उभरता राजस्थानः अब फैशन भी राजपूताना
राजस्थान अचानक फैशन की चहल-पहल से भरी जगह के तौर पर उभरा है . कड़ी मेहनत और संघर्षों के बाद उभरे फैशन डिजाइनर अपनी अलहदा छाप छोड़ रहे

रोहित कामरा
पिछले दशक में राजस्थान के बाहर भी शोहरत हासिल करने वाले शुरुआती लोगों में से एक रोहित कामरा अपनी खास शैली के साथ फैशन के फलक पर उभरे हैं. मजबूत एथनिक आधार के साथ उनका लेबल ''रोहित कामरा" हर सीजन में नए रंग-रूप के परिधान लेकर आता है जो समूचे भारतीय फैशन जगत को प्रेरित और प्रभावित करते हैं.
उन्होंने 2007 में लक्मे फैशन वीक से शुरुआत की थी और वे तभी से हिंदुस्तान के तमाम अहम फैशन शो में बार-बार अपना काम पेश करते आ रहे हैं. वे इंडिया मेन्स वीक, विल्स इंडिया फैशन वीक और एमेजन इंडिया फैशन वीक में आ चुके है.
एक मजबूत विजन के साथ हिंदुस्तानी विचारों में ढले पहनने लायक परिधानों का सृजन करके ब्रान्ड ''इंडिया" को बढ़ावा देना उनकी यूएसपी है. रोहित के तमाम कलेक्शनों में उनकी अपनी विशिष्ट शैली हिंदुस्तान के राजसी गौरव और ग्लैमर का निचोड़ है.
जोधपुरी कॉलर, पारंपरिक आवर ग्लास कट और चटकीले जोधपुर ब्रीच औपचारिक सज-धज को कई गुना बढ़ा देते हैं. माणिक और पन्ना सरीखे बेशकीमती रत्नों और अर्ध-बेशकीमती रत्नों जड़े अनमोल बटन, जड़ाऊ पिन, बेल्ट के बकल पुरुष परिधानों को राजसी वैभव से सराबोर कर देते हैं.
लेबल ''रोहित कामरा" ने अपना कलेक्शन ''मेड इन जैपोर" इंडियाज फैशन वीक में पेश किया. इसमें भी रोहित ने हिंदुस्तानी राजसी संस्कृति से प्रेरित परिधानों की रचना की. ताज्जुब क्या कि उन्हें राजस्थान के उन बहुत कम डिजाइनरों में आंका जाता है जिन्होंने राष्ट्रीय फलक पर अपनी छाप छोड़ी है और अब अंतरराष्ट्रीय फलक पर नजरें गड़ाए हैं.
अरुणा सिंह
राजस्थान के फैशन फलक पर फैशन स्टाइलिस्ट के तौर पर नमूदार होने वाले शुरुआती नामों में से एक अरुणा सिंह थी. अपनी पसंद के परिधान आसानी से नहीं मिलने पर उन्होंने खुद लिबास बनाना शुरू किया और यही जरूरत वक्त के साथ पहले शौक और फिर जज्बा बन गई.
साल 2005 में उन्होंने अपना लेबल ''अरुणा सिंह" बनाया और जयपुर से ही काम करना जारी रखा. उनका कलेक्शन उनके स्टुडियो ''जयपुर खजाना" में प्रदर्शित किया जाता है.
इन दिनों वे विमेन विअर की पूरी शृंखला में अनोखी नफासत और बारीकी के साथ सजीली बनावटें रचने पर एकाग्र हैं. साथ ही, वे एक्सक्लूसिव मेन्स विअर भी बनाती हैं जिनमें बंद गला और ब्रीच शामिल हैं.
उनकी खास बात है दस्तकारी और स्क्रीन ब्लॉक प्रिंटिंग सहित पारंपरिक कलाओं और पित्तन, गोटा-पत्ती, आरी सरीखी पारंपरिक कशीदाकारियों का फ्यूजन. अब वे हाथ से बुने खादी के कपड़ों को बढ़ावा दे रही हैं.
वे भारत की फैशन डिजाइन परिषद (एफडीसीआइ) की सदस्य हैं और दस्तकारों को बढ़ावा देने के लिए उन्हें राजस्थान दस्तकार प्रोत्साहन संघ का डायरेक्टर भी नियुक्त किया गया है. वे बीते बारह साल से इंडियन फैशन वीक में हिस्सा लेती आ रही हैं.
उन्होंने अपने कलेक्शन पहले डब्ल्यूएलआइएफडब्ल्यू एस.एस.09 और विल्स लाइफ स्टाइल इंडिया फैशन वीक, लक्मे फैशन वीक ए-डब्ल्यू 2009 में प्रदर्शित किए और उसके बाद भी विभिन्न फैशन वीक में हिस्सा लेना जारी रखा.
उन्होंने जयपुर इंटरनेशनल फैशन वीक, 2010-2012 के शो में रॉयल राजपूताना परिधान और जेआइएफडब्ल्यू 2015 में ताजातरीन कलेक्शन प्रदर्शित किया था.
