इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025: सूर्यकुमार यादव ने टी-20 वर्ल्डकप के फाइनल में लिए 'ऐतिहासिक कैच' के बारे में क्या बताया?
पिछले साल टी20 विश्व कप के फाइनल मैच में बाउंड्री से सीधे बाहर जाती गेंद को छलांग लगाते हुए लपककर सूर्यकुमार यादव ने भारत को शानदार जीत दिलाई

गए साल गर्मियों में सूर्यकुमार यादव ने बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल मैदान की सीमारेखा पर ऐसा करतब दिखाया, जिसने फतह और मायूसी के बीच की बारीक-सी लकीर को बेध दिया.
बाउंड्री से सीधे बाहर जाती गेंद को रस्सी के नजदीक छलांग लगाते हुए कैच कर लेना, यह क्रिकेट में सधे नृत्य सरीखी उम्दा अदाकारी थी. भारत को टी20 विश्व कप में फतह दिलाने वाले उस कैच के बारे में बोलते हुए यादव ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कुबूला, ''मैंने इसे 222 से ज्यादा बार देखा.''
वह क्षण उनके करियर का सटीक रूपक बन गया, नपे-तुले जोखिम और सधी तैयारी की शानदार मिसाल. कभी यादव का संपूर्ण 360 डिग्री बल्लेबाज और उसके बाद भारत के टी20 कप्तान के रूप में कायापलट दिल बांध लेने वाली कहानी है. उन्होंने याद किया, ''2018 के सीजन के आखिर में मुझे लगा कि बेहतरीन बनने के लिए मुझे कुछ करना होगा.'' फिटनेस की नई व्यवस्था अपनाई, खानपान में अनुशासन का पालन किया, और अपनी कला के प्रति संन्यासी सरीखा समर्पण दिखलाया गया.
कप्तान के रूप में यादव के फलसफे में भी इसकी झलक मिलती है: उनकी अगुआई में भारत की टी20 टीम 300 रन के नजदीक पहुंची, जिसके बारे में पहले सोचा भी नहीं जा सकता था. ''हमने तय किया कि अगर दो बल्लेबाज 75-75 रन बनाते हैं और हम करीब 180-190 बना रहे हैं, तो क्यों न सात बल्लेबाज इसे बांटें और हरेक 12 गेंदों पर 30 रन बनाए?'' अब जब भारत 2026 में टी20 विश्व कप की मेजबानी की तैयारी कर रहा है, यादव के फलसफे में क्रिकेट आंकड़ों से बढ़कर है. वे कहते हैं, ''जो भी हो, मैच में दो ही चीजें होती हैं, आप जीतते हैं या सीखते हैं.''
पहले तो आप इंडिया के लिए खेलने का सपना देखते हैं, फिर कुछ खास करने का ख्वाब बुनते हैं. और फिर एक दिन आता है जब आप देश की कप्तानी करते हैं.
मुझे वन-डायमेंशनल खिलाड़ी कहा जाता था. शीर्ष पर पहुंचने के लिए मैंने अपनी डाइट बदली, दोस्त कम किए, ट्रेनिंग शुरू की, 2019-20 में मैंने खूब घरेलू क्रिकेट खेला. 2021 में मुझे पिछले दो-तीन साल से की जाने वाली मेहनत का फल मिला.
मुख्य बातें
> एसकेवाइ के खास शॉट मेधा की कौंध नहीं बल्कि अथक प्रैक्टिस की उपज हैं. उन्होंने ''10,000-20,000 बार'' पूर्वाभ्यास किया जब तक कि वे सहज और स्वाभाविक नहीं हो गए.
> 180-190 रनों तक पहुंचने को कुछेक खिलाड़ियों के 75-75 बनाने पर निर्भर रहने के बजाए बतौर कप्तान यादव ने सात बल्लेबाज प्रोत्साहित किए कि वे 12 गेंदों पर 30 रन बनाने का लक्ष्य लेकर चलें.