महाकुंभ 2025 : संगम तट पर कैसे एआई मिल रहा प्राचीन भारत से?

यूपी की योगी सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य डिजिटल तकनीक का अभूतपूर्व प्रयोग करके धरती के सबसे बड़े आयोजन की सुविधाओं को दिया आकार. और किन मामलों में पहले से अलग है महाकुंभ 2025

महाकुंभ के दौरान स्नान करते श्रद्धालु
महाकुंभ के दौरान स्नान करते श्रद्धालु

प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर भोर की पहली किरण पड़ते ही हवा एक अनूठी ऊर्जा से भर उठती है. मजदूर घड़ी की सुई जैसे अनुशासन से काम करते हैं. वे तंबुओं का एक महानगर खड़ा करने के लिए खंभों को धरती में ठोक रहे हैं. ताजे पके भोजन की सुगंध पहुंचने वाले शुरुआती तीर्थयात्रियों के मंत्रोच्चार के साथ घुलमिल जाती है. ड्रोन हलचल भरे मैदान के ऊपर मूक प्रहरी की तरह मंडरा रहे हैं. यह भव्य झांकी के पर्दे उठने से ठीक पहले का महाकुंभ का अखाड़ा है.

यह आयोजन आस्था जितना ही प्राचीन है, अपने नवीनतम संस्करण में यह उतना ही आधुनिक भी है. सदियों से मोक्ष के साधक गंगा, यमुना और मिथक-जनित सरस्वती के संगम पर एकत्रित होते आ रहे हैं. प्रयागराज में संगम 13 जनवरी से शुरू होने वाले अनंत काल के साथ अपनी तिथि रखता है, एक ज्योतिषीय चरण की शुरुआत जो हर 12 साल में दोहराई जाती है.

किंवदंती है कि यह स्थल चार (हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के अलावा) में से एक है, जहां देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्रमंथन के दौरान अमरता के अमृत की बूंदें गिरी थीं; इस शुभ संयोग के दौरान इसके घाटों पर स्नान करने से सभी पापों को धोने और मोक्ष प्राप्त करने की मान्यता है.

इस बार का महाकुंभ कुछ ऐसी खासियत की ओर बढ़ चुका है जिसे पहले कभी नहीं देखा गया. करीब डेढ़ महीने के दौरान रिकॉर्ड 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं की अगवानी के लिए तैयार 4,000 हेक्टेयर में फैला महाकुंभ नगर उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक क्षमता की एक बड़ी मिसाल है. 13 जनवरी को पहले स्नान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, संगम की रेत पर तीर्थयात्रियों और साधुओं का जमावड़ा अपने चरम की ओर बढ़ने लगा है.

उनका स्वागत 400 किलोमीटर तक फैली अस्थायी सड़कों का एक नया नेटवर्क, पानी के ऊपर फैले 30 पोंटून पुल, 14 फ्लाइओवर और टेंटों की भूलभुलैया को पार करते हुए चेकर्ड प्लेट पथ कर रहे हैं. हर जगह बैनर और पोस्टर हैं. कई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुस्कुराते हुए चेहरे को दिखाते हैं. 'सनातन सात्विक है, कायर नहीं’ जैसे नारे आध्यात्मिक मेलजोल में एक उच्चस्तरीय वैचारिक स्वर भी जोड़ते हैं. डिजिटल कुंभ इसके केंद्र में एक और संगम है—इसे 'एआई मीट्स एंशिएंट इंडिया' कहें.

महाकुंभ नगर गंगा के तट पर करीब 4,000 हेक्टेयर में फैले आयोजन स्थल का विहंगावलोकन

वैसे कुंभ का जिक्र आते ही '70 के दशक की कुछ हिंदी फिल्मों की कहानियां आंखों के सामने तैर जाती हैं. ये वे फिल्में हैं जिनमें हीरो या कोई और कुंभ के मेले में अपनों से बिछड़ जाते हैं. भारी भीड़ के बीच बिछड़ाव के इन आशंकाओं को महाकुंभ डिजिटल हथियारों से निर्मूल करने की तैयारी कर चुका है. प्रयागराज मेला क्षेत्र के सेक्टर तीन में संगम लोअर मार्ग पर कंप्यूटरीकृत खोया-पाया केंद्र स्थापित किया गया है.

