कल्पना अब होने को साकार
अयोध्या के नवनिर्मित मंदिर में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां शुरू. देश भर के पवित्र जलस्रोतों के जल से होगा श्रीराम का जलाभिषेक. देश-विदेश से आएंगे मेहमान

जनवरी 2024 में सूर्य के उत्तरायण में आने के बाद हिंदुओं की आस्था का चर्चित प्रतीक राम मंदिर अपने भव्य रूप में अस्तित्व में आ जाएगा. तब नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. इसके बाद चारों ओर बन रहे दो मंजिला परकोटे की ऊपरी सतह से श्रद्धालु राम मंदिर परिसर में प्रवेश करेंगे. मुख्य मंदिर के लिए 33 सीढिय़ां चढ़नी पड़ेंगी. इसके बाद श्रद्धालु सिंह द्वार के सामने होंगे. सिंह द्वार की ड्योढ़ी पार करने के बाद मंदिर में प्रवेश होगा. यह मंदिर का मुख्य भवन 'नृत्यमंडप' है जो बनकर पूरी तरह तैयार है. इसके ऊपर आमलक यानी शिखर के शीर्ष पर कलश के नीचे के भाग का निर्माण शुरू हो चुका है. यहां से श्रद्धालु 'रंगमंडप' में प्रवेश करेंगे. इसके ऊपर के आमलक को प्रथम तल पूरा होने पर बनाया जाएगा. इसके आगे 'गूढ़ी मंडप' है, जिसका आमलक दूसरे तल का निर्माण पूरा होने के बाद तैयार किया जाएगा.
'गूढ़ी मंडप' के दाईं और बाईं ओर 'प्रार्थना मंडप' बनाया गया है. यहीं से श्रद्धालु करीब 35 फुट की दूरी पर गर्भगृह में विराजमान रामलला के दर्शन करेंगे. 'प्रार्थना मंडप' के बाद एक चौड़ा गलियारा श्रद्धालुओं की परिक्रमा के लिए बनाया गया है. गर्भगृह का निर्माण पूरा हो चुका है जबकि दूसरे मंडपों में फर्श और स्तंभों पर आकृतियां उकेरने के काम में कारीगर लगे हुए हैं. इस तरह अयोध्या में राम मंदिर के भूतल का 70 फीसद काम पूरा हो चुका है. 500 कारीगर दिन-रात राम मंदिर निर्माण के पहले चरण को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. दिसंबर तक मंदिर का भूतल पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा.
जून में निर्माणाधीन भवन के भूतल की छत पड़ते ही राम मंदिर निर्माण का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया. इसी के साथ राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़ी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआत जून के दूसरे हफ्ते में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित होने का न्योता भेजने के साथ हुई. अगले वर्ष 15 जनवरी, 2024 को मकर संक्रांति से 25 जनवरी के बीच चार शुभ मुहूर्त पड़ रहे हैं. मकर संक्रांति के अलावा 21, 22 और 25 जनवरी की तिथि को भी शुभ माना गया है. ट्रस्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए निवेदन पत्र में 15 से 25 जनवरी के बीच किसी एक तिथि पर प्रधानमंत्री का समय मांगा है. ट्रस्ट से जुड़े एक पदाधिकारी बताते हैं, ''22 जनवरी को शाकंभरी नवरात्र का अंतिम दिन है और आनंद योग भी है. इसलिए यह दिन प्राण-प्रतिष्ठा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना जा रहा है.''
अयोध्या में राम मंदिर के लोकार्पण समारोह की तिथि को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने अभी तक कोई निर्णय नहीं किया है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियों को गति दे दी है. रामलला की मूर्ति भले ही जनवरी में प्रतिष्ठित हो लेकिन उत्सव, उल्लास, उमंग के समारोह की प्राण प्रतिष्ठा 11 नवंबर को अयोध्या में दीपोत्सव से हो जाएगी. 15 जून को अयोध्या पहुंचे मुख्यमंत्री ने इस बार दीपोत्सव में रिकॉर्ड 21 लाख दीप जलाने का आह्वान किया. रामलला के अपने मंदिर में विराजमान होने से पहले यह अंतिम दीपोत्सव होगा. यानी रामलला का 'वनवास' समाप्त होगा. यही वजह है कि योगी सरकार इस वर्ष दीपोत्सव के सातवें संस्करण को मेगा इवेंट बनाने में जुट गई है. मुख्यमंत्री ने अयोध्या के हर घर में दीप प्रज्वलन के साथ राम की पैड़ी, नया घाट, सभी मठ-मंदिर, सूरज कुंड, भरत कुंड समेत सभी घाटों पर दीप जलाने की तैयारियां शुरू करने का निर्देश दिया है.
