भारत में 'एपल' के आने से पहले ट्रंप ने क्यों गड़ाए अपने दांत?
डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ के मोर्चे पर भारत के खिलाफ अपने तीखे रुख की वजह से यह नहीं चाहते कि एपल भारत में बने

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि एपल इंक. अमेरिकी बाजार के लिए अपने आइफोन भारत में न बनाए, क्योंकि वह 'भारी टैरिफ वाला देश' है. लेकिन, जानकारों का कहना है कि दुनिया की सबसे अमीर कंपनी को अमेरिका के साथ व्यापार टकराव के चलते चीन से कारोबार समेटना है तो उसके हाथ बहुत कम विकल्प बचे हैं.
ट्रंप ने 15 मई को कतर में कहा, ''कल मुझे (एपल के सीईओ) टिम कुक से थोड़ी दिक्कत हुई.'' वे हाल में अमेरिका में 500 अरब डॉलर (42.7 लाख करोड़ रुपए) निवेश के एपल के वादे का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने कहा: ''मैंने कहा, 'टिम, तू मेरा दोस्त है. तुम 500 अरब लेकर यहां आ रहे हो, लेकिन अब तुम पूरे भारत में बनाने जा रहे हो. मैं नहीं चाहता कि तुम इसे इंडिया में बनाओ.''
ट्रंप टैरिफ के मोर्चे पर भारत के खिलाफ अपने तीखे रुख की वजह से यह नहीं चाहते कि एपल भारत में बने. उन्होंने कहा, ''भारत (भारत के घरेलू बाजार) का ख्याल रखना चाहते हो, तो भारत में बना सकते हो, लेकिन भारत दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ वाले देशों में एक है. इसलिए, भारत में बिक्री करना बहुत मुश्किल है.''
ट्रंप के ये बयान भारत सहित कई देशों पर 'बराबरी का टैरिफ' लगाने के कुछ हफ्ते बाद आए, जिसके तहत 26 फीसद टैरिफ लगाया गया था. अब नई दिल्ली को 90 दिन की अमेरिकी छूट के दौरान व्यापार समझौता हासिल करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. इस संदर्भ में ट्रंप ने कहा कि भारत ने अमेरिकी सामान के लिए 'कोई टैरिफ नहीं' सौदे की पेशकश की, जिसका उन्होंने कोई ब्यौरा नहीं दिया.
एपल की भारत पर निर्भरता
एपल भारत में प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट (45,000 रुपए से ऊपर कीमत) में सबसे आगे है, जिसकी कैलेंडर वर्ष 2024 में 58 फीसद बाजार हिस्सेदारी है. शोध फर्म आइडीसी के मुताबिक, एपल ने जनवरी से मार्च 2025 के बीच भारत में 30 लाख आइफोन बेचे हैं. यह उसकी सबसे ज्यादा तिमाही बिक्री है, जो पिछले साल की उसी अवधि में 22 लाख से अधिक है. यह कमतर ईएमआइ, कैशबैक ऑफर और ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं की रियायतों की वजह से संभव हुआ है.
एपल इंक ने 28 सितंबर, 2024 को समाप्त वित्त तिमाही के लिए 391 अरब डॉलर (33.4 लाख करोड़ रुपए) की कमाई दर्ज की. 2024 की चौथी तिमाही में एपल की कमाई का लगभग आधा हिस्सा आइफोन की बिक्री से आया. कुक ने 1 मई को 2025 की दूसरी तिमाही की कमाई के बारे में विश्लेषकों को बताया, ''जून तिमाही के लिए हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश आइफोन के उत्पादन का मूल देश भारत होगा और अमेरिका में बिकने वाले लगभग सभी आइपैड, मैक, एपल वॉच और एयरपॉड्स के उत्पादन का मूल देश वियतनाम होगा.''
