विशेषांकः हिंदू की सफलता का गोपनीय मंत्र

बढ़ियां इन्फ्रास्ट्रक्चर का फायदा उठाते हुए कॉलेज ने शिक्षण की ऑनलाइन पद्धति को तेजी से अपना लिया

उत्कृष्टता का केंद्र कॉलेज परिसर में हिंदू कॉलेज के विद्यार्थी
उत्कृष्टता का केंद्र कॉलेज परिसर में हिंदू कॉलेज के विद्यार्थी

हिंदू कॉलेज को वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी और प्राणि शास्त्र जैसी विज्ञान की सभी धाराओं में शिक्षण की अपनी मजबूत नींव पर गर्व है. विशेष रूप से 2019 में हमारे नए विज्ञान ब्लॉक के शुरू होने के साथ हमारे पास उत्कृष्ट प्रयोगशालाएं हैं. महामारी आने के बाद से, शिक्षण ऑनलाइन हो गया है और इस मॉडल में प्रैक्टिकल कराना अब तक की हमारी सबसे बड़ी चुनौती रही है.

डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए प्रयोगशाला का माहौल कैसे फिर से बनाया जाए, इस पर हमने बहुत विचार-मंथन किया है. कुछ मामलों में, सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन उपलब्ध कराए गए और संकाय (फैकल्टी) ने उनका उपयोग किया. जो बात बहुत खुशी प्रदान करती है वह यह रही है कि महामारी की बाधाओं से घबराए बिना और सभी कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल को बनाए रखते हुए हमारे शिक्षक और प्रयोगशाला के कर्मचारी, प्रयोगशालाओं में गए और स्वयं सारे प्रयोग किए.

उन प्रयोगों के वीडियो रिकॉर्ड किए गए ताकि उन्हें विद्यार्थियों को दिखाया जा सके. इसके लिए यथासंभव प्रयास किए गए कि सभी प्रयोगों से जुड़ी छोटी-छोटी सारी बारीकियां, वीडियो में अच्छी तरह दिखें ताकि विद्यार्थियों को ऐसा अनुभव हो कि सारे प्रयोग उनके सामने हो रहे हैं. महामारी के दौरान, विद्यार्थियों को अध्ययन सामग्री तक पहुंच प्रदान करने के लिए हमने ऑनलाइन शिक्षण पोर्टल कोर्सेरा का भी उपयोग किया है.

कॉलेज ने ऑनलाइन सेट-अप में स्नातक विद्यार्थियों के साथ कई अंतर्विषयक (इंटरडिस्प्लिनरी) अनुसंधान और नवाचार परियोजनाओं की शुरुआत की है और उसके लिए वित्त पोषण भी किया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत स्थापित हमारे कॉलेज की इनोवेशन काउंसिल ने अखिल भारतीय ऑनलाइन कार्यक्रमों में संकाय और छात्रों को शामिल करके कॉलेज में छात्र उद्यमिता की भावना पर जोर देना जारी रखा है. हमने देश के प्रख्यात वैज्ञानिकों के सहयोग से हिंदू फोर्टनाइटली लेक्चर सीरीज शुरू की है.

रायिर्थ भट
बीएससी फिजिक्स (ऑनर्स), तृतीय वर्ष, हिंदू कॉलेज

मुझे अच्छी तरह याद है कि मैं पिछली बार 8 मार्च 2020 को अपने कॉलेज गया था और कैंटीन में स्वादिष्ट समोसे खाए थे. एक साल से अधिक समय हो गया है. ऑनलाइन वातावरण में भी हम सीख सकें, इसमें मदद करने के लिए हमारे शिक्षकों ने बहुत मेहनत की है. उन्होंने हालात को ध्यान में रखकर तालमेल बनाने में बहुत सूझबूझ और धैर्य का परिचय दिया है, खासकर इसलिए भी क्योंकि ऑनलाइन तरीकों से बहुत जल्द अरुचि पैदा हो जाती है. उचित उपकरणों और प्रक्रियाओं के साथ ऑनलाइन हमारे प्रैक्टिकल सेशंस भी आयोजित किए गए.

एकमात्र कमी जो महसूस हुई वह यह थी कि हमारे लेक्चर और प्रैक्टिकल सेशन बड़े छोटे थे. ऑनलाइन मोड में पढ़ाई में आप जल्द ही ऊब और सुस्ती महसूस करने लगते हैं और एक अच्छे ब्रेक की जरूरत होती है. लेकिन हमारे शिक्षकों ने कक्षाओं को इंटरैक्टिव बनाने की पूरी कोशिश की है. मेरा मानना है कि ऑनलाइन मोड ने हमें प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप करने के अधिक अवसर दिए हैं. हमने हिंदू कॉलेज इनोवेशन काउंसिल के तहत प्रोजेक्ट्स में सक्रिय रूप से भाग लिया है. हमारे कॉलेज ने एशियन अंडरग्रेजुएट समिट 2021 में भाग लिया, जिसका आयोजन नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर की ओर से 7 से 10 जून, 2021 तक ऑनलाइन किया गया था. इस समिट ने हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभा प्रदर्शन और एशिया में वैज्ञानिक विकास पर अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए एक मंच दिया.

