समस्याओं से जमीन पर लड़ने वाले ये नेता अब सीधे संसद में करेंगे संघर्ष
ये सांसद जमीन से जुड़े ऐसे नेता हैं जो किसानों के मुद्दों से लेकर तमाम जमीनी मुद्दे उठाते हुए पहली बार संसद तक पहुंचे

पहली-पहली बार-जमीनी कार्यकर्ता
सेल्वराज वी., 63 वर्ष, भाकपा, नागपट्टिनम (एससी), तमिलनाडु
पार्टी के तिरुवरूर जिला सचिव सेल्वराज वी. जिले के कीझनालानल्लूर गांव में रहने वाले किसान परिवार के हैं. चार दशक से ज्यादा लंबे राजनैतिक करियर में उन्होंने यह पहला आम चुनाव लड़ा. पार्टी ने नागपट्टिनम से चार बार के सांसद और उनके हमनाम एम. सेल्वराज (जो बीमार थे और 13 मई को गुजर गए) की जगह उन्हें चुना.
नागपट्टिनम कावेरी नदी के अंतिम छोर पर है और सेल्वराज ने पहले भी सिंचाई के लिए नाकाफी पानी और समुद्र में मछली पकड़ने के लिए जाने वाले मछुआरों के संकट और उन्हें सरकारी सहायता नहीं मिलने के मुद्दों को उठाया.
उस इलाके में किसान आंदोलनों के साथ उनकी पार्टी के जुड़ाव और जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई की वजह से वे अक्सर किसानों के अभियानों में आगे रहे. सेल्वराज ने एआईएडीएमके के सुरसित शंकर जी. को 2,08,957 वोटों के अंतर से हराया.
शशांक मणि त्रिपाठी, 54 वर्ष,भाजपा, देवरिया, उत्तर प्रदेश
त्रिपाठी आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएट और देवरिया के पूर्व सांसद दिवंगत लेफ्टिनेंट जनरल श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी के बेटे हैं. सामाजिक क्षेत्र में दशक भर काम करने और साथ ही पार्टी की गतिविधियों से जुड़े रहने के बाद उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा.
त्रिपाठी ने पूर्वांचल (पूर्वी उत्तर प्रदेश) के देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर और महाराजगंज सरीखों जिलों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 2008 में गैर-लाभकारी पहल जागृति यात्रा का गठन किया. देवरिया के अपने पैतृक गांव बरैलर में उन्होंने जागृति एंटरप्राइज सेंटर पूर्वांचल की नींव रखी.
त्रिपाठी ने तीन किताबें भी लिखी हैं—मिडल ऑफ द डायमंड इंडिया, भारत एक स्वर्णिम यात्रा, और इंडिया: ए जर्नी थ्रू डिग्री ए हीलिंग सिविलाइजेशन. उन्होंने देवरिया सीट कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह को 34,842 वोटों के अंतर से हराकर जीती.
सच्चिदानंदम आर., 54 वर्ष, माकपा, डिंडीगुल, तमिलनाडु
पार्टी की डिंडीगुल जिला इकाई के सचिव सच्चिदानंदम ने तीन दशक से पार्टी की सेवा की और किसानों के हितों की खातिर लड़ने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने फसलों के लाभकारी मूल्य और खेतिहर मजदूरों के लिए बेहतर मेहनताने की मांग करते हुए और सिंचाई की खातिर पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रदर्शन करते हुए भी राज्य भर में आंदोलनों की अगुआई की.
एआईएडीएमके के मोहम्मद मुबारक एम.ए. को हराकर डिंडीगुल सीट जीतने वाले माकपा के नेता ने कहा है कि उनका लक्ष्य ऐसा सांसद बनना है, जो जनसुलभ हो और आम जनता की शिकायतें सुनता हो. सच्चिदानंदम का चार लाख वोटों का जीत का अंतर इस साल के लोकसभा चुनाव में राज्य में सबसे बड़ी जीत का अंतर बताया जाता है.
कुंदुरु रघुवीर, 44 वर्ष, कांग्रेस, नलगोंडा, तेलंगाना
अनाथ बच्चों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता रघुवीर ने रणनीतिक नेतृत्व, नीतिगत विकास और विश्लेषण देने का हुनर विकसित किया है. उन्होंने भाजपा के सैदि रेड्डी शानमपुडी को हराया.
तारनिवेंतन एम.एस., 59 वर्ष, डीएमके, अरनी, तमिलनाडु
साल 1979 में पार्टी की सदस्यता लेने के बाद से ही तारनिवेंतन लगातार पार्टी की सीढ़ियां चढ़ते गए. उन्होंने सिंचाई सुविधाओं में सुधार की मांग के अलावा कृषि उपज की बेहतर कीमतों के लिए प्रदर्शनों में किसानों और खेतिहर मजदूरों को लामबंद किया. एआइएडीएमके के गजेंद्रन जी. वी. को हराया.
