मंत्री से भिड़ गए अफसर

राज्य के शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के बीच तनातनी ने महागठबंधन सरकार को असहज किया

बिहार के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक
बिहार के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक

आप स्वयं या आपके संरक्षक (जिनके कहने पर ये तथाकथित पीत-पत्र आप लिख रहे हैं) पूरी प्रक्रियाओं से अवगत हो लें, उसके बाद ही पत्राचार करें. व्यर्थ के पत्राचार से आपके और आपके संरक्षकों की कुत्सित मानसिकता एवं अकर्मण्यता जाहिर होती है.'' यह अंश उस पत्र का है, जो 5 जुलाई को बिहार के शिक्षा विभाग के अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने शिक्षा मंत्री के पर्सनल सेक्रेटरी कृष्णा नंद यादव को लिखा. मगर इसमें मूल प्रहार उनके कथित 'संरक्षक' यानी शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर पर है. यह उस पीत पत्र का जवाब है, जो 4 जुलाई को पर्सनल सेक्रेटरी ने अपर मुख्य सचिव को लिखा था. इस पत्र में मंत्री महोदय के हवाले से यह कहा गया था कि विभाग हाल के दिनों में नकारात्मक वजहों से अधिक चर्चा में है और विभाग में ज्ञान से अधिक सड़क छाप किस्म की शब्दावली का इस्तेमाल हो रहा है. उस पीत पत्र में मंत्री चंद्रशेखर का निशाना अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक थे, जो कड़क मिजाज प्रशासक माने जाते हैं और इन दिनों राज्य के स्कूलों के नियमित निरीक्षण के लिए चर्चा में हैं. 

मगर पाठक ने अपने कनीय अधिकारी से ऐसा पत्र लिखवाया कि राज्य की राजनीति में उबाल आ गया. जहां एक ओर जद (यू) के नेता पाठक का पक्ष लेते नजर आने लगे, वहीं राजद की ओर से अपने मंत्री चंद्रशेखर को डिफेंड करते हुए पाठक पर हमला किया जाने लगा. विपक्षी दल भाजपा ने भी यह जाहिर करने की कोशिश की कि महागठबंधन के दोनों दलों के बीच खाई चौड़ी हो रही है और वे कभी भी अलग हो सकते हैं. 

हालांकि जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद सक्रिय हुए. राजद की ओर से लालू प्रसाद यादव ने कमान संभाली. उनके कहने पर चंद्रशेखर नीतीश से मिले. इससे पहले नीतीश पाठक से मिल चुके थे. मामला शांत हो गया. खबरें ऐसी भी आईं कि चंद्रशेखर का विभाग बदला जा सकता है, क्योंकि पाठक के स्कूल निरीक्षण अभियान से मुख्यमंत्री सहमत हैं. मगर यह पूरा प्रकरण जिस तरह सामने आया, उससे जाहिर हुआ कि सरकार की मशीनरी में सब कुछ सही नहीं है. 

दरअसल, शिक्षा विभाग के मंत्री और अपर मुख्य सचिव, दोनों इन दिनों अक्सर विवादों में रहते हैं. माना जाता है कि कड़क मिजाज के पाठक प्रोजेक्ट मोड में काम करते हैं और जिस मिशन में जुट जाते हैं, उसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते. इन दिनों वे सरकारी स्कूलों के नियमित निरीक्षण का अभियान चला रहे हैं. वे हक्रते में तीन रोज राज्य के सभी स्कूलों का निरीक्षण करा रहे हैं. गैरहाजिर मिलने वाले शिक्षकों के वेतन की कटौती कर रहे हैं. माना जा रहा है कि यह अभियान शिक्षा मंत्री को रास नहीं आ रहा. 

इसी साल फरवरी में पाठक उस वक्त चर्चा में आए, जब एक बैठक का वीडियो वायरल हो गया था. उसमें वे एक डिप्टी कलेक्टर को गालियां देते और बिहारियों के खिलाफ अपशब्द कहते नजर आए. तब वे नीतीश के प्रिय अभियान शराबबंदी के काम में जुटे थे और मद्य-निषेध विभाग में थे. उस वक्त भी काफी विवाद हुआ, मगर नीतीश उनके साथ मजबूती से खड़े रहे. कार्रवाई वीडियो वायरल करने वाले अफसरों के खिलाफ हुई. 

वहीं, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं. उन्होंने इस साल जनवरी में एक दीक्षांत समारोह के बाद रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कह दिया था. इसको लेकर पूरे देश में विवाद उठ खड़ा हुआ. जहां हिंदुत्व समर्थक इसे हिंदू धर्म का अपमान बताने लगे, वहीं बहुजन विचारक चंद्रशेखर का पक्ष लेकर मानस की चौपाइयों में ब्राह्मणवाद की जड़ें तलाशने लगे. वह विवाद आज भी किसी-न-किसी रूप में भड़क उठता है. 

इस बार भी नीतीश पाठक के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि राजद के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन भी नीतीश को है. लालू और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने साफ कह दिया है कि महागठबंधन के मामलों में उन दोनों के अलावा राजद का कोई और नेता टिप्पणी न करे. यह संदेश है कि फिलहाल एकजुटता दिखाना ज्यादा जरूरी है. 

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं. उन्होंने इस साल जनवरी में रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कह दिया था. इसको लेकर पूरे देश में विवाद उठ खड़ा हुआ

फरवरी में पाठक उस वक्त चर्चा में आए, जब एक बैठक का वीडियो वायरल हो गया था. उसमें वे एक डिप्टी कलेक्टर को गालियां देते और बिहारियों के खिलाफ अपशब्द कहते नजर आए

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