पेरिस ओलिंपिक 2024 में छपाक से छकाने उतरे श्रीहरि नटराज
श्रीहरि क्रिकेटरों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं और बेंगलूरू में बीते बचपन के दौरान ही कई खेलों में हाथ आजमाने लगे थे, 16 वर्ष की उम्र में तैराकी उनका पसंदीदा खेल बन गई

शैल देसाई
पेरिस ओलंपिक में भारत
श्रीहरि नटराज, 23 वर्ष
खेल: तैराकी पुरुषों की 100 मीटर बैकस्ट्रोक
उपलब्धि: पिछले साल हांगजू एशियाई खेलों में 200 मीटर फ्रीस्टाइल सहित तीन राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े
कैसे क्वालिफाइ किया: यूनिवर्सलिटी कोटे से, जो राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों को उस वक्त मिलता है जब उनके पास कोई पात्र एथलीट या रिले टीम न हों
तेइस जून को श्रीहरि नटराज की आंखें पूरे समय कंप्यूटर स्क्रीन पर गड़ी रहीं. कनाडा में एक अन्य भारतीय तैराक आर्यन नेहरा 'मेल जाजैक जूनियर इंटरनेशनल' स्पर्धा में हिस्सा ले रहे थे. आर्यन ने इसमें दो रजत पदक जीते पर इतने अंक हासिल न कर सके कि मार्च 2023 से जून 2024 तक ओलंपिक क्वालिफिकेशन चक्र में श्रीहरि के स्कोर को पीछे छोड़ दें. दो दिन बाद श्रीहरि को आधिकारिक तौर पर बता दिया गया कि वे लगातार दूसरी बार ओलंपिक में हिस्सा लेने जा रहे हैं.
बेंगलूरू के इस एथलीट ने अपनी सर्वश्रेष्ठ तैराकी का प्रदर्शन पिछले साल सितंबर में चीन के हांगजू में आयोजित एशियाई खेलों में किया, जहां वे 100 मीटर बैकस्ट्रोक फाइनल में कुछ मिलीसेकंड से पदक चूक गए. इससे बड़ी बात, वे ओलंपिक क्वालिफिकेशन टाइमिंग के एकदम करीब पहुंच गए पर मामूली अंतर से चूके. फिर भी काफी पॉजिटिविटी के साथ घर लौटे. श्रीहरि कहते हैं, ''यह पहली बार नहीं था जब मैं पदक के इतने करीब पहुंचा. ऐसा 2019 में वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप और फिर 2022 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान भी हुआ था. लेकिन एशियाई खेलों ने मुझे व्यस्त शेड्यूल के बीच भी बेहतर प्रबंधन सिखाया. मैं चार व्यक्तिगत स्पर्धाओं का हिस्सा था. दो फाइनल और चार रिले में जगह बनाई. इस तरह मैंने 10 रेस में हिस्सा लिया और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया. बेशक, थोड़ा और तेज होता तो बहुत अच्छा रहता.''
ओलंपिक क्वालिफिकेशन अवधि के दौरान एशियाई खेलों में 100 मीटर बैकस्ट्रोक में 54.48 सेकंड का समय उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था. लगातार अच्छे प्रदर्शन की बदौलत वे अंतत: जगह बनाने में सफल रहे. हालांकि, उन्हें यूनिवर्सलिटी कोटा के माध्यम से ही ओलंपिक दल में जगह मिली है. टोक्यो में स्थिति काफी अलग थी, जहां उन्होंने सीधे प्रवेश पक्का करने के लिए प्रतिस्पर्धा से इतर ट्रायल के दौरान 'ए' स्टैंडर्ड क्वालिफिकेशन टाइमिंग निकाली. वे कहते हैं, ''इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं वहां तक कैसे पहुंचा. मैं अपनी श्रेष्ठतम फॉर्म में हूं. और सबसे ज्यादा मायने यह रखता है कि उस दिन मेरा प्रदर्शन कैसा रहता है और उसमें मै क्या कर पाता हूं. ओलंपिक सिर्फ एक और प्रतिस्पर्धा है जिसमें मुझे तैराकी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है.''
श्रीहरि क्रिकेटरों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं और बेंगलूरू में बीते बचपन के दौरान ही कई खेलों में हाथ आजमाने लगे थे. 16 वर्ष की उम्र में तैराकी उनका पसंदीदा खेल बन गई और उन्होंने कई मल्टी-स्पोर्ट आयोजनों के अलावा वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया. पिछले वर्ष राष्ट्रीय खेलों में बैकस्ट्रोक और फ्रीस्टाइल स्पर्धाओं में 10 पदक (आठ स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य) जीते और 'सर्वश्रेष्ठ पुरुष एथलीट' का खिताब हासिल किया.
लेकिन वे पेरिस में पूल में उतरने वाले अकेले भारतीय प्रतिनिधि नहीं होंगे. महज 14 वर्ष की धीनिधि देसिंघु ने भी यूनिवर्सलिटी कोटे से 200 मीटर फ्रीस्टाइल स्पर्धा में हिस्सेदारी को जगह बनाई है. ओलंपिक में 35 पदक देने वाली इस प्रतिस्पर्धा में सिर्फ दो सदस्यीय दल का शामिल होना दर्शाता है कि भारत कितना पीछे है. इस खेल में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस का दबदबा रहता है. श्रीहरि का कहना है, ''तैराकी में हम कुल मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं. पर यह उम्मीद नहीं कर सकते कि चीजें रातोरात बदल जाएंगी.'' पिछले कुछ हफ्तों से वे बेंगलूरू में कोच निहार अमीन की सरपरस्ती में अपना कौशल और निखार रहे हैं ताकि कुछ मिलीसेकंड बचा सकें. और अब तो वे अच्छी तरह जानते हैं कि हर क्षण कितना ज्यादा कीमती है. लक्ष्य व्यक्तिगत स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है, जो उन्हें लगता है कि सेमीफाइनल में जगह दिलाने के लिए काफी होगा. इतना भी हो गया तो यह भारतीय तैराकी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी.
—शैल देसाई