भारत में एपल के आइफोन की असेंबली फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन (दोनों ताइवानी फर्मों की इकाइयां) और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियों के साथ करार के तहत होती है. फॉक्सकॉन की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में दो बड़ी इकाइयां हैं, और एक नया प्लांट बेंगलूरू के पास देवनहल्ली में है.
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने ताइवान की फर्म विस्ट्रॉन (बेंगलूरू के पास कोलार में) का अधिग्रहण किया है और उसकी पेगाट्रॉन की भारत के कारोबार (चेन्नै में) में एक नियंत्रित हिस्सेदारी है, और तमिलनाडु के होसुर में एक और प्लांट है. अब, एपल पूरे आइफोन 16 लाइनअप को असेंबल करता है. हालांकि, उसके अधिकांश अवयव भारत में आयात किए जाते हैं.
वित्त वर्ष 2025 में एपल ने भारत में 22 अरब डॉलर (1.9 लाख करोड़ रुपए) के आइफोन असेंबल किए. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में उत्पादन में 60 फीसद की बढ़ोतरी हुई है और अब यह अपने कुल आइफोन का 20 फीसद यहीं असेंबल करता है. आइटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल में कहा कि एपल ने वित्त वर्ष 2025 में 1.5 लाख करोड़ रुपए के 'मेड इन इंडिया' आइफोन का निर्यात किया.
चीन से नाता तोड़ना
फिलहाल आइफोन, आइपैड और एपल घड़ियां सहित एपल के सभी उत्पादों की उत्पादन क्षमता का 80 फीसद हिस्सा चीन में है. एक आइफोन में लगभग 1,000 कंपोनेंट होते हैं, जिनमें अधिकांश चीन से मिलते हैं. लेकिन यह बदलने वाला है. ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध के बाद से एपल ने अपने उत्पादन को कई अन्य अमेरिकी फर्मों की तरह विएतनाम, ब्राजील और भारत जैसे देशों में स्थानांतरित किया.
हालांकि, उसके लिए भारत के पक्ष में चीन से अलग होना आसान नहीं होगा, क्योंकि एपल उत्पादन के लिए बहुत कम चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स के सप्लायर हैं. 2023 की ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के अनुमान के मुताबिक, एपल को चीन से अपनी उत्पादन क्षमता का सिर्फ 10 फीसद बाहर निकालने में लगभग आठ साल लगेंगे.
काउंटरपॉइंट रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक प्राचीर सिंह कहते हैं, ''भारत में एपल को अपनी क्षमता विकसित करने में पांच साल से ज्यादा लगे हैं और चीन जैसी अच्छी सप्लाइ चेन बनाने में काफी वक्त लगेगा. अमेरिका के लिए आइफोन चीन में नहीं बनना है, तो भारत ही एपल के उत्पादन का इकलौता ठिकाना बना हुआ है क्योंकि यहां कारोबरी तंत्र तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें कम वेतन में अंग्रेजी बोलने वाले कुशल कामगार, विश्व स्तरीय सॉफ्टवेयर प्रतिभा, अनुकूल सरकारी नीतियां और विशाल घरेलू खपत बाजार है.''
सिंह का कहना है कि एप्पल को अमेरिका का यह हुक्म व्यापार वार्ता में भारत के साथ मोलतोल में बढ़त हासिल करने का तरीका भी हो सकता है, क्योंकि उसका मानना है कि भारत को अपने यहां मजबूत घरेलू सप्लायर तंत्र बनाने और विकसित करने के लिए एप्पल जैसी 'हलो' कंपनियों की जरूरत है.
वे कहते हैं, ''इसलिए यह बयान एप्पल की योजनाओं पर असर नहीं डालेगा, जो पहले ही भारत को चीन के संभावित वैकल्पिक ठिकाने के रूप में देख रहा हैं.'' एप्पल अमेरिका में आइफोन नहीं बनाता है, और उस देश में असेंबली इकाइयों को ले जाने से आइफोन की कीमत तीन गुना बढ़ जाएगी. क्या कुक ट्रंप की कड़वी गोली निगल सकते हैं?