कुदरती रंगों से कामयाबी

नेचुरल डाइ के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय संस्था ''ग्लोबल ऑर्गेनिक टेक्सटाइल स्टैंडर्ड्स" से प्रमाणपत्र पाने वाली आमा हर्बल देश की इकलौती कंपनी है. आमा हर्बल की लैब भी भारत सरकार के विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय से प्रमाणित है

यावर अली शाह  सीईओ,  मसूद जैदी सीएमडी, आमा हर्बल लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड
यावर अली शाह सीईओ, मसूद जैदी सीएमडी, आमा हर्बल लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड

लखनऊ के राजाजीपुरम इलाके में तालकटोरा रोड पर हल्के हरे रंग की एक बिल्डिंग में बनने वाले प्राकृतिक रंगों ने देश और विदेश में धूम मचा रखी है. यह कालीन से लेकर सूती कपड़ों, बालों के लिए नेचुरल डाइ बनाने वाली देश की एकमात्र कंपनी ''आमा हर्बल लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड" का दफ्तर है. फर्स्ट फ्लोर पर कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी यावर अली शाह बैठते हैं जो नेचुरल डाइ के मानक तय करने के लिए तीन दर्जन देशों के प्रतिनिधित्व वाले अंतराष्ट्रीय समूह के टीम लीडर भी हैं. तालकटोरा रोड की यह बिल्डिंग शाह के उन प्रयोगों की गवाह भी है जिसकी वजह से नेचुरल डाइ के क्षेत्र में आमा हर्बल बाजार में अग्रणी बनी हुई है.

इस धंधे में शाह का उतरना महज संयोग था. 1993 में अकोला इंजीनियरिंग कॉलेज से प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद उन्होंने किर्लोस्कर कंपनी में नौकरी शुरू की. 1994 में इत्तेफाक से वे दिल्ली के ओखला में अपने एक दोस्त के साथ एक सेमिनार में जा पहुंचे. वहां उन्हें केमिकल डाइ पर मंडरा रहे प्रतिबंध के खतरों और भविष्य में नेचुरल डाइ की मांग बढऩे के बारे में पता चला. सेमिनार खत्म होने तक शाह ने नेचुरल डाइ का बिजनेस शुरू करने का मन बना लिया था.

वे नौकरी छोड़ लखनऊ पहुंचे और आमा मेडिकल्स के नाम से फार्मेसी का धंधा कर रहे अपने बहनोई मसूद जैदी के साथ मिलकर आठ लाख रु. की लागत से नेचुरल डाइ बनाने का कारखाना खोला. शुरू में अनार के छिलके, हरड़, नील, कत्था, टेसू के फूल, रतनजोत जैसे पौधों का रस निकाल कर डाइ बनाई गई. नवंबर, 1995 में मुंबई में आयोजित ''कोलोरमा" नाम की प्रदर्शनी में शाह ने अपनी कंपनी की नेचुरल डाइ पेश की.

वहां विदेशों की प्रतिष्ठित कंपनियों की जांच में उनकी डाइ के नमूने फेल हो गए. शाह के लिए यह झटका था. वे बताते हैं, ''नब्बे के दशक में दुनिया में नेचुरल डाइ के लिए कोई मानकीकरण मौजूद नहीं था. डेढ़ साल तक मैंने कंपनी की प्रयोगशाला में शोध किया. नेचुरल डाइ के लिए तापमान, पीएच वैल्यू, सघनता जैसे मानकों को समझा और नए सिरे से डाइ बनाई."

2007 में भदोही में दरी निर्माता भोलानाथ इंडस्ट्रीज को नेचुरल डाइ से रंगी दरी बनाने का एक बड़ा ऑर्डर मिला. वेबसाइट के जरिए उसका आमा हर्बल से संपर्क हुआ. पर सफलता यहां भी दूर रही. दरी के धुलते ही नेचुरल डाइ उतरने लगी. खैर, कुछ और शोध के बाद शाह पानी में न धुलने वाली डाइ बनाने में कामयाब हुए.

