स्थानीय शासन के वे धुरंधर, जो छलांग लगाकर पहुंचे सीधे संसद भवन

इन पूर्व स्थानीय निकाय प्रमुखों ने कभी विधानसभा तक में भी पैर नहीं धरा था और अब ऊंची छलांग लगाकर सीधे संसद भवन पहुंचे

मुरलीधर मोहोल, भाजपा सांसद
मुरलीधर मोहोल, भाजपा सांसद

पहली-पहली बार पूर्व स्थानीय निकाय प्रमुख

मुरलीधर मोहोल, 49 वर्ष, ( भाजपा )  पुणे, महाराष्ट्र

यह तस्वीर आपको नहीं बताती कि बैल हांकता यह शख्स पुणे का मेयर भी था और उसने 2021 की एक वैश्विक प्रतिस्पर्धा में इस शहर को 50 चैंपियन सिटीज में जगह दिलवाई थी. उन्होंने मेट्रो के विस्तार की देखरेख की, मेडिकल कॉलेज की स्थापना करवाई और महामारी में कामकाज से तारीफें बटोरीं.

लेकिन इस तस्वीर से उस गांव की मिट्टी की सौंधी गंध जरूर आती है जिसने उन्हें बनाया: कुश्ती के इर्द-गिर्द विकसित देशज मार्शल आर्ट के लोकाचार के बीच जन्मे, उसकी बारीकियां सीखने के लिए पहलवानों के मक्का कोल्हापुर गए. 2009 के विधानसभा चुनाव की एक हार अपवाद रही.

संघ/भाजपा की युवा शाखा में लंबे समय तक पल-बढ़कर अब वे अचानक केंद्रीय राज्यमंत्री की भूमिका में खिल रहे हैं. यहां पहुंचने के लिए उन्होंने कांग्रेस के रवींद्र धांगेकर को हराया.

महेश कश्यप, 48 वर्ष, ( भाजपा ) बस्तर (एसटी), छत्तीसगढ़

महेश कश्यप

आदिवासियों तक भाजपा की गहरी पहुंच की बात सबसे आदर्श ढंग से आदिवासी निर्वाचन क्षेत्र के इस विजेता में पूरी तरह व्यक्त होती है. बस्तर के नए सांसद ने जगदलपुर के नजदीक अपने गांव के सरपंच के पद से शुरुआत की, पर जल्द दक्षिणपंथी धर्मांतरण-विरोधी अभियानों का ककहरा सीखते पाए गए.

1996 में 21 साल की उम्र में बजरंग दल से जुड़े और फिर वीएचपी तथा कुल के दूसरे संगठनों से. बस्तर में हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने के अलावा दसवीं पास कश्यप की कबड्डी में भी रुचि है. वे छह बच्चों के पिता हैं. उनकी पत्नी चंपा जनपद पंचायत प्रमुख हैं. उन्होंने कांग्रेस के कवासी लखमा को 55,000 से ज्यादा वोटों से हराया.

राजपाल सिंह जादव, 42 वर्ष, ( भाजपा )  पंचमहल, गुजरात

राजपाल सिंह जादव

ओबीसी क्षत्रिय जाति बरैया से आने वाले और 24 साल से पार्टी से जुड़े राजपाल सिंह के लिए यह पेचीदा चुनाव था: परशोत्तम रूपाला के एक बयान की वजह से सारे क्षत्रिय भाजपा का विरोध कर रहे थे.

पर दो बार के जिला पंचायत सदस्य जादव अंतत: 5,00,000 से ज्यादा वोटों से जीतने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटील सरीखे दिग्गजों की जमात में आ गए. गोधरा विधानसभा क्षेत्र इसी सीट के तहत आता है, जहां बिल्कीस बानो के बलात्कारियों की रिहाई ने ध्रुवीकरण और बढ़ा दिया. उन्होंने कांग्रेस के गुलाबसिंह चौहान को हराया.

मिताली बाग, 47 वर्ष, ( टीएमसी ) आरामबाग (एससी), पश्चिम बंगाल

मिताली बाग

यहां से तृणमूल कांग्रेस की पिछली सांसद अपरूपा पोद्दार इस सवाल पर थोड़ी उलझन में पड़ गईं कि क्या वे आफरीन अली बन गई हैं (मुस्लिम से शादी करने के बाद) और क्या इस वजह से एससी के लिए आरक्षित इस सीट के अयोग्य हो गई हैं.

बहरहाल, एक अज्ञात अविवाहित महिला-कहा जाए तो गांव-देहात की ममता-आगे आईं. 2010 में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बनी मिताली की जिला परिषद् की सदस्य के रूप में मेहनत-लगन ने आई-पैक के सर्वेक्षकों का ध्यान खींचा था.