महाकुंभ के लिए स्थापित खोया-पाया केंद्र पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर मेले में खोए लोगों को उनके परिवारों से मिलाएंगे. यह केंद्र अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और यहां श्रद्धालुओं की गुमशुदगी संबंधी समस्याओं का तुरंत समाधान करने के लिए डिजिटल तौर-तरीकों का भी सहारा लिया गया है. इस खोया-पाया केंद्र के लिए 328 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे.

महाकुंभ में अब कोई भी अपना बिछड़ेगा तो ये कैमरे उसे खोज निकालेंगे. इस खोया-पाया केंद्र में हर खोए हुए व्यक्ति का तुरंत डिजिटल पंजीकरण किया जाएगा. सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं, ''सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और एक्स खोए हुए रिश्तेदारों को खोजने में तत्काल सहायता प्रदान करेंगे, जिससे तीर्थयात्रियों की भीड़ के बीच परिवारों को फिर से मिलाने की प्रक्रिया सुगम होगी."

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताते हैं कि डिजिटल खोया-पाया केंद्र हर लापता व्यक्ति का विवरण डिजिटल रूप से दर्ज करेगा. ''पंजीकरण के बाद, एआई-संचालित कैमरे व्यक्ति की खोज शुरू कर देंगे. इसके अलावा, लापता लोगों के बारे में जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा की जाएगी, जिससे उन्हें जल्दी से जल्दी ढूंढना आसान हो जाएगा."

इस पुलिस अधिकारी के शब्दों में, "महाकुंभ में 'फेस रिकग्निशन तकनीक’ का इस्तेमाल उन व्यक्तियों की पहचान करने के लिए किया जाएगा जो अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं. लोगों के गुम होने या बिछड़ने जैसी स्थिति से निबटने में एक खास तरह का 'रिस्ट बैंड’ भी काफी मददगार साबित होगा."

महाकुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड दिया जाएगा जो कि रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) तकनीक से लैस होगा. योगी सरकार में आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा बताते हैं, ''महाकुंभ में पहली बार उपयोग में लाई जा रही आरएफआईडी तकनीक के जरिए कौन व्यक्ति कहां है? इसकी मॉनिटरिंग की जा सकेगी. रिस्ट बैंड के माध्यम से अंदर और बाहर जाने के समय की ट्रैकिंग की जाएगी. आरएफआईडी एक प्रकार की वायरलेस तकनीक है, जो वस्तुओं, व्यक्तियों की पहचान करने के लिए उपयोग में लाई जाती है. यह तकनीक रेडियो तरंगों का उपयोग करके डेटा को पढ़ने और लिखने के लिए काम करती है. इसमें हर आदमी के लिए एक यूनीक फ्रीक्वेंसी अलॉट होती है. इससे पता चलता है कि व्यक्ति कहां-कहां गया है.’’

तकनीक का महाकुंभ

आईटी मंत्री के मुताबिक, महाकुंभ मेले में आने वाले लोगों के हाथों में बांधे जाने वाले इस रिस्ट बैंड के जरिए कोई व्यक्ति कहां जा रहा है, उसकी लोकेशन का पता लगाया जा सकेगा. अगर कोई व्यक्ति या बच्चा अपने संबंधियों से बिछड़ जाता है तो उसे पुलिस कंट्रोल रूम जियो टैगिंग के जरिए ढूंढ सकती है.

प्रयागराज से ही ताल्लुक रखने वाले और यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ 'नंदी' बताते हैं, ''प्रयागराज की धरती पर 2019 में आयोजित दिव्य और भव्य कुंभ पूरी दुनिया देख चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2025 के महाकुंभ में एक कदम और बढ़ाते हुए दुनिया के इस सबसे बड़े आयोजन को डिजिटल रूप प्रदान करने का आदेश दिया है. अब पूरी दुनिया यूपी की डिजिटल और तकनीक आधारित महाकुंभ-2025 की साक्षी बनेगी. मेले की भव्यता को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से पहली बार प्रदेश सरकार ने पूरे मेले का डिजिटलाइजेशन किया है."