शाह ने डाइ बनाने की मशीनों में भी प्रयोग किए. बनाते वक्त इसे सुखाने के लिए खास स्प्रे ड्रायर का प्रयोग होता था, जिसकी कीमत करीब 35 लाख रु. थी. शाह की माली हालत इसकी इजाजत न देती थी. उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई काम आई. उन्होंने एक बड़ी कड़ाही के नीचे वाटर बेड लगाकर ऐसी तकनीक निकाली, जिसमें कम तापमान पर डाइ सूख जाती थी और गुणवत्ता भी अव्वल थी. यह मशीन बनाने में महज 22,000 रु. लगे.

एक बड़ा मौका 2002 में आया. सूती कपड़ों का निर्यात करने वाली अहमदाबाद की अरविंद मिल्स ने नेचुरल डाइ के लिए आमा हर्बल से समझौता किया. इससे पहले वे अमेरिका की सबा बॉटेनिकल कंपनी के लिए नेचुरल हेयर डाइ बनाने का समझौता कर चुके थे. उन्होंने लश्चरस हिना नाम से हेयर डाइ बनाई पर अमेरिका में इसके सैंपल फेल हो गए. शाह ने यह डाइ मॉडरेट थ्योरी पर तैयार की थी, जिसमें बालों में दो तरह की डाइ का प्रयोग होता था और समय अधिक लगता था. तब तक भारत में बनने वाली सभी नेचुरल हेयर डाइ का मुख्य तत्व मेहंदी या हिना होता था. शाह ने नील को आधार बनाकर उसमें हिना मिलाई और अलग-अलग रंग के लिए इसमें कत्था, कॉफी जैसे प्राकृतिक तत्व मिलाए. औषधीय गुण के लिए भृंगराज, ब्राह्मी, आंवला भी मिलाया गया.

उनकी कंपनी ने 2004 में काले, काले भूरे, भूरे, बरगंडी जैसे रंगों वाली देश की पहली नेचुरल हेयर डाइ तैयार की. फ्रांसीसी शब्द वेजेटल पर उसका नाम रखा गया. यह 2006 में दुबई में लॉन्च हुआ. आज वेजेटल दुबई में हेयर डाइ के क्षेत्र में जाना- पहचाना नाम है. जनवरी 2010 में त्वचा रोगों के डॉक्टरों के संगठन डर्मेटोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की बैठक लखनऊ में हुई. वहीं डॉक्टरों के बीच त्वचा संबंधी प्रोडक्ट के रूप में वेजेटल हेयर डाइ को लॉन्च किया गया. यह देश की पहली नेचुरल हेयर डाइ है जो बगैर अमोनिया और पैराफिनाइल डायनामाइन (पीपीडी) के तैयार हुई है.

मसूद जैदी बताते हैं, ''सभी केमिकल हेयर डाइ में अमोनिया के साथ पीपीडी पाया जाता है, जो स्किन एलर्जी का सबसे बड़ा कारक है." इस डाइ को सीधे न बेच कर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्ज के जरिए डॉक्टरों तक पहुंचाया गया. आज हर महीने वेजेटल हेयर डाइ के 25,000 से ज्यादा पैकेट बिक रहे हैं. इस साल ''सेफ कलर" के नाम से हेयर डाइ को रिटेल सेक्टर में भी लॉन्च किया गया. अब आमा हर्बल कॉस्मेटिक्स के क्षेत्र में भी उतर चुका है.

नेचुरल डाइ की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यावर अली अपनी कंपनी की प्रयोगशाला को लगातार हाइटेक करते जा रहे हैं. अपने उत्पाद को मांग के अनुरूप ढाल कर आमा हर्बल देश में नेचुरल डाइ बनाने वाली एकलौती कंपनी बन गई है.

—आशीष मिश्र

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