2009 में यंग एचीवर्स अवॉर्ड, साल 2008 का अपकमिंग डिजाइनर ऑफ द ईयर, होप स्टाइल अवॉर्ड, दिल्ली में फैशन ऐंड स्टाइल अवॉर्ड, बेटी सृष्टि रतन, क्षत्राणी गौरव जैसे पुरस्कार हासिल कर चुकी अरुणा अलबेली से भी जुड़ी हैं जो दस्तकार महिलाओं को उनकी बनाई चीजों को बेचने में मदद करता है और गरीब औरतों को आजीविका के प्रशिक्षण देने के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित करता है.
पल्लवी
वे अपने ब्रान्ड पल्लवी जयपुर के लिए जानी जाती हैं. इस शहर का राजसी इतिहास, कला और शिल्प तथा शहर की जीवंत संस्कृति उनके लिए लगातार प्रेरणा के स्रोत रहे हैं. उन्होंने एक ऐसा करियर बनाने की ठान ली थी जो उनके आसपास के खूबसूरत परिवेश और फैशन के बीच तालमेल कायम कर सके.
यही वह बात थी जो उन्हें एनआइएफटी, दिल्ली ले गई. उन्होंने लक्मे फैशन वीक और उसके बाद विल्स-एमेजन इंडिया फैशन वीक में अपने डिजाइन पेश किए हैं.
उनके डिजाइन कुदरती और हथकरघे के कपड़ों के साथ गुंथे हुए जॉर्जट और शिफॉन के संगम हैं. राजस्थान की ललित कला, शिल्प और संस्कृति ने उन्हें तमाम रंगों और तकनीकों के साथ प्रयोग करने की काबिलियत दी.
समकालीन पहनावे पर पारंपरिक कला रूपों के साथ आधुनिक संवेदनाओं का मेल उनके लेबल का फलसफा है जो वैश्विक शैली और विलास पर जोर देता है.
उनकी सबसे खास बात है कशीदाकारी, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, स्टाइलिंग और निर्माण की तमाम तकनीकों और रंगों के अनूठे खेल का इस्तेमाल करते हुए कपड़े को बारीकी से सजाना.
राजस्थान खादी के उनके हाल के कलेक्शन ने राज्य के शिल्प और धरोहर को फैशन उद्योग के वैश्विक प्लेटफॉर्म पर जगह दिलवाई. इसे खादी और खादी ग्रामोद्योग (जयपुर वस्त्रघर) के लिए जबरदस्त कारोबार और सराहना भी हासिल हुई.
उन्हें फैशन में शानदार योगदान के लिए ''जुएल इन द क्राउन" विमेन एचीवर 2013, सुभाष घई की व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल का ''यंग एचीवर अवॉर्ड 2013" और जी टीवी के ''विमेन एचीवर अवॉर्ड 2015" से नवाजा गया.
पल्लवी, माधुरी दीक्षित, तापसी पन्नू, कृति सैनन, रवीना टंडन, परिणीति चोपड़ा, कंगना रनौत, दीया मिर्जा, सोनाक्षी सिन्हा, मुग्धा गोडसे, शर्मिला टैगोर, इला अरुण, मंदिरा बेदी, गौहर खान जैसी शख्सियतों के लिए डिजाइन कर चुकी हैं.
उन्होंने बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के लिए भी परिधानों का एक पूरी शृंखला डिजाइन की है.
कीर्ति राठौड़
वे बहुआयामी शख्सियत बनने की कोशिश में हैं. पुरुषों के लिए फैशन डिजाइनिंग के अलावा वह थिएटर में भी हाथ आजमा रही हैं. वे पद्मावती पर एक नाटक मंचित करने के लिए भी खबरों में रही हैं.
शादी के पांच साल बाद अपनी अलग पहचान बनाने का सपना उन्हें फैशन की जगमगाती दुनिया में फिर ले आया.
अपने परिवार की मदद और अपनी बचत से उन्होंने एक छोटी-सी और निर्णायक शुरुआत की. मशीन पुरानी थी, पर विचार नए थे. नए विचारों ने उड़ानें भरनी शुरू कर दीं और कीॢत की शोहरत फैलने लगी.
जल्दी ही उन्होंने कई अवॉर्ड जीते जिनमें ''राजस्थान की बेटी" होने के लिए कुरजां अवॉर्ड, फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में श्यंग एचीवर ऑफ द ईयर" का राष्ट्रीय अवॉर्ड, सुभाष घई की व्हिसलिंग वुड्स का ''यंग एचीवर ऑफ द ईयर", 21वां जय बेस्ट फैशन डिजाइनर फीमेल के लिए नेशनल अवॉर्ड 2013 जैसे कई पुरस्कार शामिल हैं.
वे खुद को सोशल एक्टिविस्ट कहती हैं जो अपने शो लोगों और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए करती हैं.
