नौजवानों के अलावा लोकसभा पहुंची सत्तर-पार बुजुर्गों की ये टोली
पहली बार चुने गए सांसदों में कई ऐसे जो 70 वर्ष और उससे ऊपर के हैं, भले ही वे देर से लोकसभा पहुंचे हों मगर उनके पास अनुभव की कमी नहीं

नलिन सोरेन, 76 वर्ष, झामुमो, दुमका (अनुसूचित जनजाति), झारखंड
शिकारीपाड़ा से सात बार के विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दिग्गज नेता शिबू सोरेन के समकक्ष इस अनुभवी आदिवासी नेता का राजनैतिक सफर—जो अविभाजित बिहार से शुरू हुआ—वफादारी और कठोर मेहनत से भरा हुआ है. शिबू से महज चार साल छोटे नलिन उन्हें देवता मानते हैं और उनके और उनके पुत्र हेमंत सोरेन के हमेशा वफादार रहे हैं. नलिन की लोकसभा में जीत का जश्न पार्टी कार्यकर्ताओं ने उल्लास के साथ मनाया क्योंकि उन्होंने न केवल दुमका की सीट, जहां से पहले शिबू जीते हैं, फिर से हासिल की बल्कि सीता सोरेन को भी हराया. सीता सोरेन हेमंत की भाभी हैं जो चुनाव से पहले नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गई थीं.
बृजेंद्र सिंह ओला, 72 वर्ष, कांग्रेस, झुंझुनूं, राजस्थान
राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट ओला ने अपने पिता—पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिवंगत जाट नेता शीशराम ओला—की विरासत को उस समय बरकरार रखा जब उन्होंने इस साल संसदीय सीट को जीतने से पहले 2023 में लगातार चौथी बार झुंझुनूं विधानसभा सीट जीती. अशोक गहलोत सरकार में परिवहन मंत्री ओला सचिन पायलट के करीबी हैं जो राजस्थान कांग्रेस प्रमुख के अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान जयपुर में उनके विधायक आवास पर 5 साल तक रहे. पायलट का ही अनुरोध था कि सार्वजनिक रूप से अनिच्छा जाहिर करने के बाद ओला लोकसभा चुनाव लड़ने को राजी हो गए और एक दशक बाद भाजपा से वह सीट छीन ली जिस पर उनके पिता पांच बार जीते.
फणि भूषण चौधरी, 72 वर्ष, असम गण परिषद, बारपेटा, असम
पूर्व शिक्षक और असम गण परिषद के इस नेता का लगातार चार दशक से बोंगाईगांव विधानसभा सीट पर कब्जा है और वे 2018 में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य की सरकार में मंत्री भी रहे. अपने सादगी भरे जीवन के लिए विख्यात चौधरी अपने चुनाव क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाने के लिए अक्सर जाते हैं या उनको सड़क किनारे किसी नाई से बाल कटवाते या दोपहिया से लिफ्ट लेकर जाते देखा जा सकता है.
वी. सोमन्ना, 72 वर्ष, भाजपा, तुमकुर, कर्नाटक
अब केंद्रीय रेलवे और जल शक्ति राज्य मंत्री इस लिंगायत नेता ने 1986 में बेंगलूरू में पार्षद के रूप में जीवन शुरू किया. लंबे समय तक जनता दल और कांग्रेस में रहे सोमन्ना 2008 में भाजपा में आ गए. कर्नाटक में पार्टी के दो कार्यकाल में विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले सोमन्ना ने पिछले साल राज्य के चुनाव में कांग्रेस के सिद्धारमैया को उन्हीं के घर वरुणा में चुनौती दी. सिद्धारमैया जीते और फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल कर ली. इस विफलता के बावजूद सोमन्ना ने कांग्रेस के पूर्व सांसद एस.पी. मुद्दाहनुमेगौड़ा को हराकर वापसी करते हुए तुमकुर से लोकसभा में प्रवेश किया.
देवेश चंद्र ठाकुर, 71 वर्ष, जनता दल (यू), सीतामढ़ी, बिहार
बिहार विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष ठाकुर चार बार के विधान पार्षद हैं और नीतीश सरकार में मंत्री भी रहे हैं. पुणे में कानून की पढ़ाई के दौरान वे महाराष्ट्र युवक कांग्रेस के उपाध्यक्ष चुने गए. दुनिया भर में अपने व्यापक यात्रा अनुभव के लिए मशहूर ठाकुर पहले ही प्रयास में लोकसभा पहुंच गए. लेकिन इसके तुरंत बाद इस ब्राह्मण नेता ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि वे मुटसलमानों और यादवों के लिए काम नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया. बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया और इसे 'भावनाओं का विस्फोट' बताया.
रामवीर सिंह विधूड़ी, 71 वर्ष, भाजपा, दक्षिण दिल्ली, दिल्ली
दिल्ली की राजनीति के पुराने खिलाड़ी विधूड़ी का भगवा पार्टी से जुड़ाव 1970 में तभी से है जब दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज से बीए करने के दौरान वे इसकी छात्र शाखा—अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद—से जुड़ गए थे. चार बार के इस विधायक ने बदरपुर का प्रतिनिधित्व किया है, इस सीट को उन्होंने 1993 में दिल्ली में पहली बार हुए चुनाव में जीत लिया था. 2020 में विधानसभा चुनाव जीतने वाले आठ उम्मीदवारों के बीच विधूड़ी को विपक्ष का नेता बनाया गया. 2008 में उन्हें लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने 'सर्वश्रेष्ठ विधायक' का पुरस्कार दिया. व्यापार से भी जुड़े विधूड़ी ने 52.6 करोड़ रुपए की संपत्ति की घोषणा की है.
— अजय सुकुमारन और अभिषेक जी. दस्तीदार