फिटजी कोचिंग पर ईडी के शिकंजा कसने की क्या है असल वजह?

कभी आइआइटी की तैयारी कराने वाले शीर्ष संस्थान के रूप में जाने गए फिट्जी की छात्रों और शिक्षकों के साथ धोखाधड़ी की परतें लगातार खुल रही हैं

13 अप्रैल 2025 को नोएडा में अभिभावकों ने फिटजी के खिलाफ प्रदर्शन किया

बीती 24 अप्रैल की सुबह करीब 5 बजकर 10 मिनट पर फिट्जी के निदेशक डी.के. गोयल की नींद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अफसरों की आवाज से खुली. वे नई दिल्ली के वसंत विहार में अपने घर पर चैन की नींद सो रहे थे. जगे तो पता चला कि उनके घर पर ईडी का छापा पड़ रहा है.

दरअसल, ईडी ने 24 अप्रैल को फिट्जी धोखाधड़ी मामले में दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम के सात ठिकानों पर छापेमारी की. इनमें गोयल के आवास के अलावा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मुख्य वित्तीय अधिकारी और अन्य शीर्ष अधिकारियों के आवास समेत फिट्जी के कुछ प्रमुख कार्यालय शामिल हैं. इस दौरान जो दस्तावेज मिले हैं, उनसे फिट्जी की मुश्किलें और बढ़ती हुई दिख रही हैं.

इंजीनियरिंग दाखिला परीक्षा की तैयारी कराने के लिए मशहूर रहा फिट्जी इस साल जनवरी से लगातार विवादों में है. संस्थान ने जनवरी के आखिरी हफ्ते तक अचानक अपने तीन दर्जन सेंटर बंद कर दिए. इनमें गाजियाबाद, लखनऊ, मेरठ, नोएडा, प्रयागराज, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, मुंबई, पुणे के फिट्जी सेंटर शामिल थे. इसकी वजह से करीब 15,000 छात्र प्रभावित हुए थे. इन छात्रों के न तो पैसे लौटाए गए और न ही आगे की तैयारी के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई.

इसके बाद देश के अलग-अलग स्थानों पर न सिर्फ छात्र और अभिभावक फिट्जी के खिलाफ सड़कों पर उतरे बल्कि संस्थान के निदेशक गोयल समेत अन्य प्रमुख लोगों के खिलाफ कई प्राथमिकी भी दर्ज हुई. नोएडा, लखनऊ, दिल्ली, गाजियाबाद, भोपाल समेत अन्य स्थानों पर दर्ज इन शिकायतों की जांच वहां की स्थानीय पुलिस कर रही है. जब फीस के पैसे दूसरे कार्यों में इस्तेमाल और हेरफेर की बात आई तो जांच में ईडी भी शामिल हो गई.

ईडी ने जिन सात जगहों पर सर्च ऑपरेशन चलाया, वहां से जो दस्तावेज उन्हें मिले, उसके मुताबिक संस्थान ने चार साल बाद यानी 2028-29 तक के बैच के लिए छात्रों से पैसे वसूले. ईडी ने ऐसे 14,411 छात्रों का रिकॉर्ड पाया जिनसे कुल 250.2 करोड़ रुपए वसूले गए थे.

जांच में शामिल ईडी अफसरों का कहना है कि एजेंसी के हाथ जो दस्तावेज और डिजिटल डिवाइसेज लगी हैं, उससे गंभीर वित्तीय गड़बड़ी के स्पष्ट संकेत मिले हैं. छात्रों से फीस के नाम पर वसूली रकम का इस्तेमाल संचालकों ने व्यक्तिगत और अनधिकृत कार्यों में किया और ​शिक्षकों की तनख्वाह तक नहीं दी गई. ईडी ने सर्च के दौरान 10 लाख रुपए नकद और 4.89 करोड़ रुपए के जेवर जब्त किए.

ईडी के एक अधिकारी बताते हैं, ''हमने जो शुरुआती जांच की है, उससे पता चलता है कि फीस के नाम पर छात्रों से लिए पैसों को दूसरे कार्यों के लिए डाइवर्ट करने का काम फिट्जी का शीर्ष प्रबंधन बेहद सुनियोजित तरीके से कर रहा था. हमारे हाथ जो सबूत लगे हैं, उसके बाद संस्थान छात्रों और अभिभावकों से की जा रही वित्तीय धोखाधड़ी के बारे में कोई संदेह नहीं रह जाता.''

ईडी के छापे के बाद चार लोगों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है. यानी अब वे व्यक्ति देश से बाहर नहीं जा सकते. ईडी अफसरों की मानें तो आने वाले दिनों में फिट्जी के निदेशक समेत संस्थान के अन्य प्रमुख लोगों के खिलाफ शिकंजा और कसने वाला है. छापों पर फिट्जी का पक्ष जानने के लिए जब संस्थान से संपर्क किया गया तो किसी ने भी डी.के. गोयल से बात नहीं कराई. न ही अब तक फिट्जी की तरफ से कोई औपचारिक बयान दिया गया है.

लेकिन इन जांचों के बीच छात्रों और अभिभावकों की चिंता यह है कि उनके जो पैसे संस्थान ने लिए हैं, वे पैसे क्या लौट पाएंगे. लखनऊ सेंटर से पढ़ाई करने वाले शौर्य कहते हैं, ''मेरे जैसे बहुत सारे छात्रों ने आगे के सालों की फीस जमा करा दी थी क्योंकि एक बार में पूरी कोर्स फी जमा करने पर कुछ पैसों की बचत होती थी. हमें क्या पता था कि फिट्जी बंद हो जाएगा. मेरे कई ऐसे दोस्त हैं जिनके पैरेंट्स ने बहुत मुश्किल से फीस भरी थी. तैयारी का तो जो नुक्सान हुआ सो हुआ ही लेकिन पता नहीं हमारे पैसे वापस मिल पाएंगे या नहीं!''

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