प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव को भव्य बनाने की कमान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने खुद संभाल रखी है. राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बताते हैं, ''रामलला की स्थापना के समय देशव्यापी उत्सव किसी सड़क पर नहीं चलेगा, बल्कि यह उत्सव क्षेत्रीय मंदिरों को केंद्र बनाकर मनाया जाएगा.'' प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तारीख से सात दिन पहले ही देश के पांच लाख मठ-मंदिरों में विभिन्न आयोजन शुरू हो जाएंगे. देश के पांच लाख गांव इसके लिए चिह्नित किए जा रहे हैं. जिले से गांव स्तर तक विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं की टोलियों का गठन किया जा रहा है. ये अपने इलाकों में प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े विभिन्न अनुष्ठानों को संपन्न कराएंगी. परिषद से जुड़े एक पदाधिकारी यह भी बताते हैं, ''महोत्सव में देश की समस्त 135 परंपराओं के धर्मगुरुओं को आमंत्रित करने की योजना तैयार की जा रही है. मंदिर आंदोलन से जुड़े अहम किरदार भी समारोह का हिस्सा होंगे. देश के प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रमुखों को आमंत्रित करने के साथ-साथ अमेरिका, वियतनाम, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, नेपाल, श्रीलंका, त्रिनिडाड टोबैगो समेत कई देशों के मेहमानों को भी आमंत्रित किया जाएगा.''
विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर का पूरे देश से सीधा जुड़ाव स्थापित करने के लिए देश की सभी नदियों और जलस्रोतों के जल से रामलला का जलाभिषेक करने की योजना भी तैयार की है. इसके लिए बद्रीधाम स्थित नारद कुंड, स्वर्ण मंदिर अमृतसर के सरोवर समेत सभी पवित्र सरोवरों और कुओं से जल इकट्ठा किया जाएगा. योजना के मुताबिक, हरेक जल स्रोत से 200 मिलीलीटर जल तांबे के बर्तन में धार्मिक अनुष्ठान के बाद रखकर अयोध्या भेजा जाएगा. यहां एक टैंक में इस जल को एकत्र किया जाएगा, जिससे रामलला का अभिषेक होगा. श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी हर 15 दिन पर बैठकें कर प्राण- प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं. रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद देश भर से श्रद्धालुओं को अयोध्या पहुंचाने की रणनीति पर भी काम चल रहा है. विश्व हिंदू परिष की जून में रायपुर में हुई केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक में तय हुआ है कि हर राज्य से श्रद्धालुओं को अयोध्या पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेन चलवाने की मांग सरकार से की जाए.
गोरखपुर की गोरक्षपीठ में भी संतों की ओर से विशेष अनुष्ठान की रूपरेखा तैयार की जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु और गोरक्षपीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने 1984 में देश के सभी पंथों के धर्माचार्यों को एक मंच पर लाकर श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया था. महंत अवैद्यनाथ इस समिति के आजीवन अध्यक्ष चुने गए थे. महंत के नेतृत्व में ही 7 अक्तूबर, 1984 को अयोध्या से लखनऊ के लिए धर्मयात्रा निकाली गई थी. फिर 22 सितंबर, 1989 को अवैद्यनाथ की अध्यक्षता में दिल्ली में विराट हिंदू सम्मेलन हुआ, जिसमें 9 नवंबर, 1989 को अयोध्या में जन्मभूमि पर शिलान्यास कार्यक्रम घोषित किया गया था. इसके बाद से गोरखपुर का गोरखनाथ मंदिर रामजन्मभूमि आंदोलन का प्रमुख केंद्र बन गया था. 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए शुरू हुई कारसेवा का नेतृत्व करने वालों में अवैद्यनाथ प्रमुख थे. वहीं गोरक्षपीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने मार्च, 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक तीन दर्जन से अधिक बार अयोध्या का दौरा किया है. अक्तूबर, 2017 में योगी आदित्यनाथ ने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया था. योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते छह वर्षों के दौरान अयोध्या में 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की विकास योजनाएं शुरू की है.