उनके कुछ शो एचआइवी पॉजिटिव, महिला सशक्तीकरण, सेव गर्ल चाइल्ड की थीम पर हैं. वे बताती हैं कि उन्होंने अमिताभ बच्चन (केबीसी के स्पेशल एपिसोड के लिए), केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, शाहरुख खान, सलमान खान, हिृतिक रोशन, अजय देवगन, अर्जुन कपूर, इमरान खान, महेश बाबू, आर. माधवन, रणदीप हुड्डा, विवेक ओबरॉय, श्रीदेवी कपूर, प्रीति जिंटा, करीना कपूर और अनुष्का शर्मा सरीखी हस्तियों के लिए परिधान और शैलियां डिजाइन की हैं. वे जयपुर, मुंबई और दिल्ली में अपने स्टोर चलाती हैं.
परिधि जयपुरिया
परिधि जयपुरिया ने फैशन की दुनिया में अपना सफर सिंगापुर के लसाले कॉलेज ऑफ आर्ट से फैशन डिजाइन ऐंड टेक्नोलॉजी में डिग्री हासिल करने के साथ शुरू किया. 2014 में वहां से लौटने के बाद जल्दी ही वे अपने पिता के निर्यात के कारोबार से जुड़ गईं.
लेकिन उन्हें लग गया कि दस्तकारी के कपड़े बनाने की पारंपरिक तकनीकें उन्हें खींचती हैं. देश के अगुआ फैशन आइकॉन में से एक तरुण तहिलियानी के साथ इंटर्नशिप ने उन्हें हिंदुस्तान की समृद्ध और सांस्कृतिक शिल्पकलाओं के समकालीन इस्तेमाल की संभावनाओं के भीतर झांकने का मौका दिया.
इस समृद्धकारी और सर्वांगीण तजुर्बे ने उन्हें अनोखे परिधानों की अपनी एक्सक्लूसिव लाइन शुरू करने की प्रेरणा दी.
ब्रान्ड परिधि जयपुरिया डिजाइनर की शैली पर जोर देता है. उनके डिजाइन अपनी एकतरफा साफ-सुथरी लकीरों, ध्यान से संजोई गई बारीकियों और ढीली-ढाली आकृतियों की वजह से अलग और खास दिखाई देते हैं. बतौर डिजाइनर परिधि मूर्त सौंदर्य के प्रति अपने झुकाव को स्वीकार करती हैं.
वे तटस्थ रंग पट्टिकाओं में कुदरती बनावटों और विन्यासों को उलझी हुई नक्काशी, कशीदाकारी और दूसरी गूढ़ तकनीकों के साथ जोड़ते हुए उनके साथ खेलती हैं. परिधि जयपुरिया आधुनिक सौंदर्यशास्त्र के साथ सांस्कृतिक ताजगी रचती हैं.
उनका लेबल उन महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखता है, जो रोजमर्रा के सामयिक कपड़े चाहती हैं जिन्हें पहनकर वे पूरे दिन काम पर भी जा सकें और आयोजनों में भी शरीक हो सकें. बुनाई उनके कलेक्शन की बुनियादी खूबियों में से एक है.
उनका कलेक्शन कपड़ों और उन्हें बनाने में लगी महीन पच्चीकारी के बीच रिश्ता बनाने पर जोर देता है. हाथ से बुने गए सूती और ऊनी कपड़े और उनके साथ कड़क सिल्क ओर्गैंजा, साटन, लिनेन और बुनावटों से लैस सूती कपड़े पर पेचीदा मोतियों का काम और ब्लॉक प्रिंटिंग की जाती है जिससे ऊपरी सजावट पर बहुआयामी छटा बिखरती-सी लगती है.
स्वाति विजयवर्गीय
सांस्कृतिक तौर पर मगरूर शहर जयपुर, राजस्थान की रहने वाली स्वाति विजयवर्गीय का लेबल भारतीय वस्त्र और परिधानों में रंगों, बनावटों और कशीदाकारियों के लिए जाना जाता है.
निफ्ट से ग्रेजुएशन के बाद स्वाति ने राघवेंद्र राठौड़ और कविता भारतीय सरीखे कुछ अगुआ डिजाइनरों के साथ काम किया.
फिर उन्होंने घरेलू कपड़ों और कालीन क्षेत्र में कदम रखा. फोरहेक्स (फेडरेशन ऑफ राजस्थान हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स) ने उन्हें बेस्ट विमेन आंत्रप्रेन्योर के अवॉर्ड से नवाजा है.
उन्हें भारतीय शिल्पकला और वस्त्रकला की समृद्ध धरोहर की छानबीन करने और हिंदुस्तान के ढेरों रंगरेज, प्रिंटर्स, बुनकरों और कशीदाकारों के साथ काम करने का मौका मिला.
परिधानों के प्रति अपनी चाहत की वजह से 2012 में उन्होंने महिलाओं की क्लोदिंग लाइन शुरू की.
उन्होंने लक्मे फैशन वीक में अपने कलेक्शन के साथ पदार्पण किया. बाद में स्वाति ने थ्रेड-रेजिस्ट शिबोरी पैटर्न में महारत हासिल कर ली. उनके डिजाइन किए गए कलेक्शन इंडिया मॉडर्न हैः साफ-सुथरे, क्लासिक, और कम से कम. इनमें नए नजरिए और अंतरराष्ट्रीय अपील के साथ पारंपरिक कपड़ों और तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है.
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