वे 2024 की सबसे गरीब लोकसभा सांसद हैं. उनके पास महज 7.8 लाख रुपए की संपत्ति है. आखिरकार उन्होंने वह सीट जीत ली जिसके बारे में टीएमसी के नेतृत्व को भी लगता था कि भाजपा के खाते में जाएगी.

आलोक शर्मा, 56 वर्ष, ( भाजपा ) भोपाल, मध्य प्रदेश

आलोक शर्मा

पुराने शहर के भोपाली, जिनका ताजा शगल इसके नवाबी अतीत के नामों को मिटाने का जुनून रहा है. अपनी समूची भगवा परवरिश (भाजपा की युवा शाखा एबीवीपी) और शिवराज सिंह के साथ नजदीकी के बावजूद शर्मा बस पार्षद और मेयर बन सके.

भोपाल उत्तर से विधानसभा का चुनाव 2008 और 2023 में हार गए. लेकिन उनके जिंदगी भर के जोश का इनाम उन्हें देश में पार्टी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक से नवाजकर दिया गया.

चंदू शिहोरा, 62 वर्ष, ( भाजपा ) सुरेंद्रनगर, गुजरात

चंदू शिहोरा

पेशे से किसान, पढ़ाई से सिविल इंजीनियर, मोरबी जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष, दशकों से पार्टी से जुड़े, और 'सबसे  पिछड़े' चुवालिया कोली समुदाय के नेता-यह पहचान उतनी ही संभावनाओं से भरी है, जितनी भाजपा में किसी और के लिए होगी.

मगर क्षत्रियों का विरोध इस सीट के आसपास इतना तीव्र हो गया कि इसे 'कड़ा मुकाबला' कहा गया. फिर एक प्रतिद्वंद्वी कोली उपजाति अपने आदमी को लाना चाहती थी. लेकिन उनके परोपकारों, खासकर उनकी तरफ से आयोजित सामूहिक विवाहों ने एक और शानदार शुरुआत पक्की कर दी.

हाजी हनीफा जान, 55 वर्ष, (निर्दलीय)  लद्दाख

हाजी हनीफा जान

गुटबाजी के कोहरे से निकलकर आया शख्स. नाम था हाजी. इंडिया गठबंधन उन्हें अपने साथ लाने से चूक गया. नेशनल कॉन्फ्रेंस के जिला प्रमुख और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के करगिल वाले हिस्से के पूर्व मुख्य कार्यकारी पार्षद हाजी हनीफ जान अपनी पार्टी की मूल पसंद थे.

लेकिन पार्टी लेह से कांग्रेस की पसंद—त्सेरिंग नामग्याल—के साथ गई. जब हाजी नाफरमान हो गए तो एनसी की पूरी करगिल इकाई ने एकमुश्त इस्तीफा दे दिया. दलीय सीमा से ऊपर उठकर बौद्ध लेह ने भी उनका समर्थन किया, जिससे पता चला कि अपनी प्रमुख मांगों-राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत संरक्षण और दो लोकसभा सीट-को लेकर लद्दाख किस कदर नाराज और एकजुट था. भाजपा का तीसरे नंबर पर आना भी इसका एक बड़ा सबूत था.

भारती पारधी, 54 वर्ष, (  भाजपा  )  बालाघाट, मध्य प्रदेश

भारती पारधी

उनके अजिया ससुर भोलाराम पारधी ने 1960 के दशक में बालाघाट की नुमाइंदगी की थी, लेकिन वे इस बड़ी जमात में नई आई हैं. मौजूदा सांसद ढाल सिंह बिसेन की जगह लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए चुने जाने तक वे सबसे ऊंचे जहां पहुंचीं, वह पार्षद का पद था.

मगर वे महाकौशल के इस हिस्से में असरदार पंवार समुदाय से हैं, और नर्मदा से पोषित यह निर्वाचन क्षेत्र 1998 से पार्टी के पास था. मिलनसार और जीत में गरिमापूर्ण भारती सबसे पहले कांग्रेस के अशोक सरसवार के घर गईं, जिन्हें उन्होंने 1,74,512 वोटों से हराया था.

हरिभाई पटेल, 63 वर्ष, (  भाजपा  ) मेहसाणा, गुजरात

हरिभाई पटेल

कभी ललित कलाओं के शिक्षक रहे और अब कारोबार चला रहे हरिभाई का अब तक का राजनैतिक शिखर मामूली ही था: जिला पंचायत की स्थायी समिति के अध्यक्ष. लेकिन पार्टी के साथ उनका 30 सालों का जुड़ाव और असरदार कडवा पाटीदार समुदाय में उनकी जड़ें उन्हें 3,20,000 वोटों के अंतर से आरामदायक जीत दिलाने के लिए काफी थीं.

