किरेन रिजिजू : बदली परिस्थितियों में संसद को साथ लेकर चलने की चुनौती

भाजपा के बहुमत खोने के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को सदन के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने के लिए विपक्ष की बढ़ी हुई ताकत और अप्रत्याशित सहयोगियों से पार पाना होगा

 किरेन रिजिजू, संसदीय कार्य मंत्री
किरेन रिजिजू, संसदीय कार्य मंत्री

संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन 2024 की गर्मी की तपिश अभी और रहेगी, क्योंकि इस संसदीय सत्र में विपक्ष की बेंचें भरी हुई हैं.

ऐसे में किरेन रिजिजू के पास बहुत काम हो सकता है, क्योंकि उन्हें सरकार के विधायी कार्यों के सुचारु संचालन के लिए नोडल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालनी होगी.

उन्हें न केवल विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ, बल्कि विपक्ष में शामिल विभिन्न दलों के साथ भी समन्वय करना होगा, जो पहले के मुकाबले बेहतर संख्या के साथ लौटे हैं.

लोकसभा में पहले दो कार्यकालों में उनके प्रचंड बहुमत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को विवादास्पद मुद्दों और विधेयकों पर विपक्ष के विरोध को मात देने में सक्षम बनाया था. हालांकि, अपने तीसरे कार्यकाल में सरकार को न केवल विपक्ष की राय को ध्यान में रखना होगा, बल्कि अपने अप्रत्याशित सहयोगियों, विशेष रूप से जद (यू) और टीडीपी के हितों का भी ध्यान रखना होगा, जिन पर यह अस्तित्व के लिए निर्भर है.

इस बदले हुए परिदृश्य में, संसदीय कार्य मंत्री का काम आम सहमति बनाना और यह सुनिश्चित करना होगा कि संसद बिना किसी गतिरोध के वही करे जिसके लिए उसे आदेश दिया गया है— चर्चा, बहस और कानून बनाना.

मंत्रालय की पहली चुनौती जल्द ही, आगामी बजट सत्र में आनी चाहिए, क्योंकि विपक्षी दल शेयर बाजार के "घोटाले" के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें कांग्रेस का दावा है कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री शामिल हैं. पर्याप्त उत्साह की उम्मीद करें और रिजिजू के लिए ऐसा काम जिसकी उन्हें सबसे अच्छी सुलह कौशल की आवश्यकता है.

क्या किया जाना चाहिए 

आम सहमति बनाना: सरकार और विपक्ष के बीच स्वस्थ संवाद बनाकर संसद की उत्पादकता बढ़ाई जाए

सुलह का संवाद: पिछले दो लोकसभा कार्यकालों में सिर्फ मुट्ठी भर विधेयक ही स्थाई समितियों को भेजे गए थे. आम सहमति बनाने के लिए यह तरीका उलटना चाहिए

किरेन रिजिजू, 52 वर्षः भाजपा संसदीय कार्य मंत्री

राजनीतिक पृष्ठभूमि: अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कामेंग जिले में जन्मे रिजिजू ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की. उनके पिता रिनचिन खारू राज्य के पहले प्रोटेम स्पीकर थे

पिछले एक दशक में उभार: रिजिजू राष्ट्रीय मंच पर पूर्वोत्तर के सबसे प्रमुख नेताओं में एक बनकर उभरे हैं. चार बार के सांसद ने खेल मंत्री की भूमिका संभालने से पहले 2014 में गृह राज्यमंत्री के रूप में शुरुआत की. किरेन तब सुर्खियों में चढ़े, जब 2021 में कानून मंत्री बनाया गया, हालांकि उन्होंने दो साल के भीतर ही पद उनके हाथ से चला गया राज्यमंत्री

अर्जुन राम मेघवाल, 70 वर्षः भाजपा

साथ ही, राज्यमंत्री, कानून एवं न्याय मंत्रालय

एल. मुरुगन, 47 वर्षः भाजपा

दक्षिणायन: तमिलनाडु में तेलुगु भाषी किसान माता-पिता के घर जन्मे, वे एबीवीपीके सक्रिय सदस्य थे. मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य अपने राज्य में भाजपा का दलित चेहरा हैं

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