योगी सरकार के डिजिटलीकरण के प्रयासों को दुनिया भर में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है. महाकुंभ के लिए खास तौर से डिजाइन किए गए एआई आधारित चैटबॉट 'कुंभ सहायक' से अब तक एक करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. एक करोड़ की संख्या 6 जनवरी की सुबह पार हो गई थी.

'कुंभ सहायक' चैटबाट को प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले माह 13 दिसंबर को प्रयागराज में लॉन्च किया था. उसी दिन से इस चैटबाट से जुड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी थी. पहले ही दिन पौने दो लाख लोग जुड़ गए थे. 'कुंभ सहायक’ देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं को महाकुंभ से जुड़ी सभी जानकारियां पलक झपकते उपलब्ध करा रहा है.

कुंभ मेला प्राधिकरण को तकनीकी सहयोग दे रहे एक इंजीनियर बताते हैं, "कुंभ सहायक 11 भाषाओं में श्रद्धालुओं की मदद कर रहा है. यह श्रद्धालुओं को नेविगेशन, पार्किंग और रुकने के स्थान समेत हर जानकारी सेकंडों में उपलब्ध कराने में सक्षम है. इसे आसानी से मोबाइल में डाउनलोड किया जा सकता है. इससे लोग बोलकर या लिखकर अपने सवाल पूछ सकते हैं. जवाब को अपनी भाषा में सुन भी सकते हैं. लगभग 23 लाख श्रद्धालु अपनी तस्वीर कुंभ सहायक पर अपलोड कर चुके हैं."

प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए लोग इंटरनेट पर विभिन्न वेबसाइट्स और पोर्टल के जरिए जानकारी हासिल कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा समाधान उन्हें महाकुंभ की आधिकारिक वेबसाइट https:// kumbh.gov.in/ पर आकर मिल रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 4 जनवरी तक 183 देशों के 6,206 शहरों के 33 लाख से ज्यादा लोगों ने वेबसाइट पर आकर महाकुंभ के विषय में जानकारी हासिल की है. इनमें यूरोप, अमेरिका समेत सभी महाद्वीप के लोग शामिल हैं. इससे दुनिया भर में यूपी की डिजिटल क्षमता दिखाई दे रही है.

प्रयागराज में महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इस बार रिकॉर्ड बनाएगी तो योगी सरकार ने भी यहां आने वाले एक-एक व्यक्ति की गणना की एक महत्वाकांक्षी योजना को मूर्त रूप दिया है. सरकार एआइ की मदद से दुनिया का सबसे बड़ा हेडकाउंट कर नया इतिहास बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है. पिछले वर्ष प्रयागराज में माघ मेले के दौरान एआइ के प्रयोग से लोगों की गिनती का सफल प्रयोग किया जा चुका है.

प्रयागराज के कमिशनर विजय विश्वास पंत बताते हैं, ''महाकुंभ में बड़ी संख्या में लोगों को काउंटिंग और ट्रैकिंग के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. श्रद्धालुओं को ट्रैक करने के लिए मेला क्षेत्र के अंदर 200 स्थानों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं जबकि शहर के अंदर 26 स्थानों पर 2007 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है. यही नहीं 100 से ज्यादा पार्किंग पर 120 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

