India Today-MDRA Survey 2025: कौन हैं सोशल वर्क में देश के टॉप 10 कॉलेज?

फील्डवर्क, विविधता और अत्याधुनिक शोध के साथ टीआईएसएस सामाजिक रूप से जागरूक और प्रभाव डालने वाले पेशेवर तैयार करने में अग्रणी

नं. 1 टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई
नं. 1 टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई

5 वजहें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई के अव्वल होने की

1. बदलते समय, जरूरतों और सामाजिक सरोकारों के हिसाब से टीआईएसएस के संशोधित पाठ्यक्रम हैं. आठ दशक तक प्रशंसनीय मास्टर प्रोग्राम चलाने के बाद टीआईएसएस ने आखिरकार पिछले साल चार वर्षीय बैचलर प्रोग्राम शुरू किया. लोगों और व्यावहारिक कौशल को समान महत्व देने के लिए विख्यात इस संस्थान ने हाल में अतिरिक्त धन आवंटित करके शोध के हिस्से को प्राथमिकता दी है.

2. अनुभवी शिक्षकों से सीखना यहां एक अहम पहलू है. सैंतीस प्रोफेसरों ने दो दशक से ज्यादा समय तक यहां अध्यापन कार्य किया है और उनके पास फील्ड का अनुभव भी है. पिछले साल ही अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके कुल मिलाकर 52 आलेख और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 40 आलेख प्रकाशित हुए हैं, साथ ही उन्होंने छह पुस्तकें भी लिखी हैं. यहां की शिक्षण पद्धति को न केवल पाठों को रोचक बनाने के लिए तैयार किया गया है, बल्कि आलोचनात्मक सोच-विचार और समस्या-समाधान को प्रोत्साहित करने के लिहाज से भी उन्हें बनाया गया है.

3. टीआईएसएस परिसर में होना किसी मिनी भारत का हिस्सा होने सरीखा है. पिछले साल दाखिला पाने वाले 251 छात्रों में से 190 महाराष्ट्र के बाहर से थे. विविधतापूर्ण वातावरण छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं से परिचित कराता है, साथ ही उनके जाति, वर्ग और लिंग की सीमाओं से परे सहपाठी होते हैं.

4. सोशल वर्क के अहम पहलुओं को अपनाने के लिए, जिसमें करुणा, ईमानदारी, हस्तक्षेप और सेवा शामिल है, छात्रों को इस क्षेत्र में सक्रिय होने की आवश्यकता है. वर्तमान में टीआईएसएस एसओएसडब्ल्यू मुंबई के देशभर में 300 फील्डवर्क पार्टनर हैं जो समाज पर असर डालने और बदलाव के लिए काम कर रहे हैं. इनमें राज्य सरकार के विभाग और नागरिक समाज संगठनों से लेकर गैर-सरकारी संगठन और समुदाय तक शामिल हैं.

5. टीआईएसएस की सरकार और न्यायपालिका समेत विभिन्न हितधारकों के बीच काफी विश्वसनीयता है. बंबई हाइकोर्ट ने हाल ही में मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट (दक्षिण) पर इसकी रिपोर्ट की तारीफ की, जिसमें मछुआरों पर पड़ने वाले असर की पड़ताल की गई है. टीआईएसएस के प्रोफेसर डॉ. पेखम बसु को पोक्सो से जुड़े मामलों की जांच करने वाली सुप्रीम कोर्ट की समिति में रखा गया.

इसके अलावा, संस्थान के फील्ड ऐक्शन प्रोजेक्ट भी हैं जो मुंबई पुलिस के सहयोग से चलाए जाते हैं. इनमें महिला पहल के लिए विशेष सेल, हिंसा का सामना करने वाली स्त्रियों को मनोवैज्ञानिक-कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए पुलिस प्रणाली के भीतर सामाजिक कार्यकर्ताओं को रखना और उनको प्रशिक्षण देना शामिल है. इसके बाद से इस मॉडल को दूसरे कई राज्यों में भी लागू किया गया है.

सबसे ज्यादा सुधार करने वाला कॉलेज

सोशल वर्क के क्षेत्र में कर्नाटक स्थित प्रसन्ना स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (एमएएचई), मणिपाल ऐसा संस्थान है, जिसने बीते साल में सबसे ज्यादा सुधार किया.

शानदार फैकल्टी, अव्वल दर्जे के शोध प्रकाशन और व्यावहारिक शिक्षा के साथ प्रसन्ना स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ सोशल वर्क की शिक्षा में अग्रणी संस्थान के तौर पर तेजी से उभर रहा है. अव्वल कॉलेजों में 2025 में इसकी रैंकिंग 14 है.

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