ट्रक ज्यादा, ड्राइवर कम: क्या कहते हैं देश में ट्रकों से जुड़े आंकड़े?

ट्रांसपोर्टरों और ड्राइवरों का कहना है कि 2019 में सरकार ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की पेनाल्टी बढ़ाई जिससे भ्रष्टाचार बढ़ा लेकिन हादसे कम नहीं हुए

देश में ट्रकों की कुल संख्या कितनी है
देश में ट्रकों की कुल संख्या कितनी है

हिट ऐंड रन के नए सख्त कानून के खिलाफ देश भर में व्यावसायिक वाहनों के ड्राइवरों की हड़ताल हालांकि खत्म हो गई है, कानून लागू करना भी टल गया है लेकिन समस्या बरकरार है. ट्रांसपोर्टरों और ड्राइवरों का कहना है कि 2019 में सरकार ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की पेनाल्टी बढ़ाई जिससे भ्रष्टाचार बढ़ा लेकिन हादसे कम नहीं हुए. नए कानून का सबसे बड़ा संभावित पीड़ित वर्ग ट्रक ड्राइवरों का है जिसकी जिंदगी ज्यादातर सड़कों पर ही बीतती है.

बेवजह वाहन चेकिंग के नाम पर उसे पुलिस और आरटीओ से लेकर जीएसटी अफसरों तक का सीधे सामना करना पड़ता है. किसी हादसे के बाद गुस्साई भीड़ के सामने उसकी जान पर बन आती है. ट्रांसपोर्टर कहते हैं कि हादसे रोकने के लिए ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता लाना व्यवहारिक विकल्प है न कि कानूनों को सख्त करते जाना. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के सेक्रेटरी जनरल नवीन कुमार गुप्ता कहते हैं, ''यह कानून सभी वाहन चलाने वालों पर लागू होना था. नियम इंटरनेशनल लेवल के हैं लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर वैसा नहीं है. हाइवे पर साइकिल और अन्य प्रतिबंधित वाहनों को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं है. खड़े ट्रकों से आकर गाड़ियां टकराती हैं और लोग आकर ट्रक को नुकसान पहुंचाते हैं और ड्राइवर को पीटने लगते हैं. ट्रकों को खड़ा करने की व्यवस्था नहीं है''

ट्रकों को लेकर क्या कहते हैं आंकड़ें:

  • 1 करोड़ के लगभग है ट्रकों की संख्या देश में, जबकि कुल पंजीकृत वाहनों की संख्या है 36.14 करोड़ है. 
  • 12 घंटे औसतन, एक ट्रक ड्राइवर वाहन चलाता है और 417 किलोमीटर की दूरी रोज तय करता है. (सेव लाइफ फाउंडेशन का सर्वे, 2020)
  • 75 लाख अनुमानित संख्या है देश में ट्रक ड्राइवरों की, 2 करोड़ से अधिक हैं कॉमर्शियल व्हीकल के ड्राइवर
  • 12 करोड़ लोगों की आजीविका माल ढुलाई के कारोबार पर टिकी हुई है
  • 25-28 प्रतिशत कम हैं ट्रक ड्राइवर, ट्रकों की संख्या के मुकाबले, इसका आर्थिक नुकसान देश की जीडीपी का 1% से 1.5% तक है
  • 38 प्रतिशत ट्रक ड्राइवरों की शादी नहीं हो पाती इस पेशे की वजह से
  • 50 हजार ट्रक ड्राइवरों का ही आयुष्मान भारत में रजिस्ट्रेशन हुआ है जबकि वे उसके योग्य कैटेगरी में शामिल हैं
  • 5.9 लाख करोड़ रु. या जीडीपी का 3.1% (2018) के बराबर है सड़क हादसों से हुआ सामाजिक-आर्थिक नुकसान

स्रोत: ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस, सेव लाइफ फाउंडेशन और महिंद्रा का सर्वे, logistics.gov.in, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

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