जिस गति से राम मंदिर के प्रथम चरण का निर्माण पूर्णता की ओर बढ़ रहा है उसी गति से दर्शनार्थी भी अयोध्या की ओर उन्मुख हो रहे हैं. पिछले तीन माह से रामलला का दर्शन-पूजन करने वालों की संख्या में तेज बढ़ोतरी हुई है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल कुमार मिश्र बताते हैं, ''रोजाना औसतन 20,000 भक्त रामलला के दर्शन कर रहे हैं. राम मंदिर में रामलला के विराजमान होने के बाद यह संख्या 50,000 से एक लाख तक होने की उम्मीद है.''
श्रद्धालुओं को राम मंदिर तक पहुंचने का मार्ग सुगम करने के लिए योगी सरकार अयोध्या में पांच तरह की सड़कों का निर्माण करा रही है. अयोध्या में सआदतगंज से नयाघाट तक करीब 13 किलोमीटर लंबा रामपथ बनाया जा रहा है. रामपथ को हनुमान गढ़ी होते हुए राम जन्मभूमि से जोड़ने के लिए 700 मीटर लंबे भक्तिपथ के साथ 10 किलोमीटर लंबा पंचकोसी मार्ग और 23 किलोमीटर लंबा चौदह कोसी मार्ग श्रद्धालुओं के दर्शन को आसान करेंगे. करीब 3,000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से अयोध्या शहर में चल रहे विकास कार्यों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर हाल में नवंबर माह तक पूरा करने का लक्ष्य अधिकारियों को दिया है.
अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ यहां की सुरक्षा व्यवस्था में भी कई सारे बदलाव देखने को मिलेंगे. वर्तमान में राम जन्मभूमि की सुरक्षा में सीआरपीएफ, पुलिस और पीएएसी तैनात हैं. गर्भगृह की सुरक्षा सीआरपीएफ के हवाले है. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) ने पिछले वर्ष रामजन्म भूमि परिसर का सिक्युरिटी ऑडिट किया था. इसके बाद से ही ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि भविष्य में राम मंदिर की सुरक्षा सीआइएसएफ को सौंपी जा सकती है. 5 जुलाई को महानिदेशक सीआइएसएफ शीलवर्धन सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर का निरीक्षण किया था जिसके बाद से यहां की सुरक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव का आधार तैयार हो गया है. सीआइएसएफ ने राम मंदिर की सुरक्षा का आधुनिक तकनीक युक्त त्रिस्तरीय प्लान तैयार किया है जिसमें ऐंटी ड्रोन तकनीक भी शामिल है.
ऐसा लगने लगा है कि गर्भगृह में रामलला की स्थापना के साथ अयोध्या नगरी आस्था के साथ विकास के नए प्रतिमान भी गढ़ेगी.''
पूरा होगा 2025 तक
î134 साल चली कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अपने निर्णय में अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हुए पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंपी
îसुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने 5 फरवरी, 2020 को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया. महंत नृत्य गोपाल दास ट्रस्ट के पहले अध्यक्ष हैं. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय हैं. ट्रस्ट में स्थायी सदस्यों की संख्या 10 है
îकेंद्र सरकार ने 7 जनवरी, 1993 को अयोध्या में राम जन्मभूमि मूल परिसर (2.77 एकड़) के अलावा आसपास की 67 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी. केंद्र सरकार ने इसे भी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया
îटेंट में रखे रामलला को 25 मार्च, 2020 को निर्माणाधीन रामजन्म भूमि परिसर में बने अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया. पूरबमुखी अस्थाई मंदिर की लंबाई 24 फुट, चौड़ाई 17 फुट और ऊंचाई 19 फुट है. इसके ऊपर 35 इंच का शिखर है
îप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. राम जन्मभूमि परिसर 70 एकड़ में फैला होगा. राम मंदिर का निर्माण 5 एकड़ में किया जा रहा है
