एनटीए के झमेले के बीच घिरे इन परीक्षार्थियों का क्या होगा?

यूजीसी-नेट की परीक्षा रद्द होने से अब विश्वविद्यालयों में पीएचडी की पूरी नामांकन प्रक्रिया में देरी, अगला कदम भी स्पष्ट नहीं

यूजीसी-नेट परीक्षा लीक और रद्द होने से नाराज छात्रों का आक्रोश
यूजीसी-नेट परीक्षा लीक और रद्द होने से नाराज छात्रों का आक्रोश

सबा अंजुम ने पीएचडी कर ली है और वे नेट की परीक्षा पास करने के बाद बिहार में कॉलेज या विश्वविद्यालय में पढ़ाना चाहती हैं. बिहार में ही पूर्णिया की रहने वाली सबा और उनके परिवार को उनकी नेट की परीक्षा रद्द होने से सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया. उनके शौहर दिल्ली में प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं. यह सोचकर वे दिल्ली आई थीं कि बकरीद का त्योहार परिवार के साथ मनाना है. 14 जून की रात में एनटीए ने 18 जून की नेट परीक्षा का एडमिट कार्ड जारी किया. उनका परीक्षा केंद्र पटना में था.

ट्रेन का टिकट कन्फर्म न होने पर बर्थ शेयर करके ठीक बकरीद वाले दिन वे रवाना हुईं और 18 जून की सुबह पटना पहुंचीं. परीक्षा देकर शाम को फ्लाइट से दिल्ली लौटीं. पचीसेक हजार रुपए खर्च हुए पर उन्हें परीक्षा हो जाने का सुकून था. पर 24 घंटे के अंदर ही नेट की परीक्षा रद्द होने की खबर आ गई. वे कहती हैं, "मुझे लगा कि इस पूरी व्यवस्था ने मुझ जैसे लाखों अभ्यर्थियों की मेहनत पर पानी फेर दिया. मेरे जैसे लाखों छात्र परेशानियां उठाकर तैयारी करते हैं और परीक्षा देने जाते हैं."

कुछ ऐसी ही कहानी नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से पीएचडी कर रही शिवांगी सिंह की भी है. सेमेस्टर ब्रेक होने की वजह से वे परिवार के पास लखनऊ चली गई थीं. 15 जून की सुबह एडमिट कार्ड का पता चला. उनका सेंटर दिल्ली के बहुत रिमोट क्षेत्र में था. किसी तरह बस से वे दिल्ली आईं. 18 जून को मेट्रो और ऑटो बदलते हुए सुबह सात बजे परीक्षा केंद्र पहुंचकर पेपर दिया. अब वे कहती हैं: "सारी मेहनत व्यर्थ हो गई. ऐसा लगता है, सबका भरोसा टूट गया है."

सबा और शिवांगी जैसे नौ लाख से ज्यादा अभ्यर्थी उस वक्त हताश हो गए जब परीक्षा होने के 24 घंटे से थोड़ी ही देर बाद 19 जून की रात में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 18 जून को हुई नेट परीक्षा रद्द करने का निर्णय सार्वजनिक कर दिया. शिक्षा मंत्रालय का बयान आया कि इस परीक्षा की सत्यता से समझौता हुआ, ऐसी आशंका है. "इस परीक्षा प्रक्रिया की उच्चतम स्तर की पारदर्शिता और पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि यूजीसी-नेट जून 2024 परीक्षा रद्द की जाए. एक नई परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसके लिए जानकारी अलग से साझा की जाएगी."

मामले की गहन जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया. बाद में पता चला कि परीक्षा के दो दिन पहले इसका पेपर छह लाख रुपए तक में डार्क वेब पर बेचा गया. परीक्षा से ठीक पहले वाली रात इसका पेपर टेलीग्राम के माध्यम से बेचा जा रहा था. सीबीआई की जांच में भी इन बातों की पुष्टि हुई है. यह अंदाज लगाया गया कि सभी विषयों के परीक्षार्थियों के लिए कॉमन पहला पेपर लीक हुआ है. इसीलिए पूरी परीक्षा रद्द की गई.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा, "जैसे ही स्पष्ट हुआ कि डार्कनेट पर यूजीसी नेट का प्रश्नपत्र लीक हो गया है और वह मूल प्रश्नपत्र से मेल खाता है, हमने परीक्षा रद्द करने का फैसला किया...हम परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं."

दरअसल, साल में दो बार होने वाली इस परीक्षा के लिए इस बार 11 लाख से ज्यादा छात्रों ने आवेदन किया था और करीब साढ़े नौ लाख परीक्षा में बैठे. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी की तरफ से आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (एनईटी/नेट) का आयोजन कुछ साल पहले तक यूजीसी खुद कराती थी. इसके बाद यह जिम्मा सीबीएसई को सौंपा गया. फिर जब सारी प्रवेश परीक्षाएं कराने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए का गठन हुआ तो नेट परीक्षा की जिम्मेदारी भी एनटीए को दे दी गई.