नरेश म्हस्के, 54 वर्ष, ( शिवसेना )  ठाणे, महाराष्ट्र

नरेश म्हस्के

एकनाथ शिंदे की तरह वे आनंद दिघे के मार्गदर्शन में तैयार उन शिवसैनिकों में थे जिनका ठाणे के समर्थकों पर चमत्कारिक असर था. दो बार ठाणे का मेयर बनना युवा शाखा के इस पूर्व कार्यकर्ता के लिए सबसे ऊंची चोटी थी.

इसमें तब्दीली आई जब शिंदे की सेना ने भाजपा के दावों को दरकिनार कर अपने गढ़ में अपना उम्मीदवार चुना. यह तब और प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई जब सेना (यूबीटी) ने राजन विचारे को मौका दिया. म्हस्के ने गुटीय सम्मान बरकरार रखा.

अनीता नागर, सिंह चौहान, 39 वर्ष, ( भाजपा )—रतलाम (एसटी), मध्य प्रदेश

अनीता नागर

उनके पास 0.315 बोर की राइफल और 12 बोर की बंदूक का लाइसेंस भी है—वे मध्य प्रदेश में हथियारों के लाइसेंस रखने वाली गिनी-चुनी महिला जन-प्रतिनिधियों में से हैं. अलीराजपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष और कानून की पोस्टग्रेजुएट डिग्री से लैस अनीता इंदौर के एक निजी कॉलेज से बच्चों के खिलाफ अपराध विषय पर डॉक्टरेट कर रही हैं.

उनके पति राज्य के वन मंत्री हैं. रतलाम में आदिवासियों की खासी आबादी है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, लेकिन अनीता ग्रैंड ओल्ड पार्टी के कांतिलाल भूरिया को 2,00,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराने में कामयाब रहीं.

राधेश्याम राठिया, 52 वर्ष, ( भाजपा ) रायगढ़ (एसटी), छत्तीसगढ़

राधेश्याम राठिया

यह भाजपा के लिए प्रतिष्ठापूर्ण सीट थी, जिसकी नुमाइंदगी कभी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय करते थे. इसे फिर हासिल करने के लिए उसे उस शख्स से बेहतर कोई न मिला जो अनिवार्यत: संगठन का आदमी था और उसी ठेठ जमीनी स्तर से आया था: अपने गांव का उपसरपंच, जिला पंचायत का सदस्य, फिर घरघोड़ा जनपद पंचायत का प्रमुख.

वे भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चे के तौर-तरीकों में शिक्षित हुए, जो रायगढ़ के तत्कालीन राजघराने से जुड़ी कांग्रेस की डॉ. मेनका सिंह को धूल चटाने के लिए काफी था.

भरत सुतारिया, 53 वर्ष, ( भाजपा ) अमरेली, गुजरात

भरत सुतारिया

गुजरात नए लोगों की तलाश के लिए अच्छी जगह है—बशर्ते आप भाजपा से हों. पार्टी से बस यही कोई चालीसेक साल का गहरा जुड़ाव इस जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए अपना लोकसभा का पहला टिकट हासिल करने के लिए काफी नहीं था: उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ अमरेली में प्रदर्शनों का भूचाल आ गया.

विरोध करने वालों में तत्कालीन सांसद नारनभाई कछाड़िया सबसे आगे थे. पार्टी ने इस दसवीं पास लेउवा पटेल की खातिर हालात को काबू में रखा. नतीजा था 3.2 लाख वोटों के अंतर से जीत.

डॉ. डी. मलैयारासन, 48 वर्ष, ( डीएमके ) कल्लाकुरिची, तमिलनाडु

डॉ. डी. मलैयारासन

मलैयारासन के सीवी में 'प्रशासनिक अनुभव' के तहत केवल पंचायत अध्यक्ष के पद पर दशक भर (2006-2016) के अनुभव का जिक्र है. मगर बैंकिंग और इंश्योरेंस मैनेजमेंट में एम.कॉम. डिग्री से लैस यह किसान डीएमके के लाल और काले रंगों में गहराई से रंगा है.

पार्टी से उनका 31 साल का जुड़ाव है. मगर जीत के फौरन बाद अवैध शराब त्रासदी घटी, जिससे कल्लाकुरिची राष्ट्रीय खबरों के नक्शे पर आ गया. प्राथमिकताएं तय करना मुश्किल नहीं होगा. मलैयारासन ने एआईएडीएमके के आर. कुमारगुरु को करीब 50,000 वोटों से हराया.

—धवल एस. कुलकर्णी, मोअज्जम मोहम्मद, अर्कमय दत्ता मजूमदार. 

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