्त्रीय राग आधारित संगीत रचनाओं की रील अपलोड करते रहते हैं. 20 सेकंड की छोटी-सी रील में भी वे राग की बारीकियों को पकड़ने में कलात्मक कामयाबी हासिल कर पाते हैं.
ऐसी है उनकी सर्जनात्मक कुशाग्रता. अपने पिता संजय मराठे, जाने-माने गायक पंडित केदार बोडस और पंडित सुहास व्यास की देखरेख में निखरे भाग्येश के संगीत में चार घरानों—ग्वालियर, जयपुर, आगरा और भिंडी बाजार—का प्रभाव है. भाग्येश में अपने संगीत को आत्मसात कर लेने की क्षमता है.
वे कहते हैं, ''वही राग बार-बार गाते हुए आप कभी थकते नहीं. हर बार जब मैं गाता हूं, मुझे लगता है कि मैं उस राग की खूबसूरती और अलग-अलग छटाएं जान पा रहा हूं. संगीत रचना के प्रति मैं सच्चा होने की कोशिश करता हूं.’’
वे राग की गहराइयों में खुद ब खुद डूब जाते हैं और अपने श्रोताओं के लिए संगीत की सिम्फनी रचते हैं. संगीत के हर मुहावरे को वे स्पष्टता से व्यक्त करते हैं और अपने श्रोताओं को रिझाने के लिए उन्हें कभी 'आतिशबाजी’ का सहारा नहीं लेना पड़ा. वे कहते हैं कि संगीतकार के रूप में वे लगातार विकसित होते रहना चाहते हैं वर्ना उनका संगीत प्रवाहित नहीं होगा.
बहरहाल उन्होंने कई साल तबला सीखा. इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन करते वक्त उन्होंने गायक बनने का फैसला किया
''भाग्येश मराठे ने संगीत की अपनी स्वतंत्र विचार प्रक्रिया विकसित की है’’
पंडित सतीश व्यास, संतूर वादक