इंटीग्रेटेड कंट्रोल ऐंड कमान सेंटर और पुलिस लाइन कंट्रोल रूम के अलावा अरैल और झूसी क्षेत्र में भी व्यूइंग सेंटर्स बनाए गए हैं.’’ विश्व के किसी भी आयोजन में पहली बार एआइ का उपयोग करते हुए 'क्राउड डेंसिटी अलगोरिद्म’ से लोगों की गिनती का प्रयास महाकुंभ में किया जाएगा. एआइ कैमरे हर मिनट डेटा को अपडेट करेंगे. पूरा फोकस घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं पर होगा. यह सिस्टम सुबह तीन बजे से शाम सात बजे तक पूरी तरह एक्टिव रहेगा, क्योंकि स्नान का प्रमुख समत यही माना गया है. यह एआइ आधारित क्राउड मैनेजमेंट रियल अलर्ट जनरेट करेगा जिससे महाकुंभ में आने वाले लोगों की काउंटिंग और ट्रैकिंग आसान होगी. इससे 95 प्रतिशत तक सही आंकड़े प्राप्त होते हैं.

कुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद बताते हैं, ''महाकुंभ में एआइ टेक्नोलॉजी, ऐप, चैटबॉट तथा गूगल नेविगेशन का पहली बार इस्तेमाल किया जाएगा. महाकुंभ मेला से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी. घाट, अखाड़े के साथ ही पूजा-पाठ, प्रवचन का विवरण ऑनलाइन होगा.’’ मेले के डिजिटलाइजेशन के पीछे मूल उद्देश्य इसका व्यापाक प्रचार-प्रसार करने के साथ ही इसे और अधिक सुरक्षित बनाना, हर गतिविधि की मॉनिटरिंग करना और हर सुविधा को सही समय पर सही व्यक्ति तक पहुंचाना है.

महाकुंभ में बड़े संतों के प्रवचन, शिविर की लोकेशन, मेले के अलग-अलग क्षेत्रों की लोकेशन आदि की जानकारी ऑनलाइन मिल सकेगी. साथ ही मेले में शुरू की गई सुविधाएं, जैसे लेजर शो, वॉटर स्पोर्ट्स आदि का पूरा विवरण भी ऑनलाइन उपलब्ध होगा. यह महाकुंभ विश्व को भारत की सांस्कृतिक धरोहर के साथ ही देश ओर यूपी की डिजिटल शक्ति से भी परिचित कराएगा.

पहली बार महाकुंभ मेला क्षेत्र मे बने अस्थायी नगर के लिए गूगल नेविगेशन भी उपलब्ध होगा. महाकुंभ मेले के प्रमुख स्थलों की लोकेशन गूगल मैप पर मिलने के साथ-साथ इस बार श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक और अनूठा रोमांचक अनुभव प्राप्त होगा. वे कहीं भी बैठकर अपने मोबाइल पर महाकुंभ मेले के किसी भी स्थान का 360 डिग्री व्यू में नजारा देख सकेंगे. प्रयागराज विकास प्राधिकरण से हुए समझौते के तहत गूगल की ओर से यह सेवा दी जाएगी.

यह पहली बार हो रहा है कि किसी अस्थायी शहर के लिए गूगल की ओर से नेविगेशन या अन्य कोई सुविधा दी जा रही है. इसके तहत महाकुंभ मेले के प्रमुख स्थलों जैसे मंदिरों, स्नान घाटों, पोंटून पुलों आदि को गूगल मैप पर ट्रैक किया जा सकेगा. अब इसमें गूगल मैप के 'स्ट्रीट व्यू फीचर’ को भी जोड़ा गया है. इस फीचर के तहत कोई भी व्यक्ति मोबाइल पर ही किसी स्थान विशेष का नजारा 360 डिग्री व्यू में देख सकता है. यह सुविधा महाकुंभ मेला शुरू होने से पहले मिलने लगेगी. इसका फायदा यह होगा कि देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी बैठा व्यक्ति मोबाइल पर ही महाकुंभ मेले के रोमांच का अनूठा एहसास कर सकेगा.

योगी सरकार के सामने उत्तर प्रदेश के नए अस्थाई 76वें जनपद 'महाकुंभ नगर’ को रिकॉर्ड समय में बसाने की कठिन चुनौती थी. इसके लिए महाकुंभ-2025 में पहली बार मेला को बसाने का काम डिजिटल तरीके से किया गया. 'महाकुंभ भूमि एवं सुविधा आवंटन’ की वेबसाइट से प्रयागराज मेला प्राधिकरण मेले में जमीन आवंटन और मूलभूत सुविधाओं के काम में विभागों की जवाबदेही के साथ पूरी पारदर्शिता के साथ करने का दावा कर रहा है.