(मृणि देवनानी से बातचीत पर आधारित)


आरजू

बीएससी केमिस्ट्री (ऑनर्स) थर्ड ईयर,  मिरांडा हाउस

 महामारी के कारण अचानक ऑनलाइन लर्निंग की व्यवस्था शुरू हुई और इससे हमारी नियमित कक्षाएं प्रभावित हुईं. अकादमिक कार्यों को ऑनलाइन करने के लिए हमें कई जरूरी एप्लिकेशंस के इस्तेमाल में अभ्यस्त होना पड़ा. समय के साथ, हमने अपने सीखने के तरीकों में बदलाव किया और उनमें लगातार सुधार किया. लेकिन ऑनलाइन लर्निंग में सबसे बड़ी अड़चन विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए प्रयोगशाला में होने वाले प्रैक्टिक्ल का अभाव था. भले ही हमारे शिक्षकों ने प्रेजेंटेशंस और वीडियो की मदद और आभासी प्रयोगशालाओं का अनुभव प्रदान करने वाली वेबसाइटों के जरिए उस शून्य को भरने की भरसक कोशिश की है, फिर भी यह स्वीकारना होगा कि इससे हमारी समझने की क्षमता काफी हद तक प्रभावित हुई है.

महामारी के दौरान, कॉलेज ने यह सुनिश्चित किया है कि हमारे लिए अध्ययन सामग्री की कोई कमी न रहे और हमें महत्वपूर्ण पुस्तकों, अभ्यास प्रश्नों और नोट्स तक पहुंचाए और कठिन विषयों पर नियमित कार्यशालाओं की भी पेशकश की. संकाय ने हमें आकर्षक मूल्यांकन कार्य प्रदान किए जिसके लिए टीम वर्क की आवश्यकता थी. इसने सीखने के हमारे अनुभव को और अच्छा बना दिया. हालांकि, दोस्तों और शिक्षकों के साथ हमारी सामाजिक बातचीत बस 'स्क्रीन' तक सीमित रह गई है और यह बात खलती है कि हम नियमित कॉलेज के अनुभव का आनंद नहीं ले सकते हैं.
(मृणि देवनानी से बातचीत पर आधारित)

अनन्य सहगल

बीएससी केमिस्ट्री (ऑनर्स) फर्स्ट ईयर, हिंदू कॉलेज

मैंने अपने कॉलेज जीवन की शुरुआत नवंबर 2020 के अंत में की थी. हिंदू कॉलेज ने मेरी उन सभी आशंकाओं को खत्म कर दिया जो शुरुआत में मुझे हो सकती थीं. हमारी पहली ऑनलाइन मुलाकात में दस मिनट में ही मैं घर जैसा महसूस कर रहा था. मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि इसमें फिट होना कितना आसान था. शिक्षकों ने दिल खोलकर हमारा स्वागत किया. यहां तक कि एक ऑनलाइन सेट-अप में भी, उन्होंने हमारे भीतर बहुत उत्साह भरा.

हमारे शिक्षक प्रति दिन प्रेजेंटेशन और वीडियो बनाने में जितनी मेहनत करते हैं वह दिल को छू लेने वाला है. वे यह सुनिश्चित करने में अपनी जान लड़ा देते हैं कि हमें कॉनसेप्ट्स को समझने में कोई परेशानी न हो. वे हमारी मदद के लिए हमेशा उपलब्ध हैं इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं होती है. कॉलेज ने ऑनलाइन एक जीवंत वातावरण प्रदान किया है. कॉलेज की कई सोसाइटीज और क्लब हैं जिससे तरह-तरह की एक्टिविटिज हमेशा होती रहती है.

(मृणि देवनानी से बातचीत पर आधारित)

मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नै

मेरा कॉलेज डेविड एस.एम

एमएससी केमिस्ट्री, फाइनल ईयर, एमसीसी

शुरुआत में ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म पर कॉन्सेप्ट्स को समझना कठिन था. प्रयोगशाला अनुभव के बिना प्रैक्टिकल शिक्षा प्राप्त करना असंभव है. हमारे शिक्षकों ने कस्टमाइज्ड वर्चुअल लैब सेशन के माध्यम से कॉन्सेप्ट्स समझाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, जिससे हमें कॉन्सेप्ट्स को अच्छी तरह समझने में मदद मिली. हम प्रयोगशालाओं में माइक्रो-प्रोजेक्ट्स नहीं कर सके, फिर भी हम विषयों के विश्लेषण के लिए बौद्धिक कौशल का उपयोग करने में सक्षम हो सके और रसायन विज्ञान के उन उपकरणों का इस्तेमाल किया जो आसानी से उपलब्ध हैं.

हमारे अकादमिक कार्यक्रम का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा शोध प्रबंध था. हालांकि, अंतिम सेमेस्टर में मिलीजुली कक्षाएं (ऑनलाइन और कैंपस में) उपलब्ध थीं. हम प्रोजेक्ट कार्य को आगे बढ़ाने और उसका व्यावहारिक अनुभव पाने के लिए शोध प्रयोगशालाओं में आए. शोध कार्य के बड़े हिस्से को, तीन महीने के भीतर पूरा करने का मतलब था कि बहुत अधिक दबाव का सामना करना लेकिन मेरा मानना है कि इस छोटी अवधि में भी हमने पूरे वर्ष की तुलना में अधिक हासिल किया है. इसने मुझे यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा में डॉक्टरेट स्टडीज में दाखिला पाने में मदद की है.

(अरविंदन से बातचीत पर आधारित)

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