दक्षिण का दमखम

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2023 में जुटे दिग्गजों ने राज्यों की वित्तीय स्थिति से लेकर भारत में संघीय व्यवस्था, पर्यटन और अंतरिक्ष के लिए तय लक्ष्यों तक कई अहम मुद्दों पर बात की

विचारों का मंथन: इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी के साथ विजयन
विचारों का मंथन: इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी के साथ विजयन

ऐसा राज्य जिसने अपने सिर पर हरे-भरे पंखों से लहलहाता ताज संजो रखा हो, वहां इंडिया टुडे साउथ कॉन्क्लेव होना ही था. केरल में इसका आयोजन अब जाकर हो पाया, यह बस वक्त की ही बात है. 2016 में 100 फीसद साक्षरता हासिल करने वाला यह पहला राज्य था. पिछले महीने ही केरल पूरी तरह ई-गवर्नेंस हासिल करने वाला पहला राज्य भी बन गया. सामाजिक-आर्थिक प्रगति के मामले में इसके पड़ोसी भी पीछे नहीं हैं. लिहाजा यह सही ही था जब इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा ने कॉन्क्लेव के उद्घाटन भाषण में इस इलाके की 'अतुल्य दक्षिण' कहकर तारीफ की. उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं पता देश के इस हिस्से का जिक्र करने के लिए हम 'डाउन साउथ' शब्द का इस्तेमाल क्यों करते हैं. दरअसल यह 'अप साउथ' होना चाहिए.''

इसी भावना की गूंज मुख्य अतिथि के तौर पर केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के भाषण में भी सुनाई दी. वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार ने 2017 में इंटरनेट की सुलभता को मूल अधिकार बनाया था. इसी तर्ज पर सरकार ने सभी घरों और सार्वजनिक दफ्तरों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देने के लिए हाल में केरल फाइबर ऑप्टिकल नेटवर्क (केएफओएन) पहल शुरू की है. अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर राज्य के उद्योग, कानून और जूट मंत्री पी. राजीव ने एमएसएमई में आए उछाल की चर्चा की. 'उद्यम के वर्ष' 2022-23 में करीब 1,40,000 उद्यमों की स्थापना हुई, जिनमें से 45,000 महिला उद्यमी और 17 ट्रांसजेंडर चला रहे हैं. 

केरल के पर्यटन क्षेत्र ने भी कॉन्क्लेव में खूब ध्यान खींचा, जिसमें घरेलू पर्यटक आगमन 2022 में 1.88 करोड़ पर पहुंच गया, जो महामारी से पहले के ऊंचे स्तर 2019 के 1.83 करोड़ से भी ज्यादा था. राज्य के पर्यटन मंत्री पी.ए. मोहम्मद रियास ने इस कामयाबी का श्रेय बैकवॉटर्स, आयुर्वेद और कारवां पर्यटन सरीखे क्षेत्रों के साथ बुनियादी ढांचे पर सरकार की तरफ से जोर दिए जाने को दिया. नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने भारत की राष्ट्रीय परियोजना में दक्षिण की अहमियत को सामने रखते हुए बताया कि दक्षिणी राज्य जीडीपी में करीब 30 फीसद का योगदान देते हैं. उन्होंने कहा, ''पहले 5 खरब डॉलर और फिर 10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की भारत की महत्वाकांक्षा दक्षिणी राज्यों को आगे बढ़ानी होगी.''

प्रमुख अड़चनें
अलबत्ता चुनौतियां बरकरार हैं. राज्य के वित्त मंत्री के.एन. बालागोपाल ने कहा कि केंद्र की उधारी लेने पर लगाई गई पाबंदियां मुख्य चिंता का विषय हैं, जबकि आज राज्य को केंद्र से सहायता की दरकार है. उनकी बातों से सहमति जताते हुए मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, ''ऐसी ज्यादतियों का असर तमाम राज्यों पर पड़ेगा.'' वहीं त्रिवेंद्रम चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट एस.एन. रघुचंद्रन नायर ने एक विसंगति की तरफ इशारा किया. वह यह कि केरल में 25 लाख प्रवासी या 'मेहमान' कामगार हैं जो 35,000 करोड़ रुपए के आसपास रकम भेजते हैं, लेकिन यहां करीब 22 लाख बेरोजगार भी हैं. उन्होंने कहा, ''इसलिए हम अपने लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ये नौकरियां तुम ले लो ताकि यह सारी रकम यहीं घूमती रहे.''