कुंभ 2019 में 5,500 से ज्यादा संस्थाओं का संपूर्ण विवरण और उनके आवंटन का डिजिटलाइजेशन किया गया और इस बार पूरे मेले में 10,000 से ज्यादा संस्थाओं को भूमि आवंटन किया गया, जिसमें  सरकारी, आपातकालीन, सामजिक और धार्मिक संस्थाए शामिल हैं. अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी बताते हैं, ''कुंभ मेले के लिए 25 सेक्टर में फैले 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र का लेआउट जीआइएस आधारित नक्शे का उपयोग करके तैयार किया गया है.

मॉनसून के पहले और बाद में ड्रोन सर्वेक्षण कर जमीन की टोपोग्राफी और भू-भाग का सटीक नक्शा तैयार किया गया है. सर्वेक्षणों के माध्यम से हाइ-रिजोल्यूशन के नक्शे, जीआइएस बेस लेयर और 0.5 सेमी की एक्युरेसी के साथ जियो-रेफरेंस कैड फाइल तैयार की गई. प्रमुख सार्वजनिक उपयोगिताओं और अन्य आपातकालीन मुख्य स्थानों को श्रद्धालुओं के लिए गूगल मैप्स पर उपलब्ध कराया गया है.

इसमें मुख्य रूप से आपातकालीन सेवाएं, थाने, चौकियां, कमान ऐंड कंट्रोल सेंटर, अस्पताल, पार्किंग क्षेत्र, फूड कोर्ट, वेंडिंग जोन, शौचालय, पोंटून ब्रिज, सड़क इत्यादि शामिल हैं. आधुनिक लॉजिस्टिक्स के इस चमत्कार से 10,000 से ज्यादा संस्थाओं—अखाड़े कहे जाने वाले विभिन्न साधु मंडल, आध्यात्मिक/सांस्कृतिक संगठन, सरकारी विभागों—को लाभ हुआ है. अब देखना है कि महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को कैसा पुण्य प्रदान करता है.

—साथ में अवनीश मिश्रा.

तकनीक का महाकुंभ

एआई युक्त आईसीयू: मेला क्षेत्र में छावनी अस्पताल ने देश के पहले एआई निगरानी वाले 10-10 बेड के दो आईसीयू वार्ड स्थापित किए.

जैकेट से रेल टिकट: प्रयागराज जंक्शन पर रेलवे कर्मचारी हरे रंग की जैकेट पहनेंगे जिस पर पीछे एक क्यूआर कोड होगा. उसे स्कैन कर श्रद्धालु रेलवे टिकट बुक कर सकेंगे.

डिजिटल दरवाजे: डिजिटल दरवाजे के रूप में चार तरह के क्यूआर कोड जारी किए गए हैं. इन्हें मोबाइल से स्कैन करते ही श्रद्धालु एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के जरिए सुरक्षा तंत्र से जुड़ेंगे.

साइबर योद्धा: श्रद्धालुओं की साइबर सुरक्षा के लिए 56 साइबर योद्धा तैनात. साइबर ठगों से बचाव को महाकुंभ नगर के सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क बनी.

एडवांस डेटा तकनीक: 'एडवांस एआइ डेटा ड्रिवेन एनालिटिक्स सॉल्यूशन सिस्टम’ लागू किया गया है. इससे भीड़ प्रबंधन और महाकुंभ पुलिस के ‘सर्विलांस सिस्टम को मजबूती मिली है.

वीआर तकनीक: 'डिजिटल महाकुंभ एक्सपीरिएंस सेंटर’ वर्चुअल रियलिटी, होलोग्राम और डिजिटल प्रोजेक्शन की तकनीक से महाकुंभ, त्रिवेणी संगम और प्रयागराज की पौराणिक कथाएं दर्शाएगा.

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