विशेषांकः रूपांतरकारी
भारतीय विज्ञान संस्थान के लोकप्रिय प्रोफेसर जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष अभियान के मुख्य चरण का संचालन किया.

75वां स्वतंत्रता दिवस विशेषांक-पथप्रवर्तक / विज्ञान
सतीश धवन (1920-2002)
वी. सिद्धार्थ
भारत के रत्नों में से एक प्रो. सतीश धवन अपने नाम के साथ इस तरह की (रूपांतरकारी जैसी) कोई भी उपमा सुन कर भी झेंप जाते और ऐसा करने के लिए मुझे बुरी तरह से झाड़ देते. भारत के अग्रणी अंतरिक्ष विज्ञानी और इंजीनियर ने इंजीनियरिंग विज्ञान में ऐसा योगदान दिया कि अभी तक औपनिवेशिक दासता के शिकार रहे हमारे दिमागों में बिल्कुल नई संस्कृति विकसित कर दी.
वे शिक्षण, वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, प्रबंधन और नेतृत्व जैसी कई पेशेवर व्यस्तताओं में सक्रिय रहते थे—अक्सर विविध रूपों में एक साथ. भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के निदेशक के रूप में धवन ने एक दर्जन से भी कम विभागों वाले अपेक्षाकृत छोटे-से परिसर को एक विश्वस्तरीय संस्थान में बदल दिया, जिसमें तब लगभग 40 विभाग और उनके युवा संकाय सदस्य थे.
1972 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रो. धवन से भारत के नवोदित अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व करने का आग्रह किया था. इसके अगले दशक तक भी भारतीय विज्ञान संस्थान का प्रमुख रहते हुए धवन ने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को प्रौद्योगिकी विकास और अनुप्रयोग के मॉडल के रूप में विकसित कर दिया.
उनकी निर्विवाद सत्यनिष्ठा और नैतिक व्यवस्था की भावना ही इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में उनकी प्रबंधन शैली के आधार थे. उनके व्यक्तित्व में सामाजिक मूल्यों और असाधारण निष्पक्षता के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के साथ महान मानवीय गुणों और व्यक्तिगत आकर्षण के संयोजन ने पीढ़ियों को प्रेरित किया है.
धवन ने आधुनिकता की ओर बढ़ते देश के लिए ऐसी बहुमूल्य विरासत छोड़ी है जो युवाओं को उनके सपनों के भारत का पता लगाने और उसे साकार करने का आत्मविश्वास प्रदान करती है.
डॉ. वी. सिद्धार्थ डीआरडीओ के पूर्व एमेरिटस वैज्ञानिक और वर्तमान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज, बेंगलूरू के वरिष्ठ एसोशिएट हैं.