राजनैतिक मोर्चे पर 2016 में होने वाली परिसीमन की कवायद तकरीबन सभी दक्षिणी राज्यों के लिए सबसे ज्यादा कलह पैदा करने वाले मुद्दों में से एक बनी हुई है. नेताओं का कहना है कि यह उन दक्षिणी राज्यों पर बुरा असर डाल सकती है जिन्होंने अपनी आबादी को अब तक नियंत्रण में रखा, जबकि देश के उत्तरी हिस्से इस उम्मीद पर खरे नहीं उतरे. दरअसल इसीलिए अदाकार-सियासतदां कमल हासन को कहना पड़ा, ''महज अच्छे व्यवहार की वजह से हमें (दक्षिण भारतीयों को) सजा नहीं मिलनी चाहिए.'' पूर्व केंद्रीय गृह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी कहा कि परिसीमन की वजह से या तो नुक्सान हो सकता है या सीटें स्थिर रखी जा सकती हैं. उन्होंने कहा, ''इन हालात में सभी राजनैतिक पार्टियों को बैठकर इस पर शांति से विचार करना चाहिए. फैसला आम राय से लिया जाना चाहिए.''

एक और सरगर्म सत्र का विषय था ''दक्षिण कौन जीतेगा?'' इसमें तीन सांसदों—कांग्रेस के मणिकम टैगोर, भारत राष्ट्र समिति के के.आर. सुरेश रेड्डी और सीपीआइ(एम) के जॉन ब्रिटास—और भाजपा के तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने हिस्सेदारी की. इस दौरान अगले साल के चुनावों पर चर्चा हुई. साल 2024 भाजपा के लिए चुनौती पेश कर रहा है. दक्षिण की कुल 130 लोकसभा सीटों में से पार्टी के पास फिलहाल महज 29 हैं. एक उदाहरण हाल में हुआ कर्नाटक का चुनाव है, जिसमें भगवा पार्टी को दक्षिण में उसके एकमात्र गढ़ से निकाल दिया गया. मगर अन्नामलाई की उम्मीदें कायम हैं. उनका कहना था, ''अब मोदी जी के विकास कार्यों और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का जोड़ होने जा रहा है.'' मगर रेड्डी इस पर सहमत नहीं थे, ''दक्षिण में कुछ काम करेगा तो वह प्रदर्शन है... आपका मुकाबला ऐसे नेताओं से है जिन्होंने वाकई अच्छा काम किया है.'' कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि कर्नाटक की जीत पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाली थी, पर 2024 के लिए उसे दूसरी समान विचारों वाली पार्टियों के समर्थन की जरूरत होगी. 

बढ़ता सांप्रदायिक विभाजन भी चर्चा का विवादास्पद विषय था. एआइएमआइएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने जोरदार भाषण में भाजपा और कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि दोनों पार्टियों ने 'सामाजिक तानेबाने' और 'भारत के संविधान' को खतरे में डाल दिया है. धर्मांतरण पर आधारित हाल की विवादित फिल्म द केरल स्टोरी की कामयाबी भी चर्चा का विषय बनी. सीपीआइ (एम) के नेता डॉ. चिंथा जेरोम ने कहा, ''यह पूरी तरह झूठ है. केरल का सीधा-सादा आदर्श वाक्य प्यार, लचीलापन और पंथनिरपेक्षता है.'' फिल्मकार और केरल अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की पूर्व कला निर्देशक बीना पॉल ने कहा कि केरलवासी पहले ही इस फिल्म से किनारा करके 2018 के पक्ष में चले गए, जो अब तक की सबसे ज्यादा पैसा बटोरने वाली मलयालम फिल्म बन गई है. पॉल की राय में दरअसल 2018 केरल की सच्ची कहानी बयान करती है, जो दिखाती है कि उस साल आई विनाशकारी बाढ़ के खिलाफ कैसे तमाम क्षेत्रों के लोग साथ आए.