उमेशभाई पटेल, 48 वर्ष, निर्दलीय, दमन और दीव (एसटी)
कला स्नातक पटेल 2017 में सुर्खियों में आए, जब दमन और दीव को पड़ोसी गुजरात में मिलाने के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध को स्वर दिया. हाई कोर्ट ने राज्य के शराबबंदी कानूनों के बेहतर अमल के लिए यह फैसला दिया था—गुजरात में शराबबंदी की वजह से शराब के तलबगार दीव का रुख करने के लिए जाने जाते हैं.
पटेल केंद्र शासित प्रदेश में दमन यूथ ऐक्शन फोरम और स्वामी विवेकानंद विद्यालय सरीखे कई संगठन चलाते हैं. उन्होंने तीन बार के भाजपा सांसद लालूभाई पटेल को 6,225 वोटों के अंतर से हराया. यह संसद के आने की पटेल की दूसरी कोशिश थी. 2019 में वे लालूभाई से बड़े अंतर से हार गए थे.
बताया जाता है कि निर्दलीय उम्मीदवार ने बहुत मितव्ययी चुनाव अभियान चलाया और कुछेक दोस्तों या अपनी पत्नी और बेटी के साथ प्रचार किया. उन्होंने कहा है कि वे दमन और दीव के विकास के लिए काम करेंगे, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टियों ने इस केंद्र शासित प्रदेश को कथित रूप से अनदेखा किया है.
मतेश्वरन वी.एस., 52 वर्ष, केएमडीके, नमक्कल, तमिलनाडु
मथेश्वरन ने पहले भी सेंतमंगलम पंचायत इलाके में रहने वाले लोगों के सामने मौजूद मुद्दों को प्रमुखता से उठाया और सेंतमंगलम पंचायत यूनियन के उपाध्यक्ष के रूप में काम किया. एआईएडीएमके के तमिलमणि एस. को हराया.
भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा, 56 वर्ष, भाजपा, नरसापुरम, आंध्र प्रदेश
सीपीआई के अखिल भारतीय छात्र संघ के पूर्व कार्यकर्ता भूपति राजू भाजपा में शामिल होने से पहले एबीवीपी और आरएसएस से जुड़े रहे हैं. उन्होंने कई मुद्दों पर पार्टी के विरोध प्रदशर्नों के लिए जनसमर्थन जुटाने में मदद की. वाईएसआरसीपी की उमाबाला गुडुरी को हराया.
अजेंद्र सिंह लोधी, 53 वर्ष, सपा, हमीरपुर, उत्तर प्रदेश
बुंदेलखंड इलाके में जमीन से जुड़े सपा के ओबीसी नेता. हमीरपुर में काडर विकसित करने के कामों से जुटे रहे हैं. भाजपा के कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को हराया.
देवेश शाक्य, 43 वर्ष, सपा, एटा, उत्तर प्रदेश
शाक्य ने एटा से भारतीय जनता पार्टी के दो बार सांसद रहे राजवीर सिंह को हराया, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता कल्याण सिंह के बेटे हैं. कानून में स्नातक और गैर-यादव ओबीसी नेता शाक्य एटा की पट्टी में समाजवादी पार्टी के ठेठ जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं, जिन्होंने गैर-यादव पिछड़े वर्गों को पार्टी से जोड़ने पर ध्यान दिया.
एटा पट्टी में शाक्य वोट (ज्यादा बड़े कुशवाहा समुदाय का हिस्सा) अहम माने जाते हैं और शायद यही बात देवेश को चुनाव का टिकट देते वक्त अखिलेश के दिमाग में रही होगी.
राजकुमार सांगवान, 63 वर्ष, आरएलडी, बागपत, उत्तर प्रदेश
छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत की. आरएलडी के वरिष्ठ प्रवक्ता राजकुमार को पार्टी के अध्यक्ष जयंत चौधरी का करीबी माना जाता है. उन्होंने पार्टी के भीतर कई अहम पदों पर काम किया, जिनमें स्थानीय मीडिया में पार्टी की प्रचार और संचार रणनीति को संभालना भी शामिल है. सपा के अमरपाल को हराया.
सनातन पांडे, 61 वर्ष, सपा, बलिया, उत्तर प्रदेश
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे सनातन पांडे ने उत्तर प्रदेश का 2007 का विधानसभा चुनाव चिलकहर सीट से जीता था. अलबत्ता 2019 का लोकसभा चुनाव वे हार गए थे.
स्थानीय लोगों के साथ लगातार बैठकें और काडर का विकास करके उन्होंने ठेठ जमीनी स्तर पर जनता के साथ जुड़ाव कायम रखा. माना जाता है कि यही उनके पक्ष में गया. भाजपा के नीरज शेखर को हराकर यह आम चुनाव जीता.