मां की बेटी
ओइंद्रिला घोष बायोलॉजी की छात्रा होने के नाते जानती थीं कि लीवर ऐसा अंग है जो खुद अपने को फिर से उत्पन्न कर सकता है और इसलिए वे इसका कुछ हिस्सा अपनी मां को दे सकती हैं

साल 2015 में जब उनकी मां देबी को लीवर सिरोसिस होने का पता चला, तब 20 बरस की ओइंद्रिला कॉलेज में पढ़ती थीं. बायोलॉजी की छात्रा होने के नाते वे जानती थीं कि लीवर ऐसा अंग है जो खुद अपने को फिर से उत्पन्न कर सकता है और इसलिए वे इसका कुछ हिस्सा अपनी मां को दे सकती हैं. दिक्कत बस एक थीः मां को राजी कैसे किया जाए. वे उन्हें लगातार मनाती रहीं और एक दिन आखिरकार वे मान गईं. एसएसकेएम अस्पताल के डॉ. अभिजित चौधरी ने 11 दिसंबर को मां और बेटी दोनों का ऑपरेशन किया.
अच्छा
जोश से भरी लड़की ओइंद्रिला अपनी मां का हौसला बढ़ाती रहीं, यह कहकर कि वे अपनी मां के शरीर का एक हिस्सा होंगी
चमक
ओइंद्रिला मसाला के बगैर वाले खाने पर रहने को तैयार हैं, अगर इससे उनकी मां को बेहतर होने में मदद मिलती है
बड़ी बात
देबी को आशंका थी कि उनकी बेटी के शरीर पर घाव के निशान की वजह से उसे दूल्हा मिलने में परेशानी होगी. ओइंद्रिला ने उनके डर को हंसी में उड़ा दिया, उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके लिए अपनी मां को वापस पाना ही काफी है
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