कॉन्क्लेव में केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भरपूर प्रदर्शन हुआ. पद्मश्री से सम्मानित चेंडा कलाकार पेरुवनम कुट्टन मारार और उनकी मंडली ने संगीतमय प्रस्तुति से दर्शकों को भावविभोर कर दिया, तो पार्श्व गायक-अभिनेता विजय येसुदास ने कुछ धुनें पेश कीं, जिनमें उनके पिता के.जे. येसुदास का गाया हिंदी गीत 'जब दीप जले आना' भी था. आखिर में, मोहिनीअट्टम और कथकली नर्तकों, थेय्यम कलाकारों और कलरीपयट्टू के साधकों के राज्य की जीवंत प्रदर्शनकारी कला परंपराओं के प्रदर्शन के साथ कॉन्क्लेव का रंगारंग समापन हुआ.

''केरल सामाजिक सद्भाव, एक समान विकास और प्रगतिशील मूल्यों की असाधारण कहानी कहता है. विकास के अपने समावेशी मॉडल के साथ यह राज्य जनकेंद्रित विकास का एक आदर्श बनकर उभरा है''  
पिनरई विजयन, मुख्यमंत्री, केरल

मुद्दा  2024 का लक्ष्य: दक्षिण को कौन जीतेगा?
''दक्षिण भारत में राजनीति प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरे असल सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों पर आधारित है. यह अलग ही जमीन है''
मणिकम टैगोर, कांग्रेसी नेता और सांसद

''मोदी फैक्टर और जिन भी मसलों का भाजपा प्रचार रही है, वे दक्षिण भारत में काम नहीं करेंगे. यहां सिर्फ प्रदर्शन काम करेगा''
के.आर. सुरेश रेड्डी, बीआरएस नेता और सांसद

''दक्षिण भारत में 2024 में भाजपा का काफी अहम प्रदर्शन होगा. यह मोदी जी के विकासकार्यों और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का मेल होगा''
के. अन्नामलाई, तमिलनाडु में भाजपा के अध्यक्ष

''अगर विपक्षी पार्टियों का साझा लक्ष्य भाजपा को सत्ता से दूर रखना है तो उन्हें अपने छोटे-मोटे मतभेद भुलाने होंगे''
जॉन ब्रिटास, सीपीआइ(एम) नेता और सांसद

''भारत का मतलब ही है विविधता. हमारे यहां अलग-अलग भाषाएं हैं, संस्कृतियां हैं. सिनेमा यह बताने का एक जरिया है. एक जैसा होना भारत नहीं है''
शोभिता धूलिपाल, अभिनेत्री

''मेरी जिंदगी में सबसे महान शिक्षक रही, असफलता. मेरी कई फिल्में असफल हुईं जिन पर काफी पैसा दांव पर लगा था. राजनीति में सिर्फ प्रतिष्ठा दांव पर लगी है''
कमल हासन, अभिनेता और मक्कल निधि मैय्यम (एमएनएम) संस्थापक

संघवाद की बुनियाद केंद्र राज्य संबंधों में एक साम्य कैसे हासिल किया जाए

मुद्दा क्या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की चुनौती बढ़ती जा रही है और यह मुस्लिम पहचान को कैसे प्रभावित कर रही है?

''भाजपा के 'एक भारत' के नजरिए से जो सहकारी संघवाद स्थापित किया जा रहा है, उसमें राज्यों को केंद्र के साथ बराबर के भागीदार की तरह नहीं देखा जाता''
पी. चिदंबरम, कांग्रेसी नेता और सांसद

''तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में कभी निरंतरता नहीं रही. आज इनके और भाजपा के बीच असल लड़ाई यह दिखाने की है कि कौन बड़ा हिंदू है''
असदुद्दीन ओवैसी, एमआइएम के अध्यक्ष और सांसद

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