एनटीए के जिम्मे आने पर पेन-पेपर मोड वाली यह परीक्षा ऑनलाइन यानी कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट मोड में आयोजित होने लगी. कई बार यह परीक्षा ऑनलाइन कराने के बाद इस बार एनटीए ने इसे एक बार फिर से पेन-पेपर मोड में कराया था. तर्क यही था कि ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चे ऑनलाइन मोड में सहज नहीं रहते. एनटीए ने एक तर्क यह भी दिया कि कंप्यूटर लैब का इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना बड़ा नहीं है कि पूरी परीक्षा एक दिन में कराई जा सके, इसलिए ऑनलाइन परीक्षा कई दिनों तक चलती है. ऐसे में पेन-पेपर मोड इसलिए ठीक है कि एक ही दिन में परीक्षा हो जाएगी.

यूजीसी की इस परीक्षा के आयोजन के पीछे मुख्य तौर पर तीन मकसद हैं. पहला यह कि इसे पास करने वाले को देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नियुक्ति का पात्र मान लिया जाता है. दूसरा, इसके माध्यम से जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के लिए छात्रों का चयन होता है; यह मिलने के बाद पीएचडी करने के दौरान छात्रों को 40,000 रु. महीने से ज्यादा की फेलोशिप मिलती है. तीसरा पहलू इसी साल जुड़ा जब यूजीसी ने नियम बनाया कि पीएचडी में नामांकन के लिए भी नेट के स्कोर को आधार बनाया जाएगा. यानी पीएचडी में दाखिले के लिए अलग-अलग ली जाने वाली परीक्षाएं खत्म हो जाएंगी और नेट के जरिए ही दाखिला मिल जाएगा.

नेट की परीक्षा रद्द होने से अब विश्वविद्यालयों में पीएचडी की पूरी नामांकन प्रक्रिया में देरी होगी. जेएनयू के एक अधिकारी बताते हैं कि अभी प्रशसानिक स्तर पर इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि हम नेट की अगली परीक्षा का इंतजार करें या फिर अपनी परीक्षा वापस लेकर आएं. वे कहते हैं, "कोविड-19 की वजह से हमारा पीएचडी सत्र पहले से ही पीछे चल रहा था. इस बार हमारी योजना इसे समय पर लाने की थी पर अब इसके बेपटरी होने का अंदेशा पैदा हो गया है."

दिल्ली विश्वविद्यालय के पीएचडी के एक छात्र अंकित कुमार नेट परीक्षा से संबंधित दूसरी दिक्कतों को भी रेखांकित करते हैं: "जब से एनटीए ने नेट की परीक्षा आयोजित करानी शुरू की है, परीक्षा शुल्क खासी बढ़ गई है जबकि परीक्षा केंद्रों का स्तर लगातार गिर रहा है. यूजीसी की खुद की मेजबानी में परीक्षा अच्छे सरकारी स्कूलों में होती थी. एनटीए ने तो ऐसे-ऐसे कंप्यूटर लैब में परीक्षाएं कराईं, जहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं होती थीं. जबकि परीक्षा शुल्क दोगुनी से भी ज्यादा हो गई. यूजीसी एडमिट कार्ड 10-12 दिन पहले जारी कर देता था. एनटीए दो-तीन पहले देता है. इन वजहों से परीक्षार्थियों को कई तरह की दिक्कतें आती हैं."

दरअसल, 2024 आते-आते नेट परीक्षा का आवेदन शुल्क 2014 के मुकाबले करीब तीन गुना हो गया. 2014 के जून में हुई नेट की परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी के आवेदकों के लिए शुल्क 450 रु. था. ओबीसी के लिए यह 225 रु. और एससी-एसटी, दिव्यांगों के लिए 110 रुपए था. 18 जून, 2024 को आयोजित (और रद्द) नेट परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी के आवेदकों से 1,150 रुपए और इसी अनुपात में दूसरी श्रेणियों में भी बढ़ा.

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से पीएचडी कर रहीं अंजलि शर्मा एक और समस्या की ओर उंगली उठाती हैं: "हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए यह परीक्षा लगातार मुश्किल होती जा रही है. सभी विषयों के लिए अनिवार्य पेपर-1 का हिंदी अनुवाद इतना बुरा और उटपटांग होता है कि अंग्रेजी ठीक से न जानने वाले के लिए इस पेपर में अच्छे नंबर लाना बेहद मुश्किल है."

नई दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे एक छात्र नाम न छापने की शर्त पर एक अंदेशे की ओर इशारा करते हैं, "मेरे जैसे कई लोगों को पिछले कुछ सालों से यह लगता है कि नेट के कुछ सेंटर मैनेज हो जाते हैं. मेरे साथ पढ़ने वाला और दिल्ली सेंटर भरने वाले एक छात्र सालों से नेट नहीं निकाल पा रहा था. पिछले साल यूपी के एक जिले का सेंटर भरकर उसने निकाल लिया."

पहले नीट और फिर नेट के पेपर लीक से एनटीए की आयोजित परीक्षाओं की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं. एनटीए में सुधार की मांग उठ रही है. इसके लिए केंद्र सरकार ने इसरो के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है. इसकी सिफारिशें आने के बाद भले कोई उम्मीद पैदा हो लेकिन हाल के प्रकरणों ने इन परीक्षाओं की साख पर जो बट्टा लगाया है, उसकी भरपाई करना आसान न होगा. 18 जून की जो परीक्षा रद्द हुई है, वह अब 21 अगस्त, 2024 से 4 सितंबर, 2024 के बीच होनी है.

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