शुभाशीष मिश्र को कहां से मिला सैफ्लोनिक्स हाइड्रॉलिक्स कंपनी शुरू करने का आईडिया?

शुभाशीष ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर जमी-जमाई नौकरियां छोड़कर हाइड्रॉलिक पंपों की मरम्मत करने वाली कंपनी शुरू की. इससे पूर्वी भारत में खनन और निर्माण के कामों में काफी पैसा बचा.

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अपनी डिजाइन की हुई टेस्ट बेंच के साथ (बाएं से क्रमश:) मोहंती, मिश्र और सिंह

तीन पुराने दोस्तों शुभाशीष मिश्र, अमूल्य कुमार मोहंती और पंकज कुमार सिंह ने नवंबर 2022 में अपना उद्यम चलाने की अनिश्तितता पर अपनी अच्छी-खासी नौकरियां कुर्बान कर देने का फैसला किया. हाइड्रॉलिक पंपों की महारत रखने वाली कंपनी बॉश रेक्सरोथ में करीब दो दशक तक काम करने के बाद उन्होंने भविष्य निधि की बचत का पैसा निकाला और उसे मिलाकर अपना उद्यम शुरू किया.

तीन महीने बाद भुवनेश्वर में उनकी कंपनी सैफ्लोनिक्स हाइड्रॉलिक्स के दरवाजे खुल चुके थे. फर्म एक जगह हाइड्रॉलिक पंपों की मरम्मत और सर्विसिंग से जुड़े तमाम उपायों की पेशकश करती है. इस किस्म के पंप खनन, कंस्ट्रक्शन और भारी मशीनों से जुड़े उद्योगों में इस्तेमाल किए जाते हैं. फर्म के डायरेक्टर्स में से एक मिश्र कहते हैं, ''दो साल से भी कम वक्त में हमने देश भर में 70 से ज्यादा ग्राहकों का एक आधार तैयार कर लिया, जिसमें 40-50 फीसद पूर्वी भारत में हैं. इंडोनेशिया में एक अंतरराष्ट्रीय ग्राहक भी है.’’

सैफ्लोनिक्स को जो बात दूसरों से अलग करती है, वह एक उपकरण है जो पूर्वी भारत में किसी भी दूसरे हाइड्रॉलिक पंप सर्विस सेंटर के पास नहीं है—स्वदेश में ही डिजाइन टेस्ट बेंच. यह टेस्ट बेंच पूरी तरह तीनों संस्थापकों ने बनाई है और 132 केवी और 3,000 आरपीएम की इलेक्ट्रिक मोटर से चलती है. यह खनन या कंस्ट्रक्शन साइट्स पर इस्तेमाल होने वाली मशीनों के बहुत छोटे संस्करण की तरह काम करती है.

दूसरे डायरेक्टर मोहंती बताते हैं, ''इस नवाचार की बदौलत सर्विस सेंटर पर सर्विसिंग के फौरन बाद पंप की जांच की जा सकती है.’’ दूसरे ज्यादातर मामलों में होता यह है कि ग्राहकों को पंप वापस साइट पर ले जाना और स्थापित करना पड़ता है, तभी उन्हें पता चल पाता है कि मरम्मत कामयाब रही या नहीं, या कहीं उन्हें पंप को दोबारा सर्विस सेंटर तो नहीं ले जाना पड़ेगा.

टेस्ट बेंच इस महंगे और समय-खपाऊ चक्र को सिरे से खत्म कर देती है. यही नहीं, जहां ऐसी ही क्षमता वाली आयातित मशीनों की कीमत करोड़ों में है, फर्म के संस्थापकों ने अपना यह संस्करण महज 65-70 लाख रुपए में बना लिया. इस बचत का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है, जिससे सर्विस और किफायती हो जाती है और गुणवत्ता से समझौता भी नहीं करना पड़ता.

आम तौर पर 10,000 घंटे काम करने के बाद पंप की सर्विसिंग करवानी पड़ती है और इसको देखते हुए मांग लगातार बनी रहती है. तीसरे डायरेक्टर सिंह कहते हैं, ''पंप की मरम्मत के अलावा कंपनी हाइड्रॉलिक मशीनरी के इंजीनियरिंग समाधान भी मुहैया करती है और जर्मनी की मान फिल्टर्स की डिस्ट्रिब्यूटर भी है.’’

वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी का टर्नओवर करीब 2 करोड़ रुपए था, जो जरा भी कर्ज लिए बिना थोड़ी पूंजी से शुरू उद्यम के लिए प्रभावशाली आंकड़ा है. मगर मिश्र, मोहंती और सिंह के लिए सैफ्लोनिक्स कारोबार से कहीं ज्यादा है. यह इस बात का सबूत है कि उद्योग के अनुभव, तकनीकी नवाचार के हुनर और निजी तौर पर जोखिम उठाने की क्षमता का जोड़ बड़े सप्लायरों के दबदबे वाले क्षेत्र में भी अपनी अलग और खास जगह बना सकता है. 

दो साल में हमने देश भर में 70 से ज्यादा ग्राहकों का आधार बनाया, जिनमें से 40-50 फीसद पूर्वी भारत में हैं और इंडोनेशिया में एक अंतरराष्ट्रीय ग्राहक भी है.

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