इंडिया टुडे टॉप कॉलेज सर्वे : वकालत के लिए इन कॉलेजों में है दलील और तकनीक का मेल
इंडिया टुडे-एमडीआरए के टॉप कॉलेज सर्वे के अनुसार देखिए लॉ की पढ़ाई के लिए कौन से हैं देश के 10 सर्वश्रेष्ठ कॉलेज

बेंगलूरू स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) के हरे-भरे परिसर में पिछले एक साल के दौरान खासा कायापलट हो चुका है. लाइब्रेरी ब्लॉक की बगल में एक नया एम्फीथिएटर बना है. वहीं, परिसर में कुछ जगहों पर प्राकृतिक नजारों से भरपूर तालाब बनाए गए हैं, ताकि छात्र खुली जगहों पर खुशनुमा माहौल में संवाद-चर्चा कर सकें. संस्थान के प्रमुख रास्ते को दृष्टिबाधित लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर फिर से डिजाइन किया गया है. समावेशिता और विविधता के सिद्धांत पर चलने वाले देश के इस प्रमुख विधि संस्थान ने बुनियादी ढांचे में यह सारे बदलाव शैक्षणिक विकास क्रम के तहत किए हैं.
वाइस चांसलर सुधीर कृष्णास्वामी ने बताया कि 2024 में संस्थान अपने प्रमुख बीए एलएलबी पाठ्यक्रम में 300 छात्रों, तीन वर्षीय एलएलबी कार्यक्रम में 120 और एलएलएम में भी इतने ही छात्रों को प्रवेश देगा. इससे विभिन्न बैच में छात्रों की कुल संख्या करीब 1,300 हो जाएगी. बढ़ती छात्र संख्या के मद्देनजर एनएलएसआइयू अपने संकाय की संख्या भी बढ़ा रहा है. वे कहते हैं, "जुलाई 2024 से हमारा संकाय आंकड़ा 100 तक पहुंच जाएगा और फिर हम इसे 125 तक ले जाएंगे." इससे इस संस्थान में शिक्षक-छात्र अनुपात करीब 1:15 बनाए रखने में मदद मिलेगी.
जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या जेन एआइ आने से शिक्षा क्षेत्र में पिछले 12-18 महीनों में एक बड़ा बदलाव आया है. कृष्णास्वामी कहते हैं, ''कानून उन पेशों में एक है जिस पर जेन एआइ का सबसे गहरा असर पड़ने के आसार हैं. ऐसे में एक विधि विश्वविद्यालय के तौर पर हमारे लिए तीन चीजें सबसे ज्यादा अहम हो जाती हैं. सबसे पहले, हमें अपने छात्रों को इसमें महारत वाला यूजर बनाना होगा, जो नए जमाने के खास टूल से परिचित हों. लेकिन इससे कहीं आगे जाकर पाठ्यक्रम के लिहाज से हम उन्हें यह सिखाते हैं कि यह तकनीक कैसे काम करती है ताकि वे इसके डिजाइनर और निर्माता दोनों बन सकें. यहीं नहीं, अगर शैक्षणिक जरूरतों को देखें तो यही कहा जा सकता है कि हर छात्र के फोन में एक ट्यूटर के तौर पर जेन एआइ खासी संभावनाएं रखता है.''
यह दूसरों से अलग कैसे है
> एनएलएसयूआइ के छात्रों को 14.3 लाख रुपए प्रति वर्ष के औसत वार्षिक वेतन (घरेलू) की पेशकश; उच्चतम 19.5 लाख रुपए
> पिछले वर्ष कॉलेज को शोध और परामर्श के 1.6 करोड़ रुपए के काम की पेशकश की गई
> देशभर के संस्थानों में इसका एनएएसी सीजीपीए स्कोर 4 में से 3.1 है
> एनएलएसआइयू के 25 से अधिक पूर्व छात्र रोड्स स्कॉलर रहे हैं
> आला दर्जे के इस संस्थान में आधुनिक बुनियादी ढांचे और शानदार अकादमिक रिकॉर्ड के साथ बेहतर शिक्षक-छात्र अनुपात है
> पिछले तीन वर्षों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित लगभग 10 वैकल्पिक पाठ्यक्रम मुहैया करा रहा है
क्या आप जानते हैं?
> पिछले साल नवंबर से संस्थान ने आइआइटी बॉम्बे और उपभोक्ता मामलों के विभाग के साथ मिलकर एक रिसर्च प्रोजेक्ट का नेतृत्व संभाल रखा है जिसे टेक कंपनी मेटा का भी सहयोग हासिल है. इसका उद्देश्य उपभोक्ता कानून के क्षेत्र में नागरिक-केंद्रित चैटबॉट और निर्णय लेने में मददगार टूल की अवधारणा का निर्माण और मूल्यांकन करना है. यह चैटजीपीटी सहित कई बड़े भाषा मॉडल में अत्याधुनिक अनुप्रयोग विकसित करने की दिशा में एक अहम पहल हैं
तीन वर्षीय एलएलबी बनाम पांच वर्षीय एलएलबी: कौन बेहतर?
> पांच वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम और तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम छात्रों के अलग-अलग समूहों की जरूरतों को पूरा करते हैं. पांच वर्षीय डिग्री एकीकृत स्नातक पाठ्यक्रम है जिसे आमतौर पर ऐसे युवा छात्र अपनाते हैं जो अपनी 10+2 परीक्षा पास करने के तुरंत बाद कानूनी डिग्री लेना चाहते हैं. वही, तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम उन छात्रों के लिए एक बेहतर विकल्प है जिनके पास पहले से ही किसी विषय में स्नातक डिग्री है, और जो प्रवेश के लिए एक पात्रता मानदंड भी है
> दोनों तरह की डिग्रियों में तीन वर्षीय एलएलबी प्रोग्राम पुरानी व्यवस्था है, जो कानूनी शिक्षा में सुधार के उद्देश्य के साथ विशेष तौर पर स्थापित विधि विश्वविद्यालयों से पहले से जारी है. देश में पहला पांच वर्षीय एकीकृत बीए एलएलबी कार्यक्रम 1988 में एनएलएसआइयू ने शुरू किया था. इसके बाद, पिछले तीन दशकों में कई अन्य विधि विश्वविद्यालय स्थापित किए गए जो प्रमुख तौर पर पांच वर्षीय एकीकृत एलएलबी पाठ्यक्रम की पेशकश करते हैं
आमतौर पर, पांच वर्षीय एलएलबी करने वाले अधिकांश स्नातक कॉर्पोरेट लॉ फर्मों में प्लेसमेंट के इच्छुक होते हैं या फिर वकालत में अपना करियर बनाते हैं
2022 में, एनएलएसआइयू ने तीन वर्षीय एलएलबी (ऑनर्स) कार्यक्रम शुरू किया, जिसका उद्देश्य उन छात्रों को कानूनी शिक्षा का अवसर प्रदान करना था, जो किसी अन्य विषय में विशेषज्ञता हासिल कर चुके हों. सुधीर कृष्णास्वामी के मुताबिक, एनएलएसआइयू का तीन वर्षीय एलएलबी कार्यक्रम बीए एलएलबी की तुलना में सैद्धांतिक तौर पर अधिक कठिन पाठ्यक्रम है. संस्थान के तीन वर्षीय एलएलबी में दाखिला लेने वाले छात्रों का पहला बैच जुलाई 2025 में स्नातक की डिग्री हासिल करेगा.
कानूनी डिग्री से जुड़ी पांच खास बातें
> कानूनी शिक्षा और कानूनी पेशे के लिए अध्ययन खासा उपयोगी होता है. इस पेशे से जुड़े लोगों को फिक्शन और नॉन-फिक्शन समेत गहन अध्ययन करना चाहिए.
> अपने कामकाज का पूरा ढांचा एकदम व्यवस्थित रखना चाहिए.
> कल, आज और आने वाले कल की चुनौतियों को देखते हुए समस्या समाधान के लिए शोध वाली मानसिकता को अपनाना चाहिए.
> आप कानून की डिग्री के साथ अन्य तरह के करियर अपनाने का प्रशिक्षण भी ले सकते हैं.
> यह कानून और सार्वजनिक नीति सुधार (पब्लिक पॉलिसी रिफॉर्म) के माध्यम से दुनिया से जुड़ने और बदलाव लाने का एक अवसर भी है
कानूनी शिक्षा में पांच नए ट्रेंड
> आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और मशीन लर्निंग जैसी उभरती तकनीकों को शामिल कर कानूनी पाठ्यक्रम में तेजी से बदलाव.
> क्लिनिकल लॉयरिंग, एक्सटर्नशिप और ट्रांजैक्शनल कोर्स के माध्यम से अनुभवात्मक शिक्षा पर जोर.
> छात्रों को सामाजिक विज्ञान या मानविकी में उच्च डिग्री हासिल करने के लिए प्रेरित कर बहु-विषयक दृष्टिकोण को व्यापक बनाना.
> कानून से जुड़े विभिन्न विषयों को पढ़ने-सीखने के लिए सक्रियता.
> वैश्विक स्तर पर दोहरी और संयुक्त डिग्री के साथ शोध के उद्देश्य से भी छात्रों को परस्पर एक-दूसरे देशों में भेजने के लिए दुनिया के अग्रणी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग
विधि कोर्सं में पांच नई विशेषज्ञताएं
> एआई और कानून
> बायोएथिक्स
> जलवायु परिवर्तन और जस्ट ट्रांजिशन (सर्वव्यापी बदलाव)
> बंटी हुई विश्व व्यवस्था में अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश कानून
> प्रतिस्पर्धा कानून और डिजिटल बाजार
गुरु वाणी
"हम अपने छात्रों को इस बात का प्रशिक्षण देते हैं कि वे पूछें कि कानून ऐसा क्यों है. और हम अपने छात्रों को इसका प्रशिक्षण भी देते हैं कि कानून कैसा होना चाहिए. हम रचनात्मक और मजबूत शैक्षिक आधार वाले छात्र तैयार करते हैं"
- प्रोफेसर सुधीर कृष्णास्वामी,वाइस चांसलर, एनएलएसआईयू
पूर्व छात्रा की राय
"हमने कानून की पढ़ाई की, मगर नजरिये के मामले में उसका अलग आयाम था, जिसमें इतिहास जैसे विषय और हिंसा जैसे मसले भी शामिल थे. जो छात्र फर्स्ट ईयर में वहां किसी खास मान्यता के साथ आए थे वे पांचवें साल के बाद बिल्कुल बदल गए"
— नयना मोतम्मा, विधायक, कर्नाटक; बीए एलएलबी (ऑनर्स) 2003 बैच
- अजय सुकुमारन