î15 मार्च, 2021 को मंदिर निर्माण के लिए नींव भरने का कार्य शुरू हुआ. मंदिर का भूतल 70 प्रतिशत बन चुका है जो दिसंबर में पूरी तरह निर्मित हो जाएगा. दिसंबर, 2024 तक मंदिर के प्रथम तल का काम पूरा होगा. वर्ष 2025 तक पूरा मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा
तकनीक और कला का अद्भुत मेल होगा यह मंदिर
îनिर्माणाधीन राम मंदिर अपने अंतिम स्वरूप में 360 फुट लंबा, 235 फुट चौड़ा और 161 फुट ऊंचा होगा. मंदिर तीन तल का होगा. भूतल में 160, प्रथम तल में 132 और द्वितीय तल 74 स्तंभ लगेंगे. मंदिर में एक शिखर समेत पांच उपशिखर और इतने ही मंडप होंगे
îयह मंदिर भगवान विष्णु के अन्य मंदिरों की तरह नागर शैली में बन रहा है. भूतल पर मौजूद गर्भगृह अष्टकोणीय आकार का है जिसकी परिक्रमा गोलाकार है. यहीं रामलला की प्राणप्रतिष्ठा होगी. राम मंदिर में एक दिन में एक लाख श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे
îमंदिर में गर्भगृह पर एक शिखर और पांच मंडप (सामने की ओर गूढ़ मंडप, नृत्य मंडप और रंग मंडप जबकि किनारे की ओर प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप) होंगे. मंदिर में शिखर या विमान, गर्भगृह, परिक्रमा या प्रदक्षिणा, आमलक और अधिष्ठान समेत कुल 17 हिस्से होंगे
î70 फुट गहरी पत्थरों की चट्टान पर मंदिर आकार ले रहा है. मंदिर 8.0 रिक्टर पैमाने की तीव्रता वाले भूकंप को सहने में समर्थ होगा. नींव में प्रयुक्त हुए कर्नाटक ग्रेनाइट पत्थर पानी के बहाव को झेलने की क्षमता रखते हैं
îमुख्य मंदिर के निर्माण में राजस्थान के भरतपुर के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है. फर्श पर मकराना का संगमरमर लगेगा. पूरे मंदिर में कुल 3.25 लाख क्यूबिक फुट पत्थर का इस्तेमाल होगा. निर्माण में किसी भी स्तर पर लोहे का प्रयोग नहीं होगा
îरामनगरी में अलग-अलग स्थानों पर मंदिर में स्थापित किए जाने के लिए तीन कारीगर रामलला की तीन मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं. इनमें से श्रेष्ठतम मूर्ति का चयन कर उसे गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. बाकी दोनों मूर्तियां भी परिसर में स्थापित होंगी
îराम मंदिर में लगने वाले कुल 42 दरवाजों के निर्माण में कुल 1,000 घन फुट सागौन की लकड़ी लगेगी. यह लकड़ी महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर के जंगलों से लाई जा रही है. सबसे पहले गर्भगृह का दरवाजा तैयार होगा
îराम मंदिर के 166 स्तंभों और दीवारों पर कुल 36,000 देवी-देवताओं की मूर्तियों का चित्रण किया जाएगा. मंदिर में भगवान राम के जीवन से जुड़े पात्रों की भी मूर्तियां स्थापित होंगी. इनमें वाल्मीकि, शबरी, अहिल्या, निषादराज मुख्य हैं
îराम मंदिर परिसर में 2,100 किलो वजन का, छह फुट ऊंचा और पांच फुट चौड़ा एक विशाल घंटा लगाया जाएगा. इसके अलावा 500, 250 और 100 किलो वजन वाले 10 छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे. ये सभी घंटे एटा के जलेसर से बनकर आएंगे
îमंदिर के गर्भगृह का खगोलीय आधार पर ऐसा निर्माण किया जा रहा है कि हर रामनवमी पर सूर्य की किरणें रामलला के मुख मंडल का अभिषेक करेंगी. मंदिर परिसर में आइकोनोग्राफी तकनीक से राम के जीवन से जुड़ी कलाकृतियों का दीवारों पर प्रदर्शन किया जाएगा
îराम मंदिर निर्माण पर अब तक करीब 600 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. जबकि संपूर्ण मंदिर निर्माण पर करीब 1,800 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले चले निधि समर्पण अभियान में ट्रस्ट को 3,300 करोड़ रुपए मिले थे
''अयोध्या में दीपोत्सव से ही भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी शुरू होगी. अगले वर्ष जनवरी में वह गौरवमय क्षण आएगा जब पांच सौ वर्ष बाद भगवान राम अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे''
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश