विशेषांकः सितारा सितार का

पं. रविशंकर ने दुनिया के कुछ बेहतरीन और सबसे मशहूर संगीतकारों से साथ काम किया और भारतीय शास्त्रीय संगीत को दुनिया के नक्शे पर लाए.

पंडित रविशंकर
पंडित रविशंकर

स्वतंत्रता दिवस-पथप्रवर्तक / कला, संगीत और नृत्य

पंडित रविशंकर (1920–2012)

पंडित सतीश व्यास

भारत रत्न पंडित रविशंकर अपने आप में संस्था थे. वे अव्वल दर्जे के उस्ताद थे, पर उनमें छात्र सरीखी उत्सुकता ताउम्र बनी रही. उन्होंने मैहर घराने के उस्ताद अलाउद्दीन खान से संगीत सीखा, बल्कि वे मैहर जाकर रहे और वहां अपने गुरु से आला दर्जे की तालीम ली.

संगीतकार के तौर पर उनकी खासियत यह है कि वे अलग ढंग से सोचते और व्याख्या करते थे. उन्होंने राग की शुद्धता को लेकर कभी समझौता नहीं किया. दुनिया के दूसरे संगीतकारों के साथ काम करते हुए भी उन्होंने न केवल इसे साबुत रखा बल्कि उसमें खुद अपना पुट भी जोड़ा.

संगीत पर उनकी विलक्षण पकड़ थी और उसकी रंजकता उन्होंने सदैव बनाए रखी. मैं यकीन से कह सकता हूं कि 1960 और 1970 के दशक में उन्होंने अकेले अपने दम पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया.

1980 के दशक में जब मैंने अपने कंसर्ट के लिए विदेश जाना शुरू किया, मैंने देखा कि नक्शे पर भारत को ढूंढने में मुश्किल महसूस करने वाले ढेरों लोग भी पंडित रविशंकर को बखूबी जानते थे. पंडित जी मुझे बेटे की तरह प्यार करते थे.

उन्होंने येहुदी मेनुहिन, जुबिन मेहता और जॉर्ज हैरिसन सरीखे प्रखर मेधावियों के साथ मिलकर कुछ शानदार प्रस्तुतियां दीं. उन्होंने अपनी विरासत आगे बढ़ाने के लिए न केवल बेटी अनुष्का को तैयार किया बल्कि विश्व मोहन भट्ट, गौरव मजुमदार और शुभेंद्र राव सरीखे संगीतकारों को भी. ठ्ठ

पंडित सतीश व्यास संतूर वादक हैं

पंडित रविशंकर ने राग की शुद्धता को लेकर कभी समझौता नहीं किया; उन्होंने न केवल इसे साबुत रखा बल्कि इसमें अपना पुट भी जोड़ा.

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