विशेषांकः आई रे आई रे हंसी आई

खुशियों की सौगात: दो युवा यूट्यूबर अपने मजेदार और बेवकूफाना वीडियो से लाखों भारतीयों के चेहरों पर मुस्कराहटें ला रहे हैं.

आशीष चंचलानी
आशीष चंचलानी

खुशी की खोज/खुशी के वाहक

आशीष चंचलानी 28 वर्ष
आशीष चंचलानी, वाइन्स
उल्हासनगर, महाराष्ट्र

सुहानी सिंह

यशराज, मुखाटे 25 वर्ष
यशराज मुखाटे, औरंगाबाद, महाराष्ट्र

मंचीय कलाओं की ओर रुझान रखने वाले हरेक शख्स को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए फिल्म या वेबसीरीज की जरूरत नहीं पड़ती. आशीष चंचलानी और यशराज मुखाटे सरीखे कुछ होनहार बस अपना यूट्यूब चैनल शुरू करते हैं और वहां अपने काम को खुद बोलने देते हैं. बीस के आसपास की उम्र के महाराष्ट्र के इन दोनों युवाओं ने अपने मजेदार वायरल वीडियो से बड़ी तादाद में फॉलोवर जुटाए हैं.

चंचलानी ने ''क्लास में बैठकर की जाने जैसी अपनी मसखरियों’’ को ज्यादा बड़े दर्शक वर्ग तक ले जाने के इरादे से आशीष चंचलानी वाइंस नाम से सात साल पहले यह उपक्रम शुरू किया. अब तक उनके 2.64 करोड़ फॉलोवर बन चुके हैं. उनका तरीका सीधा-सादा है. छात्र, बेटा, भाई, दोस्त, बॉयफ्रेंड, गेमर और कई दूसरे अवतारों में अपने अनुभव पेश करते हुए स्वाभाविक यानी कि जैसे हो वैसे ही रहो.

अपनी कला प्रक्रिया के बारे में चंचलानी कहते हैं, ''हम लोगों से जुड़ सकने वाला एक विषय उठाते हैं और फिर उसे भारी अतिरंजनाओं के साथ पेश कर देते हैं.’’ उन्हें लगता है कि यह उस किस्म के हास-परिहास के माकूल है जिसकी तरफ भारतीयों का झुकाव है और जो ''मुखर, अतिरंजित, भावनात्मक और व्यंग्यपूर्ण’’ है. इस तरीके का अच्छा फायदा मिला. माता-पिता उन्हें लिखते हैं कि किस तरह बच्चे उनके वीडियो के आदी हो गए हैं और महिलाएं ''गोलमटोल और सुंदर’’ होने के लिए चंचलानी की तारीफ करती हैं.

उल्हासनगर के सिंगल-स्क्रीन सिनेमा मालिक के बेटे चंचलानी अच्छी और बुरी दोनों तरह की फिल्में और अभिनेता बनने का सपना देखते बड़े हुए. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे अपने पिता का कारोबार संभालने जा रहे थे कि तभी उनके यूट्यूब वीडियो शुरू हो गए और उन्हें क्लिक और लाइक मिलने लगे.

चंचलानी कहते हैं, ''मुझे लगा कि मुझे मुंबई जाकर ऑडिशन देने की जरूरत नहीं है. मैं तो वैसे ही दर्शक बटोर रहा हूं. फर्क इतना ही है कि यह छोटे परदे (मोबाइल) से आ रहा है और बेहतर है, क्योंकि यह हर जगह पहुंचता है.’’

अब बॉलीवुड उनके पास आ रहा है. रोहित शेट्टी की फिल्म सूर्यवंशी बनाने वालों ने इस ऐक्शन ड्रामा फिल्म के ट्रेलर की लॉन्चिंग उनसे होस्ट करवाई. यह मुख्यत: इसलिए हुआ क्योंकि युवाओं के बीच चंचलानी की पहुंच सबसे पुख्ता है. 28 वर्षीय चंचलानी ने अपनी टीम में नई सदी के सदस्यों को रखकर युवाओं से अपना जुड़ाव पक्का किया.

वे कहते हैं, ''लतीफे, नजरिया और रुझान बदलते हुए भी मैं जुडऩे की क्षमता पक्की करता हूं.’’ एक और अलहदा बात आक्रामक भाषा में कतरब्यौंत करना है. चंचलानी कहते हैं, ''अगर दुनिया रुक जाएगी तो मैं गाली देना बंद कर दूंगा. मगर असल जिंदगी में हर कोई गाली दे ही रहा है. तो वही सारी कुंठा हमारे कंटेंट में आती है.’’

उधर, 48 लाख सब्स्क्राइबर वाले मुखाटे के वीडियो में दर्शकों को हास-परिहास के साथ आकर्षक धुन मिलती है, जिसे वे दोस्तों और परिजनों के साथ शेयर करने से खुद को रोक नहीं पाते. 2011 से यूट्यूबर मुखाटे ने पिछले साल सितंबर में पार्किंग में बनाए गए अपने स्टुडियो में काम करते समय हिंदी सास-बहू शो के एक अतिनाटकीय दृश्य के साथ खिलवाड़ करते हुए रसोड़े में कौन था की रचना की.

इसने देखते ही देखते इंटरनेट पर तहलका मचा दिया. तभी से उन्होंने इसे हर चौथे महीने पेश की जाने वाली अपनी आदत बना ली और उनके बिगिनी शूट, त्वाडा कुत्ता कुत्ता और पावरी होरी है सरीखे वीडियो ने लाखों व्यू जुटाए. यही नहीं, उन्होंने तापसी पन्नू, दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह को भी अपनी धुनों पर नचाया.

शुरुआत में कवर्स करने के बाद मुखाटे को लगा कि यह मजेदार और हल्का कंटेट ही था जिसकी बदौलत उन्हें ज्यादा तवज्जो और सब्सक्राइबर मिल रहे थे, एक ऐसे साल में जब लोग महामारी की मायूसियों से निबटने की कोशिश कर रहे थे. अपनी धुनों के बारे में मुखाटे कहते हैं, ''वीडियो संगीत के लिहाज से अच्छा, अच्छी तरह तैयार और संपादित होना चाहिए.

इससे अगर लोग खुश होते हैं तो और भी अच्छा.’’ वे इतने कामयाब रहे कि उन्हें लोगों को हंसी की खुराक देने वाला होने का दबाव महसूस होने लगा. मगर खुद से संगीत सीखकर बड़ा हुआ औरंगाबाद का यह युवा अपनी रचनाओं से दर्शकों को मायूस नहीं करने को लेकर सतर्क है. वे कहते हैं, ''कोई डायलॉग लेकर, उसमें छेड़छाड़ करके, कुछ बीट्स बना देना बड़ा आसान है. यह मैं हर हफ्ते कर सकता हूं, पर इस तरह यह कारगर नहीं होता. अगर यह नया नहीं होगा, तो लोग चिढ़ जाएंगे.’’

चंचलानी के मिजाज के उलट मुखाटे खुद को स्वाभाविक रूप से दिल्लगीबाज शख्स के तौर पर नहीं देखते. वे कहते हैं, ''आप मुझे पुराने ढर्रे का, ऊबाऊ और किताबी कीड़ा कह सकते हैं. मेरी दिलचस्पी वाकई गैजेट और संगीत के तकनीकी हिस्से, प्रोडक्शन स्टाइल और बीट्स में है.’’ उन्हें अपने इंस्टाग्राम फीड देखना भी अच्छा लगता है. वे लगातार इतनी वायरल फ्रेज-ट्यून कैसे दे पाते हैं? यह पूछने पर वे कहते हैं, ''मैं शब्दों की तलाश नहीं करता. मैंने जब भी इनकी तलाश की, मुझे कभी कुछ अच्छा नहीं मिला.’’ 

ज्यादातर कलाकारों की तरह इंस्टिंक्ट या सहज-प्रवृत्ति ही मुखाटे की रचनात्मकता को आगे ले जाती है. यही इस नौजवान को अग्रणी ब्रांड के साथ ए.आर. रहमान समेत बड़े संगीतकारों की वाह-वाही दिलवा रही है. रहमान ने हाल ही में मुखाटे से कहा, ''आप ढेरों लोगों को खुश कर रहे हैं और वे मुस्करा रहे हैं. मैं समझता हूं ऐसा करना एक बहुत अच्छा और नेक काम है.’’ दर्शक शुक्रगुजार होंगे कि मुखाटे ने रुकने की कोई योजना नहीं बनाई है.

खुशी का मंत्र
''कुछ भी रचनात्मक करके मुझे बेहद खुशी मिलती है. और जब मैं म्युजिक नहीं रच रहा होता हूं तो फिर मेरा समय फोटो खींचने में बीतता है. अभी मैं डिजिटल स्के‌चिंग सीख रहा हूं’’
यशराज मुखाटे

खुशी का मंत्र
''हिंदुस्तान की पब्लिक के सामने आप बहुत गूढ़ मजाक नहीं कर सकते. उनके सामने मैं बर्गर नहीं परोस सकता. मैं तो उन्हें बटर चिकन जैसी स्वादिष्ट और मसालेदार चीजें परोसने की कोशिश करता हूं’’
आशीष चंचलानी.

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