''फ्यूल कंट्रोल स्विच' कैसे बंद हुए; एयर इंडिया विमान हादसे को लेकर क्या-क्या सवाल उठ रहे हैं?

एयर इंडिया विमान हादसे की आरंभिक जांच रिपोर्ट से जितने जवाब नहीं मिले, उससे कहीं ज्यादा सवाल खड़े हो गए हैं.

अहमदाबाद में एयर इंडिया 171 विमान का मलबा

जिस रिपोर्ट से भारत के सबसे भीषण विमान हादसों में से एक की वजह का खुलासा होना था, उसने गफलत और बढ़ा दी. लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान 12 जून को अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें 260 लोग मारे गए. इसकी आरंभिक रिपोर्ट 11 जुलाई को आधी रात के बाद सार्वजनिक कर दी गई.

मगर मामले को सुलझाने और उसका पटाक्षेप करने के बजाए विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआइबी) की 15 पेज की इस रिपोर्ट ने विशेषज्ञों और आम जनता को नई अनिश्चितताओं से जूझता छोड़ दिया. क्या यह पायलट की गलती थी? प्रणालीगत नाकामी? या, ज्यादा चिंताजनक, जानी-बूझी करतूत?

बाद के घटनाक्रम से रहस्य और गहरा गया. रिपोर्ट 787-8 ड्रीमलाइनर के निर्माता बोइंग और इंजन बनाने वाली कंपनी जीई एयरोस्पेस को दोषमुक्त करती दिखती है, यह कहकर कि किसी सुरक्षा सलाह की दरकार नहीं थी. मगर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 15 जुलाई को रुख बदल लिया. नियामक ने 787 और 737 सीरीज समेत बोइंग के कुछ निश्चित विमान उड़ाने वाले भारतीय ऑपरेटरों को निर्देश दिया कि तत्काल और जरूरी तौर पर अपने सभी फ्यूल कंट्रोल यानी ईंधन नियंत्रण स्विचों का निरीक्षण करें.

यह अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) की छह साल पहले जारी 'एडवाइजरी' या सलाह के अनुरूप था. डीजीसीए के मुताबिक, कई अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएं पहले ही ये जांच कर रही थीं. भारतीय ऑपरेटरों से कहा गया है कि वे ''विमानों के लगातार संचालन की उड़ान योग्यता और सुरक्षा पुख्ता करने के लिए'' एक हफ्ते के भीतर अपने बेड़े का निरीक्षण करें. डीजीसीए प्रमुख फैज अहमद किदवई को इंडिया टुडे ने कई बार फोन किया पर कोई जवाब नहीं मिला.

फ्यूल कंट्रोल स्विच बेहद अहम हिस्सा होते हैं जिनका प्रयोग इंजन की ओर ईंधन का प्रवाह संभालने के लिए किया जाता है. एएआइबी की रिपोर्ट में पाया गया कि टेकऑफ के कुछ ही पल बाद इंजन उस वक्त बंद हो गए जब फ्यूल कंट्रोल स्विचों को ''एक सेकंड के समय के अंतराल पर एक के बाद एक'' 'रन' से हटाकर 'कटऑफ' की स्थिति में कर दिया गया. एक पायलट ने उन्हें फिर चालू करने की कोशिश की, लेकिन विमान तब तक काफी नीचे आ चुका था और नीचे इमारतों पर जा गिरा.

दिसंबर 2018 में एफएए के स्पेशल एयरवर्दीनेस इन्फॉर्मेशन बुलेटिन में आगाह किया गया था कि बोइंग विमानों में अगर ये स्विच लॉकिंग सुविधा से अलग करके लगाए गए हैं, तो ये अनजाने में हिल सकते हैं, जिससे 'उड़ान के वक्त इंजन बंद' हो सकता है. एयर इंडिया ने जांचकर्ताओं के समक्ष माना कि उस विमान के स्विचों का उसने कभी निरीक्षण नहीं किया. जहां तक एफएए की एजवाइजरी की बात है, इसका स्वरूप उसने अनिवार्य नहीं होने का हवाला दिया.

पाइलट या कंप्यूटर?
तो बड़ा सवाल यह है: फ्यूल स्विच की स्थिति किसने और क्यों बदली? कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (सीवीआर) में दर्ज बातचीत को भिन्न शब्दों में बयान करते हुए रिपोर्ट कहती है: ''एक पाइलट दूसरे से यह पूछता सुनाई दिया कि उसने कटऑफ (स्विच बंद) क्यों किया. दूसरे पायलट ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया.'' रिपोर्ट अलबत्ता यह नहीं बताती कि किसने कौन-सी बात कही.

चूंकि ये स्विच इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि इन्हें संचालन से पहले हाथ से अनलॉक करना होता है, कुछ विमानन विशेषज्ञों को यह असंभव और अकल्पनीय लगता है कि कोई पाइलट दोनों स्विच एक सेकंड के भीतर गलती से बदल सकता है—इससे तकनीकी गड़बड़ी का संकेत मिलता है. एयरलाइन पाइलट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सैम थॉमस रिपोर्ट को क्रू या विमान चालक दल के खिलाफ 'पक्षपातपूर्ण' बताते हैं. उनका कहना है कि सचाई सिर्फ तभी सामने आएगी जब सीवीआर में दर्ज बातचीत का पूरा लिखित ब्योरा सार्वजनिक किया जाएगा, न कि भिन्न शब्दों में उसके अंश मात्र.

