ललित मोदी को आईपीएल शुरू करने का आइडिया कहां से आया था?

लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता-रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के ठुमके—आईपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है

राजस्थान रॉयल 1 जून, 2008 को आईपीएल के पहले सत्र की विजेता बनी
राजस्थान रॉयल 1 जून, 2008 को आईपीएल के पहले सत्र की विजेता बनी

सत्तर के दशक के आखिर में ऑस्ट्रेलियाई मीडिया टाइकून केरी पैकर लाखों डॉलर के साथ क्रिकेट की दुनिया को रंगीन बनाने उतरे, तो लगा जैसे किसी देश के गरिमामय कार्यक्रम में रॉक म्यूजिक का धमाका हो. दिन-रात के मैच, हेलमेट, रंगारंग पोशाक-खांटी भद्रजनों ने उसे 'सर्कस' करार दिया. लेकिन उससे अकूत पैसा जुटा, जो स्टार खिलाड़ियों को लुभाने-ललचाने के लिए काफी था, चाहे यह क्रिकेट के विशुद्ध नियमों के चौखटे को तोड़ रहा हो.

लेकिन पैकर का दौर जुआघर या कैसीनो जैसा था, तो इंडियन प्रीमियर लीग लास वेगास के सट्टा-बाजार जैसी. विशाल और धुआंधार, जो सिर्फ भारत में ही हो सकता है, वह मनोरंजन और बाजार की लकदक शादी सरीखा था, और हां, वहां लेडीज संगीत भी था! भारत में क्रिकेट में पहले ही अमीरों, रियासतदारों, रसूखदारों का दबदबा था, लेकिन आईपीएल ने तो पैकर के सर्कस को विकराल दौलत जुटाऊ मशीन में बदल डाला.

सॉदबी में पिकासो की पेंटिंग की तरह खिलाड़ियों की बोली लगने लगी, उन्हें खरीदा-बेचा जाने लगा. एक आया, तो पीछे-पीछे दनदनाते दर्जनों आ गए. खांटी भद्रजनों ने-छोटी बाउंड्री, डांसिंग गर्ल्स, छक्कों के जश्न-जैसी बेअदबी पर हायतौबा मचाई लेकिन चुपके से टिकट खरीद लिया. यह लॉटरी या पोंजी स्कीम जैसा थी जो चल निकला. हर किसी ने पैसा बनाया और सब कुछ जायज. यह अब बदनाम हो चुके कारोबारी ललित मोदी के दिमाग की उपज थी, जो '90 के दशक के मध्य से ही एनबीए जैसा क्रिकेट आयोजन का ख्वाब पाले बैठे थे.

दौलत बरसनी शुरू हुई 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ रोमांचक फाइनल में भारत के पहला आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्व कप जीतने के बाद. उस ट्रॉफी ने मानो एक क्रांति को जन्म दिया, जिसने क्रिकेट की अर्थव्यवस्था और बाजार को नया रूप दे दिया. यह फटाफट क्रिकेट था, और भारत उसके लिए तैयार था.

2008 में आईपीएल का जन्म हुआ. क्रिकेट, दौलत और फिल्मी चकाचौंध के घोल ने फौरन उसे दुनिया की सबसे अमीर खेल लीगों में जगह दिला दी. अच्छी बात यह कि क्रिकेट अभी भी है. गुमनामों को भी दुनिया के महान खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिला. जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या, सूर्यकुमार यादव जैसी प्रतिभाएं आईं. यह वेगास या पैकर तक ही सीमित नहीं रहा, बेहतरीन उभरकर आया.

क्या आपको पता है?

आईपीएल के प्रसारण अधिकार 2023 में 6 अरब डॉलर में बिके, जो प्रति मैच मूल्य के हिसाब से इंग्लिश प्रीमियर लीग से भी आगे है. 11 अरब डॉलर के उसके ब्रांड मूल्य ने उसे दुनिया का दूसरा सबसे दौलतमंद बना दिया.

आईपीएल का असर

> नौसिखुआ प्रतिभाओं के लिए यह जोरदार प्रदर्शन करने, दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों से सीखने और अचानक अमर बनने का मौका है—और शायद स्टार बनने का भी.

> हार्दिक पंड्या, सूर्य कुमार यादव जैसे सितारे उभरे.

> बड़े पैमाने पर फैन तैयार हुए, युवाओं को दीवाना बनाया.

> प्रो कबड्डी लीग और दूसरे खेलों के लिए भी ऐसी लीग की शुरुआत हुई.

इंडिया टुडे के पन्नों से

अंक: 18 जून, 2008
आवरण कथा: 20-20 का जलवा

● यकीनन आईपीएल हमेशा चौंकाती है. शोएब अख्तर ने वीरेंद्र सहवाग का विकेट चटकाया और ईडन गार्डेन खुशी से झूम उठा. न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग अचानक देर रात चेन्नै से बाहर ईस्ट कोस्ट रोड पर एम.एस. धोनी की हाई-स्पीड बाइक के पीछे बैठे थे; मोहम्मद कैफ, कामरान अकमल से जोरदार टक्कर के बाद बेहोश हो गए, उनका फाइनल के बीच में ही सीटी स्कैन हुआ और आठ टांके लगे, फिर वे बल्लेबाजी करने उतरे. प्रीटी जिंटा के लिए, बकौल उनके हर मैच का दिन, फटाफट 'कर्म-फल' जैसा होता है. —शारदा उगरा

ललित मोदी

''इंडियन क्रिकेट लीग के आइडिया पर मुझे शायद इसलिए आगे बढ़ने दिया गया क्योंकि किसी को इस पर भरोसा नहीं था कि यह इतनी बड़ी हो जाएगी.''

ललित मोदी, इंडिया टुडे के साथ 2008 के दौरान बातचीत में आइपीएल के विचार से लेकर उसके हकीकत बनने के बारे में

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