दूसरे लोग ड्रीमलाइनर में लगी प्रणालियों की एक दूसरे पर असर डालने वाली पेचीदा कार्यप्रणाली की तरफ इशारा करते हैं. इससे ऐसी संभावित खामियां सामने आती हैं जिनके लिए मानवीय त्रुटि की जरूरत नहीं. एफएए के मार्फत जारी जीई के 2020-21 के बुलेटिन में आगाह किया गया था कि कुछ जीईएनएक्स-2बी इंजनों में माइक्रोप्रोसेसर के नीचे लगी बहुत छोटी-छोटी सोल्डर बॉल समय के साथ चटक सकती हैं.

बुलेटिन में कहा गया कि इलेक्ट्रॉनिक इंजन कंट्रोल (ईईसी) में इस टूट-फूट या गिरावट की वजह से उड़ान के ऐन बीच में 'थ्रस्ट कंट्रोल नष्ट' हो सकता है. आलोचक बोइंग 787 के कंप्यूटर की वजह से थ्रस्ट में कमी से जुड़े ऐतिहासिक मसलों का हवाला देते हैं, और उस थ्रस्ट कंट्रोल मालफंक्शन एकोमोडेशन सिस्टम की नाकामी की तरफ इशारा करते हैं, जो ईईसी से तालमेल बनाकर काम करती है, ताकि यह फर्क समझने में मदद कर सके कि विमान हवा में है या जमीन पर.

फिर इरादतन की गई मानवीय करतूत का संदेह जताने वाले लोग भी हैं. अमेरिका में रहने वाले कमर्शियल पाइलट और विमानन टिप्पणीकार स्टीव शाइब्नर सवाल करते हैं कि आखिर क्या वजह हो सकती है कि एक पाइलट दोनों फ्यूल सप्लाइ को हाथ से बंद कर दे और फिर इससे इनकार करे. वे एएआइबी की जांच टीम में एक 'विमानन मनोवैज्ञानिक' को शामिल करने की ओर इशारा करते हैं, जो इस बात का संभावित संकेत है कि मानसिक सेहत को एक वजह के तौर पर देखा जा रहा है. उनके सरीखे लोगों के लिए यह घटना 2015 में जर्मनविंग्ज की फ्लाइट 9525 के हादसे की याद दिलाती है, जिसमें ''आत्महत्या की प्रवृत्तियों'' का इलाज करवा चुके एक सह-पाइलट ने एयरबस ए320 को फ्रांस की आल्प्स पवर्तमालाओं से जान-बूझकर टकरा दिया था, जिससे 150 लोग मारे गए थे.

हस्तक्षेप या त्रुटि?

मगर एक और थ्योरी भी है कि स्विचों की स्थिति हाथ से इसलिए बदली गई क्योंकि इंजन पहले ही फेल हो चुके थे, न कि स्विच बदलने से इंजन फेल हुए. विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन हादसे को मानवीय त्रुटि के बजाए 'मानवीय हस्तक्षेप' बताते हैं. उनका कयास है कि पाइलट दोनों इंजन फेल होने पर बोइंग की मानक प्रक्रिया का पालन कर रहे हो सकते हैं: दोनों फ्यूल लीवर को 'कटऑफ' पर बदलो, फिर एक सेकंड के भीतर वापस 'रन' पर ले आओ. रंगनाथन के मुताबिक, आरंभिक रिपोर्ट में उपलब्ध उड़ान के डेटा लॉग से संकेत मिलता है कि क्रू इसी क्रम से यह करने की कोशिश कर रहा था.

वे यह भी कहते हैं, ''अगला कदम रैम एयर टर्बाइन (आरएटी) स्विच को एक सेकंड तक दबाए रखकर आरएटी को खोलना था.'' (इंजन के पूरी तरह फेल होने की स्थिति में आरएटी विमान को आपातकालीन शक्ति प्रदान करता है.) हालांकि वे शायद आखिरी जरूरत—270 समुद्री मील तक रफ्तार बढ़ाना—पूरी न कर पाएं हों; अधिकतम दर्ज रफ्तार 180 समुद्री मील थी. सेवानिवृत्त एयर मार्शल संजीव कपूर भी इस संभावना पर जोर देते हुए कहते हैं कि 'मेडे' भेज दिया गया था और आरएटी खोल दिया गया था.

अंतिम रिपोर्ट आने और निश्चित जवाब मिलने में महीनों लग सकते हैं. एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने जल्दबाजी में निकाले गए निष्कर्षों के खिलाफ आगाह किया और जोर दिया कि आरंभिक निष्कर्ष विमान में किसी मशीनी या रखरखाव की खराबी की तरफ इशारा नहीं करते.

स्विच किसने बदले?

> टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच 'रन' से हटाकर 'कटऑफ' पर किए गए जिससे दोनों इंजन बंद हो गए

> स्विचों को अनलॉक किया जाना होता है, जिससे संदेह होता है कि दोनों स्विच एक सेकंड में गलती से बदल गए

> विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है कि यह सिस्टम की खराबी थी, इंजन फेल होने का प्रक्रियागत नतीजा, या जानी-बूझी करतूत?

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